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Thriller कामुक अर्धांगनी
अन्तर्वासना के शांत होने के पश्चात शालिनि भाभी बड़े कमुक अंदाज़ मे बोली चलो अब जरा रंगीन रात की त्यारी भी की जाए ,मेरे जिस्म का रोम रोम लड़ के झटकों को मचल रहा ओर मधु भी नए लड़ की प्यास को उछल रही ओर प्यासे को भरपूर मज़ा देने के लिए माहौल भी होनी चाहिए नही तोह पालगतोड़ मोहबत नही मिलेगी ओर जिस्म मे एक कसक रह जायेगी ।


मधु बड़े सलिन अंदाज़ मे अपनी दीदी के जिस्म से लिपट उनके होंठो को चूमती बोली दीदी माहौल तोह खूब रंगीन बना दूँगी बस आप मार्गदर्शन करती जाओ और आप देखना की जिस मर्द के कदम यहाँ पड़े वो संतुष्ट लड़ लिए लौटेगा भले मेरा जिस्म दर्द से टूटा पड़ा रहेगा बिस्तर पर , भाभी ने मधु के केसों को पकड़ खिंचते बोली धंदेवली बन गईं तू मेरी बहन अब मज़ा आएगा जब हम दोनों के प्यासे जिस्मों को रौंद मर्द आहे भरते पसिने से तरबतर थक हार बैठ जाएंगे और मेरा देवर उनको पानी पिला बोलेगा श्रीमान थोड़ी और चुदाई कर दीजेए मेरी अर्धागनी और भाभी की प्यास अधूरी है और वो जोश मे बोलेगा क्यों नहीं ऐसी रंडिया रोज कहाँ मिलती है आज रात इनको परमसुख दे के ही जाऊँगा ।



मेरी बहन का योवन उफान मारते बोला भाभी मैं भैया के साथ मर्दो की सेवा करूँगी की कोई कमी न रह जाए और आप दोनों पूर्ण संतुष्ट हो जाओ । 



मधु उठ शालिनि भाभी के साथ हॉल को साफ करने निकल पड़ी और मैं मोनिका के संग बेडरूम को वेवस्तित करते हम दोनों प्रसन्न चित मन से एक दुज़े को देखते रहे ।


कुछ ही पल मे बिस्तर सज गई और नई साफ सुथरी चादर डाल कमरे मे पड़े फालतू बिखरे समान को हटा कर मैं और मेरी बहन गुसलखाने मे दाखिल हुए और ठंडे पानी के झरने के नीचे एक दुज़े से चिपक वापस अठखेली करते और एक दुज़े के बदन को हाथों से मल साफ करते ,मेरी बहन की नीबूरिया मैंने साबुन के झाग से रगड़ रगड़ यू मसला की उसकी निपल्लों पर तनाव आ बैठा और घर्षण से उसे रोमांचित करने लगा ओर वो मेरे मुंफली को आडो सहित बड़े आराम से अपने कोमल हाथों से रगड़ साफ करने लगी , ऐसे माहौल मे मेरी बहन का योवन दमक रहा था और मैंने उसे पलट गर्दन से गाँड तक साबुन मल ओर उतेजित किया जिस वजह वो हाथों को पीछे कर मेरे जिस्म को अपने जिस्म पर चिपकने को आतुर होने लगी पर मेरा इरादा न था कि ऐसा हो ओर मैंने उसके झाघो पर हाथ फेरते चुत ओर गाँड दोनों साथ लिए साबुन से रगड़ने लगा और साबुन की टिकिया चुत के गहराई मे धकेल बोला बहना ज़रा साबुन को अपने योवन रस से भर दो की मैं जिस्म पर साबुन मल तेरे योवन के खुसबू से महक उठु और वो लजाती बोली भइया आप बड़े गंदे हो और पलट मेरे छाती से लिपट खुद को रगड़ने लगी और मैंने गाँड की दरारों को सहलाया ओर साबुन से जलन उठ गई ओर मेरी बहन की सिशकिया फूटने लगी और वो अहह करती बोली भइया अपने तोह मेरी गाँड जला दी ।


