30-08-2020, 09:00 PM
कम्मो
सिर्फ हमी और कम्मो तो थे , तो हम लोगों ने साथ साथ खा लिया , हाँ वो जब रात को लौटे , तो मैंने उन्हें खूब हड़काया ,
वही कम्मो की बात लेकर , और थोड़ा बहुत झूठ का तड़का भी ,
"कम्मो बहुत नाराज थी आप से , आप उसे भौजी नहीं मानते वो कह रही थी। उसे भी पता चल गया की आपका मन तो बहुत करता है उसकी चोली में हाथ डालने का , जोबन जबरदंग हैं ही उसके , लेकिन होली में भी ,... वो कह रही थी , की उसकी बेइज्जती तो वो बर्दास्त कर लेती जबरदंग जोबन की बेइज्जती आज तक किसी ने नहीं की , ... कहीं वो काम वाली है इसलिए तो नहीं , ... ये बात उसने नहीं कही थी मैं कह रही हूँ ,
भूल गए ससुराल में नाउन क बहू कैसी रगड़ाई की थी और नाउन के बेटी भी , ... उन दोनों का तो छोडो सलहज , साली का रिश्ता लगता है , नाउन खुदे बोल रही थी , अपनी सलहज से पूछ लेना , आने दो पाहुन को सास का रिश्ता लगने से क्या होता है , होली ने नई उम्र की बहुओं का कान काटूंगी ,...
और चमरौटी , भरौटी वाली , पानी भरने वाली कहाईन , गुलबिया ,...सब ,... और ये सब ,...
" नहीं ये नहीं है , ऐसा कुछ नहीं हमने तो उनको हरदम भौजी माना है , माना का है , हैं ही लेकिन ,... "
जवाब उन्होंने दे दिया लेकिन ऐन मौके पर रुक गए।
" लेकिन क्या बताओ न साफ़ साफ़ , ... " मैंने पूछ लिया।
" मन तो मेरा बहुत कर रहा था उसकी चोली में हाथ डालने को , लेकिन मन कर रहा था की कहीं भौजी गुस्सा न हो जाये , फिर ,... फिर तुम भी बैठी थी सामने , ... "
ये भी न एक तो बहुत सीधे है , फिर लजाते भी कितना है , पता नहीं ये लड़का कैसे सुधरेगा , ... मैंने उनके कान का पान बनाया और प्यार से समझाया ,
" यार तेरी गलती नहीं है , जो बुद्धू होते हैं न बुद्धू ही रहते हैं ,... अरे बुद्धूराम , ... वो तो इन्तजार कर रही थीं , खुद मुझसे बोलीं , होली में देवर भाभी की चोली न खोले तो ये भाभी की बेइज्जती है , ... और मैं क्यों बुरा मानती। मैं तो इस बात का बुरा मान रही थी की चोली फटी नहीं , अरे ऊपर झाँपर से तो होली में हर कोई चोली दबा लेता है
देवर का हक तो सीधे चोली के अंदर का है , ... ससुराल जा के साली सलहज के सामने नाक कटाओगे , ... खैर चलो , अगर कल चोली नहीं फटी और तेरी कम्मो भाभी का पेटीकोट नहीं खुला तो मैं भी उनके साथ मिल के तेरा ,... "
गनीमत थी उनका फोन आ गया , ...उस रात उनकी कई कानफ्रेंस काल थी , इसलिए और कुछ तो होना नहीं था , ... थोड़ी देर मैं जगी रही , पर सो गयी।
देवर भौजी की असली होली अगले दिन हुयी सुबह सुबह ,
कम्मो भी तैयार थी और अब इनकी हिचक झिझक भी ,...
और मेरी जेठानी सास थे भी नहीं ,... इनकी और इनके कम्मो भौजी की होली अगले दिन कैसे शुरू हुयी , ये बताने का कोई मतलब नहीं , ...
देवर भाभी की होली तो कभी भी शुरू हो जाती है , कहाँ भी कैसे भी , और फागुन हो ,
कम्मो ऐसी रसीली जबरदंग जोबन वाली भौजी हो , जो अपने हर देवर को साजन बना के , ...
फिर तो , बस परेशानी इनकी झिझक की थी तो कल रात में मैंने इन्हे खूब हड़काया था , ...
और कम्मो को भी समझाया था , देवर तोहरे थोड़े ज्यादा सीधे हैं , तो तोहिंके ,...
फिर सुबह सुबह मैंने दोनों को , देवर को भी भौजाई को भी , डबल भांग वाली एक नहीं दो दो गुझिया भी , ...
मैं बरामदे में बैठी देख रही थी , मजे ले रही थी और आज मेरी सास जेठानी कोई थी भी नहीं ,
सच में होली देखने का भी ख़ास तौर से होली के रंगे पुते ,...
