02-09-2020, 08:51 PM
दरवाज़े पर दस्तक देते ही शालिनि भाभी ने दरवाजा खोला और शर्मा जी को देखते चौक गईं और बोली कहाँ थे कब से ढूंढ रहीं आपको , भाभी की बेशर्म बात सुन मेरी हँसी निकल गईं और मैं बोला क्या भाभी इतना सफेद झूठ कैसे बोल लेती है आप और शर्मा जी बेबस लाचार सक्ल बनाये खड़े थे और भाभी बोली क्या झूठ ओर मैं भाभी के पास जा कानों मे बोला बना लिजेए गांडू इनको भी, सब पता है आपकी रंगीन दुनिया के हरकतों का और वो शरमाते बोली वाह देवर जी फिर तोह जांच आती हुँ, कहते वो शर्मा जी का हाथ पकड़ अपने घर की और चल पड़ी और मैं अंदर पहुँच देखा तोह मेरी मधु गुलाबी ब्रा पैंटी पहन पीले रंग की चुस्त टॉप पहन रहीं है और वहीं उसके मदमस्त गाँड को ढकने के लिए एक छोटी जीन्स की पैंट पड़ी है ,मधु मुझे देख बोली आप आ गए जी ,क्या लगता है वो दोनों देहाती मज़दूरों को मेरी ये जवानी ऐसे कपड़ो मे पसंद आएगी और मैं मधु के पीछे पहुँच उसके कमर को पकड़ गर्दन को चूमते बोला दोनों तुझे मदमस्त चोदेगा मेरी जान और वो मुड़ कर मेरे होंठो को चूमते बोली सच मेरे स्वामी ,क्या आप भोग लगाओगे मेरे जिस्म से उन मर्दो के गाढ़े सफेद मलाई का ,मैं हँसते बोला बिल्कुल मेरी भाग्यवान ।
मधु पूर्णतः अपनी चुदाई को उत्सुख ओर उत्साहित अपने योवन को निखारने मे लग गईं और मैंने मधु को शर्मा जी से हुई बातचीत सुनाई और वो बोली चलिए अच्छा हुआ अब दीदी खुल के घर पर ही प्यास बुझा लेगी और मधु के जबाब से लगा कि वो पूर्ण रूप से हवस की दलदल मे समाहित हो चुकी हैं और फर्क किसी बात का नहीं, बस वो अपनी जिस्म की इच्छाओं को शान्त करने पर धयान मग्न थी ।
सुनिए जी अब मोनिका को क्या बुलाना रहने देती हूँ क्या कहते है आप ,जैसा तुम्हें ठीक लगे मुझे लगता है भाभी भी नहीं आने वाली ,मधु हँसते बोली अब पति का साथ मिल गया तोह यहाँ क्यों आएंगी अपने घर पर ही न किसी को बुला लेगी अपने लिए और अपने पति के गाँड के लिए, मधु की तिरछी नज़र देख मेरी गाँड मे एक सनसनी उठ गई और वो बोली आप तोह आज मेरे साथ अपना भी तोह मरवाईयेगा न ओर मैं करीब जा बोला हाँ मेरी प्यासी बीवी और वो खुश होते बोली सच कहूँ भगवान ने मुझे आपकी अर्धागनी बना के धन्य कर दिया है और हम दोनों रोमांचित हो एक दुज़े कि बाहो मे लिपट गए ।
खैर मेरे और मेरी धर्मपत्नी के विचार पूरी तरह सहज और एक दूसरे के प्रति विश्वास भरा था जिस वजह आज हम दोनों बिना किसी हिचक कामवासना का लुप्त उठाने को तत्पर थे ।
ठीक शाम सात बजे दरवाज़े पर दस्तक हुई और मैंने विरजु और कालू को देखा, दोनो का काया एक दम तगड़े देहाती मर्द सा था , वो बड़े विनम्र और हँसमुख थे , अंदर आ विरजु और कालू ने मेरे पाव को छुवा और बोले मालिक ज़रा देर हो गईं और उनके मैले कपड़े देख मैं समझ गया दोनों मजदूरी कर आये है और मैं मधु को आवाज़ लगाई और वो मधु को देखते ही आँखों मे चमक लिए झुक कर उसके चरण को छू कर बोले मेमसाहब आप अत्यंत खूबसूरत है और मधु हँसती इठलाती कालू के मर्दाना बाजू को अपने कोमल हाथों से टटोल कर बोली तुम बड़े तगड़े मर्द हो और विरजु ने स्वतः ही अपनी स्वास रोक छाती चौड़ी कर दी जो देख मधु बोली विरजु तुम दोनों तगड़े हो और दोनों प्रसंचित हो उठे ।
मैंने दोनों को तौलिया दिया और गुसलखाने की और इशारा करते बोला जाओ नहा लो थोड़ी थकान कम हो जाएगी ,कालू बोला माई बाप मेमसाहब को देख थकान बची कहा और हँसते गुसलखाने की और चल दिये ,उनका मट मैला थैला मैंने किनारे रखते मधु को खींच कर बाहो मे जकड़ कर बोला जान ये दोनों आज तुझे स्वग दिखा देंगे और उसके चुत पर हाथ फेरते पूछा पानी छोर दी कि नहीं तुम वो शर्माते बोली कालू के बदन को छूते बह गई कुछ बूंदें मेरे स्वामी ।
