25-08-2020, 02:23 PM
बड़े आराम से रफीक काव्या के कमरे की तरफ बढ़ा. उसने जैसे ही कमरे में प्रवेश किया उसको एक अजीब सी गंध आ गयी. वो खुशबू थी काव्या के डियो और पाउडर की. उसने ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी कड़क खुशबू ली थी. उसको वो इतनी पसंद आई के उसकी आँखे खुद बे खुद बंद हो गयी. और वो उस खुशबु में बहता चला गया. उसने उस खुशबू का पिछा लिया तो काव्या के ड्रेसिंग टेबल पे बड़े शीशे के सामने राखी हुई वो डियो की बोतल उसको दिख गयी. उसने वो हाथ में उठायी और नाक को लगा के सूंघी. जैसे ही वो बोतल के पास रखने गया उसकी नज़र शीशे पे चली गयी. उसने शीशे में देखा, तो उस नज़ारे के सामने उसकी वो खुशबू मानो कही दौड़ के चली गयी हो. उसके होश उड गए. आँखों पे अँधेरा छा गया. उसके हाथ पैर कापने लगे. और उसका मूह खुला का खुला ही रह गया.
सामने बेड पर एक योवन सुंदरी निद्रामय अवस्था में थी. उसके बाल बिखरे हुए थे, जो उसकी सुन्दरता को और निखार रहे थे. उसके चेहरे पे एकदम कामुक और सुकून के भाव देख कर जैसे किसीको भी ह्रदय से प्यार करने के और मन चाहा भोग भोगने के भाव एक ही समय पे आ जाये. और वो इन्सान पागल हो उसको पाने के लिए. अपने पेट के बल सोने के कारन उसकी गोरी दूध जैसी मखमली पीठ और विशाल उभरा हुआ सुडोल पिछवाडा उठकर दिख रहा था. गोरी गोरी पीठ पे उसकी ब्रा तो कहर मचा रही थी. गहरे नींद में होने कारन उसका पेटीकोट भी जांघो तक ऊपर उठ गया था. जिससे उसके ब्रांडेड प्यान्टी की झलक बाहर आ रही थी. चिकने गोर मुलायम पैर जैसे भोजन के लिए दावत दे रहे थे. उसकी सुन्दरता और उसका कामुक बदन देख के अच्छे अच्छो का मन डोल जाए. कोई अप्सरा निद्रा अवस्था में आज रफीक ने देख ली थी जिसके कारन २० साल का देहाती युवक होश के बाहर हो गया.
कुछ देर तक वैसे ही देखते रहने के बाद अचनक उसका ध्यान टूटा. उसका मोबाइल वायब्रेट हो रह था, उसने होश में आके फ़ोन देखा बीजू का कॉल देखकर उसने वो कॉल काट दिया. और मोबाइल अपने जेब में रख दिया.
जाने किस बात की उसमे ताकद आ गयी के हमेशा डरपोक किस्म का रफीक आज किसी योध्हा की तरह आगे बढ़ रहा था. उसको काव्या की खूबसूरती अपने तरफ खीच रही थी. और वो सम्मोहन की तरह उसके तरफ बढ़ते जा रहा था. उसका बदन तो डर के मारे काप रहा था पर उसका जवान कमसिन लंड ने उसपे दीमाक पे अपना ताबा कर रखा था. और उसकी गर्मी उसको मिल रही थी.
वो काव्या के ठीक सामने खड़ा हो गया. उसने गौर से अपनी नज़रे उसके सर से लेकर पाओ तक घुमाई. क्या लग रही थी वो. उसके मनन में डर और वासना दोनों हावी हो रहे थे. काव्या जैसी खुबसूरत और मादक महिला उसने सिर्फ फिल्मो में देखि थी. उसको वो पोर्न फिलम का सीन आँखों के सामने आया जिसमे विदेशी औरत अपने नौकर से उछाल उछाल के चुदवा लेती हैं.
उसके लंड ने झटका लिया. “आह”, उसके मूह से हलकी सिसक निकल गयी.
तुरंत उसने अपने मूह पे हाथ रख दिया और खुदको चुप किया. सन्नाटा पुरे खोली में छाया था. खिड़की से हवा की एक पहल अन्दर आई और सन्नाटे को थोडा कम कर के चली गयी. हवा से बदन को रहत तो मिली पर लंड को कहा कुछ हुआ. वो तो ललकार रह था. और रफिक पूरी तरह से उसके चुंगुल में बांध चूका था.
उसने यहाँ वह देखा. एक बार काव्य के चेहरे की और देखा जो घने रेशमी बालो में दबा हुआ था. सब तरफ सन्नाटा देख के उसकी हिमात उसने लंड ने बढ़ा दी. वो काव्य के नज्दिल सरका और बेड पे बैठ गया. काव्य के पैर उसकी तरफ थे. रफीक की नज़रे उसपे दौड़े जा रहे थे. पर साथ ही उसकी धड़कन जो राजधानी जैसे भाग रही थी. उसको डर भी था कही कोई देख न ले पर उत्सुकता भी थी के एक बार बस..दोनों बड़ी उल्ज़नो में फस रफीक अपने लंड की ही बात सुनता हैं और वो करने लगता हैं जिसका कुछ देर पहले शायद विचार भी उसने ना किया था.
