Poll: Kya main iss kahani ko shuru karu?
You do not have permission to vote in this poll.
Yes
100.00%
4 100.00%
NO
0%
0 0%
Total 4 vote(s) 100%
* You voted for this item. [Show Results]

Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery लवली फ़ोन सेक्स चैट
#26
रास्ते में बाईक पर मेरी और आंशिका के बातें -

मैं: कम मुँह खोल लिया कर औरों के सामने (मेरा मतलब किटी मेम से था)
आंशिका: अरे चिल यार, वो मस्त बंदी है, वो कुछ नहीं कहती ना ही बुरा मानती है.

मैं: तो कुछ भी बकवास करेगी मेरे बारे में?
आंशिका: बकवास क्या करी? सब सच ही तो बोला.

मैं: अछा, बड़ा सच पता है तेर्को मेरे बारे में.
आंशिका: जो पता था वो बोल दिया, बेकार मैं आटिट्यूड क्यूँ दिखा रहा है?

मैं: ज़्यादा बकवास ना कर, वरना बीच सड़क में मुँह में लंड डाल दूँगा.
आंशिका: और कुछ आता भी है इसके आलावा तुम्हे?

मैं: तेर्को इसके अलावा और कुछ चाहिए भी?

ये बात बोलकर हम दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे.

जब उसके घर के पास वाला स्टॅंड आया तो मैने बाईक वहाँ रोक दी.

आंशिका: बाईक मत रोको , अन्दर लेकर चलो.
मैं: अन्दर कहाँ? घर पर?

आंशिका: हाँ
मैं: क्यूँ? घर पर कोई है नहीं क्या?

आंशिका: नहीं, मों हैं
मैं: तो फिर घर क्यूँ?

आंशिका: लंच करके जाना अब
मैं: लंच? पहले तो नहीं बताया? और सिर्फ़ लंच ही और कुछ नहीं?

आंशिका: तुम बस चुप रहो और अन्दर चलो.
मैं: खुशी खुशी बाईक उसके घर के अन्दर ले गया यही सोचकर शायद आज ये अपनी चूत दे दे, कॉंडम तो अब हर वक़्त वॉलेट में रहता ही है.

हम अब उसके घर के डोर पर खड़े थे, उसने डोर बेल बजाई. अन्दर से एक नौकरानी आई डोर ओपन करने. हम फिर अन्दर चले गए.

आंशिका: कैसा लगा घर?
मैं: बहुत अछा है, तेरा बेडरूम कहाँ पर है?

आंशिका: ज़्यादा उछलो मत अभी सब दिखाउंगी .
मैं: सब?

आंशिका: हाँ सब

तभी पीछे से आंशिका की माँ आगयी

आंटी: अनु आ गयी?
आंशिका: हाँ मा, ये मेरा स्टूडेंट है विशाल

मैं: नमस्ते
आंटी: नमस्ते बेटा, अनु तू स्टूडेंट्स कब से घर लाने लगी?
आंशिका: अरे मा, ये आजकल के स्टूडेंट्स भी ना, पूरे साल भर कॉलेज तो आते नहीं फिर एंड में परेशान करते हैं, सो इसकी हेल्प करने के लिए लाई हूँ.

मैं: ये सुनकर आंशिका को घूरने लगा उसने मेर्को देखा और हंस कर आँख मार दी उसने.
आंशिका: मा इसको कोई फॅमिली प्राब्लम थी तो ये स्टडीस नहीं कर पाया सो इसीलिए सोचा थोड़ी हेल्प कर दूँगी.
आंटी: हाँ ठीक है.., कुछ खाया तुम दोनो ने?

आंशिका: कुछ नहीं खाया सुबह से बहुत ज़ोर से भूख लग रही है
आंटी: चलो बैठो तुम दोनो मैं खाना लगती हूँ, कांटीईईईईईई खाना गरम होने रख दे गेन्स पर.

कांति (नौकरानी) : जी माँ जी.

आंशिका: चलो मैं: तुम्हे तब तक घर दिखाती हूँ.
मैं: जी चलिए मेडम, करिए मेरी हेल्प

ये सुनकर आंशिका हंसने लगी और बोलने लगी – चलता है यार.

