03-09-2020, 10:41 PM
(This post was last modified: 05-09-2020, 12:39 PM by sanskari_shikha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
आंशिका: थॅंक्स फॉर अंडरस्टॅंडिंग मी .
फिर आंशिका ने मुझे उसकी और उसकी सिस की फोटो दिखाई एक, उसकी सिस जिसका नाम कनिष्का है दिखने में एकदम आंशिका के ऑपोसिट – वो एकदम स्लिम ट्रिम थी, आंशिका की तरह नहीं हेल्ती. (सॉरी गाइस नो मोर वर्ड्स फॉर हर , एस आई प्रॉमिस्ड टू आंशिका).
फिर मैं आंशिका से बोला…….
मैं: सच बता, की तू मेरा लंड अभी चुसेगी या नहीं?
आंशिका: कह तो रही हूँ की चूसना है, बड़ा मन है, तुम मान ही नहीं रहे .
उसके मुँह से ये सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया एकदम से.
आंशिका: पर एक शर्त पर चुसुंगी
मैं: ले फिर से तेरी शर्त आ गयी, बोल कैसी शर्त?
आंशिका: की तुम चुप चाप लेटे रहोगे, ज़्यादा कुछ नहीं करना, क्यूंकी हम घर में हैं और मा भी है अगर शक हो गया ना तो गड़बड़ हो जाएगी, इसीलिए एक एक करके करेंगे.
मैं: ओक, जैसा तू बोले चुप चाप पड़ा रहूँगा, पर तू लंड ढंग से चुसियो .
आंशिका: तुम उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम है करना, तुम्हे ना लाइफ का मज़ा दिया तो बस देख लेना, चलो अब लेट जाओ और उसको बाहर निकालो.
मैं: तूने कहा है मैं कुछ नहीं करूँगा, तो मैं लेट रहा हूँ, तू खुद बाहर निकल मेरा लंड और जो करना है कर.
मैं बेड पर लेट गया, मेरा लंड बेड के एज पर था और टांगे बेड से बाहर, आंशिका मेरी टॅंगो के बीच में आकर बैठ गयी और मेरी बेल्ट को लूस करने लगी, फिर उसने मेरे टाइट लंड को जीन्स के उपर से सहलाया और मेरी तरफ देख कर बचों की तरह स्माइल करने लगी, फिर उसने मेरी जीन्स का बटन ओपन करा और मेरी ज़िप को नीचे करा, फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स की उपर से मेरे अंडरवेर में डाला, उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड पर लगा मेरी बोडी में करेंट दौड़ गया, उसने लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया. उसना मेरा टाइट लंड अपने सॉफ्ट हॅंड से जकड़ लिया, और उससे धीरे से अपने हाथों से उपर से लेकर नीचे तक अब्ज़र्व करने लगी, फिर उसने मेरा अंडरवेर और जीन्स और नीचे कर दिए और मेरी बॉल्स को हाथ में लेकर देखने लगी, फिर उसने नीचे झुक कर मेरी दोनो बॉल्स पर बारी बारी किस करा फिर ठीक मेरे लंड के जॉइंट और बॉल्स के जॉइंट के बीच में किस करा और उपर की तरफ किस करते करते मेरे ठीक लंड के टोपे के नीचे किस करा.
उसने फिर प्यार से अपने हाथ से (जिससे उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था) मेरे लंड की स्किन को उपर की तरफ करा जिसे की मेरे लंड के छेद पर प्री-कम की एक ड्रॉप आ गयी, आंशिका ने अपनी जीभ निकली और उस ड्रॉप को चाट लिया और फिर मुँह खोलकर मेरा लंड का टोपा मुँह में भर लिया, उसे मुँह में भर कर आंशिका मेरी आँखों में देखने लगी और इशारों में पूछने लगी की कैसा लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोला और अपनी आँखें बंद कर ली. उसने लंड का टोपा मूह में ही रखा और अपने मुँह में उस के उपर अपनी जीभ फेरने लगी, मेरी हालत खराब हो गयी, वो बहुत ज़ोर से लंड के टोपे पर जीभ फेर रही थी और जो भी प्री-कम की ड्रॉप्स आ रही थी बाहर उसने टेस्ट कर रही थी. मैने बड़े दिनों से मूठ नहीं मारी थी तो मेरी वैसे ही हालत खराब थी 5 मीं के अन्दर मैं उसके मुँह में झड़ गया और जैसे ही झाडा आंशिका चौंक गयी क्यूंकी वो एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी अभी और उसके मुँह से निकला – म्मम्मम. मैं झाडे जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, जब मैं उसके मुँह में पूरा झड़ गया उसना मेरा लंड मुँह से निकाला और सारा पानी पी गयी और मेर्को देख कर हँसने लगी और चटकारा लेकर बोली –
आंशिका : बहुत टेस्टी हो तुम.
मैं: तेर्को पसंद आया?
आंशिका: हाँ बहुत, पर तुम इतनी जल्दी क्यूँ आए?
मैं: यार तूने मूठ मारने के लिए मना कर रखा है तो हालत खराब थी इतने दिन से और तेरे हाथ और मुँह लगते ही लंड की तो जान ही निकल गयी. पर डोंट वरी देख अभी भी खड़ा है.
आंशिका मेरे लंड को देख कर बोली
आंशिका: वाउ हाँ, ये तुमने कैसे करा?
मैं: जान ये सब तेरा कमाल है, मैं तो बस मज़े ले रहा हूँ.
आंशिका: अब मुझे ढंग से प्यार कर लेने देना इससे जी भर के, जल्दी मत आना और जब आओ तो एटलिस्ट इनफॉर्म तो कर दिया करो, एकदम से आ जाते हो.
मैं: ओक बाबा जैसा तू कहे
मैं: फिर बेड पर आराम से लेता और आंशिका मेरे लंड को सहलाने लगी और उससे कड़क बनाने लगी, उसके नरम नरम हाथ में ऐसा जादू था की मेरा लंड फटने की हालत में हो जाता. लंड सहलाते सहलाते उसने मेरी बॉल्स को भी छुआ, मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी, वो बॉल्स को आराम आराम से दबाने लगी, अपने हाथ में भरकर उसे फील करने लगी जैसे कोई बचा नये खिलोने के साथ करता है. बॉल्स के साथ खेलते हुए मुझसे बोली –
आंशिका: तुम्हारा सारा पानी इसी में है ना?
