09-03-2019, 10:03 AM
टूट गयी साल्ली की ,… सील
अब सुपाड़ा घुस गया था। वो लाख चूतड़ पटके अब बिना चुदे नहीं बच सकती थी।
अंगूठे से थोड़ी देर तक उन्होंने चूत के दाने को सहलाया , थोडा दम लिया , टांग फिर सेट की
और और अबतक का सबसे जोर दार धक्का ,
मंझली , पानी के बाहर मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से मचल रही थी। उसकी आँखों में दर्द से आंसू भर आये थे।
चूत फट गयी थी।
खून की कुछ बूंदे बाहर भी निकल आयी थी।
उन्होंने अभी भी उसके होंठो को आजाद नहीं किया
और चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी।
थोड़ी देर में लंड दरेरता , घिसटता साली की चूत में जा रहा था , और कुछ देर में उसे भी लंड की आदत पड़ गयी।
दर्द ख़तम तो नहीं हुआ लेकिन कम हो गया।
और उन्होंने उसके होंठो को आजाद कर दिया ,
उसी समय नीचे कालोनी की भाभियाँ घुसीं
और उन के हंगामें में तो मंझली जोर जोर से भी चिल्लाती तो सुनायी नहीं देता।
उन्होंने उसे होंठ पे ऊँगली रख के चुप रहने का इशारा किया
और अब उनके होंठ , साली की रसीली चूचियों का मजा लेने लगे , निपल चूसने लगे।
लंड आधे से ज्यादा घुसा हुआ था।
थोड़ी देर में मस्ती से चूर मंझली भी नीचे से अपने चूतड़ हिलाने लगी ,
फिरक्या था उन्होंने धका पेल चुदाई शूरु कर दी।
दो बार वो झड़ने के कगार पे पहुंची तो वो रुक गए।
अब लंड वो एकदम सुपाड़े तक बाहर निकाल कर ,
एक झटके में पूरा पेल देते।
चूंची और क्लिट दोनोकी रगड़ाई साथ साथ करते।
मंझली ने जब झड़ना शुरू किया तो उसके साथ ही वो भी ,…
उन्होंने उसको दुहरा कर रखा था और सारी मलायी अंदर।
कुछ देर तक वो दोनों ऐसे ही पड़े रहे ,
और ऊपर से आंगन में चल रही होली का नजारा देखते रहे।
उन्हें नहीं पता चला , लेकिन मंझली ने सुन लिया ,
" जीजू उन्हें शायद शक हो गया है , आप यहाँ है , हम दोनों ,...."
जल्दी से दोनों ने कपडे पहने और पहले वो नीचे आये
और जब तक भाभियों का झुण्ड उन्हें घेरे था , चुपके से मंझली भी छत से उतर आयी।
बिना किसी के देखे.
….
और दरवाजा खुलते ही भाभियों का हुजूम अंदर ,
कम से कम दर्जन भर , और सबसे आगे रीतू भाभी , उम्र में सबसे कम लेकिन बदमाशी में अव्वल। मुझसे सिर्फ दो साल बड़ी , अभी २१ वां लगा ह
रीतू भाभी
अब सुपाड़ा घुस गया था। वो लाख चूतड़ पटके अब बिना चुदे नहीं बच सकती थी।
अंगूठे से थोड़ी देर तक उन्होंने चूत के दाने को सहलाया , थोडा दम लिया , टांग फिर सेट की
और और अबतक का सबसे जोर दार धक्का ,
मंझली , पानी के बाहर मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से मचल रही थी। उसकी आँखों में दर्द से आंसू भर आये थे।
चूत फट गयी थी।
खून की कुछ बूंदे बाहर भी निकल आयी थी।
उन्होंने अभी भी उसके होंठो को आजाद नहीं किया
और चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी।
थोड़ी देर में लंड दरेरता , घिसटता साली की चूत में जा रहा था , और कुछ देर में उसे भी लंड की आदत पड़ गयी।
दर्द ख़तम तो नहीं हुआ लेकिन कम हो गया।
और उन्होंने उसके होंठो को आजाद कर दिया ,
उसी समय नीचे कालोनी की भाभियाँ घुसीं
और उन के हंगामें में तो मंझली जोर जोर से भी चिल्लाती तो सुनायी नहीं देता।
उन्होंने उसे होंठ पे ऊँगली रख के चुप रहने का इशारा किया
और अब उनके होंठ , साली की रसीली चूचियों का मजा लेने लगे , निपल चूसने लगे।
लंड आधे से ज्यादा घुसा हुआ था।
थोड़ी देर में मस्ती से चूर मंझली भी नीचे से अपने चूतड़ हिलाने लगी ,
फिरक्या था उन्होंने धका पेल चुदाई शूरु कर दी।
दो बार वो झड़ने के कगार पे पहुंची तो वो रुक गए।
अब लंड वो एकदम सुपाड़े तक बाहर निकाल कर ,
एक झटके में पूरा पेल देते।
चूंची और क्लिट दोनोकी रगड़ाई साथ साथ करते।
मंझली ने जब झड़ना शुरू किया तो उसके साथ ही वो भी ,…
उन्होंने उसको दुहरा कर रखा था और सारी मलायी अंदर।
कुछ देर तक वो दोनों ऐसे ही पड़े रहे ,
और ऊपर से आंगन में चल रही होली का नजारा देखते रहे।
उन्हें नहीं पता चला , लेकिन मंझली ने सुन लिया ,
" जीजू उन्हें शायद शक हो गया है , आप यहाँ है , हम दोनों ,...."
जल्दी से दोनों ने कपडे पहने और पहले वो नीचे आये
और जब तक भाभियों का झुण्ड उन्हें घेरे था , चुपके से मंझली भी छत से उतर आयी।
बिना किसी के देखे.
….
और दरवाजा खुलते ही भाभियों का हुजूम अंदर ,
कम से कम दर्जन भर , और सबसे आगे रीतू भाभी , उम्र में सबसे कम लेकिन बदमाशी में अव्वल। मुझसे सिर्फ दो साल बड़ी , अभी २१ वां लगा ह
रीतू भाभी