25-08-2020, 03:31 PM
“उम्mmmmmmm.....आ....ओह हनी....”
यहाँ शाम का समा उतरने ही वाला था के गहरी नींद से आखिरकार काव्या ने आखे खोले दी.एक जोर की अंगडाई देते हुये उसने अपने गोरी बाहे ऊपर कर दी. ऐसा लग रहा था कोई योवन सुंदरी अभी नहाकर आई हो. अपने बालो को सवारते हुए उसको पिन से बांध के वो बहुत मादक लग रही थी. अपनी सुस्ति से वो बाहर आने की कोशिश कर रही थी. उसका बदन उसको फ्रेश महसूस हो रहा था.
तभी अचानक उसको निचे कुछ गिला महसूस हुआ. वो अचानक चौक गयी. जब अपन हाथ लगाके देखा तो उसने पा के उसकी प्यांति पूरी आगे से भीग गयी थी और तो और उसके पेट पे और जांघो पे गिला पण महससू हो रहा था. उसने चौक कर के झटके में गौर से अपने प्यांति को देखा.
“ओह गॉड .ये क्या हुआ?”
सब गिला गिला महसूस करने से उसको झनझनी महसूस हो रहि थी. ठण्ड हवाओ से उस जगह और ठण्ड और गिला लग रहा था. उसने उसी चद्दर से उसको साफ़ किया.
“ये क्या हैं? मेरे पिरिओड्स तो नहीं हैं अभी...देन?”
मासिक हफ्ता उसका गुज़र गया था इसलिए वो उलझन में थि. ये गिला गिला हैं क्या.
“ ओह शिट ..ये कही वो तो नहीं? “
शायद उसके दीमाक की बत्ती अब बुझने चालू हो गयी थी. उसको लगा उसका पानी नींद में छुट गया. पर फिर भी पेट और बिस्तर को देख वो असमंजश में थी. पेशे से डॉक्टर होने से उसको सब समझने के लिए ज्यादा समय नहीं लगा. उसको ऐसा एहसास हुआ के भावनाओं में बहकर नींद में उससे शायद ऐसा हुआ होगा. पर इतना सारा चिपचिपा पानी देख के उसको थोडा शक हो रहा था. पर शायद मन का बरम समझके वो उलझन भरे मोड़ में थी.
“ओह....शिट...आई हैव तो क्लीन...हम्म”
खैर वो वैसे ही उठ खड़ी हुई. आह..क्या क़यामत माल थी काव्या, ब्रा और गीली प्यांति जिसपे उसके चूत से निकला पानी और रफीक के लंड से निकला वीर्य कहर धा रहे थे. उसने यहाँ वह देखा. उसको अपना तोवेलिया वार्डरॉब के पास बिछा देखा. वो वैसे ही अपना तोवेलिया ले कर सीधा बाथरूम में चली गयी. उसने ज्यादा कुछ सोचने से पहले खुदको साफ़ करना मुनासिफ समझा. अन्दर जाते ही अपनी प्यांति उतार के बाजू में फेक दी और शावर चालू करके उसके निचे खुद को रुका दिया. देखते ही देखते पानी की धारे उसकी मखमाली जिस्म से लेकर कोरी कोरी चूत को स्पर्श करके निचे एडियो तक टपकने लगी.
यहाँ रफीक आराम से खुशी से मारे साईकल पे से घर की और बढ़ रहा था. उसको तभी उसके दोस्त बीजू की याद आ गयी. वो रुका और खुद से बुदबुदाया,
“क्यों न बीजू से मिल लिया जाये उसको भी तो जाने रफीक डरपोक नहीं हैं”
ख़ुशी से मारे उसने अपने कच्छे के सिली हुई जेब में अपना मोबाइल लेने हाथ डाला. पर उसको वो वह मिला नहीं. फिर उसने अपना कुर्ता टटोला कही पे भी मोबाइल मिलने का नाम नही ले रहा था.
“या अल्लाह,,मोबाईल कहा गया? अम्मी को पता चला तो गया मैं”
बैचनी और डर में अचानक उसको याद आया. जल्बाजी में उसने वो मोबाइल दुसरे जेब में रखा था जो के कितने दिन से फटा पड़ा था. उसके तो पसीने निकल गए.
“ओ तेरी, मोबाइल तो कमरे में बेड के निचे गिर गया होगा? अब क्या करू?”
उसके माथे पे पसीने आ गए,
“अगर वह मोबाइल मिला तो काव्या जी की नानी तो मेरी जान निकाल देगी.”
