21-08-2020, 04:23 PM
(This post was last modified: 24-08-2020, 02:44 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
थोड़ी-थोड़ी बारिश शुरू होने लगी थी।
शायद 3 बज चुके थे और मैं पागल सा बैठा, अपनी किताबो की फ़िक्र कर रहा था कि कहीं ये ना भीग जाएं।
इतने में मुझे किसी ने आवाज़ दी- आप यहाँ बाहर क्या कर रहे हैं.. चलिए अन्दर आ जाएं हमारे घर में।
यह आवाज़ रूचि दी की थी।
मैंने उनकी तरफ देखा.. उन्होंने सफ़ेद स्कर्ट और पिंक टॉप पहना हुआ था। हमेशा की तरह काला चश्मा, बाल खुले हुए और हाथों में कंघी पकड़ी हुई थी.. शायद वे अपने बाल बना रही थीं।
दीदी- बाहर क्यों बैठे हुए हो.. ,
मुझे नहीं बता सकते थे ,
क्या..! चलो अब अन्दर आओ।
मैं उनके कहने मुताबिक उठा और सिर झुका कर उनके घर के अन्दर आ गया।
दीदी- अरे ! क्या हुआ.. आप आज जल्दी आ गए कॉलेज से?
मैंने उनको सारी बात बताई..
दीदी- आप फ़िक्र न करो.. आपको ठण्ड लग गई होगी.. मैं आपके लिए थोड़ा दूध गर्म करके ला देती हूँ।
दीदी रसोई में गईं और दूध गर्म करने लगीं।
इतने में वे अपने बाल बाँधने लगीं।
मेरा ध्यान उन पर ही था, उन्होंने बहुत ढीला सा टॉप पहना हुआ था। जब उन्होंने बाल पकड़ने के लिए हाथ ऊपर उठाए तो उनकेस्तनों के साथ उनका टॉप एकदम से चिपक गया।
उनकी चूचियों का एहसास बाहर से ही हो रहा था शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी । यूं तो मैंने कभी दीदी पर बुरी नजर नहीं डाली.. पर था तो मैं लड़का ही। इसलिए मेरा सारा ध्यान दीदी के स्तनों पर ही था।
अब दीदी बाल बाँध चुकी थीं।
उन्होंने अपने हाथ नीचे किए।
अब उनके टॉप किसी कारण से उनके स्तनों के ऊपर कुछ फिट सा हो चुका था और उनके स्तनों का पूरा आकार दिखा रहा था । शायद उनका इस बात की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं था.. लेकिन ये दृश्य मुझमें एक नशा पैदा कर चुका था।वे इस बात से बेखबर अपने कामो में व्यस्त थीं .
अब मैं दीदी की गोरी-गोरी टांगों की तरफ देखने लगा, उनकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर थी।
मैं उनको लेफ्ट साइड से देख रहा था और उनकी जाँघों और नितम्बों का साइज़ नापने लगा।
इतने में दीदी मेरे लिए दूध ले कर आईं।
मैंने एकदम से नजरों को हटाया और खुद को सम्भाला।
मैं अपने आपको कोसने लगा कि मैं ये सब दीदी के बारे में कैसे सोच सकता हूँ।
दीदी ने मुझे दूध दिया और मेरे सामने बैठ गईं।
मैं थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था इसलिए मेरी नजरें तो नीचे ही रहीं।
दीदी मेरे सामने वाले सोफे पर अपनी दोनों टाँगें क्रॉस करके बैठी हुई थीं। मेरा ध्यान तो बार-बार दीदी की टांगों की तरफ ही जा रहा था और जितना अन्दर हो सकता था.. मैंने उतने अन्दर तक देखने की कोशिश कर रहा था।किन्तु बादलों के कारण थोड़ा अँधेरा बढ़ गया था
इस लिए कुछ भी दिख नहीं रहा था .हा यह आभास हो रहा था की उन्होंने अन्दर नीले या काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी .
