29-08-2020, 06:50 PM
(This post was last modified: 29-08-2020, 06:51 PM by hv987654. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तभी मेरे दिमाग में आया… कि मां तो सिर्फ तौलिया में ही थी… वो कैसे दरवाजा खोलेगी…
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
एक बार फिर से घंटी बजी…
इसका मतलब मां कपड़े पहन रही होगी… इसीलिए कोई बेचारा इन्तजार कर रहा होगा…
मगर अचानक मुझे दरवाजा खुलने की आवाज भी आ गई…
इतनी जल्दी तो मां कपड़े नहीं पहन सकती… उसने शायद गाउन डालकर ही दरवाजा खोल दिया होगा…
मैं खुद को रोक नहीं पाया… फिर से रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा कि आखिर क्या पहनकर उसने दरवाजा खोला…
और है कौन आने वाला…??
और मैं चौंक गया… मां अभी भी तौलिये में ही थी… उसने वैसे ही दरवाजा खोला था…
और आने वाले अरविन्द था… उनके हाथ में मां के कपड़े थे जो आंटी पहनकर गई थी…
मां- ओह आप … क्या हुआ??
अरविन्द- यार लो ये तेरे कपड़े…
मां- अरे इतनी क्या जल्दी थी… आ जाते…
फिर थोड़ा शरमा कर मुस्कुराते हुए- क्यों, आपको आंटी अच्छी नहीं लगी इन कपड़ों में?
अरविन्द- अरे नहीं, सही ही थी… उसमें इतना दम कहाँ… ये कपड़े तो तेरे ऊपर ही गजब ढाते हैं…
मां- अरे नहीं… आंटी भी गजब ढा रही थीं… मेरा बेटा तो बस उनको ही देख रहे था…
अरविन्द- क्या वो आ गया? उसने बताया नहीं…
मां- अरे भूल गई होंगी… पर मेरा बेटा उनको देख मस्त हो गए था…
अरविन्द- अच्छा तो उसने भी… उसको इन कपड़ों में देख लिया?
मां- वैसे सच बताओ… आंटी मस्त लग रही थी या नहीं?
अरविन्द- हाँ यार, लग तो जानमारु रही थी… अब तू कल उसको बढ़िया… बढ़िया सेट दिलवा देना…
मां- ठीक है… आप चिंता ना करो… मैं उनको पूरा सेक्सी बना दूंगी…
अरविन्द- अच्छा अब उसके कपड़े तो दे दे… कह रही है वही पहनेगी… अपनी कच्छी ब्रा भी यहीं छोड़कर चली गई…
मां- हाय, तो क्या आंटी अभी नंगी ही बैठी हैं?
दोनों अंदर बैडरूम में ही आ गये…
अरविन्द- हाँ यार… जब मैं आया तब तो नंगी ही थी… जल्दी दे… कहीं और कोई आ गया तो? …हे हे हे…
मां- क्या अरविन्द आप भी… ये रखे हैं आंटी के कपड़े…
अरविन्द कपड़ों को एक हाथ से पकड़… बेड पर मां के बाकी कपड़े और कच्छी ब्रा देख रहे थे।
अरविन्द- यार तू अपनी आंटी को कुछ बढ़िया ऐसे छोटे छोटे… कच्छी-ब्रा भी दिला देना…
मां थोड़ी शरमाते हुए- ओह क्या अरविन्द… आप भी ना… मेरे ना देखो, आंटी की कच्छी ब्रा लो और जाइये… वो वहाँ नंगी बैठी
इन्तजार कर रही होंगी…
हा हा हा…
तभी मेरे देखते-देखते अरविन्द ने तुरंत वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी…
अरविन्द मां के तौलिए को पकड़ कर- दिखा, तूने कौन से पहने हैं इस समय…
तौलिया शायद बहुत ढीला सा ही बंधा था… जो तुरंत खुल गया…
और मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं…
