30-08-2020, 09:03 PM
मैं जानती थी अब क्या होना है और वही हुआ ,
इनकी माँ बहन को गाली , उनका नाम लेकर छेड़ना , वियाग्रा से ज्यादा काम करता था , ... रात में तीन चार बार के बाद भी जैसे ही मैं उस दर्जा आठ वाली का नाम ले के उन्हें छेड़ती थी , ... लोहे का खम्भा झूठ , ... ऐसा कड़ा खड़ा और फिर मेरी रगड़ाई तय होती थी , ...
और वही हुआ , ... चूँची मसलने के साथ साथ वो पीछे से ही कम्मो के चूतड़ों पर ऐसे जोर जोर के धक्के मार रहे थे जैसे उसकी गाँड़ मार के रहेंगे।
और उनकी भौजाई कौन कम छिनार , वो भी अपने बड़े बड़े चूतड़ रगड़ के ,... साडी तो उनकी पहले ही खेत रही थी वो अब सिर्फ पेटीकोट में और उनके देवर बनियाइन , पाजामें में ,...
लेकिन चुदाई और होली में कब कौन पलटी मार जाए पता नहीं चलता , वही हुआ , ... अब बाजी भौजी के हाथ में थी ,
वही पहले गुदगुदी , ... फिर कम्मो ने पीछे पीछे से उनकी भीगी बनयायिन खींची ,
चररर , ... फट के हाथ में आ गयी ,
और जब तक वो सम्हलते उनकी भौजी ने उनके दोनों हाथ पीछे करके उन्ही की फटी बनयाईन और अपने फटे ब्लाउज से बाँध दिया था ,
फिर गुलाबो ने कड़ाही की कालिख , लाल , बैंगनी रंग का जबरदस्त कॉकटेल बना के अपने हाथ में रगड़ा और ,
पाजामा फटा नहीं , बस आराम से भौजी ने नाड़ा खोल दिया ,
( कल यही तो मैं सास से शिकायत कर रही थी , दो दो भौजाई और देवर का नाड़ा न खुले , ... लेकिन किसी किसी दुलहन का नाड़ा अगर कुछ बहाना वहाना बना के गौने की रात खुलने से बच भी जाता है तो अगले दिन तो शर्तिया खुलता है , बस वही हालत कम्मो भौजी के देवर की हुयी ,
नाड़ा खुल गया और रंग में लथपथ पैजामा उनकी कम्मो भौजी ने उछाल के फेंक दिया , मेरी ओर
और बरामदे में बैठी बैठी मैंने उसे कैच कर लिया , आखिर इतना तो मेरा हक भी था और जिम्मेदारी भी , ... आखिर उनकी कम्मो भौजी की देवरानी थी मैं ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,
लेकिन उसकी आजादी क्षणभंगुर थी , जैसे कम्मो के चोली फटने के बाद आज़ाद जोबन उनके देवर के हाथों में कैद हो गए वैसे ही
उनके देवर के पाजामा खुलने के बाद , आजाद खूंटे को कम्मो के हाथों ने कैद कर लिया ,
फिर तो पहले कालिख , बैंगनी लाल रंग की कॉकटेल , और फिर सफ़ेद पेण्ट
साथ में भौजी जबरदस्त मुठिया रही थीं , सुपाड़ा एकदम खुला , ... फूला , बौराया ,...
अब लग रहा था देवर भाभी की होली हो रही है ,...
मान गयी मैं उनकी कम्मो भौजी को , असल होली , देवर भौजी की आज हो रही थी ,
एकदम खुल्लम खुल्ला ,
जैसे देवर भौजाई , ननदोई सलहज , और जीजा साली की होनी चाहिए ,...