पहली बार ये अहसास मुझे दसवीं में हुआ ,
उसी साल बसंत कालेज , बनारस के एक कॉलेज में एडमिशन हुआ था आठ तक तो मैंने गाँव के कॉलेज में ही पढ़ाई की थी ,
सिर्फ हमी और कम्मो तो थे , तो हम लोगों ने साथ साथ खा लिया , हाँ वो जब रात को लौटे , तो मैंने उन्हें खूब हड़काया ,
वही कम्मो की बात लेकर , और थोड़ा बहुत झूठ का तड़का भी ,
"कम्मो बहुत नाराज थी आप से , आप उसे भौजी नहीं मानते वो कह रही थी। उसे भी पता चल गया की आपका मन तो बहुत करता है उसकी चोली में हाथ डालने का , जोबन जबरदंग हैं ही उसके , लेकिन होली में भी ,... वो कह रही थी , की उसकी बेइज्जती तो वो बर्दास्त कर लेती जबरदंग जोबन की बेइज्जती आज तक किसी ने नहीं की , ... कहीं वो काम वाली है इसलिए तो नहीं , ... ये बात उसने नहीं कही थी मैं कह रही हूँ ,
भूल गए ससुराल में नाउन क बहू कैसी रगड़ाई की थी और नाउन के बेटी भी , ... उन दोनों का तो छोडो सलहज , साली का रिश्ता लगता है , नाउन खुदे बोल रही थी , अपनी सलहज से पूछ लेना , आने दो पाहुन को सास का रिश्ता लगने से क्या होता है , होली ने नई उम्र की बहुओं का कान काटूंगी ,...
और चमरौटी , भरौटी वाली , पानी भरने वाली कहाईन , गुलबिया ,...सब ,... और ये सब ,...
" नहीं ये नहीं है , ऐसा कुछ नहीं हमने तो उनको हरदम भौजी माना है , माना का है , हैं ही लेकिन ,... "
जवाब उन्होंने दे दिया लेकिन ऐन मौके पर रुक गए।
" लेकिन क्या बताओ न साफ़ साफ़ , ... " मैंने पूछ लिया।
" मन तो मेरा बहुत कर रहा था उसकी चोली में हाथ डालने को , लेकिन मन कर रहा था की कहीं भौजी गुस्सा न हो जाये , फिर ,... फिर तुम भी बैठी थी सामने , ... "
ये भी न एक तो बहुत सीधे है , फिर लजाते भी कितना है , पता नहीं ये लड़का कैसे सुधरेगा , ... मैंने उनके कान का पान बनाया और प्यार से समझाया ,
" यार तेरी गलती नहीं है , जो बुद्धू होते हैं न बुद्धू ही रहते हैं ,... अरे बुद्धूराम , ... वो तो इन्तजार कर रही थीं , खुद मुझसे बोलीं , होली में देवर भाभी की चोली न खोले तो ये भाभी की बेइज्जती है , ... और मैं क्यों बुरा मानती। मैं तो इस बात का बुरा मान रही थी की चोली फटी नहीं , अरे ऊपर झाँपर से तो होली में हर कोई चोली दबा लेता है
देवर का हक तो सीधे चोली के अंदर का है , ... ससुराल जा के साली सलहज के सामने नाक कटाओगे , ... खैर चलो , अगर कल चोली नहीं फटी और तेरी कम्मो भाभी का पेटीकोट नहीं खुला तो मैं भी उनके साथ मिल के तेरा ,... "
गनीमत थी उनका फोन आ गया , ...उस रात उनकी कई कानफ्रेंस काल थी , इसलिए और कुछ तो होना नहीं था , ... थोड़ी देर मैं जगी रही , पर सो गयी।
देवर भौजी की असली होली अगले दिन हुयी सुबह सुबह ,
कम्मो भी तैयार थी और अब इनकी हिचक झिझक भी ,...
और मेरी जेठानी सास थे भी नहीं ,... इनकी और इनके कम्मो भौजी की होली अगले दिन कैसे शुरू हुयी , ये बताने का कोई मतलब नहीं , ...
देवर भाभी की होली तो कभी भी शुरू हो जाती है , कहाँ भी कैसे भी , और फागुन हो ,
कम्मो ऐसी रसीली जबरदंग जोबन वाली भौजी हो , जो अपने हर देवर को साजन बना के , ...
फिर तो , बस परेशानी इनकी झिझक की थी तो कल रात में मैंने इन्हे खूब हड़काया था , ...
और कम्मो को भी समझाया था , देवर तोहरे थोड़े ज्यादा सीधे हैं , तो तोहिंके ,...
फिर सुबह सुबह मैंने दोनों को , देवर को भी भौजाई को भी , डबल भांग वाली एक नहीं दो दो गुझिया भी , ...
मैं बरामदे में बैठी देख रही थी , मजे ले रही थी और आज मेरी सास जेठानी कोई थी भी नहीं ,
सच में होली देखने का भी ख़ास तौर से होली के रंगे पुते ,...
पहली बार ये अहसास मुझे दसवीं में हुआ ,
उसी साल बसंत कालेज , बनारस के एक कॉलेज में एडमिशन हुआ था आठ तक तो मैंने गाँव के कॉलेज में ही पढ़ाई की थी ,