मैं: हाँ क्यूँ?
आंशिका: डाइरेक्ट नहीं मिल सकता मुझे सारा?
मैं: चूस कर देख ले उन्हे क्या पता मिल जाए
ये सुनते ही आंशिका झुकी और मेरी बॉल्स को चाटने लगी और फिर एक एक करके दोनो को मुँह में भरकर चूसने लगी और मैं आँखें बंद करे आराज़ से मज़े ले रहा था. उसकी हरकतों से ऐसा लग रहा था की जैसे बहुत एक्सपीरियेन्स्ड हो, मैने फिर पूछ ही लिया………
मैं: तू कितने लंड चूस चुकी है?
आंशिका: क्यूँ?
मैं: बता ना
आंशिका: यु नो एवेरितिंग अबौट मी, फिर क्यूँ पूछ रहे हो?
मैं: नहीं, तू एकदम र्ररर……..
आंशिका: क्या? बोलो बोलो
मैं: तू एक दम प्रोस्टीटयुट की तरह चुस्ती है
आंशिका: थॅंक्स फॉर दे कॉंप्लिमेंट बट मैं प्रोस्टीटयुट नहीं हूँ एंड यु आर द फर्स्ट पर्सन जिसका मैं चूस रही हूँ.
मैं: फिर ये स्किल्स कहाँ से आए.
आंशिका: पॉर्न देख कर.
मैं: कुतिया साली
आंशिका: तुम्हे अछा लग रहा है जो मैं कर रही हूँ?
मैं: बहुत पूछ मत
आंशिका: तुम कितनी प्रोस्टीटयुट से अपना चुस्वा चुके हो?
मैं: किसी से भी नहीं
आंशिका: देन तुम्हे कैसे पता चला की प्रोस्टीटयुट ऐसे चुस्ती हैं.
मैं: तू चूस तो रही है मेरी प्रोस्टीटयुट
आंशिका: अछा…….
वो फिर चुप हो गयी और मेरे लंड को चाटने लगी और उसके टोपे पर जीभ फैरने लगी. 5 – 10 मीं तक हू ऐसे ही करती रही.
मैं: अंडर ले ना इसे मुँह के
आंशिका: नहीं तुम फिर जल्दी से आ जाओगे.
मैं: नहीं आऊंगा अब
आंशिका: पक्का ना,
ये बोलती ही उसने मेरा लंड मुँह में भर लिया और उसको अपने लिप्स से जकड़ लिया, उसका ढेर सारा थूक मेरे लंड पर गिर गया जो की बड़ा अछा लग रहा था. मेरा पूरा लंड उसके थूक से सना हुआ था, वो जितना उसे सुखाती उतना ही थूक मेरे लंड पर लग जाता. थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और साँस लेने लगी. मुझे देख कर हँसने लगी.....
मैं: क्या हुआ कुतिया ? रुक क्यूँ गयी?
आंशिका: थक गयी हूँ.
मैं: इतनी जल्दी, अभी तो मैं झड़ा भी नहीं
आंशिका: हाँ, क्या हुआ तुम्हे अब झडे क्यूँ नहीं.
मैं: बोला था तेर्को अब आसानी से नहीं झदुँगा .
आंशिका: मैं थक जाउंगी ऐसे
मैं: कुतिया फिर अपने बूब्स चुस्वा और मेरा मूठ मार, फिर जल्दी झड़ जाऊंगा मैं:
आंशिका: अछा सारे ट्रिक्स पता है तुम्हे तो झड़ने के, कितनी बार करवा चुके हो पहले?
मैं: बकवास ना कर, मेरे पास आकर लेट जा
वो उठी और बेड पर मेरे साइड में आकर लेट गयी, मेरी नज़र उसकी चुचियों पर ही थी, जो की नाईटी में बड़ी मस्त लग रही थी. वो मेरी साइड मुँह करके लेट गयी और अपने राईट हेंड से मेरा लंड सहलाने लगी, मैने भी अपना लेफ्ट हेंड उसकी नाईटी के उपर राईट चुचि पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. मैं आराम आराम से उसकी चुचि दबा रहा था और नाईटी के उपर से ही निपल को निचोड़ रहा था और उसका ध्यान पूरा मेरे लंड पर था. मैं थोडा सा उठा और नाईटी के उपर से ही उसकी चुचि को काट लिया, वो सिसक उठी और बोली…..
आंशिका: जंगली, नाइट मत फाड़ देना.
मैं: तो चुचि बाहर क्यूँ नहीं निकल के देती मुझे
आंशिका: तुमने बोला?
मैं: मुझे तेरी चूत चाहिए बोल देगी अब?
आंशिका: चुप रहो, उपर के मज़े लो अभी बस.
फिर उसने अपने राईट साइड के शोल्डर से अपनी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप हटाया और राईट चुचि को मेरे लिए बाहर निकल कर बोली…
आंशिका: ये लो, प्लीज़ आराम से करना, मेरी चीख मत निकलवाना हम घर मैं हैं.
मैने उसकी बात को उनसुना करते हुए उसकी चुक्की को चाटने लग गया पूरी और उसके निपल पर जीभ फिराने लगा और वो अभी तक मेरे लंड का मूठ मार रही थी. मैने उसके निपल को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसने लगा और उसने आँखें बंद कर ली और चुप चाप लेट गयी. अब मैं उसके उपर आ गया था और मेरा लंड बाहर निकला हुआ था और उसकी एक चुचि नाइट से बाहर थी जिसका निपल मेरे मुँह में पिस रहा था बुरी तरह. वो आराम से लेटी लेटी मस्ती में आवाज़ें निकल रही थी धीरे से और मेरे सिर में हाथ फेर रही थी. मैने एकदम से उसके निपल को जोर से काटा और उसने अपनी चीख दबाते हुए मेरे सिर को अपने चुचि से अलग करने की कोशिश करने लगी पर मैने अपने दाँतों से उसके निपल को पकड़ा हुआ था और उसे काट रहा था. उसकी साँस एक दम से फूल गयी थी और उसकी छाती तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.
