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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#38
काव्या यह देख कर हैरान रह गयी कि रफीक इस समय उसके सामने क्या कर रहा है और उससे भी ज्यादा वो इतना परेशान क्यो है ? आखिर कार काव्या एक प्रोफेशनल डॉक्टर है उसको अपने सामने वाले के शारिरिक भाव समझ मे आ जाते है। पर यहा समस्या यह नही थी कि रफीक सामने खड़ा है यह काव्या के लिए यह मुसीबत थी कि वह एक रुमाल ओर सिर्फ रुमाल लपेटे हुए एक अनजान और ऐसे व्यक्ति के सामने खदी थी जिसको वह जानती भी नही है। फिर काव्या उस अनजान व्यक्ति को बोलती है कि को हो तुम मेरे रूम मे क्या कर रहे हो ? काव्या को कुछ शक तो हो गया था रफीक की हालत देख कर की जरूर इसने कुछ गलत किया या तो चोरी या फिर नही नही ये मैं क्या सोच रही हु। रफीक जवाब देता है कि मैडम जी मैं रफीक हु नजमा का बेटा और इस घर का नोकर। फिर काव्या को ध्यान आता है कि दादी ने बताया था कि नजमा और उसका बेटा यहा पर रहते है उसके दादा किशोरीलाल जी के समय से। फिर काव्या बोली कि तुम इस समय यह क्या कर रहे हो और हाफ क्यो रहे हो और शायद तुम इससे पहले भी रूम मे आ चुके हो। यह सुन कर रफीक के पैरों मे से जमीन खिसक गयीं और उसका मुंह खुला रह गया पर उसने थोड़ी हिम्मत करके हा बोल दिया। अब इसका विपरीत काव्या को यह सुनके आश्चर्य लगा और एयर कंडीशनर मैं उसके पसीने निकलने लगे। फिर काव्या अब रफीक से आँखे नही मिला पा रही थी और यही हाल इधर रफीक का भी था उसको भी काफी डर लग रहा था। फिर इसी बीच रफीक के फोन की वही "रिंकिया के पापा" वाली रिंगटोन बजी और काव्या थोड़ी हिम्मत से बोली कि तुमको शर्म नही आयी कि मैं इस कमरे मे सो रही थी और तुम गुस आये कमरे मे और उठाया भी नही। पर यही सुन कर रफीक थोड़ा आश्चर्य हुआ पर उसका दिमाग मे कुछ सूजा और काव्या की बात की बीच मैं काटते हुए बोला कि मैडम पर हम आये थे तब तो इस कमरे मे कोई नही था यहाँ तक कि आप भी नही थी और हम तो सुबह को आये थे आपका कमरा साफ करने हमको हमारी अम्मी ने बोला था। इसमे काहे की शर्म । फिर काव्या बोली कि तुमारा यह फोन यहाँ क्या कर रहा है ? मैडम जी हम सुबह को जब साफ सफाई कर रहे थे तो यह शायद हमारी जैब से निकल कर गिर गया तभी से हम इसको खोज रहे पर मिल ही नही रहा था । और साफ सफाई करना यह तो हमारा काम है। फिर रफीक तेजी से आगे आकर काव्या के पास खड़ा हो गया और उसके हाथ से फ़ोन लेने लगा। अचानक से हुए इस बदलाव और रफीक की हिम्मत से काव्या को अजीब लगा । पर काव्या एक खुले विचारों वाली थी उसको इतना इससे फर्क नही पड़ा ओर रफीक जल्दी से फ़ोन लेकर जाने लगा। और जाते जाते रफीक बोला की मैडम जी कुछ काम हो तो बोल देना। रफीक के जाने के बाद कई सवाल काव्या के दिमाग मे चल रहे थे ? पर अभी फिलहाल काव्या को रुमाल हटा कर कपड़े पहनने थे। काव्या काल और सफेद कलर का स्लीवलेस सलवार और चूड़ीदार कुर्ता पहन कर तैयार हो चुकि थी तभी उसको आयने मैं खुदको देखा और एक अजीब चीज नोट करी जो उसने कमरे मे पहली बार आने पर भी करी थी कि कमरा तभी भी गन्दा था और अभी भी गन्दा है फिर रफीक सुबह को क्या करने आया था और उसने सफाई तो बिलकुल नही करी है तभी उसको किसी के आने की आवाज़ आती है