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गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी )
#15
“उईईईइ अम्म्मी......मर गयी.......”

सलमा के मूह से चिख निकली. यहाँ सुलेमान अपना मुसल तना हुआ लंड सलमा के योनी में घुसेडता जा रहा था. जो सर सर करके साप के भांति उसके बिल में घुसे जा रहा था. सलमा को सुलेमान और सत्तु खेतो में सुलेमान के झोपडी में लाये हुए थे. काव्या के बंगले से ऑटो मोड़ उन्होंने सीधे वही अपना डेरा जमाया. जैसे ही ऑटो झोपडी के पास रुका. ऑटो में से सलमा को बाहों में उठाके दोनों कलुटे उसको अन्दर की खाट पे पटक के चालू हो गए. पलक झपकते ही सलमा के कमसिन योनी में सुलेमान ने अपना तना हुवा लंड घुसा दिया था. एक घंटे पहेले की चुदाई फिर से शुरू हो गयी थी. ये इतना तेज़ हुआ के सलमा को समझने का मौका ही नहीं मिला.

“आः....सलमा... रानी... इतना क्यों चीख रही हो?? अब तो इसकी आदत कर लो जान”

सलमा की चूत ने अपना मुसल लंड धसाते हुए सुलेमान सलमा के बदन पर टूट पड़ा. उसकी चुन्चियों को मसलते हुए वो उसकी योनी में कोहराम मचा रहा था. बाजू में सत्तू मादरजाद भी अपनि पतलून निकल के नंगा खड़ा हो गया. उसने अपना लंड हाथे में हिलाते कहा,

”अरे सुलेमान भाई..जरा तनिक जगह दियो..हमका भी सलमा के साथ खेलन खेलन हैं”

“अबे रुक..मादरचोद..पहले बाप को करने दे. पहले ही उस रंडी डोक्टोरनी ने लवडे में आग लगा दी हैं. साला कब से तना पड़ा हैं. इसको चूत खाने दे बहनचोद..आह...”

काव्या को अपने आँखों के सामने लाके सपाक बोलके सुलेमान ने अपना लंड पूरा का पूरा सलमा के योनी में बड़ी तेज़ी से और निर्दयता से भीच दिया.

“ आआआआआआआआ...... छोड...मार दिया कमीने.........”

सलमा के मूह से फिर से एक जोरदार आह निकली. उसकी चीख इतनी दमदार थी के सत्तू के कानो में भूचाल आ गया. आर उसके हाथ उसके लंड से सीधे उसके कान पे जा रुके.

“अबे साली, कान फाड़ देगी क्या? रुक, तेरा इलाज करना पड़ेगा..”

सत्तू ने यहाँ वह देखा. और नन्गा मादरजाद किसी रेडे के माफिक ज़मीन पे बैठ गया. खाट के नीचे रखी हुयि एक देसी शराब की बोतल उसको दिख गयी. उसने अपना हाथ खाट के निचे डाल दिया और वो बोतल निकाली. उसमे से थोड़ी शराब निकाल के बाजु पड़े एक गिलास में दाल दी. एक घूँट में ही उसने वो गिलास गटक लिया.

“आह....मजा आ गया ..तनिक अब अच्छा लग रहा मादरचोद..”

अपने गंदे मूह से सलमा की और देख के उसने कहा,
“हम्म..आई हाई..क्या मस्त ले गयी अन्दर तू तो ...चीलाती बहुत हो सलमा तनिक..पियोगी? मजा आएगा तुझे भी...”

और शराब गिलास में डालकर वो सलमा के पास आया. उसने वो कडवी शराब सलमा के मूह को लगाके बोला,
“इससे पियो सलमा...चिल्लाओगी नहीं..तनिक मजा लोगी“....

सलमा ने मूह दूसरी तरफ गुस्से से फेर लिया.

इसपे सुलेमान बोला ,“अबे चूतिये, ये ऐसे नहीं मानेगी..इसका इलाज हैं देख अब..”

सुलेमान ने उसकी नाक दबाई और अपना लंड एकदम से पूरा बाहर निकल के ज़पाक से एक और बार अन्दर चूत में भीच दिया. किसी सुनामी के प्रति उसने सलमा के चूत में हमला बोल दिया. वो दृश्य भी अजीब था ऐसा जैसे काऊबॉय की तरह सुलेमान सलमा को घोड़ी की तरह नचा रहा हो.
ना चाहते हुए भी सलमा का मूह खुल गया और तुरंत बाद सत्तू ने वो गिलास उसके मूह पे लगा दिया. कडवी देसी शराब उसके गले के अन्दर पूरी की पूरी उतर गयी. जैसे ही सुलेमान ने सलमा का नाक छोड़ा, सलमा ने धस करके अपनि सांस छोड़ी. और नीचे मूह में बची थोड़ी बहुत शराब थूक दी. दोनों कलूटे राक्षस की तरह हंस पड़े. देसी शराब का असर अब सलमा पर जो पड़ने वाला था. झोपडी में मानो शराब और शबाब का मौसम चालू हो गया. और दोनों कलूटे उसमे मन चाहे डूबकी लगा रहे थे.

इधर रफीक बड़े आराम से काव्या के कमरे की और बढा जा रह था. वो जैसे ही कमरे के चौकट पे आया..
उसके कच्छे में कुछ वायब्रेट हुआ. शायद उसका मोबाइल बज रहा था. उसने तुरंत कच्छे की जेब से वो अपना पुराना मोबाइल फ़ोन निकला तो देखा तो उसके दोस्त बीजू का फ़ोन था. वो कमरे से थोडा दूर गया और फ़ोन उठाके बोला:

रफीक: हां बोल बीजू क्या हैं?
बीजू: अबे कमीने कहा पर हैं?
रफीक: मैं मालकिन के पास हु काम पे क्यों फ़ोन कर के सता रहा हैं बे?
बीजू: अबे गांडू तू गांड मरवा वही. मैंने इसके लिए फ़ोन किया था तुझे कुछ बताना था..
रफीक: क्या हैं जल्दी बता दिमाग मत ख़राब कर पहले ही काम बहुत हैं
बीजू: अबे डिब्बे सुन..तेरी मा को अभी मैं रहीम बुढ्ढे के साथ देखा दोनों बडी हंस हंस के बाते कर रहे थे. शायद आज कुछ हैं..
रफीक: देख बिजु मैंने पहले ही बोला हैं मा के बाते में कुछ मत बोला कर. इसलिए फ़ोन किया क्या तूने
बीजू: अबे बीमार लंड तेरी मैं मदत कर रहा हु और तुम मुझे ही बोल रहा हैं.जा मा चुदा मुझे क्या? पर देखना आज तेरी मा रात में कैसे खिली खिली लगेगी,,हां,,

और उसने फ़ोन काट दिया. रफीक को उसके मा के बारे में कुछ सुनना ठीक नहीं लगता था. भले सौतेले थे दोनों, पर एक दुसरे के प्रति सम्मान की भावना रखे हुए थे. पर आज बीजू की बातो से उसको बहुत गुसा आया था उसने कुछ न कहते गुस्से से फ़ोन पटक दिया. और जेब में रख दिया. उसने कैसे तो खुदपे नियत्रण कर के झाड़ू उठा या और काव्य की खोली की और मुडा. नद्दान रफीक को नहीं पता था यह गुस्सा और अब जो उसको दिखने वाला था वो हकीकत उसको शायद बीजू की कामुक बातो पे गौर करने को मजबूर कर दे.
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RE: गाँव की डॉक्टर साहिबा ( पुरी कहनी ) - by THANOS RAJA - 25-08-2020, 01:46 PM



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