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Thriller कामुक अर्धांगनी
#96
भाभी और मधु किचन मे लाये सामानों को वेवस्तित कर रही थी और आपस मे गुप्तगु करती बहुत खुश मिज़ाज लग रही थी और शराब देख मधु बोली दीदी ये क्या है ,शालिनी भाभी ने मधु के कंधों पर हाथ रखते बोला दो घुट जब लेगी तभी झेल पाएगी मर्दो को नहीं तोह जलन और दर्द से खुद को सम्हाल नहीं पाएगी ,बस समझ रंडियों के लिए दवाई है वो भी बिना किसी गंद के दो घुट लगा के कही चली जा कोई नहीं पकड़ पाएगा और मधु बोली दीदी नशा हो गया तोह , हट पगली कही की लड़ से बड़ा नशा होता है क्या ।

मधु झेंपती बोली नही दीदी लड़ से बड़ा नशा कहा, क्या बताऊँ सुबह से वसंत के लौड़े के लिए चुत मचलि जा रहीं है , भाभी बोली यही होता है ,सुन वसंत को मार गोली आज तुझे मे बिरजू और कालू से मिलवाऊंगी और फिर देखना क्या मज़ा आयेग तुझे देसी देहाती लड़ से चुद के ,देसी देहाती क्या दीदी , अरे मेरी भोली भाली देवरानी ये दोनों मज़दूरी करते है और बिल्कुल गवार है और सबसे अच्छी बात ये है कि दोनों के लड़ एकदम मोटे और लंबे है वो भी छिलके के साथ समझी और दोनों की बीवियाँ देती नहीं दोनो को दर्द के मारे और हम तुम जैसी प्यासी दूसरे की बीवियों को ये दम भर पेलते है और मेमसाहब मेमसाहब बोल के चर्मसुख दे बस पाव छु कर चले जाते , जानती है तू जब मैं पहली बार मिली और दोनों का चूसी दोनों मेरे कुत्ते बन गए और इतना चोदा मुझे की मे घंटे भर हाँफती रही और दोनों प्यार से बोले मेमसाहब एक बार और कर लूं ।


मधु ने शालिनी भाभी को कस कर पकड़ लिया और बोली सच्ची दीदी इतना जोश वाला है दोनों , हाँ रे पागल तेरी प्यास भी बुझा देगा और घर के काम भी कर  देगा इतने भोले भाले है दोनों की क्या बताऊँ मेरी नस नस उनके चुदाई से रोमांचित रहती है ,आज रात का बोल दी हुँ , देखना फिर कैसे तुझे अपने झटकों से दोनों चोद चोद कर थका देंगे और पांव दबा के मालिश करके फिर तुझे बोलेंगे मेमसाहब एक बार और कर लूं ।

दोनों हँसते हुए सामान देखने लगे और मेरी प्यासी बीवी अपनी दीदी के सामने खड़ी हो कर उनके नाज़ुक लबों पर अपने होंठो को रख दिया और दोनों चुम्बन करने लगे और मेरी हलक सूखने लगी ये सोच की ऐसे माहौल मे मेरी मूंगफली तोह सुख जाएगी और बस नस ही तनेगी बिना किसी बरसात के ।


दोनों वासना मे डूबे एक दुज़े कि जीभ को चुसते उभारों को सहलाते हुए खोए थी कि दरवाज़े पर दस्तक पड़ी और भाभी बोली उफ्फ्फ मधु तू तोह बड़ी चालू निकली मुझे ही अपनी जादू से फ़सा रही है और दोनों मटकाती कमर लिए दरवाज़े की और बढ़ने लगे और दरवाज़े को खोल अपनी रंडी बहनों का स्वागत करते मधु आवाज़ लगाती बोली सुनिए जी सहेलियाँ आ गई ज़रा ठंडा पानी और बोतल के साथ कुछ चकना लगा दीजेए और ये सुन सुनीता भाभी बोली वाह री मधु तेरा दूल्हा तोह सच मे तेरी पल्लू से बंधा हुआ है , इशिका भाभी बोली दीदी मधु के हस्बैंड तोह इतने अच्छे है कि कल रात भर वसंत का चूस कर खड़ा करते रहे कि मधु चुदवाती रहे ,सब ज़ोर से हँसते बोले क्यों रे मधु अपने जेठ को भी समझा देगी क्या, मधु शर्म से लाल होती बोली न दीदी न ।