वो मुझे 1st फ्लोर पर ले गयी, और अपना बेड रूम दिखाने लगी, मन कर रहा था वहीं दबोच लूँ पर डर था कहीं आंटी ना टपक जाये , एक एक कर के उसने मुझे सारे रूम दिखाए, फिर वो मुझे टेरेस पर ले गयी और एक टंकी के पास जाकर बोलती है

आंशिका: यही वो टंकी है जिसके पीछे मैने बैठ कर मैंने अपने बूब्स बाहर निकाले थे जब तुम फोन पर बात कर रहे थे.
मैं: तो चलो अब तो मैं भी हूँ साथ फिर से चलते हैं टंकी के पीछे.

आंशिका: चुप चाप नीचे चलो, ठरकी नंबर 1
मैं: अछा तू नहीं है ठरकी ?

आंशिका: (मुस्कुराते हुए) तुम ना बस चुप रहो
मैं: नहीं बता ना तू नहीं है ठरकी ?

आंशिका: (नज़रे ना मिलते हुए हंसते ऊए) नीचे चलो खाना लग गया होगा ठंडा हो जाएगा चल कर खा लो.
मैं: नहीं पहले बता, मैं भी सुनना चाहता हूँ तेरे मुँह से, तू ठरकी है या नहीं?

आंशिका: (शरामते हुए और हंसते हुए) तुम्हारी जितनी नहीं हूँ पर.
मैं: अच्छा मेरी जितनी? तेरी आँखें बता रही है कितनी ठरक है तेरे में.

आंशिका: (शर्मा कर हंसते हुए) हाँ है तो, मैं भी तो इंसान हूँ.
मैं: हाँ तो शर्मा क्यूँ रही है, शरम आती है ये कबूलने में की मेरी चूत हमेशा गीली रहती है और निपल्स टाइट.

आंशिका: (शरमाते हुए) तुम ना बहुत बोलते हो, अब चुप-चाप नीचे जाकर टेबल पर बैठो मैं अभी चेंज करके आती हूँ
मैं: नहीं मैं भी साथ चलूँगा चेंज करने.

आंशिका: ये घर है कॉलेज नहीं है, मा ने देख लिया ना तो बस फिर मत कहना मुझे कुछ.
मैं: कुछ नहीं होगा तुम चलो

आंशिका; नो,तुम जाओ नीचे
मैं: अछा ना बाबा.

हम टेरेस से नीचे जाने लगे, आंशिका का रूम 1st फ्लोर पर है, 1st फ्लोर पर पहुँच कर आंशिका अपने रूम के तरफ जाने लगी, मैं भी उसके पीछे हो लिया, हू मुझे देखकर धक्का देने लगी और कहने लगी..

आंशिका: जाओ ना, क्यूँ तंग करते हो हर जगह?
मैं: तंग मैं नहीं तू कर रही है, चल अन्दर चलकर चुप चाप कपड़े बदल कोई नहीं आ रहा, आंटी उपर नहीं आ रही देखने तेर्को. चुप चाप चल.

और मैं उसे ज़बरदस्ती उसको उसके बेडरूम में ले गया.

आंशिका मेरी इस हरकत पर गुस्सा होने लगी, मैंने उसके गुस्से की परवाह ना करते हुए, उसके बेडरूम का डोर लॉक कर दिया, वो मुझे आँख दिखा कर बोली….

आंशिका: तुम ना एकदम पागल हो, मरवाओगे मुझे एक दिन.
मैं: ओहो मेरी जान क्या हुआ?

आंशिका: हुआ नहीं होगा
मैं: हाँ वो तो है, अभी तो होगा

आंशिका: मैं ना बिल्कुल मज़ाक के मूड में नहीं हूँ समझे, अभी के अभी दरवाज़ा खोलकर नीचे जाओ
मैं: नहीं जाता, बोल क्या करेगी? चीख कर अपनी मों को बुलाएगी या नौकरानी को?

आंशिका: ग़लती कर दी मैने तुम्हे इतनी छूट देकर, दूरी ही बनाई रखती औरों की तरह तो सही रहता, एकदम आवारा कुत्ते हो.
मैं: तेर्को आवारा कुत्ते पसंद है, आई नो.

आंशिका: (ठंडे गुस्से से) प्लीज़ जाओ ना, क्यूँ मेरी फाड़ते रहते हो जगह जगह.
मैं: मैं नहीं फाड़ता तू मेरा खड़ा करवाती है बार बार

आंशिका: निकाल के फेंक दे उसे फिर
मैं: कुछ नहीं करूँगा, तेर्को फेंकना है हाथ डाल और फेंक दे.