बैडरूम की सफेद चमकती रोशनी में मां पूरी नंगी… एक मेरी उमर के आदमी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी…
और वो भी तब जब उसका बेटा यानि कि मैं… घर पर… बाथरूम में था…
मां बुरी तरह हड़बड़ाते हुए- नहींईईईईईईई अरविन्द… क्या कर रहे हो… मैंने अभी कुछ नहीं पहना…
और उनके हाथ से एकदम तौलिया खींच… अपने को आगे से ढकने की कोशिश करने लगी।
अरविन्द- ओह सॉरी यार… हा हा हा… मुझे नहीं पता था… पर कमाल लग रही हो…
मां- अच्छा अब जल्दी जाओ… मेरा बेटा अंदर ही हैं…
उसने बाथरूम की ओर चुपके से इशारा किया… और ना जाने क्यों बहुत फुसफुसाते हुए बात कर रही थी।
वो मजे भी लेना चाहती थी… और अभी भी मुझसे डरती थी… और ये सब छुपाना भी चाहती थी…
अरविन्द भी जो थोड़ा खुल गए थे… उनको भी शायद याद आ गया था कि मैं अभी घर पर ही हूँ…
वो भी थोड़ा सा डरकर बाहर को निकल गए…
अरविन्द- अरे सॉरी यार…
मां- अब क्या हुआ??
अरविन्द- अरे उसी के लिए… मैंने तुमको नंगा देख लिया… वो वाकयी मुझे नहीं पता था कि तुमने…
मां- अरे छोड़ो भी ना अरविन्द… ऐसे कह रहे हो जैसे… पहली बार देखा हो…
मां की बातें सुन साफ़ लग रहा था… कि वो बहुत बोल्ड लड़की है…
अरविन्द- हे हे हे… वो क्या यार… वो तो हे हे… अलग बात थी… मगर इस टाइम तो गजब… सही में यार… तू बहुत सेक्सी है…
तेरा बेटा बहुत लकी है…
मां फिर शरमाते हुए- …ओह अरविन्द थैंक्स… अब आप जाओ मेरा बेटा आता होगा…
मां ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था…
अरविन्द फुसफुसाते हुए- यार एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़…
मां- अब क्या है????
अरविन्द- यार एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
एक बार फिर से घंटी बजी…
इसका मतलब मां कपड़े पहन रही होगी… इसीलिए कोई बेचारा इन्तजार कर रहा होगा…
मगर अचानक मुझे दरवाजा खुलने की आवाज भी आ गई…
इतनी जल्दी तो मां कपड़े नहीं पहन सकती… उसने शायद गाउन डालकर ही दरवाजा खोल दिया होगा…
मैं खुद को रोक नहीं पाया… फिर से रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा कि आखिर क्या पहनकर उसने दरवाजा खोला…
और है कौन आने वाला…??
और मैं चौंक गया… मां अभी भी तौलिये में ही थी… उसने वैसे ही दरवाजा खोला था…
और आने वाले अरविन्द था… उनके हाथ में मां के कपड़े थे जो आंटी पहनकर गई थी…
मां- ओह आप … क्या हुआ??
अरविन्द- यार लो ये तेरे कपड़े…
मां- अरे इतनी क्या जल्दी थी… आ जाते…
फिर थोड़ा शरमा कर मुस्कुराते हुए- क्यों, आपको आंटी अच्छी नहीं लगी इन कपड़ों में?
अरविन्द- अरे नहीं, सही ही थी… उसमें इतना दम कहाँ… ये कपड़े तो तेरे ऊपर ही गजब ढाते हैं…
मां- अरे नहीं… आंटी भी गजब ढा रही थीं… मेरा बेटा तो बस उनको ही देख रहे था…
अरविन्द- क्या वो आ गया? उसने बताया नहीं…
मां- अरे भूल गई होंगी… पर मेरा बेटा उनको देख मस्त हो गए था…
अरविन्द- अच्छा तो उसने भी… उसको इन कपड़ों में देख लिया?
मां- वैसे सच बताओ… आंटी मस्त लग रही थी या नहीं?
