21-08-2020, 04:24 PM
जब उनकी वो जांघ मेरी जांघ से टच कर रही थी.. मैं तो पूरी मस्ती में डूबता जा रहा था।
शायद दीदी को इस बात का कोई ख्याल नहीं था।
दीदी को पता था कि मैं बहुत शर्माता हूँ इसलिए वो मजाक-मजाक में मेरे और करीब आ कर बैठ गईं।
दीदी- कहीं भाग मत जाना..
ये कह कर वे ज़ोर से हँस दीं।
मैं चुप रहा।
दीदी- आपको लड़कियों से इतनी प्रॉब्लम क्यों है?
मैं- प्रॉब्लम तो कोई नहीं है.. बस ऐसे ही।
दीदी- तो महाराज के इतने करीब कोई लड़की आ कर बैठी नहीं होगी।
मैं- आप ही पहले हो.. जो मेरे इतने करीब आ गई हो।
दीदी मेरी क्लास लेने लगीं- बेटा आपका शादी के बाद क्या होगा.. अगर अपनी बीवी से भी इतनी दूर रहे.. तो वो तो भाग जाएगी।
मैं चुप रहा।
इतने में दीदी ने मुझे एक हाथ से लिपटा लिया। वो मेरे राईट साइड में बैठी थीं.. और उनकी बाईं बाँह अब मेरे गले के से घूमती हुई मेरे कंधे पर थी।
दीदी- ये बताओ.. मेरे बेटे ने कोई लड़की भी पटाई है जा नहीं?
मेरा सिर नीचे झुका हुआ था और मैंने ‘ना’ में सिर हिला दिया।
दीदी मेरे इतने करीब आ चुकी थीं कि उनका एक चूचा मेरी कोहनी से टच कर रहा था।
एक तो पहली बार किसी लड़की के इतने करीब और ऊपर से बिना ब्रा वाला मुम्मा। मेरा तो अन्दर लण्ड का टेंट बनना शुरू हो गया।
दीदी- क्यों नहीं पटाई.. आपको लड़कियों में इंटरेस्ट तो है ना?
इतना कहते ही वो खिलखिला उठीं।
मैं- नहीं अभी कोई मिली नहीं।
दीदी- अगर वो आपके सामने भी आ जाए.. तब भी आपसे कुछ नहीं होगा।
मैं- क्यों नहीं होगा.. मैं बहुत कुछ कर सकता हूँ।
दीदी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगीं- क्या-क्या कर सकते हो आप?
मैं- मैं कुछ भी कर सकता हूँ.. जिससे वो हमेशा खुश रहे।
दीदी- तो आपको क्या पता है कि लड़कियों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?
मैं- नहीं, पर मैं टाइम आने पर आपकी हेल्प ले लूँगा।
दीदी- हाँ ले लेना.. जितनी चाहे ले लेना, मैं मना नहीं करूँगी।
अब उनकी हँसी और भी तेज होती जा रही थी।
बच्चा तो मैं भी नहीं था.. मुझे भी ये बात समझ में आ रही थी कि वो किधर की बात कर रही हैं। पर उनका ये रूप आज मैं पहली बार देख रहा था या शायद मिला ही पहली बार उनसे अकेले में था।
अब मैं थोड़ा सा शराफत का ढोंग करने वाला था.. इसलिए मैंने उनकी उस बांह को अपने गले से उतार दिया।
मैं- दीदी मुझे ये ठीक नहीं लग रहा।
दीदी- मेरा बेटा मुझसे भी शर्माता है।
इतना कहते ही उनकी दूसरी बाजू भी मेरी गले से लिपट गई।
दीदी- तुझसे प्यार करने दिल करता है।
उनका चेहरा मेरे चहरे के बिल्कुल सामने था, मेरा जी तो चाहता था कि एक बार उन्हें चूम लूँ.. पर मन में आया कि हो सकता है.. दीदी मजाक कर रही हों और अगर मैं आगे बढ़ा तो वो गुस्सा हों.. इसलिए मैं कुछ न कर सका।
मैं- दीदी मैं टीवी देखने जा रहा हूँ।
इतने में मैं उठा पर मेरे खड़े लण्ड पर दीदी की नज़र पड़ गई.. जो पैन्ट में टेंट बना खड़ा था।
दीदी ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाया- मैं आपके थोड़ा सा करीब क्या आई, आपने ये हरकत कर दी बेटे।
मेरी फट कर हाथ में आ गई थी।
शायद दीदी को इस बात का कोई ख्याल नहीं था।
दीदी को पता था कि मैं बहुत शर्माता हूँ इसलिए वो मजाक-मजाक में मेरे और करीब आ कर बैठ गईं।
दीदी- कहीं भाग मत जाना..