आंशिका: हरामी हो तुम पूरे, कोई नहीं जीत सकता तुमसे
मैं: चल तू हार गयी तो अपनी चूत दे अब.

आंशिका: बकवास ना करो, कुछ नहीं मिल रहा तुझे.
मैं: अछा मत दे, जल्दी से कपडे बदल ले और नीचे चल वरना आंटी को शक हो जाएगा

आंशिका: हाँ तो तुम जाओ, मैं आती हूँ

मैं: ये सुन कर उसके बेड पर बैठ गया और उससे निहारने लग गया, हू समझ गयी की मैं उसकी नहीं सुनने वाला, उसने लूसर वाले एक्सप्रेशन दिए और बोली…

आंशिका: अह्हं अह्हं , तुम ना बहुत गंदे हो
मैं: तभी तो तेरे पास गंदगी सॉफ करवाने आया हूँ मेरी जान, चल जल्दी चेंज कर कपड़े.

आंशिका अब हार मान चुकी थी, उसे पता था की मैं नहीं मानूँगा उसकी बात इसीलिए वो चुप चाप अपनी अलमीरा की तरफ गयी और एक पिंक कलर की सेक्सी सी नायेटी निकाल कर बेड पर मेरे पास रख दी, मैं उस नायेटी को छूने लगा, बड़ी कोमल थी, नायेटी को छूटे ही लंड टन गया आंशिका को छूता तो शायद झड़ ही जाता. आंशिका मिरर के सामने बैठ कर अपना मेकउप लाइट करने लगी, फिर वो उठकर मेरे पास आई और अपनी नायेटी उठा कर बाथरूम की तरफ जाने लगी, मैने उसके हाथ से नायेटी खींच ली और कहा की मेरे सामने यहीं बदल कपड़े, उसने कुछ देर मेरी आँखों में घूरा उसे पता था की बहस करके कोई फ़ायदा नहीं फिर चुप चाप मेरी तरफ मुँह करके उसने अपने सीने से साडी हटा दी उसकी फूली हुई छाती ब्लाउस के साथ नज़र आने लगी, मेरी नज़र उसकी छाती पर थी और उसकी मेरी आँखों पर, फिर उसने सारी पूरे शरीर से अलग करके बेड पर फेंक दी, मैने साडी उठाई और उसे सूंघने लगा, वो बोली

आंशिका: सूंघ क्या रहे हो? कुत्ते हो क्या? कुत्ते सूंघते हैं.
मैं: हाँ तो कुतिया की ही तो सूंघते हैं, सूंघने से पता चल जाता है की कुतिया चुदवाने के मूड में है या नहीं.

आंशिका: अछा
मैं: और नहीं तो क्या, देख तेरी चूत की कितनी तेज़ स्मेल आ रही है इसमें,पूरी गीली है ना चूत ?

आंशिका ये सुनकर कुछ नहीं बोली और उसने अपना ब्लाउस खोल दिया, ये देख कर मैं खड़ा हो गया और उसके पास चला गया, उसे पता था अब क्या होने वाला है इसीलिए उसने खुद ही कह दिया

आंशिका: जल्दी से करना जो करना है, ज़्यादा टाइम नहीं है, माँ को शक ना हो जाए.

बस यही सुनने की देर थी, ये सुनते ही मैने आंशिका को कस कर उसकी मोटी कमर से पकड़ लिया और अपने लिप्स से उसके लिप्स लगा दिए उसने भी अपने हाथ मेरे सिर पर रखे और मेरे साथ मिलकर ज़ोर से किस करने लगी. 5 मीं बाद हम अलग हुए हुमारी साँस फूल गयी थी, वो खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और उसकी मोटी मोटी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी, उसकी नज़र मेरे उपर थी और मेरी उसकी चुचियों पर, सीने से साड़ी नीचे गिरी हुई और ब्लाउस में से उपर नीचे होते हुई चुचियों की देखकर मैं: पागल हो रहा था, मैने दोनो हाथों से उसकी चुचियों को पकड़ लिया ब्लाउस के उपर से और धीरे धीरे से दबाने लगा, आंशिका बोली – इतनी आराम से करने से कुछ नहीं होगा, अपना जुंगलिपन दिखाओ थोडा . मैने ये सुनकर उसकी दोनो चुचियों को ज़ोर से भीच लिया अपनी मुट्ठी में, पर चुचियाँ इतनी बड़ी थी की एक हाथ में ही नहीं आ रही थी और उपर से ब्लाउस और था, मेरी ये मुशकिल देख कर उसने अपना ब्लाउस ओपन कर दिया और सिर्फ़ नेट वाली ब्रा में खड़ी हो गयी. मैं नीचे झुका और उसका नाइट निपल को ब्रा के उपर से ही मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने और काटने लगा और लेफ्ट ब्रेस्ट को ज़ोर से दबाने लगा. फिर मैने उसकी लेफ्ट ब्रेस्ट को निपल को मुँह में लिया और काटने लगा, मैने एकदम से ज़ोर से काट दिया वो सिसक पड़ी –

