08-03-2019, 12:36 PM
मैं उनकी चिकनी और गीली चूत पर हाथ फिराता रहा. कुछ देर बाद लता ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया. मेरा मोटा और बड़ा लंड पैंट को फाड़ रहा था. लता ने लंड की पूरी लंबाई और मोटाई अपने हाथ से नाप ली थी. वह बिल्कुल गर्म हो गई और चुदास से भर गई थी. हम ऐसे ही एक दूसरे के अंगों को छेड़ते और मसलते रहे.
थोड़ी देर में इंटरवल हो गया. हमने अपने कपड़े ठीक किये, लता की चूत पानी छोड़ चुकी थी.
लता बोली- राज! चलो, घर चलते हैं, उठो यहाँ से.
हम बाहर आ गए. उस वक्त 7.30 बजे थे.
लता ने कहा- मैं घर चलती हूँ, तुम कुछ देर बाद मेरे घर ही आ जाना, तब तक मैं खाना बनाती हूँ, खाना इकट्ठे खाएंगे, तुम मेरे घर सीढ़ियों वाले दरवाज़े से आना जिससे कोई देख न सके, मैं दरवाजा अन्दर से खोल कर रखूंगी.
मैं टाइम पास करने के लिए एक बार में बैठ कर बियर पीने लगा. लगभग एक घंटे बाद मैं लता भाभी के घर पहुंचा. वह खाना बना कर नहा चुकी थी. बच्ची को भाभी ने ड्राइंग रूम में रखे दीवान पर सुला दिया था.
भाभी ने सीढ़ियों और बाहर के दोनों दरवाज़े बंद कर दिए.
दरवाज़े बंद होते ही मैंने भाभी को बाँहों में उठा लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा.
भाभी बोली- थोड़ा सब्र करो, पहले खाना खा लो.
हमने फटाफट खाना खाया, बल्कि भाभी ने पहला कौर मेरे मुंह में अपने हाथ से दिया और मैंने भी वैसे ही किया.
खाना खाने के बाद भाभी बोली- तुम यहीं ड्राइंग रूम में 10 मिनट बैठो, मैं आती हूँ, तुमने अन्दर नहीं आना है.
करीब 10 मिनट बाद भाभी ने मुझे कहा- राज! अन्दर आ जाओ.
जैसे ही मैं अन्दर गया, मेरी आँखें खुली की खुली रह गई, भाभी एक पारदर्शी, स्लीवलेस, पिंक छोटी सी झालर वाली नाईटी में थी, जो केवल उनकी ब्लैक प्रिंट वाली पैन्टी को मुश्किल से ढके हुए थी. भाभी ब्लू फिल्मों की हीरोइन लग रही थी. नाईटी में से उनके चुचे साफ़ दिखाई दे रहे थे, उन्होंने अपनी जुल्फें खुली छोड़ रखीं थी.
मैं एक टक देखता रहा.
भाभी बोली- हर रोज़ सुबह-सुबह ऊपर खड़े हो कर यही देखते हो न, आज अच्छी तरह से देख लो.
मैं हैरान रह गया.
दोस्तो! औरत वैसे ही अनजान बनी रहती है लेकिन वह आदमी की हरकतों को सब जानती है.
मैंने झट से भाभी को गोद में उठा लिया और उनके गालों और होंठों को चूसने लगा.
भाभी बोली- गालों पर निशान मत डालना.
हमने खड़े-खड़े बहुत देर तक स्मूच किया. मैंने भाभी के गोरे बदन को हर जगह चूमा और उनके हुस्न की मुक्त कंठ से तारीफ की.
अपनी तारीफ़ सुनकर भाभी बोली- हेमा के पास क्या है, जो वह लोगों को दिखाने की कोशिश करती है.
मैं समझ गया था कि मुझे जो कुछ मिल रहा है वह औरतों की ईर्ष्या की वजह से मिल रहा है.
मुझे भाभी नाईटी में बहुत सेक्सी लग रही थी. मैंने भाभी की चूत पर पैन्टी के ऊपर से हाथ फिराया, पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने अपने हाथ से भाभी की पैंटी निकाल दी.