आंशिका: तुम बहुत गंदे हो, बहुत तड़पाते हो मुझे
मैं: म्*म्म्मममममम (निपल चूस्ते हुए)
आंशिका: आआहह, विशाल जान प्लीस मान जाओ ना... मत काटो इतनी ज़ोर से उन्हे.
मैने दोनो हाथों से उसकी दोनो चुचियाँ दबाई और उसके लेफ्ट शोल्डर से भी उसकी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप निकल कर उसकी दोनो चुचियों को नंगा कर दिया और उन दोनो को भीच कर अपना मुँह उनमे घुसेड दिया, ऐसा लग रहा था जैसे किसी गद्देदार तकिये में अपना मुँह दे रहा हूँ. मैने बारी बारी से उसके निपल्स के उपर थूका और फिर उन्हे चाटा अच्छी तरह और अपने लंड से उसकी चूत के उपर ज़ोर लगा रहा था नाईटी के उपर से ही पर जिसका कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. मैं फिर उपर होकर उसे किस करने लगा, उसके थूंक से भरे होंठ चूस्ता रहा जिस पर मेरे लंड का टेस्ट भी था, मैने अपने थूक उसके मुँह में और लिप्स पर अच्छी तरह लगा दिया था और चाट रहा था, लगातार किस्सिंग, लिकिंग करने के वजह से हमारी साँस फूल गयी थी और हम 1 मिनट के लिए रुके….
आंशिका: विशाल तुम मुझे पहले क्यूँ नहीं मिले?
मैं: अछा हुआ पहले नहीं मिला, तू पहले इतनी भूखी नहीं होगी.
आंशिका: नहीं, मैं हमेशा से ही ऐसी हूँ, जब से मुझे सेक्स की नालेज हुई मेरा तब से मन था ये सब करने का, जो मैं आज तुमसे कर रही हूँ.
मैं: तो चूत क्यूँ नहीं मरवाई किसी से अभी तक?
आंशिका: अब तुम मिल गये हो , तो सारे अधूरे सपने पूरे हो जाएँगे.
मैं: हाँ , तेरी चूत के सपने.
आंशिका ये सब बाते करते हुए फिर से मेरे लंड को पकड़ कर मूठ मारने लगी
मैं: जान, मैं झड़ने वाला हूँ अब दुबारा
आंशिका: मुझे पानी पीना है सारा.
मैं: अपना लंड आंशिका के मुँह के पास ले आया और उसकी छाती के उपर बैठ गया. आंशिका पहले मेरे लंड के छेद को जीभ से चाटती रही देन उसके सूपदे को चाटा और फिर पूरा मुँह में ले लिया. वो बेड पर लेटे लेटे ही थोड़ी सी उठकर मेरे लंड पर मुँह चलाने लगी और मैं मज़े से उसकी चुचि को अपने नीचे महसूस कर रहा था और उसका मुँह अपने लंड पर.
थोड़ी देर बाद मैं बुरी तरह आंशिका के मुँह में झड़ गया और उसने सारा पानी अपने मुँह में भर कर निगल लिया और मुझे मस्तानी आदाओं से देखने लगी.
मैं: स्लट्स की तरह क्यूँ देख रही है?
आंशिका: क्यूँ मैं क्या तुम्हारी स्लट नहीं हूँ?
मैं: कुतिया साली.
अंशिका: तू कुत्ता साले...
मैं: देखो, अब तुम भी गाली दे रही हो
अंशिका: तुमने ही सिखाया है, मैं तो एक सीधी साधी सी लड़की थी.
मैं: हाँ, देख रहा हूँ, कितनी सीधी साधी है, तेरी माँ नीचे है और ऊपर तू मेरा लंड चूस रही है, साली रंडी.
अंशिका: ऐ, रंडी मत बोलो...
मैं: क्यों नहीं, पहले भी तो बोला था, पर अंग्रेजी में, प्रोस्टीटयुट बोला था, तब तो बुरा नहीं माना
अंशिका : अंग्रेजी में इतना बुरा नहीं लगता, जितना हिंदी में
मैं: मैं तो ऐसे ही बोलूँगा, तू है ही मेरी पर्सनल रंडी.
अंशिका: तुम्हारा बस चले तो सभी की रंडी बना डालो, जाओ मैं नहीं करती कुछ.
मेरा लंड दो बार झड चूका था, पर आज ना जाने क्यों इसमें कड़कपन जाने का नाम नहीं ले रहा था, थोडा दर्द जरुर करने लगा था नसों में.
मैं: अरे मेरी जान, तुम तो बुरा मान गयी, खुद ही बोल लेती हो और गुस्सा भी मान जाती हो, तुम्हे सिर्फ मेरी रंडी बनकर रहना है, मैं तुम्हे किसी और से क्यों बांटूं..
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर फिर से मुस्कराहट आ गयी, साली के रस से भीगे होंठ बड़े सेक्सी लग रहे थे, में तो दो बार झड चूका था, पर मैं जानता था की उसकी चूत में से नदियाँ बह रही होंगी इस समय, मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत पर रखा ही था की उसने फिर से अपनी जांघे भींच ली, उसकी आँखें बंद सी होने लगी..
मैंने दुसरे हाथ से उसकी नाईटी को ऊपर खिसकाना शुरू ही किया था की उसने मेरी आँखों में देखकर कहा.."प्लीस आज नहीं...ऊपर से ही कर लो, नीचे मम्मी है, फिर कभी कर लेना, आज मत करो प्लीस..." पर मैं नहीं माना और उसे ऊपर करता ही गया, उसकी दूध जैसी टाँगे नंगी होती चली गयी मेरी आँखों के सामने, मैंने इतना गोरा रंग किसी का भी नहीं देखा था, उसकी कसी हुई पिंडलियाँ देखकर और उसके ऊपर मोती जांघे पकड़कर तो मेरा बुरा हाल हो गया.
