25-08-2020, 02:27 PM
बस फिर क्या? अब वो उसके वश में हो गया था. उसने अपनी हिम्मत बढाई और दायने हाथ की उँगलियों से काव्या की प्यांति को एक तरफ से उठा लिया और बाए हाथ से उसको बहुतही हल्का सा महसूस किया. प्यांति बाजु में करने के कारन काव्या की चूत पूरी बाहर आ गयी. कुछ भी हो आज काव्या की चूत का दर्शन बार बार मिल रहा था. कुछ घंटो के पहले ही झाड़ियो में उसकी चूत ने अपना पेशाब छोड़ा था तब सब ने उसका नयनसुख लिया. और अब तो इतने करीब से कोई उसके साथ अपनी उँगलियों से खेल रहा था. वक़्त इतना तेज़ी से करवट बदलेगा ये तो काव्या की खुबसूरत चूत को भी पता चल गया होगा.
रफीक ने एक टक से उसकी चूत पे नजर डाली. उसका लंड तो मानो चीख रहा था, कबका कच्छे के बाहर आकर दंगल मचा रहा था. बस उसको चाहिए था वो सुनहरा छेद जिसका मजा रफीक की आँखे उठा रही थी. रफीक थोडा नजदीक गया. उसने अपनी जुबान काव्या के अंगो पे बेहद धीरे से चलाई. बड़े कोमलता से वो उनको चाट रहा था. उसका रोम रोम उत्तेंजित हो रहा था.
उसने अपनी नाक काव्या के योनी पे टिकाई. उसकी मादक खुशबू लेकर के वो और बेकाबू हो गया. उसने अपने बाये हाथ की बिच वाली ऊँगली काव्या के चूत के ऊपर से नीचे की तरफ बहुत ही हलके से घुमाई. वो स्पर्श, वो एहसास, वो महक उसकी उत्तेजना को सीमा पार बढ़ा रही थी. अब प्रेम जो चरम सीमा पर था वो रफीक को अलग दुनिया में ले जा रहा था. उसी बहाव में बहते उसकी जबान उसके मूह से बाहर आ गयी. बिना कुछ देरी लगाते उसकी उँगलियों की जगह उसके जबान ने ले ली. और देहाती नवयुवक ने देखते ही देखते शहरी राजसी महिला के मखमली चूत पे अपनी जबान फिरा दी.
**************
यहाँ दूसरी और सलमा की जबान और मूह भी कहा खुले थे. सत्तु मादरजाद अपना मुसल लंड उसके मूह में दबाते जा रहा था. उसके बालों को पकड़ के वो लंड को पूरी तकाद से उसके मूह के अन्दर बाहर कर रहा था.
“आह...रंडी...सलमा....चूस....रंडी...”
उम..उ...ऊउम्मम्म...की आवाज के अलावा सलमा के पास कोई शब्द नहीं थे. मुसल लंड उसके मूह चोदे जा रह था. उसकी चीखे आवाज सब दब रही थी. ऊपर से सुलेमान का सांड जैसा बदन उसके ऊपर कहर बरसाके सो गया था.
गल्प गल्प.....कर कर के सलमा का मूह को अछि तरह चोद के सत्तू अपनी प्यास बुझा रहा था. उसने अपने एक हाथ से सलमा के दूध के ऊपर की घुंडी को चिकोटी काट ली.
“आई.....हाई.....चूस रंडी....जोर लगा..:”
सालमाँ की आँखों से पानी टपक गया. वो पानी रोने का नहीं था बस एक मीठा सा दर्द था. जो अब उसको सहने की आदत लग गयी थी. लंड का पसीना, खोली में शराब का असर उसका गला सुखा रही थी. बस राहत थी तो बाहर से आती हुई ठंडी हवा और मीट्टी की खुशबु. उसके मूह से निकलती थूक से सत्तू का लंड पूरा का पूरा भीग गया था. सलमा को भी ये पता था के दोनों कलुटो से पीछा छूडाना हैं तो उसको खुद खेल में उतरना ही होगा. ठीक जैसे सुलेमान के साथ उसने अपना सहयोग दिखाया. उसने वक़्त ना गवाते ठीक उसी समय अपने बाय हात मे सत्तू का लंड पकड़ा और मूह के अन्दर चलने दिया.
सत्तू ये देख के बहुत खुश हुआ और बोल पड़ा..”आज पक्की रंडी बन गयी हो सलमा...आः...मजा आ गया तुमको ऐसा देखके.,,...मेरी रंडी...चूस और चूस...“
वासना भी अजीबी होती हैं. हर वो शरीर का पुर्जा जो इसमें जुट जाए वो पूरी तरह से उसके आधीन हो जाता हैं. एक तरफ एक लंड और एक तरफ एक चूत दोनों को भी बड़ी तबियत से चूसा जा रहा था.