अरविन्द- हाँ यार, लग तो जानमारु रही थी… अब तू कल उसको बढ़िया… बढ़िया सेट दिलवा देना…
मां- ठीक है… आप चिंता ना करो… मैं उनको पूरा सेक्सी बना दूंगी…
अरविन्द- अच्छा अब उसके कपड़े तो दे दे… कह रही है वही पहनेगी… अपनी कच्छी ब्रा भी यहीं छोड़कर चली गई…
मां- हाय, तो क्या आंटी अभी नंगी ही बैठी हैं?
दोनों अंदर बैडरूम में ही आ गये…
अरविन्द- हाँ यार… जब मैं आया तब तो नंगी ही थी… जल्दी दे… कहीं और कोई आ गया तो? …हे हे हे…
मां- क्या अरविन्द आप भी… ये रखे हैं आंटी के कपड़े…
अरविन्द कपड़ों को एक हाथ से पकड़… बेड पर मां के बाकी कपड़े और कच्छी ब्रा देख रहे थे।
अरविन्द- यार तू अपनी आंटी को कुछ बढ़िया ऐसे छोटे छोटे… कच्छी-ब्रा भी दिला देना…
मां थोड़ी शरमाते हुए- ओह क्या अरविन्द… आप भी ना… मेरे ना देखो, आंटी की कच्छी ब्रा लो और जाइये… वो वहाँ नंगी बैठी
इन्तजार कर रही होंगी…
हा हा हा…
तभी मेरे देखते-देखते अरविन्द ने तुरंत वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी…
अरविन्द मां के तौलिए को पकड़ कर- दिखा, तूने कौन से पहने हैं इस समय…
तौलिया शायद बहुत ढीला सा ही बंधा था… जो तुरंत खुल गया…
और मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं…
बैडरूम की सफेद चमकती रोशनी में मां पूरी नंगी… एक मेरी उमर के आदमी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी…
और वो भी तब जब उसका बेटा यानि कि मैं… घर पर… बाथरूम में था…
मां बुरी तरह हड़बड़ाते हुए- नहींईईईईईईई अरविन्द… क्या कर रहे हो… मैंने अभी कुछ नहीं पहना…
और उनके हाथ से एकदम तौलिया खींच… अपने को आगे से ढकने की कोशिश करने लगी।
अरविन्द- ओह सॉरी यार… हा हा हा… मुझे नहीं पता था… पर कमाल लग रही हो…
मां- अच्छा अब जल्दी जाओ… मेरा बेटा अंदर ही हैं…
उसने बाथरूम की ओर चुपके से इशारा किया… और ना जाने क्यों बहुत फुसफुसाते हुए बात कर रही थी।
वो मजे भी लेना चाहती थी… और अभी भी मुझसे डरती थी… और ये सब छुपाना भी चाहती थी…
अरविन्द भी जो थोड़ा खुल गए थे… उनको भी शायद याद आ गया था कि मैं अभी घर पर ही हूँ…
वो भी थोड़ा सा डरकर बाहर को निकल गए…
अरविन्द- अरे सॉरी यार…
मां- अब क्या हुआ??
अरविन्द- अरे उसी के लिए… मैंने तुमको नंगा देख लिया… वो वाकयी मुझे नहीं पता था कि तुमने…
मां- अरे छोड़ो भी ना अरविन्द… ऐसे कह रहे हो जैसे… पहली बार देखा हो…
मां की बातें सुन साफ़ लग रहा था… कि वो बहुत बोल्ड लड़की है…
अरविन्द- हे हे हे… वो क्या यार… वो तो हे हे… अलग बात थी… मगर इस टाइम तो गजब… सही में यार… तू बहुत सेक्सी है…
तेरा बेटा बहुत लकी है…
मां फिर शरमाते हुए- …ओह अरविन्द थैंक्स… अब आप जाओ मेरा बेटा आता होगा…
मां ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था…
अरविन्द फुसफुसाते हुए- यार एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़…
मां- अब क्या है????
अरविन्द- यार एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!