आंशिका: आआआआह , पागल कहीं के, तद्पाते रहते हो, हटो अब, कपड़े बदलने दो
मैं: तू कौनसा कम तडपाती है, चूसने दे ना और.

आंशिका: नहीं अब नहीं , नीचे चलो अब.
मैं: नीचे कहाँ चूत पर?

आंशिका: खांआआआनाआअ खाने,
मैं: तेरी चूत गीली है ना?

आंशिका: हाँ है तो
मैं: मुझे सुखाने दे उसे अपनी जीभ से.

आंशिका: तुम जा रहे हो या नहीं जा रहे नीचे? मुझे अब कपड़े बदलने दो, तुम नीचे जाओ
मैं: तो बदल ले, मैं कौनसा तेर्को चोद रहा हूँ.

आंशिका: नहीं पूरे नहीं बदलूँगी तुम्हारे सामने, तुम भूखे शेर की तरह टूट पड़ोगे
मैं: तेरा भी तो यही मन है की मैं तेरे उपर बस टूट पड़ून, है ना? सच सच बताएओ

आंशिका : सिर्फ़ मन होने से कुछ नहीं होता, सही जगह और समय भी होना चाहिए
मैं: मेरी जान जब लंड खड़ा हो और जब चूत गीली हो तो वही सही जगह और टाइम है.

आंशिका: अछा, तुम्हारा क्या है, तुम्हारा तो हर वक़्त खड़ा रहता है
मैं: तू इसके बारे में हर वक़्त सोचती है तभी खड़ा रहता है

आंशिका: ओहो, अब नीचे जाओ ना प्लीस , मुझे कपड़े बदलने दो, अगर ऐसे परेशन करते रहे ना तो देख लेना अछा नहीं होगा, मुझे खो दोगे तुम.
मैं: अछा तेर्को लगता है की तू मेरे से अलग हो पाएगी? तेरे अन्दर की हवस को तो मैने एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर में ही देख लिया था, तभी तो तेरा नंबर माँगा था क्यूंकी मुझे पता था तू देगी ज़रूर, तेरी आँखों से तेरी चूत का हाल पता चल रहा था.

आंशिका: हाँ तुम तो बहुत ज्ञानी हो (ब्लाउस बंद करते हुए) अब नीचे जाओ प्लीस इट’स ऐ हंबल रिक्वेस्ट
मैं: अछा जाता हूँ ना, और सुन, ब्रा मत पहनीओ नायेटी के नीचे

आंशिका: हाँ ठीक है बाबा, अब जाओ प्लीस

मैने फिर आंशिका की बात मान ली और चुप चाप रूम से बाहर चला गया और नीचे डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया, तभी उसकी मों अन्दर किचन में से आई और मुझसे पूछा –

आंटी: बेटा आंशिका कहाँ है?
मैं: आंटी मेम ने कहा था की वो अभी आ रही है क्लोथ्स चेंज कर के और में नीचे आकर बैठ जाऊ

आंटी: हे भगवान, इस लड़की ने अभी तक कपड़े भी नहीं बदले, कोई काम समय से करती ही नहीं, यहाँ खाना ठंडा हो रहा है
मैं: (मैने मन में कहा – और वहाँ हम गरम हो रहे थे.) आंटी मेम कह रही थी की वो बस 5 मीं में आ रही हैं.

आंटी: चलो बेटा तब तक तुम खाना स्टार्ट करो, वरना तुम्हारा भी कहाँ ठंडा हो जाएगा.
मैं: कोई बात नहीं आंटी,साथ में ही स्टार्ट करेंगे, आप भी अपना लगा लीजिए ना.

