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Thriller कामुक अर्धांगनी
मेरी प्यारी अर्धागनी मधु अजीब उतेजना को झेलती बिस्तर पर कमर हिलाती नागिन सी इठलाती भाभी की रसीली चुत को जीभ से गहराई तक चाटती अपनी ननद की जीभ को अपने चिकने पसिने से तरबतर काँख पर फिरते महसूस करती बड़ी मनमोहक जान पड़ रही थी और मैं उसके निपल्लों को खिंचता उँगलियों से मसलता अपनी मूंगफली को स्थिर कर गहराई मे फ़सा बस उसके उठते कमर को निहारने लगा था और मेरी बहन की चिकनी योवन जो बिस्तर पर टाँगे फ़ैलाये लेटी पड़ी थी तिरछी नज़र डाल देख रहा था और शालिनि भाभी के वासना वाली सूरत देख खुद को बेकाबू होने से जैसे तैसे सम्हालते रुका था कि मधु से पहले मेरी शालिनि भाभी अकड़ गई और मधु के सिर के आगे बालों पर चुत रगड़ती स्वतः ही काँपती खुद को सहलाते न जाने क्या सोच एक अति तेज़ धार से मेरे नंगे जिस्म पर पिचकारी मरती बोली देवर जी ऐसी यादें याद करोगें तोह मेरी भी भावना उमड़ पड़ेगी और उनकी मुत बहने लगी थीं और कुछ छीटे मुझे तोह मिले पर बाकी सब मधु की मांग को भिगोते उसके केसों को गीला करने लगे और मधु बोलने लगी दीदी आपने तोह मुझे नहला दिया और मेरी बहन काँख को चाटे बोली शालिनि भाभी की मुत सच मे बढ़ी गर्म और नमकीन है भइया और मेरी मधु मुत के झिटो से चमक उठी थी और हाँफते शालिनि भाभी के जिस्म को यू सहला रही थी कि मानो कह रही हो अब उसकी बारी हो और मेरी बहन अपने हाथ को अपनी योवन चुत पर डाल खुद को खुद से महसूस करती बस मधु के टूट जाने का इंतज़ार करने लगी थी । शालिनि भाभी पूर्णतः ठंडी पड़ चुकी थी मानो ऐसा हुआ हो कि भाभी मूतने से पहले चर्मसुख प्राप्त कर ली हो और वो बड़े शांत भाव से मधु के चेहरे पर अपनी सुर्ख़ तृप्त चेहरे को डाल होंठो को चुसने लगी थीं और मधु ने भाभी के केसों को हाथों से जकड़ खुद पर दबाई पर मोनिका ने दाँत काट हाथ को आज़ाद करवा लिया था कि वो काँख को आराम से चाट सके और ऐसे माहौल को देखते अब मेरा यू जगे हवस की लड़ाई मे टिक पाना बड़ा मुश्किल बन बैठा और मैंने बुझते दिये सा मधु के कमर को हाथों से जकड़ कुछ तेज़ वार किए और एकाध बूँद उसकी नई नवेली गाँड के छेद मे अर्पित कर निढ़ाल हो गया और अपनी मर्दाग्नि को पीछे छोड़ लड़ को निकाल दोनों हाथों को मधु के चौड़े गाँड पर लगा उसे उठा कर चुत चाटने लगा और वो गाँड लहराती बिना किसी पुरबाभास के मेरे चेहरे पर मूतने लगी और मेरी प्यासी कण्ठ उसके नामकिन गर्म मुत से तृप्त हो गईं और चेहरे से टकराती उसकी धार उसके ही जिस्म पर फैलने लगी और मेरी बहन खुद को मधु के कमर पर लेटा उन बूंदों को अपने सुर्ख़ चेहरे को भिगोने लगी थी और इस कदर मधु ने बड़े लंबे समय के बाद मुझे यू अपनी मुत से भिगोया था और वो मेरे चाटने से अति मनमोहक सिसकी लेती एक आखरी पिचकारी मार बैठी जो मुत नही अपितु मधु के योवन का रस था ।



