09-03-2019, 11:13 AM
(This post was last modified: 09-03-2019, 11:14 AM by suneeellpandit. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पूरा लण्ड घुसेड़ने के बाद वो मुझ पर अपना भार डाल कर लेट गई और धीरे-धीरे चूत घिसने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे लंड को किसी ने जाकड़ लिया हो. मैं असीम आनन्द में खो चला !!! भाभी भी मदमस्त हो कर आंखें बन्द किये अपनी चूत ऊपर नीचे घिसने लगी थी। मेरी कमर भी अपने आप ही ताल मिलाने लग गई थी। वो कभी ऊपर उठ कर अपने स्तन को देखती और मुझे उसे और जोर से दबाने को कहती और फिर मस्ती में चीख सी उठती थी।
अब आगे :
अब उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी थी। उसके केश मेरे चेहरे पर गिरे जा रहे थे। उसके पतले अधर पत्तियों जैसे कांप रहे थे। उसका यह वासनामय रूप किसी काम की देवी की तरह लग रहा था। तभी उसके मुख से एक चीख सी निकली और वो झड़ने लगी- हाय मेरे रवि,, मैं तो गई... मेरा तो निकला...
उसकी चूत में लहरें चलने लगी। तभी मुझे भी लगा कि मेरा माल निकलने को है, मैंने उसे नीचे की ओर खींच कर दबा लिया। वो कराह उठी और मेरा रस उसकी चूत में भरने लगा। हम दोनों कुछ देर तक झड़ने के बाद भी यूँ ही पड़े रहे, फिर भाभी मेरे ऊपर से हट गई। उसका पेटीकोट कमर से नीचे परदे की भांति नीचे गिर कर उसे ढक लिया। उसने जल्दी से बटन लगा लिये।
चलो पजामा ऊपर खींच लो...
भाभी बहुत मजा आया ... एक बार और करें ...?
ओय होये ... अब लगा ना चस्का, आज तेरे भैया की नाईट ड्यूटी भी है, रात को देखेंगे ! भाभी ने दूसरे दौर की सहमति दे दी, पर रात को।
मैं तैयार हो कर कॉलेज चला गया। सारे दिन गुमसुम सा रहा, चुदाई की मीठी-मीठी यादें पीछा नहीं छोड़ रही थी। बड़ी मुश्किल से शाम आई तो रात आने का नाम ही नहीं ले रही थी।
घर के सभी लोग सो चुके थे। भाभी ने अपना कमरा अन्दर से बन्द करके अपनी चौक की खिड़की खोली और बाहर कूद आई ताकि लगे कि कमरा तो अन्दर से बंद है।
और मेरे कमरे में आते ही दरवाजा ठीक से बंद कर दिया। लाईट बन्द करके वो मेरे बिस्तर में मेरे साथ लेट गई। भाभी धीरे से फ़ुसफ़ुसाई- रवि,, आज तबला बजा दे...
मेरा लण्ड तो पहले ही बेताब हो रहा था, लग रहा था कि नई नई शादी हुई हो जैसे !!!
तबला क्या ... ? बोलो ना... !
वो हिचकचाते हुये बोली- श्... श्... वो, मेरा मतलब है गाण्ड बजानी है !
वो कैसे ...
म बोलते बहुत हो ... गाण्ड नहीं मारी है क्या ? वो झुंझला कर बोली।
मैंने चुप्पी साध ली और पेटीकोट ऊपर कर दिया। मैंने भी अपना पजामा उतार लिया और अपना लण्ड उसकी प्यारी सी दरार में घुसा दिया। उसने अपनी गाण्ड में चिकनाई लगा रखी थी। सो देखते ही देखते लण्ड उसके टाईट छेद में घुस पड़ा।
आनन्द भरी सिसकियाँ एक बार फिर से गूंज उठी। उसकी गाण्ड चुदने लगी। मेरे लिये यह सब एक आनन्ददायक घटना थी... अब हम रोज ही अपनी वासना शांत कर लेते थे। भाभी का स्नेह मुझ पर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा था। सच पूछो तो मैं भी कमली भाभी के बिना नहीं रह पाता था।
बीते दिन एक सपने की तरह लगते हैं ! हैं ना ... ? कोई ऐसा प्यारा सा इन्सान मिल जाये जो किसी की सभी बाते गुप्त रखते हुये जिन्दगी को रंगीन बना दे और काश ऐसे दिन कभी खत्म ना हो ...