आंटी: बेटा मैं तो खा चुकी, आंशिका ने बोला था की उसका और तुम्हारा खाना बनके रखे तो बस तुम लोगों का ही वेट था.
मैं: ओक

मुझे नहीं पता था की आंशिका ने पहले से ही घर बुलाने का प्रोग्राम सोच रखा था, वो तो मुझे आंटी के मुँह से पता चला, मैं मन ही मन खुश हो गया की कहीं इसने आज अपनी चूत देने का भी तो प्लान नहीं बना रखा, कॉंडम तो था ही मेरे वॉलेट में. अब तो इसके घर भी आसानी से आ जाया करूँगा क्यूंकी अब तो इसकी मों ने भी मुझे देख लिया है आंड शी नोस देट आई एम् हर स्टूडेंट. तभी आंशिका उपर से नीचे उतर तक आई.

आंटी: कहाँ रह गयी थी तू, इस बेचारे का खाना भी ठंडा करवा दिया तूने,.
आंशिका: अरे मा कपड़े बदल रही थी और हाथ मुँह धो रही थी इसी में टाइम लग गया.

आंटी: इतना टाइम लगता है
आंशिका: (मेरी तरफ देखते हुए) इसे घर भी तो दिखा रही थी ना.

आंटी: बैठ अब, दुबारा खाना गरम करना पड़ेगा.
आंशिका: हाँ हम बैठे हैं आप गरम कर लो

आंटी: ले तू तब तक खीरा काट ले
आंशिका: दो.

आंशिका मेरी साथ वाली सीट पर बैठ गयी, उसके हाथ में खीरा और नाइफ था. मेरी तरफ नाइफ करके बोली

आंशिका: तुम्हारा ना खून करने का मन कर रहा है मेरा, बेकार में डांट पड़वा दी.
मैं: अछा एक बात बताओ , इस डांट के आगे वो मज़ा ज़्यादा अछा नहीं था, सच सच बताएओ.

आंशिका: (सोचते हुए) ह..हा…..हाँ तो कभी और भी कर सकते थे.
मैं: तू कभी सही जगह मिलती ही नहीं

आंशिका: (मेरी तरफ से एकदम से मुँह हटाते हुए) रहने दो तुम.

उसके यह बोलते ही मैने झटके से साइड से उसकी राईट चुचि नाईटी के उपर से दबा दी ज़ोर से. मेरी इस हरकत पर वो मुझे घूर के देखने लगी और कहने लगी –

आंशिका: तुम ना कभी बाज़ नहीं आओगे.
मैं: मैने तेर्को कहा था की ब्रा मत पहनीओ, फिर क्यूँ पहनी.

आंशिका: हाँ तुम्हारा बस चले तो कुछ भी ना पहनने दो घर में, घर में मा है अगर बिना ब्रा के घूमूंगी ना तो डांट पड़ जाएगी की कोई आया है घर में और मैं ऐसे घूम रही हूँ, दुबारा डांट नहीं खानी मुझे.
मैं: क्या यार, खुद तो मोटा सा खीरा हाथ मे ले लिया और मुझे संतरे भी नहीं दबाने दे रही.

आशिका: मेरे क्या तुम्हे बस संतरे दिख रहे हैं?
मैं: अछा बड़े बड़े आम बस

आंशिका: रहने दो, अब से हाथ तक मत लगा देना इन्हे.
मैं: (उसकी चुचि पर साइड से प्यार से हाथ रखते हुए) ओहो नाराज़ क्यूँ होती है, ये तो बड़े बड़े वॉटरमेलन्स है.

आंशिका: (अपने सीधे हाथ की कोनी से मेरा हाथ हटते हुए) मुझे ना बिल्कुल भी नहीं पसंद जब मेरी ब्रेस्ट को कोई कुछ भी उल्टा सीधा कहे, आई एम् वेरी पोज़ेसिव फॉर देम. लड़कियाँ मरती है ऐसी ब्रेस्ट्स के लिए, औरों के पास होते हैं छोटे छोटे नींबू और संतरे समझे, आइन्दा से इन्हे कभी मत बल्ना छोटा
मैं: ओहो, इतना प्यार अपने वॉटरमेलन्स से, बुत इनका कस्टमर तो मैं ही हूँ, मैं ही ले जाऊंगा

आंशिका: (तिरछी निगाहों से मेरी तरफ देख कर हँसते हुए) लकी हो तुम बहुत, अब चुप रहो अगर मा ने कुछ सुन लिया ना तो बस सपने देखते रह जाओगे वॉटरमेलन्स के.
मैं: तेरी हवस मुझे फिर खींच लाएगी तेरी तरफ सो नो टेंशन .

