29-08-2020, 06:38 PM
(This post was last modified: 29-08-2020, 06:39 PM by hv987654. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
लड़का- चल सुसरी… तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई… चल अब तू ही इसे शांत कर…
वो उसको उसी मेज पर झुकाकर… उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है…
मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था… वो लड़का कबीर कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था…
कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती… इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता…
मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है…
नाज़नीन कुछ वैसी ही थी… उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी… जो उसको खास बना रही थी…
कबीर ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया…
उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी…
उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है…
कबीर मेरी मां के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था…
मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था…
वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं…
और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये…तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं…
वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था… जो कि साफ़ पता चल रहा था… इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था…
नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी…
कबीर ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनोंतक ला दिया…
नाज़नीन- उफ़्फ़्फ़…
नाज़नीन के विशाल चूतड़… पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे…
नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी… वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई…
मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया…
क्योंकि उस कमीन कबीर ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया…
नाज़नीन- अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर… अव्वह… नहीं करो…
कबीर- क्यों तुझे अब क्या हुआ… साली उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है…
नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला कबीर के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी…
नाज़नीन- नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है… आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है… बहुत चीस उठ रही है… आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी…
कबीर अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा… वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है…
वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था…
नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी… गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था…
मगर कबीर के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे…
गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था…
मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी…
कबीर ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई…
कबीर- ये साला अब्बू भी न… तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास… उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से… फड़ावा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी…
और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई…
मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं…
फिर कबीर ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया…
नाज़नीन- आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ…
वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी…
वाकयी कबीर के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा… जो मैंने सोचा था वही हुआ… उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई…
लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था…
मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था…
मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड मां की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है…
अब वहाँ कबीर अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था…
और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं…
मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था… और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा…
मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला… और बिना किसी से मिले दुकान से बाहर आ गया…
दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया…उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…
प्रणव मेरा नया नया दोस्त बना था। वो अपनी बीवी के साथ रेहता था।
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर मां के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
मां ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर मां अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए मां की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने मां को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है।
नलिनी मेरे एक और दोस्त अरविंद की मां है।
नलिनी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने मां से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
मां- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
मां- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी की आवाज आई- अरे कौन है कविता… क्या ये हैं…
वो अरविन्द को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने मां का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
नलिनी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
मां बैडरूम में जाते हुए- …अरे नलिनी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ नलिनी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे आंटी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…
नलिनी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
मां- हा हा हा क्या आंटी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…
फ़िए मां ने मेरे से कहा- जानू, आज आंटी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…
नलिनी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
मां- हाँ हाँ… ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
नलिनी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
मां- बेटा, आज नलिनी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… मां जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…
मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी आंटी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…
मां- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
नलिनी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह आंटी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…
मां- हाँ नलिनी… की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
नलिनी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
वैसे उनको मेरे और मां पर पुरा शक था। जा बोल सकते हो उनको पता था के मै अपनी मां की चुदाई करता हु।
मैं चौंक गया…
मां दरवाजा बंद करके आ गई…
मैं- यह आंटी क्या कह रही थीं… खिड़की मतलब… क्या कल ये भी थीं… इन्होंने भी कुछ देखा क्या…
मां- अरे नहीं जानू… हा हा हा… आज तो बहुत खुश थी… कल अरविन्द ने जमकर इनको…
मैं- क्या?? यह सच है… इन्होंने खुद तुमको बताया? उनके अपने बेटे ने अपनी मां को ? मतलब कल इसने भी सब देख लिया था?
इसका मतलब ये था के अब नलिनी और अरविन्द भी मेरी और मेरी मां के बारे में सब जानते थे।
मां- और नहीं तो क्या… पहले तो शिकायत कर रही थी… फिर तो बहुत खुश होकर बता रही थी कि कल कई महीने के बाद इन्होंने मजे किये… जानू तुम्हारी शैतानी से इनके जीवन में भी रंग भर गया…
मां- अच्छा आप चेंज करो, मैं बस जरा देर में नहाकर आती हूँ… अभी बहुत काम करने हैं…
मैंने देखा बेड पर मां के काफी कपड़े फैले पड़े थे… एक कोने में एक सूट (सलवार, कुरता) भी रखा था…
वो मां का तो नहीं था… वो जरूर आंटी का ही था…
मैंने उस सूट को उठा देखने लगा… तभी कुछ नीचे गिरा…
अरे ये तो एक जोड़ी ब्रा, चड्डी थे… सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद ही चड्डी… दोनों साधारण बनावट के थे…
चड्डी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी, यह तो उनकी चूत के उभार से ही पता चल गया था…
पर अब इसका मतलब आंटी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी..