उसने एक झटके में साइकिल मोडी और काव्या के बंगले की तरफ बहुत तेज़ी से पैडल घुमाने लगा. राजधानी एक्सप्रेस की तरह उसने पुरे ताकद से बंगले की तरफ अपनी कुछ थी. जैसे किसी सेना के साथ चढ़ाई करने जा रहा हो. भय और भावनाओ में आज रफीक ने जीवन का ऐसा दिन गुजारा था जो उसको शायद चैन की सांस लेने नहीं दे रहा था.
यहाँ काव्या शावर के निचे अर्ध नग्न खड़ी थी. पानी ने उसको थोड़ी राहत दी. खुदको और आज़ाद करने के लिए उसने अपनी ब्रा के हुक पीछे से खोले और अपने नाजुक गोरी बाहों में से उसको उतार दिया. उसने जैसे ही अपनि ब्रा निकाल के बाजू में फेक दी. उसके ३२ के भरेभरे दूध उछल से आजाद हो गए. वा,,,नंगी पुंगी योवन सुंदरी इस कदर शावर के नीछे खड़ी थी के मानो वह हुस्न से आग लगाने वाली हो सब तरफ. पानी बदन से बह रहा था वो सुकून महसूस कर रही थी. पर उसके मन में अभी भी वो शक आ रहा था के वो धब्बे हैं किस चीज के? प्व्शे से डॉक्टर होने से उसको वो बाते समझ तो रही थी पर उसका दिल मान नहीं रहा था.
वो पानी को बदन पे लेते सोच रही थी:
“कही..मैं नींद में डिस्चार्ज तो नहीं...? या फिर कोई और आया तो नहीं था सोने के बाद?”
सोचते सोचते उसका हात उसके नाजुक गले पे जैसे ही लिप्त उसको तुरंत शोक लग गया.
“ओह...रमण...मेरा मगल्सुत्र? कहा गिरा?”
उसके मन में जैसे लहर दौड़ गयी. सब सवाल एक ही बात पे अटक गए मंगलसूत्र. वो बैचैन हो गयी. अपने भीगे बदन की परवाह ना करते उसने यहाँ वह देखा. बाजू में फेकी हुई ब्रा उठा केदेखा तो उसमे भी कही मंगलसूत्र अटके जैसा नहीं दिखा. उसने बाथरूम में यहाँ वह देखना चालू कर दिया.
“ओह्ह...शिट...मेरा मगल्सुत्र...”
पूरा ध्यान उसको पाने में उसका लगा हुआ था. शोवर अभी भी ऑन था. पानी की बौछार उसके ऊपर चालू थी.
“ओह...ये पानी...” गुस्से से उसने उठकर शोवर पहले बंद किया. और पानी ने उसको भीगना रोक दिया. जल्दी जल्दी में अपना तोवेल लेकर वो बालो को साफ़ करने लगी. और वैसे ही तोवेल १ मिनट में अपने बदन से लपेटकर वो कैसे तैसे बाहर आ कर मंगलसूत्र ढूँढना चाहती थी.
उसने वैसे ही तोवेल अपने भीगे बदन पे लपेटा और बाथरूम के बाहर आ गयी. अध् गिले बदन की परवाह ना करते वो यहाँ वह रूम में ढूंढ रही थी. अपनी बीएड पे जाके उसने चद्दर और तकिये झांके पर कुछ मिला नहीं. उसकी बैचनी बढ़ रही थी पर उसके साथ ही बैचैन था उसका तोवेल जो जरा छोटा था और बड़े मुस्किल से उसके बदन को सवारे हुए था.
यहाँ रफीक भी १० मिनट में ही वापस काव्या के बंगले के गेट पर आ गया. वही उसने साइकिल लगा दी और दरवाजे की तरफ भागा. तभी उसके पीछे से आवाज आई,
“अरे छोकरे, कहा जा रहा हैं?”
काव्य की नानी जो बागीचे में टहल रही थी उसने रफीक को पीछे से आवाज दी थी.
रफीक की तो पहले ही बत्ती गुल थी वो कैसे तो हडबडाते सास लेते हुए बोला,
“जी...जी...अम्मा जी..वो अम्मि से चाबी लेनी थी...”और आगे कुछ सुनने के पहले बिना कुछ बोले वो सर्र कर के भागा अन्दर की और.
अन्दर काव्या अपने भीगे बदन से मंगलसूत्र ढून्ढ ही रही थी के उसको अचानक बेड के निचे कुछ आवाज आती हैं. वो वही चीज थी जो रफीक वह भूल गया था. उसका मोबाइल. उसके मोबाइल की रिंगटोन जोर से बज रही होती हैं. वो पलट के उस तरफ देखती हैं और उस रिंगटोन को सुनती हैं.