ओर फिर वह सब छोड़ को आ रहा है यह देखने लगती है तभी नजमा उसके कमरे मे आती है और बोलती है बीबीजी नमस्ते मैं नजमा । फिर काव्या बोलती है अरे आप है नजमा जी आपके खाने की तारीफ काफी सुनी है दादी से। फिर नजमा यह सुन कर थोड़ा खुश हो जाती है कि उसको किसी ने जी करके बुलाया। यहाँ गाँव मे लोग उसको पीठ पीछे पता क्या क्या नही बोलते थे माल , रंडी और किशोरीलाल की रखेल ना जाने क्या क्या। फिर नजमा बोली नही मैडम यह तो हमारा काम । पर नजमा काव्या को देख कर थोड़ा आश्चर्य और अलग से महसूस कर रही थी कभी उसने इतनी गोरी और वेल मेन्टेन वाली औरत नही देखी थी उसको लगता था कि ऐसे औरते सिर्फ सिनेमा और पिक्चर मे होती है। क्योंकि यहाँ गाँव मे अधिकतर औरते काली , सावली , मोटी या हद से ज्यादा पतली थी। कुछ गाँव की बड़े घर की औरतों को छोड़ कर जिनसे वो कभी नही मिली थी। एक पल के लिये नजमा काव्या को एक अपसरा की तरह देखने लगीं मानो जैसे उसको उपर वाले ने बडे ध्यान से समय लेकर बनाया है। नजमा का यह विचार था कि कोई साधारण से घरेलू सलवार सूट मे भी इतना सुन्दर ओर आकर्षित कैसे लग सकता है ? तभी काव्या बोली बोलो नजमा जी क्या हुआ ? आप कहाँ खो गयी ? " नजमा अपने खयालो से बहार आती है और कहती है मैडम जी क्या आप किसी सिनेमा की अदाकार या हीरोइन है क्या पर आपकी दादी जी तो कह रही थी कि आप एक डॉक्टर है ? यह सुन कर काव्या बहुत अच्छा और थोड़ी सी हसी आती है कि जब से वो गाँव के माहौल मैं आयी है तब से उसको कितनी तारीफ सुनने को मिल रही है भले ही वो सुलेमान हो या सत्तू या फिर सामने खड़ी नजमा । शहर मे काव्या को इतनी ज्यादा तारीफ सुनने की आदत नही थी या कहो उसे अपनी खूबसूरती की तारिफ सुनना ज्यादा पसन्द भी नही था पर गाँव के माहौल उसे अब यह सब अच्छा लग रहा था। तभी काव्या बोलती है क्या नजमा जी आप भी मैं भी आपके जैसी तो हूँ खामखा आप इतना चढ़ा रहे है। फिर इन्ही बातो के साथ दोनो नीचे आ गयी और काव्या ने दादी को प्रणाम किया और दादी बोली कि काव्या आराम हो गया ? यही सुनते काव्या ने हॉ मे गर्दन हिलायी ओर हा बोला फिर ऐसी ही कुछ नयी पुरानी बातों के साथ काव्या और दादी ने खाना खा लिया ओर फिर काव्या खाना खा कर बोली कि दादी अब मैं थोड़ा बाहर घूम आती हु आप भी चलो यह सुन कर दादी की हसी निकल जाती है और कहती है बेटी ये गाँव है आपका शहर नही जो रात को यह स्ट्रीट लाइट या रोड लाइट मिलेगी यहाँ सिर्फ अँधेरा मिलेगा कुछ है लाइट है यहाँ पर वो भी काफी अन्तर मे है। यह सुन कर काव्य थोड़ी निराश हो जाती है पर दादी बोलती है काव्या पर तुमको गुमना या थोड़ा चलना ही है तो हमारे बँगले के बाहर घुम लो ये नजमा भी खड़ी रहेगी ? काव्या दादी की बात को काट नही पायी और हा बोल दिया। फिर नजमा ने रफीक को कॉल लगाया और गुस्से मे बोली कहा रे तू खाना नही है क्या जल्दी आजा। फिर नजमा अपना बचा हुआ खाना खोली मे रख आयी जो वो बाद मे रफीक के साथ खाने वाली थी। और काव्या के साथ बाहर खड़ी हो गयी। काव्या बंगले के गेट के आस पास ही चल रही थी ओर सीढियो पर बैठी नजमा से बात कर रही थी और नजमा से गाँव के बारे मे जानकारी ले रही थी तभी सायकल पर सवार होकर रफीक और बीजू आते है तभी गेट के पास पहुँचने से पहले बीजू काव्या को इधर