लता भाभी की सफ़ेद जांघें और केले के पेड़ जैसी शेप की टांगें, सुन्दर गुदाज गोल चूतड़, गज़ब ढहा रहे थे. उनके चिकने पेट पर बच्चा होने का कोई निशान नहीं था. लता भाभी कुल मिला कर स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी.
थोड़ी देर में इंटरवल हो गया. हमने अपने कपड़े ठीक किये, लता की चूत पानी छोड़ चुकी थी.
लता बोली- राज! चलो, घर चलते हैं, उठो यहाँ से.
हम बाहर आ गए. उस वक्त 7.30 बजे थे.
लता ने कहा- मैं घर चलती हूँ, तुम कुछ देर बाद मेरे घर ही आ जाना, तब तक मैं खाना बनाती हूँ, खाना इकट्ठे खाएंगे, तुम मेरे घर सीढ़ियों वाले दरवाज़े से आना जिससे कोई देख न सके, मैं दरवाजा अन्दर से खोल कर रखूंगी.
मैं टाइम पास करने के लिए एक बार में बैठ कर बियर पीने लगा. लगभग एक घंटे बाद मैं लता भाभी के घर पहुंचा. वह खाना बना कर नहा चुकी थी. बच्ची को भाभी ने ड्राइंग रूम में रखे दीवान पर सुला दिया था.
भाभी ने सीढ़ियों और बाहर के दोनों दरवाज़े बंद कर दिए.
दरवाज़े बंद होते ही मैंने भाभी को बाँहों में उठा लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा.
भाभी बोली- थोड़ा सब्र करो, पहले खाना खा लो.
हमने फटाफट खाना खाया, बल्कि भाभी ने पहला कौर मेरे मुंह में अपने हाथ से दिया और मैंने भी वैसे ही किया.
खाना खाने के बाद भाभी बोली- तुम यहीं ड्राइंग रूम में 10 मिनट बैठो, मैं आती हूँ, तुमने अन्दर नहीं आना है.
करीब 10 मिनट बाद भाभी ने मुझे कहा- राज! अन्दर आ जाओ.
जैसे ही मैं अन्दर गया, मेरी आँखें खुली की खुली रह गई, भाभी एक पारदर्शी, स्लीवलेस, पिंक छोटी सी झालर वाली नाईटी में थी, जो केवल उनकी ब्लैक प्रिंट वाली पैन्टी को मुश्किल से ढके हुए थी. भाभी ब्लू फिल्मों की हीरोइन लग रही थी. नाईटी में से उनके चुचे साफ़ दिखाई दे रहे थे, उन्होंने अपनी जुल्फें खुली छोड़ रखीं थी.
मैं एक टक देखता रहा.
भाभी बोली- हर रोज़ सुबह-सुबह ऊपर खड़े हो कर यही देखते हो न, आज अच्छी तरह से देख लो.
मैं हैरान रह गया.
दोस्तो! औरत वैसे ही अनजान बनी रहती है लेकिन वह आदमी की हरकतों को सब जानती है.
मैंने झट से भाभी को गोद में उठा लिया और उनके गालों और होंठों को चूसने लगा.
भाभी बोली- गालों पर निशान मत डालना.
हमने खड़े-खड़े बहुत देर तक स्मूच किया. मैंने भाभी के गोरे बदन को हर जगह चूमा और उनके हुस्न की मुक्त कंठ से तारीफ की.
अपनी तारीफ़ सुनकर भाभी बोली- हेमा के पास क्या है, जो वह लोगों को दिखाने की कोशिश करती है.
मैं समझ गया था कि मुझे जो कुछ मिल रहा है वह औरतों की ईर्ष्या की वजह से मिल रहा है.
मुझे भाभी नाईटी में बहुत सेक्सी लग रही थी. मैंने भाभी की चूत पर पैन्टी के ऊपर से हाथ फिराया, पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने अपने हाथ से भाभी की पैंटी निकाल दी.
लता भाभी की सफ़ेद जांघें और केले के पेड़ जैसी शेप की टांगें, सुन्दर गुदाज गोल चूतड़, गज़ब ढहा रहे थे. उनके चिकने पेट पर बच्चा होने का कोई निशान नहीं था. लता भाभी कुल मिला कर स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी.
// सुनील पंडित // 

मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!