“लगावेलु जब लिपस्टिक, हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट
ज़िला टॉप लालेलु
कमरिया करे लापा लप, लोलीपोप लागेलु”
काव्या हैरानी से बेड के निचे झुकती हैं जिससे उसका तोवेल और ऊपर चढ़ जाता हैं उसका पिछवाडा लगभग खुल जाता हैं.
गुस्से से काव्या ने वो मोबाइल उठाया उसपे देखा कोई बीजू नामे से कॉल आ रहा होता हैं. उसको देख उसके मन में गुस्से के साथ कही सवाल आने लगे.
“ओह...इसका मतलब कोई आया था,,कही उसने ही तो ..?”
उसका माथा आगबबुला हो गया. गुस्से से वो चिड गयी. उसको चोरी का शक आने लगा. वो बस उठ के अपने आप को वार्डरोब के शीशे में देखती हैं. बड़े गुस्से में आगबबुला हो वो वह खुदको देखती हैं. और जैसे ही जोर से अपनी नानी को आवाज देनी वाली थी. के वो अचानक से रुक गयी.
सामने सास फूलता हुआ रफीक दरवाजे पे दस्तक ले आया था. उसको देख काव्या और गुस्सा हो गयी और रफीक तो मानो डर के काप रहा था. पर दोनों के वजह अलग थे. रफीक को काव्या के गुस्से वाले चेहरे के साथ उसका एक हाथ में पकड़ा मोबाइल तो दिख ही गया पर साथ ही दुसरे हाथ में पकड़ा हुआ तोवेल जो के उन दोनों से भी ज्यादा बैचैन हो रहा था. शायद ये समय रफीक के लिए किसी ऐसा था जैसे धुप और बारिश , गुस्सा और हुस्न एक ही समय आ गयी हो. उसके मूह में पानी भी आ रहा था और गले से उतर भी नही रहा था. पुरे खोली में डर और गुस्से से सन्नाटा छा जाता हैं. पर फिर से रफीक का मोबाइल बज पड़ता हैं और खोली में रिंगटोन की आवाज घुमने लगती हैं.
“लगावेलु जब लिपस्टिक, हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट
ज़िला टॉप लालेलु
कमरिया करे लापा लप, लोलीपोप लागेलु”
यहाँ शाम का समा उतरने ही वाला था के गहरी नींद से आखिरकार काव्या ने आखे खोले दी.एक जोर की अंगडाई देते हुये उसने अपने गोरी बाहे ऊपर कर दी. ऐसा लग रहा था कोई योवन सुंदरी अभी नहाकर आई हो. अपने बालो को सवारते हुए उसको पिन से बांध के वो बहुत मादक लग रही थी. अपनी सुस्ति से वो बाहर आने की कोशिश कर रही थी. उसका बदन उसको फ्रेश महसूस हो रहा था.
तभी अचानक उसको निचे कुछ गिला महसूस हुआ. वो अचानक चौक गयी. जब अपन हाथ लगाके देखा तो उसने पा के उसकी प्यांति पूरी आगे से भीग गयी थी और तो और उसके पेट पे और जांघो पे गिला पण महससू हो रहा था. उसने चौक कर के झटके में गौर से अपने प्यांति को देखा.
“ओह गॉड .ये क्या हुआ?”
सब गिला गिला महसूस करने से उसको झनझनी महसूस हो रहि थी. ठण्ड हवाओ से उस जगह और ठण्ड और गिला लग रहा था. उसने उसी चद्दर से उसको साफ़ किया.
“ये क्या हैं? मेरे पिरिओड्स तो नहीं हैं अभी...देन?”
मासिक हफ्ता उसका गुज़र गया था इसलिए वो उलझन में थि. ये गिला गिला हैं क्या.
“ ओह शिट ..ये कही वो तो नहीं? “
शायद उसके दीमाक की बत्ती अब बुझने चालू हो गयी थी. उसको लगा उसका पानी नींद में छुट गया. पर फिर भी पेट और बिस्तर को देख वो असमंजश में थी. पेशे से डॉक्टर होने से उसको सब समझने के लिए ज्यादा समय नहीं लगा. उसको ऐसा एहसास हुआ के भावनाओं में बहकर नींद में उससे शायद ऐसा हुआ होगा. पर इतना सारा चिपचिपा पानी देख के उसको थोडा शक हो रहा था. पर शायद मन का बरम समझके वो उलझन भरे मोड़ में थी.