आंशिका : अछा
मैं: हाँ

आंटी : लो अब खाना गरम हो गया है, अब बिना देरी करे चुप चाप खाना खा लो दोनो, वरना दोनो को डांट पड़ेगी इस बार

हूमें खाना देकर आंशिका की मोंम अपने रूम में चली गयी जो की ग्राउंड फ्लोर पर ही था, मैं खाना खाते हुए आंशिका को घूर्ने लगा, मेर्को घूरते देख आंशिका बोली –

आंशिका: मुझे ज्या घूर रहे हो, खाने को घूरो .
मैं: तू ही तो मेरा खाना है, तेर्को ही खाना है.

आंशिका : अछा, खाना खाते हुए ज़्यादा बोलते नहीं चुप चाप खाओ.
मैं: अछा बोलते नहीं तो कुछ कर तो सकते है ना ( ये बोलकर मैने फिर से साइड से उसकी राईट चुचि दबा दी)

वो अपनी एंकल से मेरे हाथ को भीचते हुए बोली –

आंशिका: ज़्यादा ना हाथ ना चलाया करो.
मैं: मुँह लगा लूँ?

आंशिका: चुप चाप खाना नहीं खा सकते?
मैं: चुप चाप ही खा रहा था तू ही बोल पड़ी.

आंशिका: अच्छा सॉरी बाबा, अब नहीं बोलूँगी
मैं: ठीक है गुड, (और मैने फिर से उसकी चुचि दबाने लग गया आराम से)

आंशिका: मा ने देख लिया ना, तो ये खाना भी चीन लेगी और भूखे रह जाओगे.
मैं: तेरे होते हुए मैं भूखा कैसे रह सकता हूँ.

फिर अगले 10 मीं में हमने खाना खाया आराम से और फिर खाना खा कर मैने उससे पूछा अब क्या करना है मेरी जान?

आंशिका: उपर चलो रूम में, तुम्हे खाना खाने की तमीज़ सिखानी है.
मैं: कपड़े पहेंकर सिखाएगी या उतार कर?

आंशिका: तुम्हारे कपड़े फाड़ कर, अब उपर चलो, माँ ने सुन लिया ना तो बस मुँह ताकते रह जाओगे.
मैं: एक दिन तो तेरा पेट देख कर पता चलना ही है उन्हे की किसने करा यह.

आंशिका: ज़्यादा ना बकवास ना करा करो, कुछ ज़्यादा ही दूर की सोचने लग जाते हो.
मैं: ज़्यादा दूर की कहाँ सोची, सिर्फ़ तेरी चूत से पेट तक की ही तो सोची

आंशिका: तुम्हे उपर रूम में चलना है या अपने घर जाना है?
मैं: ये सुनकर चुप चाप स्टेयर्स पर चढ़ गया और वो मेरे पीछे पीछे आने लगी.

उसके रूम में पहुँच कर मैने कुण्डी लगा ली, वो बोली –

आंशिका : तुम पागल हो गये हो क्या, जो बात बात पर कुण्डी लगा लेते हो, मैने तुम्हे इसलिए नहीं बुलाया रूम में समझे, माँ को शक हो जाएगा कुण्डी खोलो.
मैं: कुछ नहीं होगा, और वैसे भी कुण्डी खोलने में कितना टाइम लगता है.

आंशिका: नहीं हुमारे घर में मोस्ट्ली डोर्स ओपन रहते हैं, सिर्फ़ सोते समय बंद करते हैं या फिर जब ज़रूरी हो, मा को नहीं पसंद बंद दरवाज़े प्लीस ओपन इट.
मैं: क्या यार, एक दरवाज़ी के लिए इतनी चीक चीक, लो खोल देता हूँ बस.

और मैं: उसके रूम का डोर खोल दिया, वैसे भी उस फ्लोर पर कोई नहीं था, उसकी मों भी ग्राउंड फ्लोर पर थी और उसकी सिस जिसका साथ वाला रूम था वो भी घर पर नहीं थी, सो दरवाज़ा खुला हो या बंद की फरक पैंदा है?