अब मैंने अच्छी तरह मधु के झाघो और चुत के इर्दगिर्द जीभ फेर सब चट कर खा लिया था और उसके कमर को गाँड सहित बिस्तर पर ला रखा था कि मेरी प्यासी बहन मुझसे लिपट मेरे चेहरे को चाटने लगी और हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और वो मेरे हाथ को पकड़ खुद के कच्चे रसधार वाली चुत पर रखती मुझे चाटने लगी ओर मधु के योवन से चिपचिपी मेरी चेहरे की सफाई करती मानो खो सी गईं और मैं भी इत्मिनान बहन के रसभरी चुत मे उँगली करता उसको सुख देने लगा और वो मेरे चेहरे को सुखा मेरे होंठो को चुसने लगी और उसकी लार मेरे मुँह मे आने लगी जो एक अजीब स्वाद से भरी हुई थी और ऐसा लग रहा था  योवन के सब रस का एक मिश्रण हो , मैंने बड़े चाव से बहन की लार गटक कर खुद को उसके जिस्म पर दबाने लगा और एक उँगली की जगह तीन उँगलियों को फ़सा उसके चुत को उठाया और वो दोनों हाथों को ऊपर करती  बिल्कुल मेरे बशीभूत हो अँगड़ाई भर थिरकते सिसकी लेती आँखे बंद करे पड़ी रही ओर मैं उँगलियों को तेज चलाने लगा और उसके काँखों को बरी बारी चाटने लगा जिस कारण वो अति उतेजित हो मेरे उँगलियों को अपनी जवान योवन के रस से तरबतर करती बोली भइया थक गई अब छोर दो न और मैं उँगलियों को रगड़ता बोला छोर देता हूँ उठ कर मेरे मुँह पर बैठ मुत पिला दो तोह , वो शर्माती लजाती बोली भइया मुत नहीं लगी है कैसे पिलाऊँ ,नही लगी फिर भी निकलूंगा कह मैंने उसके होंठो को चुसने लगा और तेज़ उँगली करता उसके बालों को खींच बहन को उतेजना भरे संसार मे खिंचने लगा ।


 मेरी बहन नई नई इस संसार के काम मोह को समझी थी और यू उसके लिए वापस गर्म होना मुश्किल न था और थोड़े ही प्रयासों से मोनिका के दोनों हाथ मेरे गर्दन पर जकड़ गए और उसकी गाँड उठ उँगलियों पर वार करने लगी जिससे मेरी हालत उतेज़न को जन्म देने लगी और मैं तेज़ उँगली करता उसके चुत को हवा मे उठाने लगा और वो इस पर साथ देती पुनः मुझे खुद पर खिंचती इठलाने लगी और मैंने भी समय का पूर्ण इश्तेमाल करते अपनी कानी अंगुली को उसके गाँड पर धकेल दिया और बहन के तीनों छेदों पर अपना साम्राज्य स्थापित करता बड़े गर्व से उसके जीभ को खींच चुसने लगा और वो मेरा साथ देती मेरे जीभ को चुस्ती रही ।



मोनिका योवन की ऐसी अवस्ता मे थी जहाँ उसका अबिल्लम जिस्म चर्म पर पहुँच जाता और ऐसा ही हुआ पर इस बारी मैंने उँगलियों को खींच उसे तड़पन के अनुभव से अवगत कराया और वो तड़प उठी मानो उसकी चुत झड़ने को बेताब हो पर ऐसा न होते देख वो मेरे होंठो को काटने लगी और दाँतो तले दबा बिल्कुल पागल सी हो गईं । 


ये देख मधु ने अपनी टांग मेरे गाँड पर फेरा ओर बोली क्यों जी बेचारी को मेरी तरह क्यों बना रहे ,वो अनछुई नहीं बल्कि एक तगड़े लिंग के वॉर से खुद को तृप्त की हुई लड़की है , आप बेचारी को ऐसे कशमकश मे डालोगे तोह यहाँ से निकलते ही वसंत के लड़ की सवारी कर आएगी ,ये सुनते भाभी हँसने लगी और बोली मधु क्या तुझे कभी मेरे देवर के ऐसी हरकतों से दूसरे लड़ की तड़पन नहीं मसहूस हुई थी , मधु शरमाते बोली नहीं दीदी मुझे तोह इनके खेल मे मज़ा आता था थोड़ी देर ये ज़रूर तड़पते थे फिर तोह ऐसा सुख देते थे कि हॉफ जाती थी और इस बिस्तर पर सेकड़ो रातें इन्होंने मुझे रात रात भर तड़पाया ओर मुतवाया है कि सुबह बदन टूट जाता था जब ये चाय बना कर मुझे उठाने आते थे।