क्या जबरदस्त मुट्ठ मार रही थीं अपने देवर की , रंग पेण्ट कालिख का जबरदस्त कातिल कॉकटेल , सुपाड़ा एकदम खुला
और बित्ते भर का लंड भौजी की दायीं मुट्ठी में कसा ,
भौजी भी समझ गयीं थीं देवर उनका लम्बी रेस का घोडा है , केतना भी जोर जोर से मुठियाएंगी वो पिघलने वाला नहीं ,
लेकिन कम्मो भौजी सिर्फ अपने देवर का लंड ही नहीं मुठिया रही थीं , जो रंग उनके देवर ने चोली फाड़ कर उनके जोबना में मला था पीछे से देवर की पीठ पर ,
दायां हाथ में कम्मो के इनका लंड था , मोटा तन्नाया , पर बायां हाथ तो खाली था ,
और वो उनके चिकने पिछवाड़े पर , सफ़ेद वार्निश पेण्ट रगड़ रगड़ कर , ... और साथ में दो ऊँगली , पिछवाड़े के छेद पर और साथ में उनकी भौजी की गालियां
" स्साले किसके लिए कोरा बचा के रखा है , असों होली में तोहार गाँड़ जरूर फटी , एकदम तोहरी बहिनिया की तरह कोर हो , एक बार खुल जाए न तो देखना एक से एक मोटा लंड तोहरी गाँड़ में जायेगी ,
में बरामदे में बैठी कम्मो को उकसा रही थी , इन्हे चिढ़ा रही थी और सोच रही थी कम्मो की बात एकदम सही है , इस होली में तो इनके पिछवाड़े की नथ उतरनी तय है , कोहबर में तो कैसे कर के बच गए , लेकिन सलहज सास सब ने बोल रखा था , जब ससुराल आओगे न तो बचेगी नहीं , और ये तो होली में , वो भी दस दिन के लिए , .. रीतू भाभी रोज याद दिलाती थीं मुझे , नन्दोई के पिछवाड़े वैसलीन लगाया की नहीं , ...
मैं अपनी जेठानी की कम्मो की ओर थी , लेकिन ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी में होली नहीं होगी , ... पर शुरआत कम्मो ने ही की ,
इनकी माँ बहन को गाली , उनका नाम लेकर छेड़ना , वियाग्रा से ज्यादा काम करता था , ... रात में तीन चार बार के बाद भी जैसे ही मैं उस दर्जा आठ वाली का नाम ले के उन्हें छेड़ती थी , ... लोहे का खम्भा झूठ , ... ऐसा कड़ा खड़ा और फिर मेरी रगड़ाई तय होती थी , ...
और वही हुआ , ... चूँची मसलने के साथ साथ वो पीछे से ही कम्मो के चूतड़ों पर ऐसे जोर जोर के धक्के मार रहे थे जैसे उसकी गाँड़ मार के रहेंगे।
और उनकी भौजाई कौन कम छिनार , वो भी अपने बड़े बड़े चूतड़ रगड़ के ,... साडी तो उनकी पहले ही खेत रही थी वो अब सिर्फ पेटीकोट में और उनके देवर बनियाइन , पाजामें में ,...