मैं आसमान में सितारों के साथ विचरण करती रहूँ, देवर जैसा कोई है क्या ...
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
आपके जवाब के इंतेज़ार में ...
आपका अपना
रविराम69 © (मस्तराम - मुसाफिर)
// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit)
अब आगे :
अब उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी थी। उसके केश मेरे चेहरे पर गिरे जा रहे थे। उसके पतले अधर पत्तियों जैसे कांप रहे थे। उसका यह वासनामय रूप किसी काम की देवी की तरह लग रहा था। तभी उसके मुख से एक चीख सी निकली और वो झड़ने लगी- हाय मेरे रवि,, मैं तो गई... मेरा तो निकला...
उसकी चूत में लहरें चलने लगी। तभी मुझे भी लगा कि मेरा माल निकलने को है, मैंने उसे नीचे की ओर खींच कर दबा लिया। वो कराह उठी और मेरा रस उसकी चूत में भरने लगा। हम दोनों कुछ देर तक झड़ने के बाद भी यूँ ही पड़े रहे, फिर भाभी मेरे ऊपर से हट गई। उसका पेटीकोट कमर से नीचे परदे की भांति नीचे गिर कर उसे ढक लिया। उसने जल्दी से बटन लगा लिये।
चलो पजामा ऊपर खींच लो...
भाभी बहुत मजा आया ... एक बार और करें ...?
ओय होये ... अब लगा ना चस्का, आज तेरे भैया की नाईट ड्यूटी भी है, रात को देखेंगे ! भाभी ने दूसरे दौर की सहमति दे दी, पर रात को।
मैं तैयार हो कर कॉलेज चला गया। सारे दिन गुमसुम सा रहा, चुदाई की मीठी-मीठी यादें पीछा नहीं छोड़ रही थी। बड़ी मुश्किल से शाम आई तो रात आने का नाम ही नहीं ले रही थी।
घर के सभी लोग सो चुके थे। भाभी ने अपना कमरा अन्दर से बन्द करके अपनी चौक की खिड़की खोली और बाहर कूद आई ताकि लगे कि कमरा तो अन्दर से बंद है।
और मेरे कमरे में आते ही दरवाजा ठीक से बंद कर दिया। लाईट बन्द करके वो मेरे बिस्तर में मेरे साथ लेट गई। भाभी धीरे से फ़ुसफ़ुसाई- रवि,, आज तबला बजा दे...
मेरा लण्ड तो पहले ही बेताब हो रहा था, लग रहा था कि नई नई शादी हुई हो जैसे !!!
तबला क्या ... ? बोलो ना... !
वो हिचकचाते हुये बोली- श्... श्... वो, मेरा मतलब है गाण्ड बजानी है !
वो कैसे ...
म बोलते बहुत हो ... गाण्ड नहीं मारी है क्या ? वो झुंझला कर बोली।
मैंने चुप्पी साध ली और पेटीकोट ऊपर कर दिया। मैंने भी अपना पजामा उतार लिया और अपना लण्ड उसकी प्यारी सी दरार में घुसा दिया। उसने अपनी गाण्ड में चिकनाई लगा रखी थी। सो देखते ही देखते लण्ड उसके टाईट छेद में घुस पड़ा।
आनन्द भरी सिसकियाँ एक बार फिर से गूंज उठी। उसकी गाण्ड चुदने लगी। मेरे लिये यह सब एक आनन्ददायक घटना थी... अब हम रोज ही अपनी वासना शांत कर लेते थे। भाभी का स्नेह मुझ पर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा था। सच पूछो तो मैं भी कमली भाभी के बिना नहीं रह पाता था।
बीते दिन एक सपने की तरह लगते हैं ! हैं ना ... ? कोई ऐसा प्यारा सा इन्सान मिल जाये जो किसी की सभी बाते गुप्त रखते हुये जिन्दगी को रंगीन बना दे और काश ऐसे दिन कभी खत्म ना हो ...
मैं आसमान में सितारों के साथ विचरण करती रहूँ, देवर जैसा कोई है क्या ...
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
आपके जवाब के इंतेज़ार में ...
आपका अपना
रविराम69 © (मस्तराम - मुसाफिर)
// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit)
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!