अंशिका बुरी तरह से साँसे ले रही थी, वो मना भी कर रही थी और मुझे करने भी दे रही थी. आज तो मैं उसकी चूत भी मार लूं तो वो मना नहीं करेगी, इतनी गरम हो चुकी थी वो. पर एक प्रोब्लम थी, मैं पहले से ही दो बार झड चूका था, अब कोई पोर्नस्टार तो था नहीं जो तीसरी बार भी खड़ा करके शुरू हो जाऊ, दोबारा खड़ा करने में, और वो भी चूत मारने के लिए, कम से कम दो घंटे तो लगेंगे ही, और इतनी देर तक अगर मैं ऊपर रहा, अंशिका के कमरे में, तो उसकी माँ को शक हो जाएगा, इसलिए मैंने अपनी अक्ल का इस्तेमाल करते हुए कहा "ठीक है, मैं तुम्हारी चूत नहीं मार रहा... पर क्या मैं इसे देख भी नहीं सकता "
अंशिका को विशवास नहीं हुआ की मैंने उसकी चूत ना मारने की बात इतनी जल्दी मान ली है... उसने अपनी नाईटी को ढीला छोड़ दिया और मैंने उसे उसकी कमर से ऊपर कर दिया अब वो मेरे आधी नंगी लेटी हुई थी, उसने ब्लेक कलर की पेंटी पहनी हुई थी..जो बुरी तरह से भीग चुकी थी उसके रस से. मैंने अपनी एक ऊँगली से उसकी पेंटी के बीचो बीच एक लकीर सी खींची, जो उसकी चूत के दोनों पाटों को फेलाते हुए अन्दर की और जाने लगी...
आआआआआआह्ह्ह्ह विशाल.......मत तडपाओ....न.....
मेरी ऊँगली के दोनों तरफ उसकी चूत से निकलते रस का गीलापन आ चूका था, मैंने ऊँगली को ऊपर करके चूस लिया, थोडा खट्टा सा स्वाद था, पर मुझे अच्छा लगा, एक दो बार और चूसने पर थोडा मीठापन भी आने लगा, मैंने जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की की चूत का रस चखा था... वैसे मैंने जो भी अंशिका के साथ किया था वो सब भी पहली बार ही किया था.
अंशिका: कैसा लगा
मैं: क्या
अंशिका: मेरा जूस और क्या, कैसा लगा
मैं: टेस्टी है, खट्टा मीठा सा, तुम्हारी तरह
अंशिका: मैं खट्टी मीठी हूँ, कैसे
मैं: कब मना कर दो, कब मान लो, तुम्हारा पता नहीं चलता, तुम्हारा जूस भी तुमपर गया है
अंशिका: हेहेहेहेहे...
मैं: तुम भी चखोगी... अपना जूस
अंशिका: मैंने चखा है, मुझे मालुम है मेरे जूस का स्वाद कैसा है
मैं: तो तुम्हे मेरा जूस ज्यादा अच्छा लगा या अपना
अंशिका: तुम्हारा.
मैं: और मुझे तुम्हारा..
ये कहते हुए मैंने उसकी पेंटी को नीचे की तरफ खिसका दिया..
उसकी चूत पर बालों की हलकी सी परत थी, चूत पूरी फूली हुई और बीच से रस की धरा ऐसे बह रही थी मानो गर्म पानी का झरना हो, जो उसकी चूत के बीच से होता हुआ नीचे की और जा रहा था. मैं तो एकटक उसे देखता ही रह गया.
तभी नीचे से उसकी मम्मी की आवाज आई "अन्नू....ओ अन्नू....तेरे मोबाइल पर फ़ोन आ रहा है...नीचे आ..."
धत्त तेरे की, साला जब खजाना खुला तो सिक्युरिटी आ गयी, मैं तो उसे सही तरह से देख भी नहीं पाया था.
अंशिका ने जल्दी से अपनी पेंटी ऊपर की और नाईटी को ठीक करके, अपने मुम्मे अन्दर ठूंस के, नीचे की और भागी, मैं भी बाहर जाकर उसके ऊपर आने का वेट करने लगा, उसने थोड़ी देर फ़ोन पर बात की और फिर उसकी मम्मी ने उससे पुचा "और कितनी देर लगेगी तुम्हे, वो कब तक रहेगा ऊपर.." उसकी माँ को अपनी जवान बेटी की फ़िक्र हो रही थी, पर वो ये नहीं जानती थी की उसकी जवान बेटी की चूत को अभी पुरे मजे नहीं मिले हैं
अंशिका: बस हो गया मम्मी, दस मिनट में चला जाएगा.
और ये कहकर वो ऊपर आ गयी.
ऊपर आते ही मैंने उसे पकड़ा और गले से लगा लिया. उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेर रहे थे, वो मुझसे चिपक सी गयी और बोली - आज के लिए इतना ही, फिर कभी करेंगे बाकी...
मैं: ठीक है जान, जैसा तुम कहो, मैं समझता हूँ, तुम्हारी सिचुएशन
अंशिका: मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है, तुम मेरी चूत देखने के बाद भी ऐसी बात कह रहे हो, बड़ा कण्ट्रोल है तुम्हे अपने ऊपर
मैं: ये कंट्रोल हर बार नहीं रहेगा, सिर्फ आज छोड़ रहा हूँ, अगली बार नहीं छोड़उंगा
अंशिका (हँसते हुए): तब की तब देखि जायेगी. पर एक बात कहूँ, आज मैं कुछ भी कर सकती थी, पर तुमने जो समझदारी दिखाई है, उसके लिए थेंक्स.
मैं: अरे थेंक्स कैसा, मैं तुम्हारी फ़िक्र नहीं करूँगा तो और कोन करेगा, और अगर आज मैं अपनी मन मर्जी करके कुछ और देर रुका तो तुम्हारी मम्मी को शक हो जाएगा और मैं नहीं चाहता की तुम्हारे घर पर मेरा आना आगे के लिए रुक जाए.
अंशिका : थेंक्स फॉर अंडरस्टेंडिंग माय सिचुएशन
मैं: यु आर वेल्कम
अंशिका: चलो अब जल्दी से नीचे चलो, मैं तुम्हे चाय पिलाती हूँ फिर तुम जाना
मैं: ठीक है, पर पहले एक पारी तो दे दो जाने से पहले.
और वो हंसती हुई मेरे सीने से लग गयी और मैंने उसके गुलाबी होंठ चूसने शुरू कर दिए. मेरे हाथ अपने आप ही उसके उभारों पर जा चिपके, लगभग पांच मिनट तक हमने एक दुसरे को चूसा और फिर हम अलग हुए. नीचे आकर मैं डायनिंग टेबल पर बैठ गया और वो चाय बना कर लायी, उसकी मम्मी भी बाहर आई और हमने एक साथ चाय पी और फिर मैं उन दोनों को बाय बोल कर चल दिया.