आंशिका: पहली बार तुमने ज़िद नहीं करी, थॅंक गोड. मुझे तो लगा की मैं आज गयी.
मैं: उकसा मत वरना आंटी तेरी चीखें सुन कर ही उपर आ जाएँगी.

आंशिका: अछा बड़ा गुरूर है अपने उपर.
मैं: नहीं तेरी हवस पर पूरा भरोसा है मुझ पर, तेरी चूत लेते हुए तूने पूरा मोहल्ला ना खड़ा कर लिया चीख चीख कर तो मेरा नाम बदल दियो .

आंशिका: तुम इतना कॉन्फिडेंट्ली कैसे बोलते हो मेरे लिए, मैं क्या तुम्हे इतनी भूखी लगती हूँ.

मैने ये सुनकर कुछ नहीं बोला और उसके पास जाकर बैठ गया और उसको पकड़ कर किस करदी ज़ोर से. वो भी मुझे किस करने लगी, मैने उसको पीछे धकेला और उसका सिर पीछे बेड के सपोर्ट पे लगा दिया और उसे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा, किस करते हुए मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उसकी चुचियाँ दबाने लगा, फिर उसकी चुचियों को छोड़ कर मैं अपना हाथ और नीचे ले गया और उसकी ठीक चूत के उपर रख कर ज़ोर से दबा दिया, उसने एकदम से टाँगें भीच ली और मेरा हाथ वहीं उसकी टाँगों के बीच में फँस गया और मेरे लिप्स से अपने लिप्स हटाकर ज़ोर ज़ोर के साँस लेने लगी……..

आंशिका: प्लीज़ वहाँ से अपना हाथ हटाओ, आज नहीं फिर कभी.
मैं: फिर कभी क्यूँ? हाथ ही तो रखा है कौनसा लंड डाल दिया.

आंशिका: तुम ना (ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगी)

मैं: भी चुप चाप बैठा हुआ अपनी साँसें भर रहा था और मेरा राईट हेंड अभी भी उसकी जाँघो के बीच में फँसा हुआ था, ना मैं हाथ हिला रहा था और ना ही वो अपनी पकड़ ढीली कर रही थी.

आंशिका : तुम से मिलकर ना मेरी हवस और बढ़ गयी है
मैं: अच्छी बात है ना, कम नहीं होनी चाहिए बस. वैसे तू पहले भी ऐसे ही भूखी रहती थी?

आंशिका: हाँ बहुत , कभी कभी तो आँखों मैं: पानी आ जाता था भूख के मारे, टांगो मैं वीक्नेस्स सी लगती थी.
मैं: तो अब सब ठीक है.

आंशिका: हाँ थोडा बहुत, तुम थोड़ी सी तो मिटा ही देते हो फोरप्ले से
मैं: तू अभी बोले तो पूरी भूख मिटा दूं तेरी.

आंशिका: नहीं, मैं हर पल एंजाय करना चाहती हूँ तुम्हारे साथ, बड़ी मुश्किल से तुम्हारे जैसा समझदार पार्ट्नर मिला है जो मेरी ज़रूरतों को समझता है.
मैं: क्यूँ? और कोई नहीं समझा.

आंशिका: पता नहीं दर लगता है हमेशा से औरों से, मेरी फ्रेंड्स ने बताया है जब वो कभी अपने बॉय फ्रेंड्स से सेक्स के लिए कहती थी खुद तो वो उनकी गंदी इमेज बना लेते थे की वो स्लट है, जिन्हे सेक्स चाहिए बस, गाइस नेवेर अंडरस्टॅंड्स गर्ल्स नीड्स, दे जस्ट नो हाउ तो सॅटिस्फाइ देम्सेल्व्ज़.
मैं: ह्म्*म्म्मममम ये तो है.

आंशिका: तुम भी सोचते तो होंगे की कैसी लड़की है ये आंशिका, एकदम से सेक्स के लिए रेडी हो जाती है.
मैं: इसमें सोचना क्या है तू गंदी है तो गंदी है, मैं भी गंदा हूँ, हर कोई जो सेक्स करता है सब गंदे हैं, अगर कोई ह्यूमन नीड्स को सॅटिस्फाइ करने को गंदा कहता है तो खाना खाना भी गंदा काम है, सोना भी गंदा काम है, हर वो काम ग़लत है जिसससे हूमें शांति मिलती है, मैं तो ये सोचता हूँ.

