08-03-2019, 12:33 PM
भाभी ने लता भाभी को नहीं बताया कि इसे मैंने बुलाया था और मैं राज के ऊपर गिरी थी.
मैं वहां से निकल कर ऊपर अपने कमरे में चला गया और फिर तैयार होकर यूनिवर्सिटी निकल गया. शनिवार को मेरी क्लास नहीं होती थी, बाकी सभी अपने अपने काम पर जाते थे.
अगले दिन होली थी. मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था. अचानक ग्राउंड फ्लोर वाली लता भाभी मेरे कमरे में आई और मेरे चेहरे को गुलाल से मल दिया और कहा- होली मुबारक हो.
मैं बैठा रहा.
उन्होंने कहा- मुझे रंग नहीं लगाओगे?
मैंने लता भाभी के लिफाफे से ही गुलाल लिया और थोड़ा सा चुटकी भर कर उनके माथे पर लगा दिया.
लता भाभी बोली- ऐसे होली खेलते हैं?
“हेमा की तो टांगों में लगा रहे थे!” इतना कहते ही उन्होंने दोबारा मुट्ठी भरकर गुलाल मेरे चेहरे पर ज़बरदस्ती रगड़ दिया और अपना हाथ मेरी छाती में घुसा कर रगड़ने लगी. लता लगभग मुझसे लिपट गई थी.
मैंने भी लता के पॉलिथीन से मुट्ठी भरकर गुलाल उनके गालों पर रगड़ा और उन्हीं की तरह हाथों को उनके गले से रगड़ता रहा. भाभी नीचे झुक गई. मेरा लंड अकड़ने लगा था. मैंने उनको पीछे से पकड़ा और अपने लंड को उनके चूतड़ों पर अड़ा कर उनके गालों और ब्लाऊज पर गुलाल मसलने लगा.
लता भाभी बोली- छोड़ो कोई आ जायेगा.
मैंने भाभी को छोड़ दिया.
परन्तु भाभी गर्म हो चुकी थी और मेरा लंड भी तन चुका था. भाभी में दोबारा जोश भर गया और दरवाज़े को हाथ मार कर बंद कर दिया और मुझे फिर रंग लगाने लगी. मैंने उन्हें धक्का देकर पेट के बल बेड पर गिरा दिया और उन्हें पीछे से अपने नीचे दबा कर गुलाल रगड़ता रहा.
लता दिखाने के लिए पूरा ज़ोर लगाकर विरोध करती रही. जैसे ही मैंने बलाऊज में हाथ डालना चाहा तो वह नाराज़ हो गई. मैंने उसे छोड़ दिया. लता ने अपने कपड़े ठीक किये और बोली- बस और कुछ नहीं.
मैंने कहा- सॉरी भाभी जी, लेकिन शुरुआत तो आपने ही की थी.
भाभी चुपचाप नीचे चली गई लेकिन उनको मेरे मोटे लंड की फीलिंग पूरी हो चुकी थी.
नहाने के लगभग दो घंटे बाद मैंने मेरी आगे की बालकॉनी से नीचे देखा, लता बाहर खड़ी थी. मैं यह देखने के लिए कि भाभी नाराज तो नहीं है, नीचे गया और मैंने फिर कहा- सॉरी भाभी जी.
उसके बाद क्या हुआ:
सुनील पण्डित
मैं वहां से निकल कर ऊपर अपने कमरे में चला गया और फिर तैयार होकर यूनिवर्सिटी निकल गया. शनिवार को मेरी क्लास नहीं होती थी, बाकी सभी अपने अपने काम पर जाते थे.
अगले दिन होली थी. मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था. अचानक ग्राउंड फ्लोर वाली लता भाभी मेरे कमरे में आई और मेरे चेहरे को गुलाल से मल दिया और कहा- होली मुबारक हो.
मैं बैठा रहा.
उन्होंने कहा- मुझे रंग नहीं लगाओगे?
मैंने लता भाभी के लिफाफे से ही गुलाल लिया और थोड़ा सा चुटकी भर कर उनके माथे पर लगा दिया.
लता भाभी बोली- ऐसे होली खेलते हैं?
“हेमा की तो टांगों में लगा रहे थे!” इतना कहते ही उन्होंने दोबारा मुट्ठी भरकर गुलाल मेरे चेहरे पर ज़बरदस्ती रगड़ दिया और अपना हाथ मेरी छाती में घुसा कर रगड़ने लगी. लता लगभग मुझसे लिपट गई थी.
मैंने भी लता के पॉलिथीन से मुट्ठी भरकर गुलाल उनके गालों पर रगड़ा और उन्हीं की तरह हाथों को उनके गले से रगड़ता रहा. भाभी नीचे झुक गई. मेरा लंड अकड़ने लगा था. मैंने उनको पीछे से पकड़ा और अपने लंड को उनके चूतड़ों पर अड़ा कर उनके गालों और ब्लाऊज पर गुलाल मसलने लगा.
लता भाभी बोली- छोड़ो कोई आ जायेगा.
मैंने भाभी को छोड़ दिया.
परन्तु भाभी गर्म हो चुकी थी और मेरा लंड भी तन चुका था. भाभी में दोबारा जोश भर गया और दरवाज़े को हाथ मार कर बंद कर दिया और मुझे फिर रंग लगाने लगी. मैंने उन्हें धक्का देकर पेट के बल बेड पर गिरा दिया और उन्हें पीछे से अपने नीचे दबा कर गुलाल रगड़ता रहा.
लता दिखाने के लिए पूरा ज़ोर लगाकर विरोध करती रही. जैसे ही मैंने बलाऊज में हाथ डालना चाहा तो वह नाराज़ हो गई. मैंने उसे छोड़ दिया. लता ने अपने कपड़े ठीक किये और बोली- बस और कुछ नहीं.
मैंने कहा- सॉरी भाभी जी, लेकिन शुरुआत तो आपने ही की थी.
भाभी चुपचाप नीचे चली गई लेकिन उनको मेरे मोटे लंड की फीलिंग पूरी हो चुकी थी.
नहाने के लगभग दो घंटे बाद मैंने मेरी आगे की बालकॉनी से नीचे देखा, लता बाहर खड़ी थी. मैं यह देखने के लिए कि भाभी नाराज तो नहीं है, नीचे गया और मैंने फिर कहा- सॉरी भाभी जी.
उसके बाद क्या हुआ:
सुनील पण्डित
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!