मैंने दोनों को उठा एक बार अपने हाथ से सहलाया और वैसे ही रख दिया… और आंटी की चूत और चूची के बारे में सोचने लगा…
तभी मुझे अपने रिकॉर्डर का ध्यान आया… मां तो बाथरूम में थी…
मैंने जल्दी से उसके पर्स से रिकॉर्डर निकाल उसको अपने फोन से जोड़ लिया…
और सुनते हुए… अपना काम करने लगा…
मैंने रिकॉर्डिंग सुनते हुए ही अपने सभी कपड़े निकाल दिए… कच्छा भी…
और तौलिया ले इन्तजार करने लगा… गर्मी बहुत थी.. सोचा नहाकर ही तैयार होता हूँ…
आज की रिकॉर्डिंग बहुत बोर थी… ज्यादातर खाली ही थी क्योंकि मां अकेली थी तो बहुत जगह आवाज थी ही नहीं…
मैंने सोचा कि नहाने के बाद मां के साथ ही मस्ती की जाये…
कि तभी… रिकॉर्डर मे आवाज आई…
ट्रीन्न्न्न्न… टिन्न्न्न्न…
यह तो मेरे घर की घण्टी थी…
कौन होगा…???
मां- कौन है?
‘खोलो यार… ‘
दरवाजा खुलने की आवाज…
मां- ओह आप… आइये अरविन्द… गुड मॉरनिंग…
मै हैरान था के केसे मेरी मां अरविन्द से इतने अच्छे से बात कर रही थी।
अरविन्द- हाँ यार… पुछ्ह्ह…
अरविन्द ने शायद मेरी मां को किस करी थी…
मां- अरे अरविन्द क्या करते हो, मेरे हाथ गंदे हैं… वो क्या है कि मैं कपड़े धो रही थी…
अरविन्द- अरे तो क्या हुआ… तभी तू पूरी गीली है…
मां- हाँ अरविन्द, बताइये क्या काम है…
मैं सोच रहा था कि पता नहीं मां ने क्या पहना होगा… और अरविन्द को अब क्या दिखा रही होगी???
अरविन्द- यार वो मेरी मां को भी अब तेरी तरह मॉडर्न कपड़े पहनने का शौक हो गया है… क्या तू उसको बाजार से शॉपिंग करवा देगी… अब उसको शौक तो हो गया… पर पता नहीं है कि कहाँ और कैसे… तो तू उसकी हेल्प कर देना…
मां- हा हा अरविन्द, उनको या आपको…?
अरविन्द- अरे मैं तो कबसे उसको बोलता था… कि तेरी तरह सेक्सी कपड़े पहना करे… पर मानती ही नहीं थी… अब खुद कह रही है…
मां- क्यों ऐसा क्या हुआ?
अरविन्द- यह तू उसी से पूछना…
मां- ठीक है अरविन्द…
अरविन्द- और 2-4 ऐसी नाइटी भी दिला देना… जिसमें सब दिखे…
मां- हा हा अरविन्द… आप भी ना… अब आंटी ऐसे कपड़े पहन किसको दिखाएंगी…
अरविन्द- अरे कितनी सेक्सी लगती है ना… मैं चाहता हूँ… वो तुम जैसी हो जाये… और जीवन के मजे ले…
मां- ओह छोड़ो ना अरविन्द, क्या करते हो?
??????
अरविन्द- और उसको अपने जैसा बोल्ड भी बना देना कि… किसी क़े सामने ऐसे कपड़े पहन आराम से खड़े हो सके…
मां- अच्छा तो क्या आप भी मुझे गन्दी नजर से देख रहे हो…
अरविन्द- अरे नहीं यार… मैं तो तेरी तारीफ कर रहा हूँ… अगर मेरी मां भी तेरे जैसी हो जाये तो मैं तो फिर से जवान हो जाऊँगा…
मां- अरे अरविन्द आप भी तो जवान हो…
अरविन्द- ओह थैक्स यार… कल तो मेरी मां भी मान गई… तभी तो ऐसे कपड़ों की ज़िद कर रही है !
मां- ओके अरविन्द… मैं उनको खूब सेक्सी बना दूँगी… आप चिंता ना करो… अच्छा अब मुझे देखना बंद करो… आप नलिनी को ही देखना… हे हे…
अरविन्द- अरे नहीं यार, तू तो है ही इतनी सेक्सी… कि हरदम देखने का दिल करता है…
मां- ठीक है अब बहुत देख लिया… अब मुझे काम करने दो… बाय बाय…
अरविन्द- ओह बाय यार…
…
..
बस फिर ज्यादा कुछ नहीं था रिकॉर्डिंग में …
तभी मां पूरी नंगी बाथरूम से बाहर आई.. हमेशा की तरह…
मुझे देख मुस्कुराई…
मैं भी उसको चूमकर- …अच्छा जान मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ…
मां- ओ के जानू…
मैं बाथरूम में चला गया।
मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी….