भाभी ने मधु के सिर को अपने झघो पर रख चेहरे को सहलाते बोली कि मूंगफली से भी तू तृप्त अवस्था मे थी ,मधु बोली हाँ भाभी इनकी हरकते किसी को भी झड़ने पर मजबूर कर दे क्योंकि ये जल्दी छोड़ते नहीं बाकी इनके धक्कों मे भले जान न थी पर मेरी जिस्म कभी प्यासी भी नही रहने दिया ।मधु की मुँह से अपने प्रति प्यार के बोल सुन मैं आत्मबिभोर हो गया कि मेरी चुदासी बहन मुझे खिंच बोली भइया अब भाभी नहीं मैं हूँ आपकी उनको भूल मुझे वहीं सुख दो जो भाभी को बरसों आपने दिया कि मैं भी भाभी की तरह आपकी प्यासी बन जियूँ , मोनिका के यू कहने से मेरी ज्वाला भड़क उठी ओर मैं उसके चुत पर उंगली फेरता बोला बहन अपने निपल्लों को रगड़ दिखाओ वो झट से अपने निपल्लों को उँगली से सहलाने लगी ,मधु बोली ननद जी ऐसे नही तेरे भइया को खुश करना है तोह थूक से उँगली भिगो कर निप्पलों को सहलाओ और मोनिका शर्माती अपनी उंगली को बड़े प्यार से अपने थूक से भिगो सहलाने लगी और शालिनि भाभी ने मधु के निपल्लों पर थूक बोला तुझे मैं सहला देती ।


मोनिका थूक से निप्पल सहलाने लगी पर चिप चिप करती वो एक नए अनुभव को महसूस की जिस वजह से वो थोड़ी करहाने लगी और कमुक लहजे मे बोली भइया चुत मे उँगली कर दो न अब तो अपनी बहन को न सताओ मान जाओ भइया अब बड़ी खुजली हो रही चुत के दीवारों पर अपने उँगली से रगड़ मारो न उफ्फ्फ भइया अपनी छोटी बहन को फिर से थका दो न ऐसी बाते मोनिका के मुँह से सुन मैंने झुक कर उसके चुत पर थूक दिया और थूक को उसके दाने के दोनों तरफ सहलाते बड़े आराम से रगड़ने लगा और अंग्गूठे को दाने के ऊपर रखा और मेरी बहन सर उठा कर काँपते बोली भइया उफ्फ्फ ऐसा न ऐसा हाँ अहह भइया और उसे देख मधु बोली मेरी ननद ऐसा तड़पन सुहागरात को और कई रातों को तेरे भइया ने मुझे दिया था और मैं भी हाँ ना करती मचल उठी थी ।


मोनिका अब झड़ने को बेताब थी और अपने निपल्लों को बेदर्दी से मसलते कौंध रही रही थी और मैं अपनी तीनों उँगलियों को उसके प्यासे चुत पर रखा और वो खुद को धकेल मेरे उँगलियों पर कमर डोलाने लगी और बिना परेशानी वो हिचकोले मारने लगी ,अब जवान जिस्म करे तोह क्या करे सहे तोह कितना और चंद मिनटों मे मेरी बहन वापस काँपती निढ़ाल हो गईं और मैंने उँगली को उसके लबो पर रगड़ बोला चाट के बताओ बहन क्या भइया ने तुझे सच मे थका दिया वो मेरी आँखों मे डूब उँगलियों को चाटती अपने जिस्म पर खिंच बोली भइया आपके अंदाज़ ने मुझे सच मे आपकी रंडी बना दिया और मधु बोली देख ननद सौतन न बन जाना बहुत मरूँगी और सब हँसने लगे ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 29-08-2020, 12:14 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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