फिर आंशिका ने मुझे उसकी और उसकी सिस की फोटो दिखाई एक, उसकी सिस जिसका नाम कनिष्का है दिखने में एकदम आंशिका के ऑपोसिट – वो एकदम स्लिम ट्रिम थी, आंशिका की तरह नहीं हेल्ती. (सॉरी गाइस नो मोर वर्ड्स फॉर हर , एस आई प्रॉमिस्ड टू आंशिका).
फिर मैं आंशिका से बोला…….
मैं: सच बता, की तू मेरा लंड अभी चुसेगी या नहीं?
आंशिका: कह तो रही हूँ की चूसना है, बड़ा मन है, तुम मान ही नहीं रहे .
उसके मुँह से ये सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया एकदम से.
आंशिका: पर एक शर्त पर चुसुंगी
मैं: ले फिर से तेरी शर्त आ गयी, बोल कैसी शर्त?
आंशिका: की तुम चुप चाप लेटे रहोगे, ज़्यादा कुछ नहीं करना, क्यूंकी हम घर में हैं और मा भी है अगर शक हो गया ना तो गड़बड़ हो जाएगी, इसीलिए एक एक करके करेंगे.
मैं: ओक, जैसा तू बोले चुप चाप पड़ा रहूँगा, पर तू लंड ढंग से चुसियो .
आंशिका: तुम उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम है करना, तुम्हे ना लाइफ का मज़ा दिया तो बस देख लेना, चलो अब लेट जाओ और उसको बाहर निकालो.
मैं: तूने कहा है मैं कुछ नहीं करूँगा, तो मैं लेट रहा हूँ, तू खुद बाहर निकल मेरा लंड और जो करना है कर.
मैं बेड पर लेट गया, मेरा लंड बेड के एज पर था और टांगे बेड से बाहर, आंशिका मेरी टॅंगो के बीच में आकर बैठ गयी और मेरी बेल्ट को लूस करने लगी, फिर उसने मेरे टाइट लंड को जीन्स के उपर से सहलाया और मेरी तरफ देख कर बचों की तरह स्माइल करने लगी, फिर उसने मेरी जीन्स का बटन ओपन करा और मेरी ज़िप को नीचे करा, फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स की उपर से मेरे अंडरवेर में डाला, उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड पर लगा मेरी बोडी में करेंट दौड़ गया, उसने लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया. उसना मेरा टाइट लंड अपने सॉफ्ट हॅंड से जकड़ लिया, और उससे धीरे से अपने हाथों से उपर से लेकर नीचे तक अब्ज़र्व करने लगी, फिर उसने मेरा अंडरवेर और जीन्स और नीचे कर दिए और मेरी बॉल्स को हाथ में लेकर देखने लगी, फिर उसने नीचे झुक कर मेरी दोनो बॉल्स पर बारी बारी किस करा फिर ठीक मेरे लंड के जॉइंट और बॉल्स के जॉइंट के बीच में किस करा और उपर की तरफ किस करते करते मेरे ठीक लंड के टोपे के नीचे किस करा.
उसने फिर प्यार से अपने हाथ से (जिससे उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था) मेरे लंड की स्किन को उपर की तरफ करा जिसे की मेरे लंड के छेद पर प्री-कम की एक ड्रॉप आ गयी, आंशिका ने अपनी जीभ निकली और उस ड्रॉप को चाट लिया और फिर मुँह खोलकर मेरा लंड का टोपा मुँह में भर लिया, उसे मुँह में भर कर आंशिका मेरी आँखों में देखने लगी और इशारों में पूछने लगी की कैसा लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोला और अपनी आँखें बंद कर ली. उसने लंड का टोपा मूह में ही रखा और अपने मुँह में उस के उपर अपनी जीभ फेरने लगी, मेरी हालत खराब हो गयी, वो बहुत ज़ोर से लंड के टोपे पर जीभ फेर रही थी और जो भी प्री-कम की ड्रॉप्स आ रही थी बाहर उसने टेस्ट कर रही थी. मैने बड़े दिनों से मूठ नहीं मारी थी तो मेरी वैसे ही हालत खराब थी 5 मीं के अन्दर मैं उसके मुँह में झड़ गया और जैसे ही झाडा आंशिका चौंक गयी क्यूंकी वो एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी अभी और उसके मुँह से निकला – म्मम्मम. मैं झाडे जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, जब मैं उसके मुँह में पूरा झड़ गया उसना मेरा लंड मुँह से निकाला और सारा पानी पी गयी और मेर्को देख कर हँसने लगी और चटकारा लेकर बोली –
आंशिका : बहुत टेस्टी हो तुम.
मैं: तेर्को पसंद आया?
आंशिका: हाँ बहुत, पर तुम इतनी जल्दी क्यूँ आए?
मैं: यार तूने मूठ मारने के लिए मना कर रखा है तो हालत खराब थी इतने दिन से और तेरे हाथ और मुँह लगते ही लंड की तो जान ही निकल गयी. पर डोंट वरी देख अभी भी खड़ा है.
आंशिका मेरे लंड को देख कर बोली
आंशिका: वाउ हाँ, ये तुमने कैसे करा?
मैं: जान ये सब तेरा कमाल है, मैं तो बस मज़े ले रहा हूँ.
आंशिका: अब मुझे ढंग से प्यार कर लेने देना इससे जी भर के, जल्दी मत आना और जब आओ तो एटलिस्ट इनफॉर्म तो कर दिया करो, एकदम से आ जाते हो.
मैं: ओक बाबा जैसा तू कहे
मैं: फिर बेड पर आराम से लेता और आंशिका मेरे लंड को सहलाने लगी और उससे कड़क बनाने लगी, उसके नरम नरम हाथ में ऐसा जादू था की मेरा लंड फटने की हालत में हो जाता. लंड सहलाते सहलाते उसने मेरी बॉल्स को भी छुआ, मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी, वो बॉल्स को आराम आराम से दबाने लगी, अपने हाथ में भरकर उसे फील करने लगी जैसे कोई बचा नये खिलोने के साथ करता है. बॉल्स के साथ खेलते हुए मुझसे बोली –
आंशिका: तुम्हारा सारा पानी इसी में है ना?