*************************
रफीक जो बेकाबू बन गया था उसने अपने होठ काव्या के चूत को लगा दिए. उसको कुछ खारा और मीठा मिक्स स्वाद आने लगा. वो बस उसको और चखना चाहता था. उसने बेकाबू में अपनी जीभ को थोडा अन्दर की और सरकाया..और काव्या के मूह से पहली बार सिसक निकल गयी....स्स्सीईईई.......
रफीक की मानो साँसे रुक गयी. वो वैसे ही प्यांति को पकड़ के जुबान अन्दर डालके अटक गया. बिलकुल किसी मूर्ति के माफिक. पर काव्या ने जो बडबडाया उसको देख के उसने चैन की सांस छोड़ी..
“ऊओम्म्म......रमण,,,,लव मी,...बेबी.....”
काव्या नींद में रमण के ख्वाब देख रही थी. उसके योनी में लगी आग उसके नींद को भड़का रही थी. उसका दीमाग समझ रहा था के वो पति रमण के साथ हैं और रमण उसको प्यार कर रहा हैं. खैर रमण की याद में खोयी काव्या को सपनो में देख रफीक को समझ गया वो अभी भी नींद में ही हैं. उसने अपना ध्यान फिर से काव्या की चूत पे ले लिया पर अपने नज़रे काव्या के चेहरे पे ही रखी.
अपना दबाव उसने बड़ी आहिस्ते से काव्या के चूत पे बढ़ाया. उसको अपनी जीभ से वो चाट रहा था. बहुत ही नाजुकता से और धीरे से वो ये सब कर रहा था. उसको हर वो सिन याद रहा था जिस पोर्न में वो लड़का उस महिला की योनी में अपन मूह दबाता हैं, उसको चाटता हैं. उसी तरह से वो कर रहा था.उसने मूह ऊपर किया और अपना थूक काव्या के योनी पे बड़े तरीके से थूक दिया. काव्य की चूत उससे लदबद भर गयी. बस फिर क्या उसने उसके चूत के समुन्दर में अपना मूहसे एक छलाग लागा दी. और जीभ को अन्दर की और सरकाने का प्रयास शुरू रखा.
यहाँ वो चाट रहा था वह काव्या सिसक रही थी काव्या की हर सिसक की तरफ ध्यान डे के वो सब कर रहा था. वही दूसरी तरफ सलमा जो के सत्तू का लंड चूस रही थी. जैसे सब तरफ वासना ने अपनि बाजी चलायी थी फरक था तो किसिकी आँखे खुली थी किसीकी बंद. कोई जाग रहा था तो कोई नींद में था.
रफीक ने एक टक से उसकी चूत पे नजर डाली. उसका लंड तो मानो चीख रहा था, कबका कच्छे के बाहर आकर दंगल मचा रहा था. बस उसको चाहिए था वो सुनहरा छेद जिसका मजा रफीक की आँखे उठा रही थी. रफीक थोडा नजदीक गया. उसने अपनी जुबान काव्या के अंगो पे बेहद धीरे से चलाई. बड़े कोमलता से वो उनको चाट रहा था. उसका रोम रोम उत्तेंजित हो रहा था.
उसने अपनी नाक काव्या के योनी पे टिकाई. उसकी मादक खुशबू लेकर के वो और बेकाबू हो गया. उसने अपने बाये हाथ की बिच वाली ऊँगली काव्या के चूत के ऊपर से नीचे की तरफ बहुत ही हलके से घुमाई. वो स्पर्श, वो एहसास, वो महक उसकी उत्तेजना को सीमा पार बढ़ा रही थी. अब प्रेम जो चरम सीमा पर था वो रफीक को अलग दुनिया में ले जा रहा था. उसी बहाव में बहते उसकी जबान उसके मूह से बाहर आ गयी. बिना कुछ देरी लगाते उसकी उँगलियों की जगह उसके जबान ने ले ली. और देहाती नवयुवक ने देखते ही देखते शहरी राजसी महिला के मखमली चूत पे अपनी जबान फिरा दी.
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यहाँ दूसरी और सलमा की जबान और मूह भी कहा खुले थे. सत्तु मादरजाद अपना मुसल लंड उसके मूह में दबाते जा रहा था. उसके बालों को पकड़ के वो लंड को पूरी तकाद से उसके मूह के अन्दर बाहर कर रहा था.
“आह...रंडी...सलमा....चूस....रंडी...”