ये कह कर वे ज़ोर से हँस दीं।
मैं चुप रहा।
दीदी- आपको लड़कियों से इतनी प्रॉब्लम क्यों है?
मैं- प्रॉब्लम तो कोई नहीं है.. बस ऐसे ही।
दीदी- तो महाराज के इतने करीब कोई लड़की आ कर बैठी नहीं होगी।
मैं- आप ही पहले हो.. जो मेरे इतने करीब आ गई हो।
दीदी मेरी क्लास लेने लगीं- बेटा आपका शादी के बाद क्या होगा.. अगर अपनी बीवी से भी इतनी दूर रहे.. तो वो तो भाग जाएगी।
मैं चुप रहा।
इतने में दीदी ने मुझे एक हाथ से लिपटा लिया। वो मेरे राईट साइड में बैठी थीं.. और उनकी बाईं बाँह अब मेरे गले के से घूमती हुई मेरे कंधे पर थी।
दीदी- ये बताओ.. मेरे बेटे ने कोई लड़की भी पटाई है जा नहीं?
मेरा सिर नीचे झुका हुआ था और मैंने ‘ना’ में सिर हिला दिया।
दीदी मेरे इतने करीब आ चुकी थीं कि उनका एक चूचा मेरी कोहनी से टच कर रहा था।
एक तो पहली बार किसी लड़की के इतने करीब और ऊपर से बिना ब्रा वाला मुम्मा। मेरा तो अन्दर लण्ड का टेंट बनना शुरू हो गया।
दीदी- क्यों नहीं पटाई.. आपको लड़कियों में इंटरेस्ट तो है ना?
इतना कहते ही वो खिलखिला उठीं।
मैं- नहीं अभी कोई मिली नहीं।
दीदी- अगर वो आपके सामने भी आ जाए.. तब भी आपसे कुछ नहीं होगा।
मैं- क्यों नहीं होगा.. मैं बहुत कुछ कर सकता हूँ।
दीदी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगीं- क्या-क्या कर सकते हो आप?
मैं- मैं कुछ भी कर सकता हूँ.. जिससे वो हमेशा खुश रहे।
दीदी- तो आपको क्या पता है कि लड़कियों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?
मैं- नहीं, पर मैं टाइम आने पर आपकी हेल्प ले लूँगा।
दीदी- हाँ ले लेना.. जितनी चाहे ले लेना, मैं मना नहीं करूँगी।
अब उनकी हँसी और भी तेज होती जा रही थी।
बच्चा तो मैं भी नहीं था.. मुझे भी ये बात समझ में आ रही थी कि वो किधर की बात कर रही हैं। पर उनका ये रूप आज मैं पहली बार देख रहा था या शायद मिला ही पहली बार उनसे अकेले में था।
अब मैं थोड़ा सा शराफत का ढोंग करने वाला था.. इसलिए मैंने उनकी उस बांह को अपने गले से उतार दिया।
मैं- दीदी मुझे ये ठीक नहीं लग रहा।
दीदी- मेरा बेटा मुझसे भी शर्माता है।
इतना कहते ही उनकी दूसरी बाजू भी मेरी गले से लिपट गई।
दीदी- तुझसे प्यार करने दिल करता है।
उनका चेहरा मेरे चहरे के बिल्कुल सामने था, मेरा जी तो चाहता था कि एक बार उन्हें चूम लूँ.. पर मन में आया कि हो सकता है.. दीदी मजाक कर रही हों और अगर मैं आगे बढ़ा तो वो गुस्सा हों.. इसलिए मैं कुछ न कर सका।
मैं- दीदी मैं टीवी देखने जा रहा हूँ।
इतने में मैं उठा पर मेरे खड़े लण्ड पर दीदी की नज़र पड़ गई.. जो पैन्ट में टेंट बना खड़ा था।
दीदी ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाया- मैं आपके थोड़ा सा करीब क्या आई, आपने ये हरकत कर दी बेटे।
मेरी फट कर हाथ में आ गई थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