मैं: हाँ क्यूँ?
आंशिका: डाइरेक्ट नहीं मिल सकता मुझे सारा?
मैं: चूस कर देख ले उन्हे क्या पता मिल जाए
ये सुनते ही आंशिका झुकी और मेरी बॉल्स को चाटने लगी और फिर एक एक करके दोनो को मुँह में भरकर चूसने लगी और मैं आँखें बंद करे आराज़ से मज़े ले रहा था. उसकी हरकतों से ऐसा लग रहा था की जैसे बहुत एक्सपीरियेन्स्ड हो, मैने फिर पूछ ही लिया………
मैं: तू कितने लंड चूस चुकी है?
आंशिका: क्यूँ?
मैं: बता ना
आंशिका: यु नो एवेरितिंग अबौट मी, फिर क्यूँ पूछ रहे हो?
मैं: नहीं, तू एकदम र्ररर……..
आंशिका: क्या? बोलो बोलो
मैं: तू एक दम प्रोस्टीटयुट की तरह चुस्ती है
आंशिका: थॅंक्स फॉर दे कॉंप्लिमेंट बट मैं प्रोस्टीटयुट नहीं हूँ एंड यु आर द फर्स्ट पर्सन जिसका मैं चूस रही हूँ.
मैं: फिर ये स्किल्स कहाँ से आए.
आंशिका: पॉर्न देख कर.
मैं: कुतिया साली
आंशिका: तुम्हे अछा लग रहा है जो मैं कर रही हूँ?
मैं: बहुत पूछ मत
आंशिका: तुम कितनी प्रोस्टीटयुट से अपना चुस्वा चुके हो?
मैं: किसी से भी नहीं
आंशिका: देन तुम्हे कैसे पता चला की प्रोस्टीटयुट ऐसे चुस्ती हैं.
मैं: तू चूस तो रही है मेरी प्रोस्टीटयुट
आंशिका: अछा…….
वो फिर चुप हो गयी और मेरे लंड को चाटने लगी और उसके टोपे पर जीभ फैरने लगी. 5 – 10 मीं तक हू ऐसे ही करती रही.
मैं: अंडर ले ना इसे मुँह के
आंशिका: नहीं तुम फिर जल्दी से आ जाओगे.
मैं: नहीं आऊंगा अब
आंशिका: पक्का ना,
ये बोलती ही उसने मेरा लंड मुँह में भर लिया और उसको अपने लिप्स से जकड़ लिया, उसका ढेर सारा थूक मेरे लंड पर गिर गया जो की बड़ा अछा लग रहा था. मेरा पूरा लंड उसके थूक से सना हुआ था, वो जितना उसे सुखाती उतना ही थूक मेरे लंड पर लग जाता. थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और साँस लेने लगी. मुझे देख कर हँसने लगी.....
मैं: क्या हुआ कुतिया ? रुक क्यूँ गयी?
आंशिका: थक गयी हूँ.
मैं: इतनी जल्दी, अभी तो मैं झड़ा भी नहीं
आंशिका: हाँ, क्या हुआ तुम्हे अब झडे क्यूँ नहीं.
मैं: बोला था तेर्को अब आसानी से नहीं झदुँगा .
आंशिका: मैं थक जाउंगी ऐसे
मैं: कुतिया फिर अपने बूब्स चुस्वा और मेरा मूठ मार, फिर जल्दी झड़ जाऊंगा मैं:
आंशिका: अछा सारे ट्रिक्स पता है तुम्हे तो झड़ने के, कितनी बार करवा चुके हो पहले?
मैं: बकवास ना कर, मेरे पास आकर लेट जा
वो उठी और बेड पर मेरे साइड में आकर लेट गयी, मेरी नज़र उसकी चुचियों पर ही थी, जो की नाईटी में बड़ी मस्त लग रही थी. वो मेरी साइड मुँह करके लेट गयी और अपने राईट हेंड से मेरा लंड सहलाने लगी, मैने भी अपना लेफ्ट हेंड उसकी नाईटी के उपर राईट चुचि पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. मैं आराम आराम से उसकी चुचि दबा रहा था और नाईटी के उपर से ही निपल को निचोड़ रहा था और उसका ध्यान पूरा मेरे लंड पर था. मैं थोडा सा उठा और नाईटी के उपर से ही उसकी चुचि को काट लिया, वो सिसक उठी और बोली…..
आंशिका: जंगली, नाइट मत फाड़ देना.
मैं: तो चुचि बाहर क्यूँ नहीं निकल के देती मुझे
आंशिका: तुमने बोला?
मैं: मुझे तेरी चूत चाहिए बोल देगी अब?
आंशिका: चुप रहो, उपर के मज़े लो अभी बस.
फिर उसने अपने राईट साइड के शोल्डर से अपनी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप हटाया और राईट चुचि को मेरे लिए बाहर निकल कर बोली…
आंशिका: ये लो, प्लीज़ आराम से करना, मेरी चीख मत निकलवाना हम घर मैं हैं.
मैने उसकी बात को उनसुना करते हुए उसकी चुक्की को चाटने लग गया पूरी और उसके निपल पर जीभ फिराने लगा और वो अभी तक मेरे लंड का मूठ मार रही थी. मैने उसके निपल को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसने लगा और उसने आँखें बंद कर ली और चुप चाप लेट गयी. अब मैं उसके उपर आ गया था और मेरा लंड बाहर निकला हुआ था और उसकी एक चुचि नाइट से बाहर थी जिसका निपल मेरे मुँह में पिस रहा था बुरी तरह. वो आराम से लेटी लेटी मस्ती में आवाज़ें निकल रही थी धीरे से और मेरे सिर में हाथ फेर रही थी. मैने एकदम से उसके निपल को जोर से काटा और उसने अपनी चीख दबाते हुए मेरे सिर को अपने चुचि से अलग करने की कोशिश करने लगी पर मैने अपने दाँतों से उसके निपल को पकड़ा हुआ था और उसे काट रहा था. उसकी साँस एक दम से फूल गयी थी और उसकी छाती तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.
आंशिका: तुम बहुत गंदे हो, बहुत तड़पाते हो मुझे
मैं: म्*म्म्मममममम (निपल चूस्ते हुए)
आंशिका: आआहह, विशाल जान प्लीस मान जाओ ना... मत काटो इतनी ज़ोर से उन्हे.