यहाँ दूसरी तरफ सुलेमान कस कस के सलमा को चोदे जा रहा था. १५ मीनट हुए वो सलमा की चूत में अपने लंड को पेले हुए था. और देसी शराब का नशे का असर अब उसपे भी होने लगा.
“आह...मेरी रानी...रंडी ...चुदवा ले.....”
सुलेमान की इस गाली का जवाब भोली भली सलमा ने ऐसा दिया के दोनों कलूटो के पैरो निचे ज़मीन खिसक गयी.
“ हां.. भडवे..चोद..उम्...जितना चाहता हैं चोद..आन्न्न....तू तो, तेरी, आह....सगी बहन को भी न छोड़े... उम्..मैं तो भांजी हु...भडवे..आह..” दोनों मादरजाद उसकी ये बाते सुनके चौक तो गए पर जोर से हसने लगे.
सत्तू बोला, “ अरे वा... सलमा बोला था न शराब पीकर देखो मजा आएगा तुमको भी...देखी हमरी राय सुनने का फायदा..”
सुलेमान अपना लंड सलमा की चूत वैसे ही मार मार ते बोला, “ अबे बहनचोद...आह...साले शराब नहीं,, ये मेरे लंड का कमाल हैं...आह....मेरी सलमा...चुद...”
“बात तो सही हैं गुरु..हमें भी अपना हिस्सा खाने दो .कबसे अकेले ही खा रहे हो...”
सत्तू को अपने तरफ आते देख सलमा भी नशे से चूर बोल पड़ी, ““अबे भडवे...रुक..आआः....रुक तू ज़रा..इस कमीने का... होने दे..अम्मी....”
सलमा की इस बात पे और दोनों जोर से हंस पड़े. सुलेमान आज जादा ही जोश में चुदाई कर रहा था शायद उसको सलमा की बाते सुनके और नशा चढ़ रहा था. २० मिनट होने को थे, उसका लंड हैं के झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. सलमा की शराब उसको इस कसी हुयी चुदाई का मजा लेना सिखा रही थी जिसका वो खुद होक मजा ले रही थी.
सच में शराब कैसी बुरी बला हैं जो मर्द तो मर्द , औरत को भी अपने जैसा बना देती हैं. भोली सलमा भी शराब के नशे धुत अनाब शनाब बके जा रही थी. भले ही उसने उनके तौर तरीको में ही पलटवार किया था पर ये उसका आत्मविशवास नहीं था बल्कि शराब का नशा बोल रहा था. पर क्या सिर्फ शराब ही यह साहस दे सकती ?हैं ऐसा नहीं. क्योंकि रफीक बिना शराब के साहस करने जा रहा था. कुछ भी हो दोष किसका भी हो, यह अंतिम सत्य हैं के मनुष्य भोग और नशे में खुदको भी भूल जाता हैं इसका सलमा और रफीक प्रत्यक्ष उदहारण हैं. बस फर्क था एक तरफ एक कमसिन औरत थी और एकतरफ नव युवक.
सामने बेड पर एक योवन सुंदरी निद्रामय अवस्था में थी. उसके बाल बिखरे हुए थे, जो उसकी सुन्दरता को और निखार रहे थे. उसके चेहरे पे एकदम कामुक और सुकून के भाव देख कर जैसे किसीको भी ह्रदय से प्यार करने के और मन चाहा भोग भोगने के भाव एक ही समय पे आ जाये. और वो इन्सान पागल हो उसको पाने के लिए. अपने पेट के बल सोने के कारन उसकी गोरी दूध जैसी मखमली पीठ और विशाल उभरा हुआ सुडोल पिछवाडा उठकर दिख रहा था. गोरी गोरी पीठ पे उसकी ब्रा तो कहर मचा रही थी. गहरे नींद में होने कारन उसका पेटीकोट भी जांघो तक ऊपर उठ गया था. जिससे उसके ब्रांडेड प्यान्टी की झलक बाहर आ रही थी. चिकने गोर मुलायम पैर जैसे भोजन के लिए दावत दे रहे थे. उसकी सुन्दरता और उसका कामुक बदन देख के अच्छे अच्छो का मन डोल जाए. कोई अप्सरा निद्रा अवस्था में आज रफीक ने देख ली थी जिसके कारन २० साल का देहाती युवक होश के बाहर हो गया.
कुछ देर तक वैसे ही देखते रहने के बाद अचनक उसका ध्यान टूटा. उसका मोबाइल वायब्रेट हो रह था, उसने होश में आके फ़ोन देखा बीजू का कॉल देखकर उसने वो कॉल काट दिया. और मोबाइल अपने जेब में रख दिया.
जाने किस बात की उसमे ताकद आ गयी के हमेशा डरपोक किस्म का रफीक आज किसी योध्हा की तरह आगे बढ़ रहा था. उसको काव्या की खूबसूरती अपने तरफ खीच रही थी. और वो सम्मोहन की तरह उसके तरफ बढ़ते जा रहा था. उसका बदन तो डर के मारे काप रहा था पर उसका जवान कमसिन लंड ने उसपे दीमाक पे अपना ताबा कर रखा था. और उसकी गर्मी उसको मिल रही थी.