“ओह....शिट...आई हैव तो क्लीन...हम्म”
खैर वो वैसे ही उठ खड़ी हुई. आह..क्या क़यामत माल थी काव्या, ब्रा और गीली प्यांति जिसपे उसके चूत से निकला पानी और रफीक के लंड से निकला वीर्य कहर धा रहे थे. उसने यहाँ वह देखा. उसको अपना तोवेलिया वार्डरॉब के पास बिछा देखा. वो वैसे ही अपना तोवेलिया ले कर सीधा बाथरूम में चली गयी. उसने ज्यादा कुछ सोचने से पहले खुदको साफ़ करना मुनासिफ समझा. अन्दर जाते ही अपनी प्यांति उतार के बाजू में फेक दी और शावर चालू करके उसके निचे खुद को रुका दिया. देखते ही देखते पानी की धारे उसकी मखमाली जिस्म से लेकर कोरी कोरी चूत को स्पर्श करके निचे एडियो तक टपकने लगी.
यहाँ रफीक आराम से खुशी से मारे साईकल पे से घर की और बढ़ रहा था. उसको तभी उसके दोस्त बीजू की याद आ गयी. वो रुका और खुद से बुदबुदाया,
“क्यों न बीजू से मिल लिया जाये उसको भी तो जाने रफीक डरपोक नहीं हैं”
ख़ुशी से मारे उसने अपने कच्छे के सिली हुई जेब में अपना मोबाइल लेने हाथ डाला. पर उसको वो वह मिला नहीं. फिर उसने अपना कुर्ता टटोला कही पे भी मोबाइल मिलने का नाम नही ले रहा था.
“या अल्लाह,,मोबाईल कहा गया? अम्मी को पता चला तो गया मैं”
बैचनी और डर में अचानक उसको याद आया. जल्बाजी में उसने वो मोबाइल दुसरे जेब में रखा था जो के कितने दिन से फटा पड़ा था. उसके तो पसीने निकल गए.
“ओ तेरी, मोबाइल तो कमरे में बेड के निचे गिर गया होगा? अब क्या करू?”
उसके माथे पे पसीने आ गए,
“अगर वह मोबाइल मिला तो काव्या जी की नानी तो मेरी जान निकाल देगी.”
उसने एक झटके में साइकिल मोडी और काव्या के बंगले की तरफ बहुत तेज़ी से पैडल घुमाने लगा. राजधानी एक्सप्रेस की तरह उसने पुरे ताकद से बंगले की तरफ अपनी कुछ थी. जैसे किसी सेना के साथ चढ़ाई करने जा रहा हो. भय और भावनाओ में आज रफीक ने जीवन का ऐसा दिन गुजारा था जो उसको शायद चैन की सांस लेने नहीं दे रहा था.
यहाँ काव्या शावर के निचे अर्ध नग्न खड़ी थी. पानी ने उसको थोड़ी राहत दी. खुदको और आज़ाद करने के लिए उसने अपनी ब्रा के हुक पीछे से खोले और अपने नाजुक गोरी बाहों में से उसको उतार दिया. उसने जैसे ही अपनि ब्रा निकाल के बाजू में फेक दी. उसके ३२ के भरेभरे दूध उछल से आजाद हो गए. वा,,,नंगी पुंगी योवन सुंदरी इस कदर शावर के नीछे खड़ी थी के मानो वह हुस्न से आग लगाने वाली हो सब तरफ. पानी बदन से बह रहा था वो सुकून महसूस कर रही थी. पर उसके मन में अभी भी वो शक आ रहा था के वो धब्बे हैं किस चीज के? प्व्शे से डॉक्टर होने से उसको वो बाते समझ तो रही थी पर उसका दिल मान नहीं रहा था.
वो पानी को बदन पे लेते सोच रही थी:
“कही..मैं नींद में डिस्चार्ज तो नहीं...? या फिर कोई और आया तो नहीं था सोने के बाद?”
सोचते सोचते उसका हात उसके नाजुक गले पे जैसे ही लिप्त उसको तुरंत शोक लग गया.
“ओह...रमण...मेरा मगल्सुत्र? कहा गिरा?”
उसके मन में जैसे लहर दौड़ गयी. सब सवाल एक ही बात पे अटक गए मंगलसूत्र. वो बैचैन हो गयी. अपने भीगे बदन की परवाह ना करते उसने यहाँ वह देखा. बाजू में फेकी हुई ब्रा उठा केदेखा तो उसमे भी कही मंगलसूत्र अटके जैसा नहीं दिखा. उसने बाथरूम में यहाँ वह देखना चालू कर दिया.
“ओह्ह...शिट...मेरा मगल्सुत्र...”
