25-08-2020, 01:45 PM
आह,,,याह फ़क मी...उम्म्म्म..”
यहा नजमा का सौतेला बेटा रफीक अपने दोस्त बीजू के घर टीवी पे पोर्न देखते बैठा था. उसमे एक जवान नौकर अपने मालकिन को चोदते हुए सीन चल रहा था. जिसमे मालकिन बड़ी उछाल उछाल के नौकर का लंड अपने योनी में ले रही हैं.
“आह...साले रफीक..क्या माल हैं रे..ऐसा मिले न मैं तो दिन रात चोदु..” आवारा बीजू रफीक से बोला.
रफीक थोडा शर्मीला किस्म का लड़का रहने से ज्यादा खुलके बात नहीं करता था. बड़ी एकाग्रता से वो हर एक सीन देखे जा रहा था. उसका जवान लंड वो सब देख के तम्बु बन गया था. बीजू जहा एक आवारा लड़का था. पढ़ाई कम और मस्ती जादा करना उसको पसंद था. न जाने कैसे रफीक उसके चक्कर में गिर गया. वो उसको अलग अलग सेक्स की किताबे, फिल्मे देखने देता था. उसके पास कही पोर्न फिल्मो की CD और किताबे थी. उसकी PHD उसमे ही शायद उसको करनी थी. दोनों की इम्तेहान १ महिने पे लटकी थी पर सब भूलकर दोनों नवाबो की तरह पोर्न देखते बैठे थे.
बीजू अपना लंड बाहर निकाल के उसे मलते हुए बोला,” रफीक. लाइफ हो तो ऐसी देख. रोज सिर्फ आराम हो और चुदाई को नए नये माल”
रफीक थोडा शर्मीला था उसने कच्छे के अन्दर ही अपना लंड मलते हुए चुपचाप टीवी पे नज़रे रखी.
“अच्छा रफीक, साले तू तो तेरा लंड छुपाके रख बस. मैंने तो इसको बहुतो को दिखाया हैं.”
“अच्छा किसको?” रफीक ने बड़ी विलोभनीय अंदाज़ में पुछा.
“अपने क्लास की लडकि हैं देख वो माल मीनू, उसकी छोटी बहन मंजू परसों दोपहर खेत में घूम रही थी. मैंने उसको लपक लिया”
“फेक मत बीजू..कुछ भी”
“अबे साले, तेरे जैसा समझ रहा क्या? सुन..उसका हाथ मरोड़ के उसको वही मसल दिया”
“फिर..आगे ? क्या किया”
“आगे उसके आम दबाये पर साली मेरा नंगा लंड देखके भाग गयी”
“अबे भागे गे ही न, वो तो दसवी कक्षा में हैं सिर्फ”
“माल हैं माल..कैसे आम हैं साली के .. दबा के देख गांडू फिर बोल मीनू से भी आगे हैं“
“तुझे क्या काम हैं बे दूसरा?”
काम से रफीक एकदम चौक गया. उसको याद आया उसको आज काव्या का कमरा साफ़ रखना था. जो वो भूल गया था. अब उसको पक्क्का लगने लगा आज तो गाली पडनी हैं. बुढहीया भी और उसकी मा , दोनों तरफ से. वो अचानक से उठ के बाहर जाने लगा.
“अबे डरपोक..कहा भाग रहा ? उसका बाप आया क्या?”
“अबे नहीं..मुझे काम याद आ गया वो करने जा रह हु”
“कौनसा वो तेरी बुध्हिया मालकिन का काम या तेरी मस्त मा का काम”
“देख बीजू. मा के बारे में ऐसा वैसा मत बोल मैंने पहले ही कहा हैं तुझसे “
“अबे साले, तारीफ़ की और क्या किया ? सुना हैं तेरा पडोसी वो बुढह रफीक बड़ा तारीफ़ करता हैं तेरे मा की. मैंने की तो क्या हुवा बे हरामी “
“ देख बीजू बस हो गया. मुझे जाना हैं इसलिए जाने दे रहा हु”
“ अबे मर कमीने..गांड मरवा अपनी मालकिन से “
रफीक सब भुला के अपनी साइकिल पे काव्या के घर भाग पड़ा. साइकिल चलाने में मशहूर आज उसको किसि फरारी के जैसे भगा रहा था. सर पे टोपी, एक शर्ट और गाओ वाला कछा पहन के वो किसी सुपरमैन जैसा साइकिल भगा रहा था. गाँव में वो वैसा ही रहता था. २० साल का होकर भी उसके कछे की आदत नहीं गयी थी. जाने कितनी बार गाँव की लडकिया उसके जवान लंड को घुर के आहे भर लेती. नदी किनारे जब वो नहाने जाता तब उसका जवान लंड देख कितनी औरते अपनी चुचिया मसल लेती. नजमा ने उसको उसको बच्चे की परवरिश की थी उसका असर अभी भी चल रहा था. पर हर कोई उसको उस नज़र से थोड़ी देखेगा. अपना ताना हुआ लंड लेकर वो ऐसे भाग रहा था जैसे कोई रेस लगी हो.