एक तगड़े चुम्बन से मधु ने मेरे जिस्म को हज़ारों झटके दे घायल कर दिया और इठलाती मटकती चलते बोली चाय बना लाती हुँ फिर दोनों के गोद पर बैठ पियेंगे हम दोनो चाय और मैं दौड़ मधु को पीछे से पकड़ बोला मेरी जान मुझे साड़ी पहना तोह दे वो हँसते बोली आपकी सुहागरात यादगार मनेगी चिंता न किजेए अभी तोह ये आये है आते ही थोड़े न भोग लगाने दूँगी ,इत्मिनान रखिये और उनके लिए लुंगी निकाल लाइए ।
मधु पूर्णतः अपनी चुदाई को उत्सुख ओर उत्साहित अपने योवन को निखारने मे लग गईं और मैंने मधु को शर्मा जी से हुई बातचीत सुनाई और वो बोली चलिए अच्छा हुआ अब दीदी खुल के घर पर ही प्यास बुझा लेगी और मधु के जबाब से लगा कि वो पूर्ण रूप से हवस की दलदल मे समाहित हो चुकी हैं और फर्क किसी बात का नहीं, बस वो अपनी जिस्म की इच्छाओं को शान्त करने पर धयान मग्न थी ।
सुनिए जी अब मोनिका को क्या बुलाना रहने देती हूँ क्या कहते है आप ,जैसा तुम्हें ठीक लगे मुझे लगता है भाभी भी नहीं आने वाली ,मधु हँसते बोली अब पति का साथ मिल गया तोह यहाँ क्यों आएंगी अपने घर पर ही न किसी को बुला लेगी अपने लिए और अपने पति के गाँड के लिए, मधु की तिरछी नज़र देख मेरी गाँड मे एक सनसनी उठ गई और वो बोली आप तोह आज मेरे साथ अपना भी तोह मरवाईयेगा न ओर मैं करीब जा बोला हाँ मेरी प्यासी बीवी और वो खुश होते बोली सच कहूँ भगवान ने मुझे आपकी अर्धागनी बना के धन्य कर दिया है और हम दोनों रोमांचित हो एक दुज़े कि बाहो मे लिपट गए ।
खैर मेरे और मेरी धर्मपत्नी के विचार पूरी तरह सहज और एक दूसरे के प्रति विश्वास भरा था जिस वजह आज हम दोनों बिना किसी हिचक कामवासना का लुप्त उठाने को तत्पर थे ।
ठीक शाम सात बजे दरवाज़े पर दस्तक हुई और मैंने विरजु और कालू को देखा, दोनो का काया एक दम तगड़े देहाती मर्द सा था , वो बड़े विनम्र और हँसमुख थे , अंदर आ विरजु और कालू ने मेरे पाव को छुवा और बोले मालिक ज़रा देर हो गईं और उनके मैले कपड़े देख मैं समझ गया दोनों मजदूरी कर आये है और मैं मधु को आवाज़ लगाई और वो मधु को देखते ही आँखों मे चमक लिए झुक कर उसके चरण को छू कर बोले मेमसाहब आप अत्यंत खूबसूरत है और मधु हँसती इठलाती कालू के मर्दाना बाजू को अपने कोमल हाथों से टटोल कर बोली तुम बड़े तगड़े मर्द हो और विरजु ने स्वतः ही अपनी स्वास रोक छाती चौड़ी कर दी जो देख मधु बोली विरजु तुम दोनों तगड़े हो और दोनों प्रसंचित हो उठे ।
मैंने दोनों को तौलिया दिया और गुसलखाने की और इशारा करते बोला जाओ नहा लो थोड़ी थकान कम हो जाएगी ,कालू बोला माई बाप मेमसाहब को देख थकान बची कहा और हँसते गुसलखाने की और चल दिये ,उनका मट मैला थैला मैंने किनारे रखते मधु को खींच कर बाहो मे जकड़ कर बोला जान ये दोनों आज तुझे स्वग दिखा देंगे और उसके चुत पर हाथ फेरते पूछा पानी छोर दी कि नहीं तुम वो शर्माते बोली कालू के बदन को छूते बह गई कुछ बूंदें मेरे स्वामी ।
एक तगड़े चुम्बन से मधु ने मेरे जिस्म को हज़ारों झटके दे घायल कर दिया और इठलाती मटकती चलते बोली चाय बना लाती हुँ फिर दोनों के गोद पर बैठ पियेंगे हम दोनो चाय और मैं दौड़ मधु को पीछे से पकड़ बोला मेरी जान मुझे साड़ी पहना तोह दे वो हँसते बोली आपकी सुहागरात यादगार मनेगी चिंता न किजेए अभी तोह ये आये है आते ही थोड़े न भोग लगाने दूँगी ,इत्मिनान रखिये और उनके लिए लुंगी निकाल लाइए ।