उधर धिरे धिरे चलते हुए देख लेता है और बोलता है इसकी माँ की आँख क्या माल है एक दम हीरोइन कंचा माल शहर की महँगी रंडी और बड़े घर की रांड बहुओ जैसा माल यहाँ क्या कर रहा है ? तभी रफीक अंदर देखता है तो उसको सिर्फ उसकी माँ दिखती है क्योंकि रफीक बीजू से पीछे था और उसका देखने का एंगल अलग था तभी रफीक बोलता है साले तुझको कितनी बार बोला है कि मेरी अम्मी के खिलाफ मैं तेरे ये गन्दे शब्द नही सुनुगा तभी बीजू उसकी तरफ देख कर बोलता है चूतिये तेरी अम्मी को कोन देख रहा है मैं तो वो खूबसूरत माल को देख रहा हु जो तेरी अम्मी के साथ खड़ी है क्या फिगर है साली का एक दम वो पोर्न स्टार जैसी । फिर रफीक आगे आकर देखता है तो उसको काव्या दिखती है और उसको अचानक गुस्सा आ जाता है काव्या के बारे मे अश्लील शब्द सुन कर वो चिल्ला के बोलता है मादरचोद रंडी की औलाद चुप हो जा वरना तेरी गान्ड मार दूँगा बेटिचूड़ । ये सुनकर तो मानो बीजू को यकीन ही नही हो रहा था कि रफीक ये बोल रहा है ? हमेशा चुप रहने वाला और अपनी अम्मी के बारे मे गन्दी गालिया सुन कर भी चुप रहने वाला रफीक आज इतना कैसे बोल गया ये विश्वास ही नही हो रहा था बीजू को। पर रफीक की आवाज़ इतनी तेज थी कि अन्दर काव्या और नजमा दोनो को सुनाई दे गयी और उन्होंने दोनों को देख लिया। फिर नजमा ने आवाज मेरी दोनो को और बोली क्या हुआ दोनो को क्यो झगड रहे हो। अन्दर आ जाओ यह सुन कर तो मानो बीजू तो खुशी से फुला न समाया और गेट खोल कर अन्दर आ गया और उसके पीछे रफीक भी। पर रफीक बिलकुल नही चाहता था कि बीजू एक और बार भी काव्या को देखे ओर अन्दर आये। पर अब वो कुछ नही कर सकता था। फिर दोनों काव्या और नजमा के पास आकर खड़े हो गये थे फिर नजमा बोली क्या रे तुम दोनों का साथ मे रहते हो और लड़ाई जगड़ा करते हो । फिर नजमा कहती है ये सब छोड़ो तुम दोनों इनसे मिलो ये है काव्य बीबी जी किशोरीलाल जी की पोती है ओर शहर की बहुत बड़ी डॉक्टर साहिब है। यह सुनके बीजू खुश हो जाता है और बोलता है कि यही वो डॉक्टर मैडम है जो हमारे गाँव का इलाज करने आने वाली थी ? यह बात काटते हुए काव्या बोली नही मैं वो नही हु मैं सिर्फ मेरी दादी के साथ कुछ दिन रहने आयी हु। यह सुनके बीजू बोलता ओके मैडम जी वैसे मेरा नाम बीजू है और अपना हाथ आगे लाता है काव्या से हाथ मिलाने के लिये यह देख कर काव्या को थोड़ा अजीब लगता है पर वो बीजू से हाथ मिला लेती है और अब हाल यह था कि काव्या का हाथ बीजू के हाथ मे था और यह देख कर रफीक को काफी गुस्सा आता है और एक जलन की भावना पैदा हो जाती है कि ये बीजु मादरजात ने कैसे किया । इधर बीजू जानता था कि शहर की पढ़ी लिखी लडकिया और औरते हाथ मिलाने से ज्यादा कतराती नही है यह तो गाँव वालों कि परेशानी है तभी काव्या बोलती है कि मैं डॉ काव्या अग्रवाल । पर अब बात यह थी कि बीजू काव्या का हाथ नही छोड़ रहा था यह देख कर रफीक बीच मैं पड़ा और बोला बीजू जा तेरी मम्मी तुझको बुला रही जल्दी आना यू बोला था तभी बीजू रफीक की चुटिया बाटे सुन कर काव्या का हाथ छोड़ता है और गन्दी हसी निकाल कर खड़ा हो जाता है।
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 27-08-2020, 10:25 PM



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