आंशिका: तभी तुम मुझे बहुत पसंद हो, आई लाईक युअर आटिट्यूड टुवर्ड्स गर्ल्स एंड ह्यूमन नेचर.
मैं: थॅंक्स जानू.

आंशिका: अगर तुम मेरे साथ के होते ना तो शादी कर लेती तुमसे.
मैं: कोई बात नहीं पर सुहग्रात तो मनाएगी ना?

आंशिका: (टीज़ करते हुए) सोचेंगे
मैं: तू सोचती रहियो मैं तो सब कुछ कर के निकल भी जाऊंगा .

आंशिका: तुम मुझे छोड़ दोगे ना जब मेरे से बोर हो जाओगे और मेरी बॉडी से भी.
मैं: तेरे से कभी बोर नहीं हुंगा डोंट वरी, तू है ही इतनी कमाल की और मेरी लाइफ की पहली गर्ल.

आंशिका: तुम्हारी लाइफ मैं: पहले कभी कोई गर्ल नहीं आई ?
मैं: ना

आंशिका: विश्वास नहीं होता.
मैं: लो अब किसी की फूटी किस्मत पर भी किसी को विश्वास नहीं होता.

आंशिका: हहेहेः, नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम जिस तरह से बोलते हो, अपनी बातों में फंसाते हो और तुम्हारा ज़िद्दीपंन, कोई भी लड़की फँस जाए तुम्हारे जाल में तो.
मैं: जिसे जाल में फँसना था फँसा लिया, औरों की बाद में सोचेंगे.

आंशिका: तुम कभी मुझे धोखा तो नहीं दोगे ना?
मैं: धोखा कैसा? मैं कोई तुझसे शादी थोड़ी ना कर रहा हूँ की मैं किसी और के साथ नहीं सो सकता.

आंशिका: नहीं, आई मीन टू से की तुम कभी मेर्को बदनाम तो नहीं करोगे ना? मेरे ट्रस्ट को तो नहीं तोड़ोगे ना?
मैं: पागल है क्या? मैं क्यूँ तेरा ट्रस्ट तोड़ूँगा, मुझे भी तेरे जैसी अंडरस्टॅंडिंग पार्ट्नर कहाँ मिलेगी.

आंशिका: तुम्हारा मन क्या करता है सबसे ज़्यादा करने का मेरे साथ?
मैं: की बस पूरे दिन भर तेरी चूत मारता रहूं, तेरे बूब्स चूस्ता रहूं, तेरी हवस मिटाता रहूं. तू बता तेरा क्या मन करता है?

आंशिका: बहुत कुछ, फिलहाल अभी तो मुझे तुम्हारा चूसने का मन कर रहा है ज़ोर से.
मैं: सच बता

आंशिका: हाँ बाबा सच मैं:.
मैं: अभी तो तू ड्रामे कर रही थी की डोर बंद मत करो ये वो..

आंशिका: तो डोर बंद करने को कौन कह रहा है?
मैं: तो क्या ओपन डोर में ही?

आंशिका: हाँ, मा उपर नहीं होती, उनकी नीस में पेन रहता है
मैं: और अगर तेरी बहन आ गयी तो .

आंशिका: वो तो आउट ऑफ स्टेशन रहती है वो कहाँ से आएगी और डेड भी रात को आते हैं, सो डोर ओपन हो या क्लोज़ इट्स सेम.
मैं: वैसे तेरी बहन की पिक तो दिखा

आंशिका: एक शर्त पर दिखाउंगी .
मैं: कैसी शर्त?

आंशिका: की तुम उसके लिए कुछ भी उल्टा सीधा नहीं बोलॉगे और ना ही सोचोगे.
मैं: क्यूँ भाई?

आंशिका: नहीं तो रहने दो, मैं उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती हूँ एंड आई वांट तो सी हर हॅपी, आई कांत सी हर इन पेन ओर हर्ट बाइ सम्वन एल्स, शी इस वेरी सिंपल एंड माय बेस्ट सिस इन द वर्ल्ड, सो उसके लिए कुछ भी उल्टा सीधा नहीं
मैं: अगर ऐसी बात है तो आई प्रॉमिस की कभी उसके लिए कुछ नहीं बोलूँगा उल्टा और ना ही सोचूँगा.
Like Reply


Messages In This Thread
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by playboy131 - 19-03-2020, 10:40 PM
RE: लवली फ़ोन सेक्स चैट - by sanskari_shikha - 03-09-2020, 10:40 PM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)