कैसे तो करके वो काव्या के घर पहुच गया. उसने पिच्छे के दरवाजे से अन्दर की और छलाँ मारी. उसको घर का कोना कोना पता था. उसको यह भी मालूम था के बुधिया अब सो गयी होगी. उसको बस अपना काम करके चुप चाप निकलना था. वो घर की छत पे आ गया. और वह से सीधे घर के अन्दर. बात जैसे सोची थी वैसे ही निकली. काव्या की नानी अपने रूम में सो गयी थी.
“हम्म...चलो अब आराम से खोली साफ़ कर लेता हूँ”
उसने थोडा रुक के सासे ली.उसकी धड़कन तेज़ भाग रही थी. २० मिनट से बिना रुके वो साइकिल भगा जो रहा था. घडी में देखा तो शाम के ४ बजे थे. उसने सोचा अब जल्दी से रूम साफ़ करके निकल जाता हु. शाम में नजमा आएगी तब तक निकलना होगा. शायद काव्या आइ नहीं अभी तक ऐसा उसने सोचा. सो बड़े सुकून से वो अब चल रहा था.
हॉल में एक सेब उठा के उसको खाते खाते अगले ही पल उसने झाड़ू हाथ में लिया और काव्या की रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाये. खोली का दरवाजा जो पहले ही खुला था उसमे उसने प्रवेश किया. जवान शर्मीला रफीक के किस्मत के दरवाजा आज खुला होने वाला था. शायद वो उसकी पोर्न फिल्म को भी भूल जाए
यहा नजमा का सौतेला बेटा रफीक अपने दोस्त बीजू के घर टीवी पे पोर्न देखते बैठा था. उसमे एक जवान नौकर अपने मालकिन को चोदते हुए सीन चल रहा था. जिसमे मालकिन बड़ी उछाल उछाल के नौकर का लंड अपने योनी में ले रही हैं.
“आह...साले रफीक..क्या माल हैं रे..ऐसा मिले न मैं तो दिन रात चोदु..” आवारा बीजू रफीक से बोला.
रफीक थोडा शर्मीला किस्म का लड़का रहने से ज्यादा खुलके बात नहीं करता था. बड़ी एकाग्रता से वो हर एक सीन देखे जा रहा था. उसका जवान लंड वो सब देख के तम्बु बन गया था. बीजू जहा एक आवारा लड़का था. पढ़ाई कम और मस्ती जादा करना उसको पसंद था. न जाने कैसे रफीक उसके चक्कर में गिर गया. वो उसको अलग अलग सेक्स की किताबे, फिल्मे देखने देता था. उसके पास कही पोर्न फिल्मो की CD और किताबे थी. उसकी PHD उसमे ही शायद उसको करनी थी. दोनों की इम्तेहान १ महिने पे लटकी थी पर सब भूलकर दोनों नवाबो की तरह पोर्न देखते बैठे थे.
बीजू अपना लंड बाहर निकाल के उसे मलते हुए बोला,” रफीक. लाइफ हो तो ऐसी देख. रोज सिर्फ आराम हो और चुदाई को नए नये माल”
रफीक थोडा शर्मीला था उसने कच्छे के अन्दर ही अपना लंड मलते हुए चुपचाप टीवी पे नज़रे रखी.
“अच्छा रफीक, साले तू तो तेरा लंड छुपाके रख बस. मैंने तो इसको बहुतो को दिखाया हैं.”
“अच्छा किसको?” रफीक ने बड़ी विलोभनीय अंदाज़ में पुछा.