लेकिन चुदाई और होली में कब कौन पलटी मार जाए पता नहीं चलता , वही हुआ , ... अब बाजी भौजी के हाथ में थी ,
वही पहले गुदगुदी , ... फिर कम्मो ने पीछे पीछे से उनकी भीगी बनयायिन खींची ,
चररर , ... फट के हाथ में आ गयी ,
और जब तक वो सम्हलते उनकी भौजी ने उनके दोनों हाथ पीछे करके उन्ही की फटी बनयाईन और अपने फटे ब्लाउज से बाँध दिया था ,
फिर गुलाबो ने कड़ाही की कालिख , लाल , बैंगनी रंग का जबरदस्त कॉकटेल बना के अपने हाथ में रगड़ा और ,
पाजामा फटा नहीं , बस आराम से भौजी ने नाड़ा खोल दिया ,
( कल यही तो मैं सास से शिकायत कर रही थी , दो दो भौजाई और देवर का नाड़ा न खुले , ... लेकिन किसी किसी दुलहन का नाड़ा अगर कुछ बहाना वहाना बना के गौने की रात खुलने से बच भी जाता है तो अगले दिन तो शर्तिया खुलता है , बस वही हालत कम्मो भौजी के देवर की हुयी ,
नाड़ा खुल गया और रंग में लथपथ पैजामा उनकी कम्मो भौजी ने उछाल के फेंक दिया , मेरी ओर
और बरामदे में बैठी बैठी मैंने उसे कैच कर लिया , आखिर इतना तो मेरा हक भी था और जिम्मेदारी भी , ... आखिर उनकी कम्मो भौजी की देवरानी थी मैं ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,
लेकिन उसकी आजादी क्षणभंगुर थी , जैसे कम्मो के चोली फटने के बाद आज़ाद जोबन उनके देवर के हाथों में कैद हो गए वैसे ही
उनके देवर के पाजामा खुलने के बाद , आजाद खूंटे को कम्मो के हाथों ने कैद कर लिया ,
फिर तो पहले कालिख , बैंगनी लाल रंग की कॉकटेल , और फिर सफ़ेद पेण्ट
साथ में भौजी जबरदस्त मुठिया रही थीं , सुपाड़ा एकदम खुला , ... फूला , बौराया ,...
अब लग रहा था देवर भाभी की होली हो रही है ,...
मान गयी मैं उनकी कम्मो भौजी को , असल होली , देवर भौजी की आज हो रही थी ,
एकदम खुल्लम खुल्ला ,
जैसे देवर भौजाई , ननदोई सलहज , और जीजा साली की होनी चाहिए ,...
क्या जबरदस्त मुट्ठ मार रही थीं अपने देवर की , रंग पेण्ट कालिख का जबरदस्त कातिल कॉकटेल , सुपाड़ा एकदम खुला
और बित्ते भर का लंड भौजी की दायीं मुट्ठी में कसा ,
भौजी भी समझ गयीं थीं देवर उनका लम्बी रेस का घोडा है , केतना भी जोर जोर से मुठियाएंगी वो पिघलने वाला नहीं ,
लेकिन कम्मो भौजी सिर्फ अपने देवर का लंड ही नहीं मुठिया रही थीं , जो रंग उनके देवर ने चोली फाड़ कर उनके जोबना में मला था पीछे से देवर की पीठ पर ,
दायां हाथ में कम्मो के इनका लंड था , मोटा तन्नाया , पर बायां हाथ तो खाली था ,
और वो उनके चिकने पिछवाड़े पर , सफ़ेद वार्निश पेण्ट रगड़ रगड़ कर , ... और साथ में दो ऊँगली , पिछवाड़े के छेद पर और साथ में उनकी भौजी की गालियां
" स्साले किसके लिए कोरा बचा के रखा है , असों होली में तोहार गाँड़ जरूर फटी , एकदम तोहरी बहिनिया की तरह कोर हो , एक बार खुल जाए न तो देखना एक से एक मोटा लंड तोहरी गाँड़ में जायेगी ,
में बरामदे में बैठी कम्मो को उकसा रही थी , इन्हे चिढ़ा रही थी और सोच रही थी कम्मो की बात एकदम सही है , इस होली में तो इनके पिछवाड़े की नथ उतरनी तय है , कोहबर में तो कैसे कर के बच गए , लेकिन सलहज सास सब ने बोल रखा था , जब ससुराल आओगे न तो बचेगी नहीं , और ये तो होली में , वो भी दस दिन के लिए , .. रीतू भाभी रोज याद दिलाती थीं मुझे , नन्दोई के पिछवाड़े वैसलीन लगाया की नहीं , ...
मैं अपनी जेठानी की कम्मो की ओर थी , लेकिन ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी में होली नहीं होगी , ... पर शुरआत कम्मो ने ही की ,