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया… प्रणव तो रात को आने वाला था…
वो उसको उसी मेज पर झुकाकर… उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है…
मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था… वो लड़का कबीर कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था…
कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती… इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता…
मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है…
नाज़नीन कुछ वैसी ही थी… उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी… जो उसको खास बना रही थी…
कबीर ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया…
उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी…
उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है…
कबीर मेरी मां के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था…
मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था…
वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं…
और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये…तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं…
वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था… जो कि साफ़ पता चल रहा था… इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था…
नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी…
कबीर ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनोंतक ला दिया…
नाज़नीन- उफ़्फ़्फ़…
नाज़नीन के विशाल चूतड़… पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे…
नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी… वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई…
मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया…
क्योंकि उस कमीन कबीर ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया…
नाज़नीन- अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर… अव्वह… नहीं करो…
कबीर- क्यों तुझे अब क्या हुआ… साली उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है…
नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला कबीर के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी…
नाज़नीन- नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है… आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है… बहुत चीस उठ रही है… आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी…
कबीर अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा… वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है…
वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था…
नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी… गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था…
मगर कबीर के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे…
गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था…
मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी…
कबीर ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई…
कबीर- ये साला अब्बू भी न… तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास… उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से… फड़ावा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी…
और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई…
मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं…
फिर कबीर ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया…
नाज़नीन- आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ…
वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी…
वाकयी कबीर के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा… जो मैंने सोचा था वही हुआ… उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई…
लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था…
मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था…
मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड मां की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है…
अब वहाँ कबीर अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था…
और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं…
मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था… और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा…
मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला… और बिना किसी से मिले दुकान से बाहर आ गया…
दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया…उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…
प्रणव मेरा नया नया दोस्त बना था। वो अपनी बीवी के साथ रेहता था।
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर मां के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
मां ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर मां अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए मां की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने मां को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है।
नलिनी मेरे एक और दोस्त अरविंद की मां है।
नलिनी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने मां से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
मां- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
मां- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी की आवाज आई- अरे कौन है कविता… क्या ये हैं…
वो अरविन्द को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने मां का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
नलिनी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
मां बैडरूम में जाते हुए- …अरे नलिनी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ नलिनी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे आंटी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…
नलिनी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
मां- हा हा हा क्या आंटी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…
फ़िए मां ने मेरे से कहा- जानू, आज आंटी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…
नलिनी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
मां- हाँ हाँ… ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
नलिनी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
मां- बेटा, आज नलिनी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… मां जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…
मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी आंटी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…
मां- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
नलिनी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह आंटी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…
मां- हाँ नलिनी… की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
नलिनी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
वैसे उनको मेरे और मां पर पुरा शक था। जा बोल सकते हो उनको पता था के मै अपनी मां की चुदाई करता हु।
मैं चौंक गया…
मां दरवाजा बंद करके आ गई…
मैं- यह आंटी क्या कह रही थीं… खिड़की मतलब… क्या कल ये भी थीं… इन्होंने भी कुछ देखा क्या…
मां- अरे नहीं जानू… हा हा हा… आज तो बहुत खुश थी… कल अरविन्द ने जमकर इनको…
मैं- क्या?? यह सच है… इन्होंने खुद तुमको बताया? उनके अपने बेटे ने अपनी मां को ? मतलब कल इसने भी सब देख लिया था?
इसका मतलब ये था के अब नलिनी और अरविन्द भी मेरी और मेरी मां के बारे में सब जानते थे।
मां- और नहीं तो क्या… पहले तो शिकायत कर रही थी… फिर तो बहुत खुश होकर बता रही थी कि कल कई महीने के बाद इन्होंने मजे किये… जानू तुम्हारी शैतानी से इनके जीवन में भी रंग भर गया…
मां- अच्छा आप चेंज करो, मैं बस जरा देर में नहाकर आती हूँ… अभी बहुत काम करने हैं…
मैंने देखा बेड पर मां के काफी कपड़े फैले पड़े थे… एक कोने में एक सूट (सलवार, कुरता) भी रखा था…
वो मां का तो नहीं था… वो जरूर आंटी का ही था…
मैंने उस सूट को उठा देखने लगा… तभी कुछ नीचे गिरा…
अरे ये तो एक जोड़ी ब्रा, चड्डी थे… सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद ही चड्डी… दोनों साधारण बनावट के थे…
चड्डी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी, यह तो उनकी चूत के उभार से ही पता चल गया था…
पर अब इसका मतलब आंटी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी..