मैं ट्रे मे ग्लास, ठंडी पानी की बोतल और वोडका लाकर रखा ही था कि फातिमा भाभी बोली अल्लाह की मेहर है ऐसा सोहर मिला मधु को और मीठी आवाज़ से मोनिका बोली भैया तोह बड़े अच्छे है भाभी , मैं पलट कर देखा तोह योवन टपकाती महज़ उन्नीश साल की मोनिका स्कर्ट क्रॉप टॉप पहनी रंडी भाभियों के बीच विराजमान थी और शालिनी भाभी बोली देवर जी क्या हुआ जिस मोनिका को गोद मे खिलाया वो अब जवान हो गईं है , ज़्यादा मत सोचो और चखना भी लेते आओ और मैं आश्चर्य चकित चिकन को प्लेट मे सजा कर सिगरेट माचिस के साथ पहुँचा और देखा सब मुझे घूर रहीं है और मुझे बड़ी लज़्ज़ा आने लगी और मे मुड़ कर जाने ही वाला था कि मोनिका बोली मधु भाभी क्या मैं भइया के गोद मे बैठ जाऊ , मधु बोली हाँ मेरी ननद बैठ जा न वैसे भी तेरे भैया की गोद बस बैठने के काम आती है और सब हँसते हुए मोनिका को मेरी और बढ़ते देखने लगे और मोनिका बेशर्म बेहाया सी मेरे पास आ कर अपने हाथों को गले मे फ़साती बोली भइया जी बिठाओ न गोद मे अपनी बहन को और मेरी हालत बिगड़ गयी और मधु ने इस मौके को भी नहीं जाने दिया और अपनी और शालिनी भाभी के बीच जगह बनाती बोली यहाँ आ कर बैठिये जी और मोनिका हाथ खिंचती मुझे वहा बिठा कर खुद मेरे मूंगफली पर अपनी जवान गाँड टिका कर बैठ गयी और गाँड हिलाते बोली हाये भाभी बड़ा सुकून है भैया की गोद मे और सब हँसने लगे और सुनीता भाभी पेग बनाती बोली क्यों रे मधु कैसा लगा वसंत का , मधु अहह करती बोली फट गई दीदी , सब हँसने लगे और मोनिका बोली भाभी मेरी तोह उसने तीन झटके मार झिल्ली तोड़ कर मुँह दबा कर जो पेला था कि एक हफ्ते बुखार से तड़पी थी ,मधु उसके पीठ को सहलाते बोली तड़प किस बात की थी ननद जी , सब ज़ोर से हँसते मोनिका को शर्मिन्दा कर दिया और वो मेरे सीने मे सर छुपाए लिपट गई और मधु बोली कैसे भाई हो पकड़ो कस के शर्माती बहन को देख नही रहे बेचारी कैसे झेंप गई हैं ।


मैंने मोनिका को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया और वो अपनी तेज़ सासों को मेरे सीने पर छोड़ती मुझे पागल करने लगी और उसकी नर्म गाँड मेरे मूंगफली को अति उतेजित करती ओर मोनिका आउच करती उछली और बोली भाभी कुछ चुभ रहा है , मधु हँसते बोली हये राम सात सालों से विहाई हुँ मुझे तोह कभी नही चुभा और सात मिनट मे तुझे क्या चुभ गया ननद जी , सब हँसते बोले कहीं बहन की गाँड की गर्मी से भाईसाहब मर्द तोह नहीं बन गए ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 21-08-2020, 11:33 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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