मोनिका के सर पर तेज़ फवारे गिर उसके केसों को उसके चेहरे पर चिपका रहे थे जिसे देख मेरा मन अजीब उन्माद पाने लगा था और बहन की आँखे हवस से भरी पड़ी थीं ,यू बहनचोद तो बन गया था परंतु जिस उम्र की मेरी बहन थी बेटी सी जान पड़ती ओर इस कारण खुद को सम्हाले रखना असंभव था । खैर अब कोई दूरी या लोक लाज बची तोह थी नहीं सब हवस मे पहले ही लुटा दिया था और मेरे हाथों ने उसके नीबूरियों को जकड़ ज़ोर से दबाया ओर वो मचल बोली भइया आप मुझे यू सताया न करो बड़ी आग लग जाती है मेरे अंतर्मन मे ,बहन की निर्लज्जता और सादगी दोनों मेरे नामर्द जिस्म को मर्द बना देने के लिए काफी था और मुंफली पर पुरुसार्थ हावी हो उठा जो फ़ौरन बहन के हाथ लग बैठा और आँखों मे चमक लिए वो खेलने लगी मानो उसकी मुराद पूरी हो गईं हो ।


अब यू तोह मे दिनों तक तनाव नहीं महसूस किया अपने लिंग पर अपितु हमेशा यही सोचा कि नामर्द हुँ पर ये एहसास कच्ची बहन ने बखूबी दिलाया कि मेरे भइया मर्द है ओर अभिलंब मैंने भी मर्दाग्नि प्रदशित करने के लिए बहन को गुसलखाने की दीवार पर झुका उसकी गाँड पर हाथ फेरते बोला अरे बहना ज़रा झुक के मूंगफली के लिए रास्ता तोह बना दे और वो कमर झुका गाँड की उभार को अपने भाई के मूंगफली के लिए खोली ओर मैंने भी बड़े आराम से चूतड़ को हाथों से थपेड़े मरता पूछा बोल मेरी बहना गाँड मारू या चुत सेकु ,वो इठलाती अपनी नीबू को दीवार पर दबाती बोली भइया थोड़ी थोड़ी दोनों ही सेक दो और मैंने उसके चुत से साबुन निकाल लिंग को झटके से डाला ओर भाव देख जान पड़ा जहाँ वसंत ने खुदाई की हो वहाँ मैं मर्द बन के भी सिंचाई नहीं कर सकता इशलिये फौरन लड़ को बहन की गाँड पर लगा झटका दिया ओर वो मचल बोली क्या भइया कभी तोह बहन से प्यार करो क्यों यू रंडी समझ दर्द देते हो और मैं उसके जिस्म से चिपक बोला क्या करूँ मेरी बहन तेरी चुत मेरे काम की नहीं और तेरी गाँड कुछ ही दिन मेरे लिंग को सुख दे पाएगी फिर अगर किसी मर्द ने ये खेत जोत दी तोह बस तेरा भइया जीभ से सींचेगा खोद न पायेगा और वो बड़े मासूम अंदाज़ मे बोली भइया तेरी ये बहन कसम खाती है कि ये गाँड यू ही अपने भैया के लिए बिना खोदे रहेगी बस अब योवन लूटेगी भी तोह निगोड़ी चुत ही बाटूंगी गाँड कोई हाथ लगाया तोह उसका लड़ काट खाऊँगी ,बहन के ज़ज़्बात सुन मेरा अंतर्मन गदगद हो बहन की सकरी गाँड चोदने लगा और वो गाँड हिला साथ देती करहाने लगी कि मधु संग भाभी आ पहुँची और मुझे यू चुदाई करते देख बोली क्या जी सौतन बना ही दोगे मेरी ननद को , मेरी चुदाई रुकी नहीं और भाभी मेरी गाँड पर थपड़ मारती बोली देवर जी मरवाओगे न अपनी बहन बीवी भाभी के सामने अपनी गाँड ओर मैं हवस की आग मे तपता बोला हाँ मेरी नथ आज उतरवा दो भाभी तब कहि मेरी बीवी के कलेजे को ठंडक आएगी की मे शोत नहीं बना रहा अपनी बहन को ओर गांडू नामर्द ही हुँ बस बहन के प्यास मे कुछ पल मर्द बन बैठा हूँ और ये सुनते मेरी अर्धागनी बोली हये तोबा ऐसा क्या कमी है मेरी जवानी मे जो आपको एक पल मर्द न बना पाई , कमी नही मेरी जान तेरे गदराए जवानी मे बस कसक मुझे मिली बहन की चुदाई मे ।