वो काव्या के ठीक सामने खड़ा हो गया. उसने गौर से अपनी नज़रे उसके सर से लेकर पाओ तक घुमाई. क्या लग रही थी वो. उसके मनन में डर और वासना दोनों हावी हो रहे थे. काव्या जैसी खुबसूरत और मादक महिला उसने सिर्फ फिल्मो में देखि थी. उसको वो पोर्न फिलम का सीन आँखों के सामने आया जिसमे विदेशी औरत अपने नौकर से उछाल उछाल के चुदवा लेती हैं.
उसके लंड ने झटका लिया. “आह”, उसके मूह से हलकी सिसक निकल गयी.
तुरंत उसने अपने मूह पे हाथ रख दिया और खुदको चुप किया. सन्नाटा पुरे खोली में छाया था. खिड़की से हवा की एक पहल अन्दर आई और सन्नाटे को थोडा कम कर के चली गयी. हवा से बदन को रहत तो मिली पर लंड को कहा कुछ हुआ. वो तो ललकार रह था. और रफिक पूरी तरह से उसके चुंगुल में बांध चूका था.
उसने यहाँ वह देखा. एक बार काव्य के चेहरे की और देखा जो घने रेशमी बालो में दबा हुआ था. सब तरफ सन्नाटा देख के उसकी हिमात उसने लंड ने बढ़ा दी. वो काव्य के नज्दिल सरका और बेड पे बैठ गया. काव्य के पैर उसकी तरफ थे. रफीक की नज़रे उसपे दौड़े जा रहे थे. पर साथ ही उसकी धड़कन जो राजधानी जैसे भाग रही थी. उसको डर भी था कही कोई देख न ले पर उत्सुकता भी थी के एक बार बस..दोनों बड़ी उल्ज़नो में फस रफीक अपने लंड की ही बात सुनता हैं और वो करने लगता हैं जिसका कुछ देर पहले शायद विचार भी उसने ना किया था.
यहाँ दूसरी तरफ सुलेमान कस कस के सलमा को चोदे जा रहा था. १५ मीनट हुए वो सलमा की चूत में अपने लंड को पेले हुए था. और देसी शराब का नशे का असर अब उसपे भी होने लगा.
“आह...मेरी रानी...रंडी ...चुदवा ले.....”
सुलेमान की इस गाली का जवाब भोली भली सलमा ने ऐसा दिया के दोनों कलूटो के पैरो निचे ज़मीन खिसक गयी.
“ हां.. भडवे..चोद..उम्...जितना चाहता हैं चोद..आन्न्न....तू तो, तेरी, आह....सगी बहन को भी न छोड़े... उम्..मैं तो भांजी हु...भडवे..आह..” दोनों मादरजाद उसकी ये बाते सुनके चौक तो गए पर जोर से हसने लगे.
सत्तू बोला, “ अरे वा... सलमा बोला था न शराब पीकर देखो मजा आएगा तुमको भी...देखी हमरी राय सुनने का फायदा..”
सुलेमान अपना लंड सलमा की चूत वैसे ही मार मार ते बोला, “ अबे बहनचोद...आह...साले शराब नहीं,, ये मेरे लंड का कमाल हैं...आह....मेरी सलमा...चुद...”
“बात तो सही हैं गुरु..हमें भी अपना हिस्सा खाने दो .कबसे अकेले ही खा रहे हो...”
सत्तू को अपने तरफ आते देख सलमा भी नशे से चूर बोल पड़ी, ““अबे भडवे...रुक..आआः....रुक तू ज़रा..इस कमीने का... होने दे..अम्मी....”
सलमा की इस बात पे और दोनों जोर से हंस पड़े. सुलेमान आज जादा ही जोश में चुदाई कर रहा था शायद उसको सलमा की बाते सुनके और नशा चढ़ रहा था. २० मिनट होने को थे, उसका लंड हैं के झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. सलमा की शराब उसको इस कसी हुयी चुदाई का मजा लेना सिखा रही थी जिसका वो खुद होक मजा ले रही थी.
सच में शराब कैसी बुरी बला हैं जो मर्द तो मर्द , औरत को भी अपने जैसा बना देती हैं. भोली सलमा भी शराब के नशे धुत अनाब शनाब बके जा रही थी. भले ही उसने उनके तौर तरीको में ही पलटवार किया था पर ये उसका आत्मविशवास नहीं था बल्कि शराब का नशा बोल रहा था. पर क्या सिर्फ शराब ही यह साहस दे सकती ?हैं ऐसा नहीं. क्योंकि रफीक बिना शराब के साहस करने जा रहा था. कुछ भी हो दोष किसका भी हो, यह अंतिम सत्य हैं के मनुष्य भोग और नशे में खुदको भी भूल जाता हैं इसका सलमा और रफीक प्रत्यक्ष उदहारण हैं. बस फर्क था एक तरफ एक कमसिन औरत थी और एकतरफ नव युवक.