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Thriller कामुक अर्धांगनी
दोनों नहा धो के तौलिया लपेटे वापस आए , दोनों का छाती एक दम चौड़ा और घने बालों से ढका हुआ था और देख मालूम हो रहा था कि कोई पहलवान हो ,ऐसे मर्द देख कौन अपनी टांग ना खोले , विरजु और कालू का सहज व्यहवार बड़ा मनमोहक था जो मुझे उनकी और आकर्षित किये जा रहा था और सब जानते है आदि काल से तगड़े मर्द ही औरतों को चर्मसुख देते आ रहे है और आज मुझे अपने भाग्य पर गर्व महसूस हो रहा था कि मेरी बरसों की प्यास ऐसे मर्दों से बुझेगी जो स्वयं कामदेव के हाथों बनाये गए है ।


मैंने दोनों को लुंगी दिया और वो लुंगी लपेट तोलिये को फैलाने की जगह ढूँढेने लगे पर मैंने उनके हाथो से तौलिया ले उनको आदर साथ बैठने को बोला और वो संगकुचित मन पूछे बाबू जी कोई दरी दे दीजेए ,मैं उनका हाथ पकड़ सोफे पर बिठा बोला आप दोनों मेहमान हो मतलब भगवान का रूप आप जमीन पर नहीं यहाँ बैठो और वो गदगद मन से हाथ जोड़ बोलने लगे वाह प्रभु कितने नेक दिल सजन से मुलाकत करवाये हो, यू धुत्कार की जिंदगी और आज इतना सम्मान और वो पुनः मेरे पाव छूने लगे पर मैं दोनों को रोक बैठेने का बोल तोलिये को फैलाने गया और मधु से बोला मेरी जान ये सतयुग के प्राणी है और कलयुग के हम ,इनके चुदाई से धन्य हो जाएंगे और वो हँसते बोली चलिए अच्छा है जी वैसे भी मर्द अगर शालिन और तगड़े हो तोह आग और बढ़ती है ,वैसे भी गंदी बातें कर संभोग के बाद मन मैला सा लगता है ।


मधु चाय लिए मटकती मचलती पहुँची और वो दोनों उठ खड़े हुए पर मधु फ़ौरन दोनों को बैठने का बोली और मेरे बैठ जाने के पश्चात मेरी गोद मे बैठ अपनी टाँगे टाँगों पर रख दी और अपनी समस्त चिकनी झाघो को उनके लिए प्रदशित करती बोली कालू आराम से बैठो न , कालू हँसते बोला मेमसाहब आदत नहीं ऐसे मखमली सोफे पर बैठने की और वो हाथ जोड़ बोला मेमहाब आप बुरा न माने तोह आपके चरणों के पास बैठ जाए हम दोनों ,मधु हँसते बोली आओ और दोनों उठ मेरे दोनो तरफ बिराजमान हो गए और चाय पीते मधु की तारीफ करते बोले वाह मेमसाहब क्या कड़क चाय बनाई है और मधु दोनों के बालों को सहलाते हँसने लगी और अपनी झाघो को खोल दोनों के बदन पर स्पर्श कराती अपने खेल को खेलने लगी ।


विरजु और कालू भले ही देहाती थे पर अनगिनत प्यासी महिलाओं को चोदे चुके थे , वो मधु के तड़प को बखूभी समझते थे और बड़े आराम से दोनों में मधु के पव को पकड़ सहलाते दबाना सुरु किया और तगड़े हाथों से मधु के पॉव को खुद के झाघो पर रख लिया और मधु सिहर कर मेरे बदन से चिपक आहे भर्ती निढ़ाल सी बोली तुम दोनों तोहबड़े माहिर हो और कालू बोला मेमसाहब आप ने इतना सम्मान दिया है अब बदले मे सेवा करने को मचल गया और वो झाघो तक निडर हाथों को सहलाते बोला गज़ब की चिकनाई है मेमसाहब आपके जिस्म मे ।


मधु उनके बालों को पकड़ उनके चेहरे को अपने नंगे चिकने झाघो पर रखते उनके होंठो के छुवन से चित्कारती मारने लगी और न जाने किस हवस की आग मे तपते बोली ससुना है कालू तुम मसाज अच्छा करते हो वो शर्माता बोला बस मेमसाहब थोड़ा बहुत हुनर दिया है परमात्मा ने और मधु के कहने पर वो किचन जा सरसों तेल मे लहसुन दाल गरम करने लगा और विरजु बोला साहब आपका मसाज हम कर देंगे और मधु बोली देखो तेरे साहब को तगड़े हाथों से रगड़ पसंद है और विरजु बोला मेमसाहब चिंता न किजेए साहब एक दम खुश हो जाएंगे ।


मधु उठ कर मुझे उठा कर बेडरूम मे ले आई और बोली जी बड़ी तेज खुजली मच रही चुदवाने की ,मैं बोला थोड़ा सब्र कर लो और मज़ा आएगा जैसे कल रात वसंत के साथ कैसे मज़ा आया था वो बोली आप समझते नहीं और दरवाज़ा बंद कर के वो जीन्स खोल के मेरे मुँह पर फेंक के बोली इधर आ के चाटिए नहीं तोह सीधे चुदवाने चली जाऊँगी , मैं घुटनों पर बैठ मधु की चुत पैंटी के ऊपर से चाटने लगा वो अत्याधिक गीली थी और वो बोली पैंटी साइड कर के चाटिए न जी और मैं पैंटी खिसका के जीभ लगा चाटने लगा और वो चटवाती बोलने लगी क्या रंडी की तरह मेरी हालत हो गयी मर्द देखते रुका नही जाता जी और मैं जीभ घुमा बस चाटने पर लगा रहा और जल्द ही मधु एक पिचकारी मारती झड़ गई और बोली चलिए अब थोड़ी देर तस्सली मिलेगी मुझे नही तोह सोच रही थी सीधे चुदवा लू और उठ कर मेरे होंठो को चूस वापस जीन्स पहन के बोली चलिए यहीं बिस्तर पर दोनों को आमंत्रित करते है और मैं मधु को बोला तुम लेट जाओ मैं लेते आता हूँ दोनों को वो हँसते बोली आप तोह मेरी खुशी के लिए न जाने कहाँ कहाँ से मर्द लाएंगे और मैं हँसते बाहर आ विरजु को इसारे से बुलाया और कालू भी तेल की कटोरी चिमटे से पकड़ा किचन से निकला और मैं दोनों को बैडरूम के अंदर बुला के बोला आओ यहीं मसाज कर दो और कालू मधु के पास जा कर खड़ा हो गया और कटोरी बिस्तर पर रख के बोला मेमसाहब कहाँ कहाँ दबाना है मधु होंठो को दाँतो तले दबाती बोली सर से पॉव तक मसल दो कालू वो मधु को गौर से देखते बोला मेमसाहब जैसा आप कहे और लुंगी उठा के कमर पर मोड़ हल्का तेल अपने हाथों पर मलते मधु के तलवे को सहलाते बोला गर्म तोह नही ज़्यादा मालकिन ,मधु जन बुझ करहाती बोली नही कालू और वो ऐसे मादक आवाज़ सुन रोमांचित हो मधु के पाव के पास बिस्तर पर बैठ दोनों पैरों को अपने झाघो पर रख मधु को और उतेजित कर दिया और मधु की नज़र कालू पर टिक गई ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 03-09-2020, 10:03 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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