भाभी मेरी गाँड सहलाते बोली कालू तेरी ये गाँड देख खुश हो जाएगा देवर जी, हये क्या गोल गाँड है मेरे गांडू देवर का और उनकी उँगली दरार पर पड़ते मेरी हालत बिन पानी मछली सी बन गई थी कि एक उँगली के दबाद से मेरा पुरुसार्थ जवाब दे बैठा और मैं छण भर मे दो बूंद उगल ढीला हो गया और बहन बोली हये भइया क्या सच मे आप भाभी के छुवन से झड़ गए और मेरी प्रतिष्ठा कोड़ी के भाव लूट गई और मधु बोली ननद जी मेरा पति पैदासि गांडू है और पक्का गांडू तेरे सामने बनेगा अब कितनी भी चिपको अपने भइया से मुझे डर नहीं अब जान गई इनका जोश एक उँगली से ठंडी कैसे करनी है ।

अब मेरी मर्दाग्नि तोह भाभी ने पल मे उतार दी थी ओर मैं खुद गाँड मरवाने को तैयार था ऐसे मे लोक लाज कहाँ बचती है ऊपर से थोड़े देर सही बहन ने मर्द बना अनोखा सुख तोह दिया ही था और अब दिल मांगे भी तोह क्या । मैंने खुद को साबुन लगा धोया और बहन के साथ मुँह लटका बाहर निकल आया ओर मधु अपनी दीदी संग चिपक झरने के नीचे अठखेली करती मेरी नामर्दी की बातें करने लगी ओर मेरी बहन मुझे सीने से लगा बोली भइया जो हो बहन की गाँड आपकी ही रहेगी और वो अपने वस्त्र पहन थोड़े असमंझस भाव लिए चलते चलते बोली भाभी को याद से भेझ दीजेएगा , भइया कही मेरे बिना नथ न उतरवा लिजेएगा ओर अगले पल मैं अकेला महसूस करता आईने के सामने बैठ खयालो मे खोया था कि मधु की तेज आवाज ने मुझे वापस धरातल पर ला पटका ओर वो ताने भरे स्वर मे बोली लगता है आपको बड़ी जल्दी है दुल्हन बन मरवाने की ओर भाभी मधु के साथ नीचा दिखाते बोली गांडू को जल्दी नहीं रहेगी क्या ।



न जाने क्यों मेरा मन अंदर से पूर्णरूपेण उदास हो गया था ओर कुछ अजीब उधेड़बुन मे था कि मधु अलमारी से कुछ पचिमी सभ्यता वाले परिधान निकाल बोली कब तक देसी बन रंडियापा करूँगी आप बोलो तोह यहीं पहन लेती हूँ वैसे भी सुहागरात आपकी है मेरी तोह कल ही मन गईं और वो दाँत कीच हँसने लगी पर मुझे मुरझाया देख दोनों औरतें मेरे आजु बाजू खड़ी हो गाल को खिंचते बोली क्या जी क्या हुआ अब क्या बताऊँ उनको जब खुद को पता नहीं हुआ क्या और फिर भाभी कान पकड़ बोली क्या देवर जी मेरी किसी बात से नाराज़ है और जबाब न मिला तोह मेरी अर्धागनी कान पकड़ बोली क्या मुझसे कुछ भूल हुई ।