मैने दोनो हाथों से उसकी दोनो चुचियाँ दबाई और उसके लेफ्ट शोल्डर से भी उसकी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप निकल कर उसकी दोनो चुचियों को नंगा कर दिया और उन दोनो को भीच कर अपना मुँह उनमे घुसेड दिया, ऐसा लग रहा था जैसे किसी गद्देदार तकिये में अपना मुँह दे रहा हूँ. मैने बारी बारी से उसके निपल्स के उपर थूका और फिर उन्हे चाटा अच्छी तरह और अपने लंड से उसकी चूत के उपर ज़ोर लगा रहा था नाईटी के उपर से ही पर जिसका कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. मैं फिर उपर होकर उसे किस करने लगा, उसके थूंक से भरे होंठ चूस्ता रहा जिस पर मेरे लंड का टेस्ट भी था, मैने अपने थूक उसके मुँह में और लिप्स पर अच्छी तरह लगा दिया था और चाट रहा था, लगातार किस्सिंग, लिकिंग करने के वजह से हमारी साँस फूल गयी थी और हम 1 मिनट के लिए रुके….
आंशिका: विशाल तुम मुझे पहले क्यूँ नहीं मिले?
मैं: अछा हुआ पहले नहीं मिला, तू पहले इतनी भूखी नहीं होगी.
आंशिका: नहीं, मैं हमेशा से ही ऐसी हूँ, जब से मुझे सेक्स की नालेज हुई मेरा तब से मन था ये सब करने का, जो मैं आज तुमसे कर रही हूँ.
मैं: तो चूत क्यूँ नहीं मरवाई किसी से अभी तक?
आंशिका: अब तुम मिल गये हो , तो सारे अधूरे सपने पूरे हो जाएँगे.
मैं: हाँ , तेरी चूत के सपने.
आंशिका ये सब बाते करते हुए फिर से मेरे लंड को पकड़ कर मूठ मारने लगी
मैं: जान, मैं झड़ने वाला हूँ अब दुबारा
आंशिका: मुझे पानी पीना है सारा.
मैं: अपना लंड आंशिका के मुँह के पास ले आया और उसकी छाती के उपर बैठ गया. आंशिका पहले मेरे लंड के छेद को जीभ से चाटती रही देन उसके सूपदे को चाटा और फिर पूरा मुँह में ले लिया. वो बेड पर लेटे लेटे ही थोड़ी सी उठकर मेरे लंड पर मुँह चलाने लगी और मैं मज़े से उसकी चुचि को अपने नीचे महसूस कर रहा था और उसका मुँह अपने लंड पर.
थोड़ी देर बाद मैं बुरी तरह आंशिका के मुँह में झड़ गया और उसने सारा पानी अपने मुँह में भर कर निगल लिया और मुझे मस्तानी आदाओं से देखने लगी.
मैं: स्लट्स की तरह क्यूँ देख रही है?
आंशिका: क्यूँ मैं क्या तुम्हारी स्लट नहीं हूँ?
मैं: कुतिया साली.
अंशिका: तू कुत्ता साले...
मैं: देखो, अब तुम भी गाली दे रही हो
अंशिका: तुमने ही सिखाया है, मैं तो एक सीधी साधी सी लड़की थी.
मैं: हाँ, देख रहा हूँ, कितनी सीधी साधी है, तेरी माँ नीचे है और ऊपर तू मेरा लंड चूस रही है, साली रंडी.
अंशिका: ऐ, रंडी मत बोलो...
मैं: क्यों नहीं, पहले भी तो बोला था, पर अंग्रेजी में, प्रोस्टीटयुट बोला था, तब तो बुरा नहीं माना
अंशिका : अंग्रेजी में इतना बुरा नहीं लगता, जितना हिंदी में
मैं: मैं तो ऐसे ही बोलूँगा, तू है ही मेरी पर्सनल रंडी.
अंशिका: तुम्हारा बस चले तो सभी की रंडी बना डालो, जाओ मैं नहीं करती कुछ.
मेरा लंड दो बार झड चूका था, पर आज ना जाने क्यों इसमें कड़कपन जाने का नाम नहीं ले रहा था, थोडा दर्द जरुर करने लगा था नसों में.
मैं: अरे मेरी जान, तुम तो बुरा मान गयी, खुद ही बोल लेती हो और गुस्सा भी मान जाती हो, तुम्हे सिर्फ मेरी रंडी बनकर रहना है, मैं तुम्हे किसी और से क्यों बांटूं..
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर फिर से मुस्कराहट आ गयी, साली के रस से भीगे होंठ बड़े सेक्सी लग रहे थे, में तो दो बार झड चूका था, पर मैं जानता था की उसकी चूत में से नदियाँ बह रही होंगी इस समय, मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत पर रखा ही था की उसने फिर से अपनी जांघे भींच ली, उसकी आँखें बंद सी होने लगी..
मैंने दुसरे हाथ से उसकी नाईटी को ऊपर खिसकाना शुरू ही किया था की उसने मेरी आँखों में देखकर कहा.."प्लीस आज नहीं...ऊपर से ही कर लो, नीचे मम्मी है, फिर कभी कर लेना, आज मत करो प्लीस..." पर मैं नहीं माना और उसे ऊपर करता ही गया, उसकी दूध जैसी टाँगे नंगी होती चली गयी मेरी आँखों के सामने, मैंने इतना गोरा रंग किसी का भी नहीं देखा था, उसकी कसी हुई पिंडलियाँ देखकर और उसके ऊपर मोती जांघे पकड़कर तो मेरा बुरा हाल हो गया.
