08-03-2019, 11:13 AM
हिमानी भाभी को प्रोफेसर साहेब हेमा कहते थे.
हेमा भाभी मुझे ऊपर कमरा दिखाने ले गई. सीढ़ियों पर वह आगे चल रही थीं जिससे उनकी सुन्दर मचलती हुई गाण्ड और मोटी गुदाज गोरी पिंडलियाँ दिखाई दे रही थीं.
उन्होंने कमरा दिखाया. कमरा साफ सुथरा था. उसमें बेड लगा हुआ था, एक छोटा सा टेबल, एक चेयर और एक तीन सीटर सोफ़ा लगा था.
वह बोली- यह हमारा सामान है और यहीं रहेगा.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तो बल्कि ये सामान चाहिए भी.
जब मैंने पूछा कि मैं कब आ सकता हूँ?
तो वह बोली- जब आप चाहो, आप बेशक कल से ही आ जाओ, हमें कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैंने उनसे कहा- कल मुझे यूनिवर्सिटी जाना होगा, यदि आपको ऐतराज़ न हो तो मैं आज से ही आ जाता हूँ.
भाभी जी कहने लगी- हमें क्या एतराज़ है, आप आ जाओ.
दोस्तो! हेमा भाभी के बात करने के तरीके और उनकी नशीली आंखों से मुझे लग रहा था कि यह लेडी इस प्रोफेसर के मतलब की नहीं है और यह ज़रूर पट जाएगी. हेमा भाभी हमेशा मेक-अप करके रहती थी. उनके बॉब कट घुंघराले बाल थे, बड़े करीने से वह साड़ी पहनती थी, स्लीवलेस ब्लाउज़ में उनकी बड़ी-बड़ी खड़ी चूचियां और साड़ी में कसी हुई उनकी भरी हुई गांड किसी भी आदमी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी. उनमें जो ख़ास बात थी वह यह थी कि उनकी नशीली आंखें और जब भी वह बाहर जाती थीं तो आंखों के ऊपर बहुत ही सुंदर गॉगल्स लगाकर जाती थी.
जब मस्ती से चलती थी तो अड़ोस-पड़ोस के आदमी उन्हें देखे बगैर नहीं रहते थे और पड़ोस की लेडीज उनसे चिढ़ती थी, परन्तु वह मस्त रहती थी.
वह मकान तीन मंज़िला था. सामने के आँगन से ऊपर सीढ़ियाँ जाती थीं. सीढ़ियों में घुसते ही एक दरवाजा ग्राउंड फ्लोर के लिए था, जो अक्सर बंद रहता था, एक फर्स्ट फ्लोर के लिए था और अंत में सीढ़ियाँ मेरे कमरे तक जाती थीं.
हेमा भाभी मुझे ऊपर कमरा दिखाने ले गई. सीढ़ियों पर वह आगे चल रही थीं जिससे उनकी सुन्दर मचलती हुई गाण्ड और मोटी गुदाज गोरी पिंडलियाँ दिखाई दे रही थीं.
उन्होंने कमरा दिखाया. कमरा साफ सुथरा था. उसमें बेड लगा हुआ था, एक छोटा सा टेबल, एक चेयर और एक तीन सीटर सोफ़ा लगा था.
वह बोली- यह हमारा सामान है और यहीं रहेगा.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तो बल्कि ये सामान चाहिए भी.
जब मैंने पूछा कि मैं कब आ सकता हूँ?
तो वह बोली- जब आप चाहो, आप बेशक कल से ही आ जाओ, हमें कोई ऐतराज़ नहीं है.
मैंने उनसे कहा- कल मुझे यूनिवर्सिटी जाना होगा, यदि आपको ऐतराज़ न हो तो मैं आज से ही आ जाता हूँ.
भाभी जी कहने लगी- हमें क्या एतराज़ है, आप आ जाओ.
दोस्तो! हेमा भाभी के बात करने के तरीके और उनकी नशीली आंखों से मुझे लग रहा था कि यह लेडी इस प्रोफेसर के मतलब की नहीं है और यह ज़रूर पट जाएगी. हेमा भाभी हमेशा मेक-अप करके रहती थी. उनके बॉब कट घुंघराले बाल थे, बड़े करीने से वह साड़ी पहनती थी, स्लीवलेस ब्लाउज़ में उनकी बड़ी-बड़ी खड़ी चूचियां और साड़ी में कसी हुई उनकी भरी हुई गांड किसी भी आदमी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी. उनमें जो ख़ास बात थी वह यह थी कि उनकी नशीली आंखें और जब भी वह बाहर जाती थीं तो आंखों के ऊपर बहुत ही सुंदर गॉगल्स लगाकर जाती थी.
जब मस्ती से चलती थी तो अड़ोस-पड़ोस के आदमी उन्हें देखे बगैर नहीं रहते थे और पड़ोस की लेडीज उनसे चिढ़ती थी, परन्तु वह मस्त रहती थी.
वह मकान तीन मंज़िला था. सामने के आँगन से ऊपर सीढ़ियाँ जाती थीं. सीढ़ियों में घुसते ही एक दरवाजा ग्राउंड फ्लोर के लिए था, जो अक्सर बंद रहता था, एक फर्स्ट फ्लोर के लिए था और अंत में सीढ़ियाँ मेरे कमरे तक जाती थीं.
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!