मैंने दोनों को उठा एक बार अपने हाथ से सहलाया और वैसे ही रख दिया… और आंटी की चूत और चूची के बारे में सोचने लगा…
तभी मुझे अपने रिकॉर्डर का ध्यान आया… मां तो बाथरूम में थी…
मैंने जल्दी से उसके पर्स से रिकॉर्डर निकाल उसको अपने फोन से जोड़ लिया…
और सुनते हुए… अपना काम करने लगा…
मैंने रिकॉर्डिंग सुनते हुए ही अपने सभी कपड़े निकाल दिए… कच्छा भी…
और तौलिया ले इन्तजार करने लगा… गर्मी बहुत थी.. सोचा नहाकर ही तैयार होता हूँ…
आज की रिकॉर्डिंग बहुत बोर थी… ज्यादातर खाली ही थी क्योंकि मां अकेली थी तो बहुत जगह आवाज थी ही नहीं…
मैंने सोचा कि नहाने के बाद मां के साथ ही मस्ती की जाये…
कि तभी… रिकॉर्डर मे आवाज आई…
ट्रीन्न्न्न्न… टिन्न्न्न्न…
यह तो मेरे घर की घण्टी थी…
कौन होगा…???
मां- कौन है?
‘खोलो यार… ‘
दरवाजा खुलने की आवाज…
मां- ओह आप… आइये अरविन्द… गुड मॉरनिंग…
मै हैरान था के केसे मेरी मां अरविन्द से इतने अच्छे से बात कर रही थी।
अरविन्द- हाँ यार… पुछ्ह्ह…
अरविन्द ने शायद मेरी मां को किस करी थी…
मां- अरे अरविन्द क्या करते हो, मेरे हाथ गंदे हैं… वो क्या है कि मैं कपड़े धो रही थी…
अरविन्द- अरे तो क्या हुआ… तभी तू पूरी गीली है…
मां- हाँ अरविन्द, बताइये क्या काम है…
मैं सोच रहा था कि पता नहीं मां ने क्या पहना होगा… और अरविन्द को अब क्या दिखा रही होगी???
अरविन्द- यार वो मेरी मां को भी अब तेरी तरह मॉडर्न कपड़े पहनने का शौक हो गया है… क्या तू उसको बाजार से शॉपिंग करवा देगी… अब उसको शौक तो हो गया… पर पता नहीं है कि कहाँ और कैसे… तो तू उसकी हेल्प कर देना…
मां- हा हा अरविन्द, उनको या आपको…?
अरविन्द- अरे मैं तो कबसे उसको बोलता था… कि तेरी तरह सेक्सी कपड़े पहना करे… पर मानती ही नहीं थी… अब खुद कह रही है…
मां- क्यों ऐसा क्या हुआ?
अरविन्द- यह तू उसी से पूछना…
मां- ठीक है अरविन्द…
अरविन्द- और 2-4 ऐसी नाइटी भी दिला देना… जिसमें सब दिखे…
मां- हा हा अरविन्द… आप भी ना… अब आंटी ऐसे कपड़े पहन किसको दिखाएंगी…
अरविन्द- अरे कितनी सेक्सी लगती है ना… मैं चाहता हूँ… वो तुम जैसी हो जाये… और जीवन के मजे ले…
मां- ओह छोड़ो ना अरविन्द, क्या करते हो?
??????
अरविन्द- और उसको अपने जैसा बोल्ड भी बना देना कि… किसी क़े सामने ऐसे कपड़े पहन आराम से खड़े हो सके…
मां- अच्छा तो क्या आप भी मुझे गन्दी नजर से देख रहे हो…
अरविन्द- अरे नहीं यार… मैं तो तेरी तारीफ कर रहा हूँ… अगर मेरी मां भी तेरे जैसी हो जाये तो मैं तो फिर से जवान हो जाऊँगा…
मां- अरे अरविन्द आप भी तो जवान हो…
अरविन्द- ओह थैक्स यार… कल तो मेरी मां भी मान गई… तभी तो ऐसे कपड़ों की ज़िद कर रही है !
मां- ओके अरविन्द… मैं उनको खूब सेक्सी बना दूँगी… आप चिंता ना करो… अच्छा अब मुझे देखना बंद करो… आप नलिनी को ही देखना… हे हे…
अरविन्द- अरे नहीं यार, तू तो है ही इतनी सेक्सी… कि हरदम देखने का दिल करता है…
मां- ठीक है अब बहुत देख लिया… अब मुझे काम करने दो… बाय बाय…
अरविन्द- ओह बाय यार…
…
..
बस फिर ज्यादा कुछ नहीं था रिकॉर्डिंग में …
तभी मां पूरी नंगी बाथरूम से बाहर आई.. हमेशा की तरह…
मुझे देख मुस्कुराई…
मैं भी उसको चूमकर- …अच्छा जान मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ…
मां- ओ के जानू…
मैं बाथरूम में चला गया।
मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी….
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया… प्रणव तो रात को आने वाला था…