अंशिका बुरी तरह से साँसे ले रही थी, वो मना भी कर रही थी और मुझे करने भी दे रही थी. आज तो मैं उसकी चूत भी मार लूं तो वो मना नहीं करेगी, इतनी गरम हो चुकी थी वो. पर एक प्रोब्लम थी, मैं पहले से ही दो बार झड चूका था, अब कोई पोर्नस्टार तो था नहीं जो तीसरी बार भी खड़ा करके शुरू हो जाऊ, दोबारा खड़ा करने में, और वो भी चूत मारने के लिए, कम से कम दो घंटे तो लगेंगे ही, और इतनी देर तक अगर मैं ऊपर रहा, अंशिका के कमरे में, तो उसकी माँ को शक हो जाएगा, इसलिए मैंने अपनी अक्ल का इस्तेमाल करते हुए कहा "ठीक है, मैं तुम्हारी चूत नहीं मार रहा... पर क्या मैं इसे देख भी नहीं सकता "
अंशिका को विशवास नहीं हुआ की मैंने उसकी चूत ना मारने की बात इतनी जल्दी मान ली है... उसने अपनी नाईटी को ढीला छोड़ दिया और मैंने उसे उसकी कमर से ऊपर कर दिया अब वो मेरे आधी नंगी लेटी हुई थी, उसने ब्लेक कलर की पेंटी पहनी हुई थी..जो बुरी तरह से भीग चुकी थी उसके रस से. मैंने अपनी एक ऊँगली से उसकी पेंटी के बीचो बीच एक लकीर सी खींची, जो उसकी चूत के दोनों पाटों को फेलाते हुए अन्दर की और जाने लगी...
आआआआआआह्ह्ह्ह विशाल.......मत तडपाओ....न.....
मेरी ऊँगली के दोनों तरफ उसकी चूत से निकलते रस का गीलापन आ चूका था, मैंने ऊँगली को ऊपर करके चूस लिया, थोडा खट्टा सा स्वाद था, पर मुझे अच्छा लगा, एक दो बार और चूसने पर थोडा मीठापन भी आने लगा, मैंने जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की की चूत का रस चखा था... वैसे मैंने जो भी अंशिका के साथ किया था वो सब भी पहली बार ही किया था.
अंशिका: कैसा लगा
मैं: क्या
अंशिका: मेरा जूस और क्या, कैसा लगा
मैं: टेस्टी है, खट्टा मीठा सा, तुम्हारी तरह
अंशिका: मैं खट्टी मीठी हूँ, कैसे
मैं: कब मना कर दो, कब मान लो, तुम्हारा पता नहीं चलता, तुम्हारा जूस भी तुमपर गया है
अंशिका: हेहेहेहेहे...
मैं: तुम भी चखोगी... अपना जूस
अंशिका: मैंने चखा है, मुझे मालुम है मेरे जूस का स्वाद कैसा है
मैं: तो तुम्हे मेरा जूस ज्यादा अच्छा लगा या अपना
अंशिका: तुम्हारा.
मैं: और मुझे तुम्हारा..
ये कहते हुए मैंने उसकी पेंटी को नीचे की तरफ खिसका दिया..
उसकी चूत पर बालों की हलकी सी परत थी, चूत पूरी फूली हुई और बीच से रस की धरा ऐसे बह रही थी मानो गर्म पानी का झरना हो, जो उसकी चूत के बीच से होता हुआ नीचे की और जा रहा था. मैं तो एकटक उसे देखता ही रह गया.
तभी नीचे से उसकी मम्मी की आवाज आई "अन्नू....ओ अन्नू....तेरे मोबाइल पर फ़ोन आ रहा है...नीचे आ..."
धत्त तेरे की, साला जब खजाना खुला तो सिक्युरिटी आ गयी, मैं तो उसे सही तरह से देख भी नहीं पाया था.
अंशिका ने जल्दी से अपनी पेंटी ऊपर की और नाईटी को ठीक करके, अपने मुम्मे अन्दर ठूंस के, नीचे की और भागी, मैं भी बाहर जाकर उसके ऊपर आने का वेट करने लगा, उसने थोड़ी देर फ़ोन पर बात की और फिर उसकी मम्मी ने उससे पुचा "और कितनी देर लगेगी तुम्हे, वो कब तक रहेगा ऊपर.." उसकी माँ को अपनी जवान बेटी की फ़िक्र हो रही थी, पर वो ये नहीं जानती थी की उसकी जवान बेटी की चूत को अभी पुरे मजे नहीं मिले हैं
अंशिका: बस हो गया मम्मी, दस मिनट में चला जाएगा.
और ये कहकर वो ऊपर आ गयी.
ऊपर आते ही मैंने उसे पकड़ा और गले से लगा लिया. उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेर रहे थे, वो मुझसे चिपक सी गयी और बोली - आज के लिए इतना ही, फिर कभी करेंगे बाकी...
मैं: ठीक है जान, जैसा तुम कहो, मैं समझता हूँ, तुम्हारी सिचुएशन
अंशिका: मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है, तुम मेरी चूत देखने के बाद भी ऐसी बात कह रहे हो, बड़ा कण्ट्रोल है तुम्हे अपने ऊपर
मैं: ये कंट्रोल हर बार नहीं रहेगा, सिर्फ आज छोड़ रहा हूँ, अगली बार नहीं छोड़उंगा
अंशिका (हँसते हुए): तब की तब देखि जायेगी. पर एक बात कहूँ, आज मैं कुछ भी कर सकती थी, पर तुमने जो समझदारी दिखाई है, उसके लिए थेंक्स.
मैं: अरे थेंक्स कैसा, मैं तुम्हारी फ़िक्र नहीं करूँगा तो और कोन करेगा, और अगर आज मैं अपनी मन मर्जी करके कुछ और देर रुका तो तुम्हारी मम्मी को शक हो जाएगा और मैं नहीं चाहता की तुम्हारे घर पर मेरा आना आगे के लिए रुक जाए.
अंशिका : थेंक्स फॉर अंडरस्टेंडिंग माय सिचुएशन
मैं: यु आर वेल्कम
अंशिका: चलो अब जल्दी से नीचे चलो, मैं तुम्हे चाय पिलाती हूँ फिर तुम जाना
मैं: ठीक है, पर पहले एक पारी तो दे दो जाने से पहले.
और वो हंसती हुई मेरे सीने से लग गयी और मैंने उसके गुलाबी होंठ चूसने शुरू कर दिए. मेरे हाथ अपने आप ही उसके उभारों पर जा चिपके, लगभग पांच मिनट तक हमने एक दुसरे को चूसा और फिर हम अलग हुए. नीचे आकर मैं डायनिंग टेबल पर बैठ गया और वो चाय बना कर लायी, उसकी मम्मी भी बाहर आई और हमने एक साथ चाय पी और फिर मैं उन दोनों को बाय बोल कर चल दिया.