उम..उ...ऊउम्मम्म...की आवाज के अलावा सलमा के पास कोई शब्द नहीं थे. मुसल लंड उसके मूह चोदे जा रह था. उसकी चीखे आवाज सब दब रही थी. ऊपर से सुलेमान का सांड जैसा बदन उसके ऊपर कहर बरसाके सो गया था.
गल्प गल्प.....कर कर के सलमा का मूह को अछि तरह चोद के सत्तू अपनी प्यास बुझा रहा था. उसने अपने एक हाथ से सलमा के दूध के ऊपर की घुंडी को चिकोटी काट ली.
“आई.....हाई.....चूस रंडी....जोर लगा..:”
सालमाँ की आँखों से पानी टपक गया. वो पानी रोने का नहीं था बस एक मीठा सा दर्द था. जो अब उसको सहने की आदत लग गयी थी. लंड का पसीना, खोली में शराब का असर उसका गला सुखा रही थी. बस राहत थी तो बाहर से आती हुई ठंडी हवा और मीट्टी की खुशबु. उसके मूह से निकलती थूक से सत्तू का लंड पूरा का पूरा भीग गया था. सलमा को भी ये पता था के दोनों कलुटो से पीछा छूडाना हैं तो उसको खुद खेल में उतरना ही होगा. ठीक जैसे सुलेमान के साथ उसने अपना सहयोग दिखाया. उसने वक़्त ना गवाते ठीक उसी समय अपने बाय हात मे सत्तू का लंड पकड़ा और मूह के अन्दर चलने दिया.
सत्तू ये देख के बहुत खुश हुआ और बोल पड़ा..”आज पक्की रंडी बन गयी हो सलमा...आः...मजा आ गया तुमको ऐसा देखके.,,...मेरी रंडी...चूस और चूस...“
वासना भी अजीबी होती हैं. हर वो शरीर का पुर्जा जो इसमें जुट जाए वो पूरी तरह से उसके आधीन हो जाता हैं. एक तरफ एक लंड और एक तरफ एक चूत दोनों को भी बड़ी तबियत से चूसा जा रहा था.
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रफीक जो बेकाबू बन गया था उसने अपने होठ काव्या के चूत को लगा दिए. उसको कुछ खारा और मीठा मिक्स स्वाद आने लगा. वो बस उसको और चखना चाहता था. उसने बेकाबू में अपनी जीभ को थोडा अन्दर की और सरकाया..और काव्या के मूह से पहली बार सिसक निकल गयी....स्स्सीईईई.......
रफीक की मानो साँसे रुक गयी. वो वैसे ही प्यांति को पकड़ के जुबान अन्दर डालके अटक गया. बिलकुल किसी मूर्ति के माफिक. पर काव्या ने जो बडबडाया उसको देख के उसने चैन की सांस छोड़ी..
“ऊओम्म्म......रमण,,,,लव मी,...बेबी.....”
काव्या नींद में रमण के ख्वाब देख रही थी. उसके योनी में लगी आग उसके नींद को भड़का रही थी. उसका दीमाग समझ रहा था के वो पति रमण के साथ हैं और रमण उसको प्यार कर रहा हैं. खैर रमण की याद में खोयी काव्या को सपनो में देख रफीक को समझ गया वो अभी भी नींद में ही हैं. उसने अपना ध्यान फिर से काव्या की चूत पे ले लिया पर अपने नज़रे काव्या के चेहरे पे ही रखी.
अपना दबाव उसने बड़ी आहिस्ते से काव्या के चूत पे बढ़ाया. उसको अपनी जीभ से वो चाट रहा था. बहुत ही नाजुकता से और धीरे से वो ये सब कर रहा था. उसको हर वो सिन याद रहा था जिस पोर्न में वो लड़का उस महिला की योनी में अपन मूह दबाता हैं, उसको चाटता हैं. उसी तरह से वो कर रहा था.उसने मूह ऊपर किया और अपना थूक काव्या के योनी पे बड़े तरीके से थूक दिया. काव्य की चूत उससे लदबद भर गयी. बस फिर क्या उसने उसके चूत के समुन्दर में अपना मूहसे एक छलाग लागा दी. और जीभ को अन्दर की और सरकाने का प्रयास शुरू रखा.
यहाँ वो चाट रहा था वह काव्या सिसक रही थी काव्या की हर सिसक की तरफ ध्यान डे के वो सब कर रहा था. वही दूसरी तरफ सलमा जो के सत्तू का लंड चूस रही थी. जैसे सब तरफ वासना ने अपनि बाजी चलायी थी फरक था तो किसिकी आँखे खुली थी किसीकी बंद. कोई जाग रहा था तो कोई नींद में था.