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Romance लला… फिर खेलन आइयो होरी
#8
लल्ला फिर अईयो खेलन होरी





देह का रंग नेह का रंग 


अब तक आपने पढ़ा 











मेरे हाथ में सिर्फ बचा हुआ गुलाल था. वो मैंने, जैसे उसने डाला था, उसकी मांग में डाल दिया.

[Image: Hori-6288442713_506f0f3ecb_z.md.jpg]

भैया बाहर निकलने वाले थे.
“डाल तो दिया है, निभाना पड़ेगा...वैसे मेरा नाम उर्मी है.” 



[Image: Hori-11-2.md.jpg]



हँस के वो बोली. और आपका नाम मैं जानती हूँ ये तो आपको गाना सुन के हीं पता चल गया होगा. वो अपनी सहेलियों के साथ मुड़ के घर के अंदर चल दी.


अगले दिन विदाई के पहले भी रंगों की बौछार हो गई.


आगे 



[Image: holi-image-3-big.jpg]
अगले दिन विदाई के पहले भी रंगों की बौछार हो गई.

फिर हम दोनों एक दूसरे को कैसे छोड़ते. 




मैंने आज उसे धर दबोचा. ढलकते आँचल से...



[Image: Teej-backless-blouse-deshi-hot-indian-girls2.jpg]

भी भी मेरी उंगलियों के रंग उसके उरोजों पे और उसकी चौड़ी मांग में गुलाल...चलते-चलते उसने फिर जब मेरे गालों को लाल पीला किया तो मैं शरारत से बोला,

“तन का रंग तो छूट जायेगा लेकिन मन पे जो रंग चढ़ा है उसका...”





“क्यों वो रंग छुड़ाना चाहते हो क्या.” 

[Image: HOLI-911912f939d31d9d504bb2c78d734a64.jpg]

आँख नचा के, अदा के साथ मुस्कुरा के वो बोली और कहा,

“लल्ला फिर अईयो खेलन होरी.”



[Image: Hori-tumblr_mciklvFLfi1rjhuqoo1_1280.md.jpg]



एकदम, लेकिन फिर मैं डालूँगा तो...मेरी बात काट के वो बोली,



एकदम जो चाहे, जहाँ चाहे, जितनी बार चाहे, जैसे चाहे...मेरा तुम्हारा फगुआ उधार रहा.”



मैं जो मुड़ा तो मेरे झक्काक सफेद रेशमी कुर्ते पे...लोटे भर गाढ़ा गुलाबी रंग मेरे ऊपर.



[Image: Holi-26670870481-6c66634b20-b.jpg]
रास्ते भर वो गुलाबी मुस्कान. वो रतनारे कजरारे नैन मेरे साथ रहे.












अगले साल फागुन फिर आया, होली आई. मैं इन्द्रधनुषी सपनों के ताने बाने बुनता रहा, 

उन गोरे-गोरे गालों की लुनाई, वो ताने, वो मीठी गालियाँ, वो बुलावा...

लेकिन जैसा मैंने पहले बोला था, सेमेस्टर इम्तिहान, बैक पेपर का डर...जिंदगी की आपाधापी...

मैं होली में भाभी के गाँव नहीं जा सका.



भाभी ने लौट के कहा भी कि वो मेरी राह देख रही थी.


यादों के सफर के साथ भाभी के गाँव का सफर भी खतम हुआ.


[Image: Hori-Holi-2014-Date.md.jpg]



भाभी की भाभियाँ, सहेलियाँ, बहनें...घेर लिया गया मैं. 


गालियाँ, ताने, मजाक...लेकिन मेरी निगाहें चारों ओर जिसे ढूंढ रही थी, वो कहीं नहीं दिखी.



तब तक अचानक एक हाथ में ग्लास लिए...जगमग दुती सी...



खूब भरी-भरी लग रही थी. मांग में सिंदूर...मैं धक से रह गया (भाभी ने बताया तो था कि अचानक उसकी शादी हो गई लेकिन मेरा मन तैयार नहीं था), 



वही गोरा रंग लेकिन स्मित में हल्की सी शायद उदासी भी...



“क्यों क्या देख रहे हो, भूल गए क्या...?” हँस के वो बोली.



“नहीं, भूलूँगा कैसे...और वो फगुआ का उधार भी...” 

धीमे से मैंने मुस्कुरा के बोला.



“एकदम याद है...और साल भर का सूद भी ज्यादा लग गया है. लेकिन लो पहले पानी तो लो.”






मैंने ग्लास पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो एक झटके में...झक से गाढ़ा गुलाबी रंग...मेरी सफेद शर्ट.”



“हे हे क्या करती है...नयी सफेद कमीज पे अरे जरा...” भाभी की माँ बोलीं.



“अरे नहीं, ससुराल में सफेद पहन के आएंगे तो रंग पड़ेगा हीं.” भाभी ने उर्मी का साथ दिया.



“इतना डर है तो कपड़े उतार दें...” भाभी की भाभी चंपा ने चिढ़ाया.


“और क्या, चाहें तो कपड़े उतार दें...हम फिर डाल देंगे.” 

हँस के वो बोली. सौ पिचकारियाँ गुलाबी रंग की एक साथ चल पड़ीं.
[Image: Hori-2697257_f520.md.jpg]


“अच्छा ले जाओ कमरे में, जरा आराम वाराम कर ले बेचारा...” भाभी की माँ बोलीं.
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RE: लला… फिर खेलन आइयो होरी - by komaalrani - 09-03-2019, 10:50 AM



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