मैं भाभी और मधु को गौर से देख बोला ऐसा नहीं कुछ बस न जाने क्यों मन अशांत और उदास हो गया और भाभी बच्चे सी मुझे पुचकारती बोली देवर जी एक काम करो आप बाजार घूम आओ अब ऐसे मे थोड़ा हल्का महसूस करेंगे और वो मधु के साथ किचन जाते बोली लगता है कार्यक्रम बंद करना पड़ेगा तेरा मरद उदास है और अगर वो खुश नही तोह विस्वास कर जितने भी लौड़े ले लेगी चुत को मज़ा नहीं आएगा और ये सुन मे कपड़े पहन बाहर निकल आया और पनवाड़ी के बगल बरगद पेड़ के नीचे जा बैठा और पंछियों की सोर सुनता खुद के अशांत मन को समझने की कोशिश करने लगा , पर कहते है ना जब आप उदास हो और अकेलेपन मे दो पल गुज़रने को बेताब हो तभी सम्पूर्ण दुनिया आपके करीब आने को तत्पर रहती है और ऐसा ही हुआ और शर्मा जी पान की पिचकारी रोड पर मारते बगल मे बैठ बोले सब ठीक ठाक तोह बड़े मायूस से लग रहे कही भाभी जी से अन बन तोह नहीं हो गईं , मैं ना मे सिर हिला उनको जबाब दिया और वो मेरे कंधे पर अपनी हाथ रखते बोले एक बात कहुँ कड़वी है पर सच है कि तुम्हारी बीवी सच मे तुम्हारे साथ है मेरी बीवी की तरह नहीं ,मैं टोकने ही वाला था कि वो इशारे से मुझे रोक बोले देखो ये जो संभोग की प्यास होती है ना , ये कभी पूर्ण नहीं होती वैसे ही जैसे समुन्दर कभी नदियों के पानी से भरता नहीं और न कभी नदी का मीठा जल खारे पानी से मिल मीठा रह पाता है ,वैसे ही तेरी भाभी ने तोह गली गली मुँह काला करवाया ओर ये सोच वो खुश है कि मेरे पति को कुछ पता नहीं पर तुम बताओ क्या घृणा कर मैं शालिनि को पा लूँगा,  क्या वो मुझे सच बोल पाएगी ,नहीं ना , अब वसंत को देख मुझे लग गया था कि तुम मधु के लिए उसको बुलाये या विवश हो मधु के सामने झुके , जो भी बात हो पर इतना मजबूत तुम दोनों का प्यार तोह है कि जो भी मर्यादा टूटी तुम दोनों के नज़र के सामने टूटी , मेरी तरह पीठ पीछे तुझे कोई टोक बोल नहीं पायेगा न कि तेरी जोरू तोह फलाने के यहाँ रंगरेलियां मना रही और हीन नज़र से देख बिना थूके चेहरे पर थूक देगा , अब सोचते क्या हो जब अपनी खुशी से मधु के सुख के लिए कुछ किये हो तोह उदासी क्यों बाकी बस ध्यान रहे मेरी तरह गली मे रुसवा न होना ।



शर्मा जी की बातें सुन मेरा उदास मन तोह ये भूल बैठा की उदास क्यों था पर उनकी व्यथा सुन आँख भर आईं और मैं बोला भाईसाहब आप सब जानते तोह भाभी को क्यों नहीं समझाते , वो बोले अब एक बूढ़ा ऐसी रंडी को क्या समझाए जो खुद गली गली मेरी इज़्ज़त लुटाती फिरती है और क्या मिलता है बस चंद पल का सुख ,बोलो क्या इस सुख के लिए मैं काफी नहीं और ये सुन मेरा अंतरमन गदगद हो सोचने लगा मूंगफली भला क्या सुख देगा जब गहरी खाई की प्यास बुझानी हो  , कोई गोताखोर ही डुबकी मार गहराई नापेगा और मुझे यू प्रसंचित मुद्रा मे देख वो बोले वाह अजीब है आप अपने हो कर मेरी वेदना पर हँस रहे और मैं ठहाके मार बोला शर्मा जी एक बात बताइए गहरी खाई क्या एक छोटे डंडे से नापी जा सकती है भला ,वो बोले बिल्कुल नहीं , वहीं तोह शालिनि भाभी के टाँगों के बीच जो खाई है वो आपके डंडे से नापि नहीं इस कारण वो गोताखोरों को मौका देती ज़रा दूर निकल गई क्योंकि समय के साथ आपने खाई की दीवारों को दाँतो तले रगड़ा नहीं अगर रगड़ देते तोह आज भाभी आपकी पगड़ी उछाल मुजरा नहीं करती , ये सुन शर्मा जी बोले क्या बताऊँ कोशिश की थी पर जी न लगा चाटने मे , अब अगर जी आपका न लगा तोह बाहरी मर्दों ने लगा दिया और देखिये क्या कुरेदा है सबने की वो मोहल्ले की रंडियो की मालकिन है ।


शर्मा जी बड़े विनम्र भाव से बोले आज दिन से देख रहा आपके यहाँ बड़ा चहल पहल है क्या अब मेरी शालिनि मुझे एक मौका दे सकती है ।


हाँ शर्मा जी देगी मौका पर फिर आपको भी उनकी हर बात बिना शर्त माननी पड़ेगी ।


पक्का अब यू भटक भटक थक गया हूँ बस किसी तरह मुझे भी ऐसे माहौल मे ले चलो और मैं हँसते बोला चलिए फिर देर किस बात की और गुलकंद वाली पान बनवा लिजेए आप अपनी और मेरी बीवी के लिए क्योंकि अब सब बेपर्दा ही मिलेंगे आपको ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 30-08-2020, 11:16 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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