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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#19
उसने उसी पोर्न फिल की तरह बहुत धीरे से अपने दोनों हाथ काव्या के पैरो के बाजु में रखे. और खुदको को झुकाके उसके जांघो की तरफ मूह ले लिया. बहुत ही धीरे धीरे वो ये सब किये जा रहा था. काव्या की जांघो से आती हुयी मादक खुशबू उसको करीब से सुंघनी थी. उसने ठीक वैसा ही किया अपनी नाक को उसके बड़ी कुशलता से उसके गद्देदार जांघो से सटा दिया.

“आह...रंडी....मेरा निकल रहा हैं...आह..”

वहां सुलेमान अब अपनी चरम सीमा पे खड़ा था. उसका लंड अब सलमा की चूत खा के तृप्त होने जा रहा था. सलमा जो बस कुछ ही पल के पहले अपना पानी छोड़ गयी थी. उसको भी ये अंदाजालग गया के सुलेमान अपनी पिचकारी कभि भी छोड़ सकता हैं. लेकिन उस भोली कमसिन को ये नहीं समझ रहा था के वो लंड और अन्दर की तरफ क्यों सरका रहा हैं. तभी सुलेमान अपने आखरी धक्के देते हुए बोल पड़ा,

”आह...मेरी रंडी..बोल हमारी मदत करेगी न...”

“किस बात में भड़वे...आह..”

लंड और चूत के अन्दर की और घुसाते वो बोला, “कल तू उस डोक्टोरनी से मिलने जाएगी,,आह...और..और उसको मेरे घर तक लाएगी..”

“आह,...तेरे पाप में मुझे क्यों मिला रहा हैं...नहीं करती मैं ऐसा कुछ...”

“रंडी..तेरी क्या जा रही हैं....आह...इतना नहीं कर सकती क्या ...लंड तो ले रही हैं गपा गप...”

“नही...आह...म्म...नहीं करुँगी...क्या करेगा तु...कमीने....”, गुस्से से और कसमसाते हुए सलमा ने जवाब दिया.

“साली तू ऐसी नहीं मानेगी..रुक तेरा इन्तेजाम हैं मेरे पास..”

ऐसा बोलकर सुलेमान ने सलमा को जोर से अपनी बाहों में भींच लिया और उसके होठो को अपने होठो में कैद कर डाला. उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी के सलमा हिल भी नही पा रही थी. उसका नाक उसकी नाक से साँसे चुरा रहा था. होठ उसके होठो की गिरफ्त में थे. बड़े कस के वो उस्को चूस रहा था. अपना बदन फेविकोल की तरह चिपकाके दोनों भी पसीने से एकदम लदबद खाट पे पड़े थे. वैसे ही अंग से अंग रगडके सुलेमान ने वो किआ जो सलमाने कभी सोचा ही नहीं था. उसने सलमा के चूत में अन्दर तक घुसे अपने लंड से वीर्य की धार सर्रर्रर्र ... बोलके छोड़ डी.

उसका लिंग आधे घंटे से फुला हुआ था. मुसल लंड सलमा की चूत में ही अपना वीर्य थूक रहा था. एक बड़ी पिचकारी ऐसे निकली के वो सलमा के बच्चेदानी पे जा कर ही रुक गयी. गरम गरम लावा उसको महसूस हुआ. सलमा ने भी आह निकली, “हाअय्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य...हाआआआआआआ..गयीईईईई
ईईईईईईईईईईईईईईईईए....मीईईईईईईई,,,,हाआआआअ..कमीने.....कुत्ते”

पहली बार किसी ने कमसिन के चूत के अन्दर अपना पानी छोड़ा था. सलमा उस वक़्त सब चीजो से परे हो गयी. उसकी आवाज भी कमजोर गिरने लगी और उसकी आँखे संतुष्टि से बंद हो गयी और साथ ही नये अनुभव में उसका अंतर्मन लीन हो गया.

“आः.......रंडी.......ले साली.....आह...काव्या....”

सुलेमान वैसे हो दबोच के सलमा के चूत में अपने लंड की पिचकारी छोड़े जा रहा था. कुछ समय के बाद उसके लंड ने पिचकारी बंद कर दी. सलमा की चूत से उसका वीर्य निचे सर्र होक टपक रहा था. दोनों निढाल हो पड़े थे. सुलेमान वैसे ही उसके बदन पर चिपके हुए ढेर हो गया. काव्या का नाम अंतिम क्षण में लेके जैसे उसने आने वाले समय के संकेत दिए. पसीना शराब और वीर्य तीनो की खुशबू से झोपडी का समा रंगीन हो गया था. सत्तू बाजु में ही शराब में चूर अपना लंड हाथ में लिए अभी भी इंतज़ार में लगा हुआ था. शायद उसको आज इंतज़ार से ज्यादा कुछ नहीं मिलने वाला था. तभी मौसम ने भी रुख बदल दिया. शाम होने को थी गाँव क बादलो ने भी इस नज़ारे पे करवट बदल दी. आसमान में बादल आने लगे. और हलकी सी बूंदा बंदी शुरू हो गयी.
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 25-08-2020, 02:25 PM



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