पूरा ध्यान उसको पाने में उसका लगा हुआ था. शोवर अभी भी ऑन था. पानी की बौछार उसके ऊपर चालू थी.
“ओह...ये पानी...” गुस्से से उसने उठकर शोवर पहले बंद किया. और पानी ने उसको भीगना रोक दिया. जल्दी जल्दी में अपना तोवेल लेकर वो बालो को साफ़ करने लगी. और वैसे ही तोवेल १ मिनट में अपने बदन से लपेटकर वो कैसे तैसे बाहर आ कर मंगलसूत्र ढूँढना चाहती थी.
उसने वैसे ही तोवेल अपने भीगे बदन पे लपेटा और बाथरूम के बाहर आ गयी. अध् गिले बदन की परवाह ना करते वो यहाँ वह रूम में ढूंढ रही थी. अपनी बीएड पे जाके उसने चद्दर और तकिये झांके पर कुछ मिला नहीं. उसकी बैचनी बढ़ रही थी पर उसके साथ ही बैचैन था उसका तोवेल जो जरा छोटा था और बड़े मुस्किल से उसके बदन को सवारे हुए था.
यहाँ रफीक भी १० मिनट में ही वापस काव्या के बंगले के गेट पर आ गया. वही उसने साइकिल लगा दी और दरवाजे की तरफ भागा. तभी उसके पीछे से आवाज आई,
“अरे छोकरे, कहा जा रहा हैं?”
काव्य की नानी जो बागीचे में टहल रही थी उसने रफीक को पीछे से आवाज दी थी.
रफीक की तो पहले ही बत्ती गुल थी वो कैसे तो हडबडाते सास लेते हुए बोला,
“जी...जी...अम्मा जी..वो अम्मि से चाबी लेनी थी...”और आगे कुछ सुनने के पहले बिना कुछ बोले वो सर्र कर के भागा अन्दर की और.
अन्दर काव्या अपने भीगे बदन से मंगलसूत्र ढून्ढ ही रही थी के उसको अचानक बेड के निचे कुछ आवाज आती हैं. वो वही चीज थी जो रफीक वह भूल गया था. उसका मोबाइल. उसके मोबाइल की रिंगटोन जोर से बज रही होती हैं. वो पलट के उस तरफ देखती हैं और उस रिंगटोन को सुनती हैं.
“लगावेलु जब लिपस्टिक, हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट
ज़िला टॉप लालेलु
कमरिया करे लापा लप, लोलीपोप लागेलु”
काव्या हैरानी से बेड के निचे झुकती हैं जिससे उसका तोवेल और ऊपर चढ़ जाता हैं उसका पिछवाडा लगभग खुल जाता हैं.
गुस्से से काव्या ने वो मोबाइल उठाया उसपे देखा कोई बीजू नामे से कॉल आ रहा होता हैं. उसको देख उसके मन में गुस्से के साथ कही सवाल आने लगे.
“ओह...इसका मतलब कोई आया था,,कही उसने ही तो ..?”
उसका माथा आगबबुला हो गया. गुस्से से वो चिड गयी. उसको चोरी का शक आने लगा. वो बस उठ के अपने आप को वार्डरोब के शीशे में देखती हैं. बड़े गुस्से में आगबबुला हो वो वह खुदको देखती हैं. और जैसे ही जोर से अपनी नानी को आवाज देनी वाली थी. के वो अचानक से रुक गयी.
सामने सास फूलता हुआ रफीक दरवाजे पे दस्तक ले आया था. उसको देख काव्या और गुस्सा हो गयी और रफीक तो मानो डर के काप रहा था. पर दोनों के वजह अलग थे. रफीक को काव्या के गुस्से वाले चेहरे के साथ उसका एक हाथ में पकड़ा मोबाइल तो दिख ही गया पर साथ ही दुसरे हाथ में पकड़ा हुआ तोवेल जो के उन दोनों से भी ज्यादा बैचैन हो रहा था. शायद ये समय रफीक के लिए किसी ऐसा था जैसे धुप और बारिश , गुस्सा और हुस्न एक ही समय आ गयी हो. उसके मूह में पानी भी आ रहा था और गले से उतर भी नही रहा था. पुरे खोली में डर और गुस्से से सन्नाटा छा जाता हैं. पर फिर से रफीक का मोबाइल बज पड़ता हैं और खोली में रिंगटोन की आवाज घुमने लगती हैं.
“लगावेलु जब लिपस्टिक, हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट
ज़िला टॉप लालेलु
कमरिया करे लापा लप, लोलीपोप लागेलु”