07-03-2019, 03:42 PM
“नही…देवर जी। चूत का रंग तो नही छूटेगा!!” मैंने घबराते हुए कहा
पर मेरा देवर नही माना और उसने मेरी चूत और जांघो को लाल रंग मजे से चुपड़ दिया और मेरी चूत की मालिश करने लगा। जैसे ही देवर के हाथो ने मेरी चूत को छुआ मैं उचल पड़ी। “…उई-उई-उई…माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह.” मैं चिल्ला पड़ी। देवर तो जैसे आज नशे में आ गया था। बड़ी देर तक वो मेरी चूत में रंग मलता ही रहा। उसके बाद मेरा देवर झुक गया और मेरी लाल रंग में रंगी चूत पीने लगा। मैं मचलने लगी। उसने मेरी दोनों टाँगे पूरी तरह से खोल दी थी। इसके साथ ही उसने अपनी हाथ की बीच वाली ऊँगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगे।
“आऊ… आऊ…हमममम अहह्ह्ह्हह..सी सी सी सी.. हा हा हा..” करके मैं तेज तेज चिल्लाने लगी। मैं क्या करती दोस्तों, मेरी चूत में अजीब से सनसनाहट हो रही थी। देवर जल्दी जल्दी अपनी मध्यमा से मेरी बुर फेटने लगा। मैं अपनी कमर और पेट उपर उठाने लगी। मेरा गला बार बार सुख रहा था। अजीब हालत थी ये। मेरे तन मन में सनसनाहट हो रही थी। एक तरफ देवर की ऊँगली, तो दूसरी तरह उनकी जीभ और होठ। आज मेरा बच पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन था।
देवर को जाने क्या मजा मेरी चूत पीने में मिल रहा था, मैं नही समझ पा रही थी। उनकी जीभ मेरे जिस्म के सबसे कोमल और सम्वेदनशील हिस्से से खेल रही थी। ये विचित्र और अलग अहसास था। मेरे चूत के दाने को वो अपने दांत से पकड़ लेते थे और उपर की तरह खीच लेते थे। मैं पागल हो रही थी।
“प्लीससस..प्लीससस.. उ उ उ उ ऊऊऊ…ऊँ-ऊँ..ऊँ.देवर जी अब मुझे चोद लो वरना मैं मर जाउंगी!!” मैंने कहा
पर मेरा देवर नही माना और उसने मेरी चूत और जांघो को लाल रंग मजे से चुपड़ दिया और मेरी चूत की मालिश करने लगा। जैसे ही देवर के हाथो ने मेरी चूत को छुआ मैं उचल पड़ी। “…उई-उई-उई…माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह.” मैं चिल्ला पड़ी। देवर तो जैसे आज नशे में आ गया था। बड़ी देर तक वो मेरी चूत में रंग मलता ही रहा। उसके बाद मेरा देवर झुक गया और मेरी लाल रंग में रंगी चूत पीने लगा। मैं मचलने लगी। उसने मेरी दोनों टाँगे पूरी तरह से खोल दी थी। इसके साथ ही उसने अपनी हाथ की बीच वाली ऊँगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगे।
“आऊ… आऊ…हमममम अहह्ह्ह्हह..सी सी सी सी.. हा हा हा..” करके मैं तेज तेज चिल्लाने लगी। मैं क्या करती दोस्तों, मेरी चूत में अजीब से सनसनाहट हो रही थी। देवर जल्दी जल्दी अपनी मध्यमा से मेरी बुर फेटने लगा। मैं अपनी कमर और पेट उपर उठाने लगी। मेरा गला बार बार सुख रहा था। अजीब हालत थी ये। मेरे तन मन में सनसनाहट हो रही थी। एक तरफ देवर की ऊँगली, तो दूसरी तरह उनकी जीभ और होठ। आज मेरा बच पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन था।
देवर को जाने क्या मजा मेरी चूत पीने में मिल रहा था, मैं नही समझ पा रही थी। उनकी जीभ मेरे जिस्म के सबसे कोमल और सम्वेदनशील हिस्से से खेल रही थी। ये विचित्र और अलग अहसास था। मेरे चूत के दाने को वो अपने दांत से पकड़ लेते थे और उपर की तरह खीच लेते थे। मैं पागल हो रही थी।
“प्लीससस..प्लीससस.. उ उ उ उ ऊऊऊ…ऊँ-ऊँ..ऊँ.देवर जी अब मुझे चोद लो वरना मैं मर जाउंगी!!” मैंने कहा
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!