“अपने क्लास की लडकि हैं देख वो माल मीनू, उसकी छोटी बहन मंजू परसों दोपहर खेत में घूम रही थी. मैंने उसको लपक लिया”
“फेक मत बीजू..कुछ भी”
“अबे साले, तेरे जैसा समझ रहा क्या? सुन..उसका हाथ मरोड़ के उसको वही मसल दिया”
“फिर..आगे ? क्या किया”
“आगे उसके आम दबाये पर साली मेरा नंगा लंड देखके भाग गयी”
“अबे भागे गे ही न, वो तो दसवी कक्षा में हैं सिर्फ”
“माल हैं माल..कैसे आम हैं साली के .. दबा के देख गांडू फिर बोल मीनू से भी आगे हैं“
“तुझे क्या काम हैं बे दूसरा?”
काम से रफीक एकदम चौक गया. उसको याद आया उसको आज काव्या का कमरा साफ़ रखना था. जो वो भूल गया था. अब उसको पक्क्का लगने लगा आज तो गाली पडनी हैं. बुढहीया भी और उसकी मा , दोनों तरफ से. वो अचानक से उठ के बाहर जाने लगा.
“अबे डरपोक..कहा भाग रहा ? उसका बाप आया क्या?”
“अबे नहीं..मुझे काम याद आ गया वो करने जा रह हु”
“कौनसा वो तेरी बुध्हिया मालकिन का काम या तेरी मस्त मा का काम”
“देख बीजू. मा के बारे में ऐसा वैसा मत बोल मैंने पहले ही कहा हैं तुझसे “
“अबे साले, तारीफ़ की और क्या किया ? सुना हैं तेरा पडोसी वो बुढह रफीक बड़ा तारीफ़ करता हैं तेरे मा की. मैंने की तो क्या हुवा बे हरामी “
“ देख बीजू बस हो गया. मुझे जाना हैं इसलिए जाने दे रहा हु”
“ अबे मर कमीने..गांड मरवा अपनी मालकिन से “
रफीक सब भुला के अपनी साइकिल पे काव्या के घर भाग पड़ा. साइकिल चलाने में मशहूर आज उसको किसि फरारी के जैसे भगा रहा था. सर पे टोपी, एक शर्ट और गाओ वाला कछा पहन के वो किसी सुपरमैन जैसा साइकिल भगा रहा था. गाँव में वो वैसा ही रहता था. २० साल का होकर भी उसके कछे की आदत नहीं गयी थी. जाने कितनी बार गाँव की लडकिया उसके जवान लंड को घुर के आहे भर लेती. नदी किनारे जब वो नहाने जाता तब उसका जवान लंड देख कितनी औरते अपनी चुचिया मसल लेती. नजमा ने उसको उसको बच्चे की परवरिश की थी उसका असर अभी भी चल रहा था. पर हर कोई उसको उस नज़र से थोड़ी देखेगा. अपना ताना हुआ लंड लेकर वो ऐसे भाग रहा था जैसे कोई रेस लगी हो.
कैसे तो करके वो काव्या के घर पहुच गया. उसने पिच्छे के दरवाजे से अन्दर की और छलाँ मारी. उसको घर का कोना कोना पता था. उसको यह भी मालूम था के बुधिया अब सो गयी होगी. उसको बस अपना काम करके चुप चाप निकलना था. वो घर की छत पे आ गया. और वह से सीधे घर के अन्दर. बात जैसे सोची थी वैसे ही निकली. काव्या की नानी अपने रूम में सो गयी थी.
“हम्म...चलो अब आराम से खोली साफ़ कर लेता हूँ”
उसने थोडा रुक के सासे ली.उसकी धड़कन तेज़ भाग रही थी. २० मिनट से बिना रुके वो साइकिल भगा जो रहा था. घडी में देखा तो शाम के ४ बजे थे. उसने सोचा अब जल्दी से रूम साफ़ करके निकल जाता हु. शाम में नजमा आएगी तब तक निकलना होगा. शायद काव्या आइ नहीं अभी तक ऐसा उसने सोचा. सो बड़े सुकून से वो अब चल रहा था.
हॉल में एक सेब उठा के उसको खाते खाते अगले ही पल उसने झाड़ू हाथ में लिया और काव्या की रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाये. खोली का दरवाजा जो पहले ही खुला था उसमे उसने प्रवेश किया. जवान शर्मीला रफीक के किस्मत के दरवाजा आज खुला होने वाला था. शायद वो उसकी पोर्न फिल्म को भी भूल जाए