दीदी मुझसे यहाँ-वहाँ की बातें करने लगीं, पर मेरा दूध खत्म ही नहीं हो रहा था।
दीदी- बेटा आप इतने ही धीरे दूध पीते हो?
मैं- नहीं दीदी, वो दूध थोड़ा गर्म था इसलिए..
दीदी- तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया?
उन्होंने थोड़ा सा गुस्सा दिखाया, फिर उन्होंने मुझसे गिलास लेकर एक बड़े बर्तन में दूध डाल दिया और उसे ठंडा करने लगीं।
मेरा ध्यान फिर उनके हिलते हुए स्तन -युगल पर गया.. पर अब उनकेस्तन उनके टॉप की बदसलूकी की सज़ा से आज़ाद हो चुके थे।
अब जो सीन मैं पहले देख चुका था.. उससे तो अब मुझे पक्का विश्वास हो चूका था कि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी और पहनती भी क्यों? सारी फैमिली के लोग तो मैरिज में गए थे।और वे घर में अकेली थी .
दीदी अब वापिस कमरे में आ गईं- ये लो.. अब मैंने आपके लिए दूध ठंडा कर दिया है। अब अच्छे बच्चे की तरह जल्दी सारा दूध पी जाओ।
उनका कहना मैं कैसे टाल देता.. सो एक ही झटके में सारा दूध पी गया.. मेरी दूध पीने की स्पीड देख कर वो भी हँसने लगीं।
दीदी- लगता हैं आपको दूध बहुत पसंद हैं।
मैंने उनके स्तन -युग्म की तरफ देखते हुए कहा- हाँ जी दीदी।
दीदी ने मेरी आँखों को देखते हुए कहा- ठीक है.. अब जब तुम जब भी हमारे घर आओगे तो तुम्हें दूध ही पिलाऊँगी।
इतना कह कर दीदी मेरे साथ बैठ गईं।
उनकी एक टांग मेरी टांग की टच कर रही थी।
पता नहीं उन्होंने जन बूझ कर ऐसा किया था या यूं ही उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे .
शायद 3 बज चुके थे और मैं पागल सा बैठा, अपनी किताबो की फ़िक्र कर रहा था कि कहीं ये ना भीग जाएं।
इतने में मुझे किसी ने आवाज़ दी- आप यहाँ बाहर क्या कर रहे हैं.. चलिए अन्दर आ जाएं हमारे घर में।
यह आवाज़ रूचि दी की थी।
मैंने उनकी तरफ देखा.. उन्होंने सफ़ेद स्कर्ट और पिंक टॉप पहना हुआ था। हमेशा की तरह काला चश्मा, बाल खुले हुए और हाथों में कंघी पकड़ी हुई थी.. शायद वे अपने बाल बना रही थीं।
दीदी- बाहर क्यों बैठे हुए हो.. ,
मुझे नहीं बता सकते थे ,
क्या..! चलो अब अन्दर आओ।
मैं उनके कहने मुताबिक उठा और सिर झुका कर उनके घर के अन्दर आ गया।
दीदी- अरे ! क्या हुआ.. आप आज जल्दी आ गए कॉलेज से?
मैंने उनको सारी बात बताई..
दीदी- आप फ़िक्र न करो.. आपको ठण्ड लग गई होगी.. मैं आपके लिए थोड़ा दूध गर्म करके ला देती हूँ।
दीदी रसोई में गईं और दूध गर्म करने लगीं।
इतने में वे अपने बाल बाँधने लगीं।
मेरा ध्यान उन पर ही था, उन्होंने बहुत ढीला सा टॉप पहना हुआ था। जब उन्होंने बाल पकड़ने के लिए हाथ ऊपर उठाए तो उनकेस्तनों के साथ उनका टॉप एकदम से चिपक गया।
उनकी चूचियों का एहसास बाहर से ही हो रहा था शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी । यूं तो मैंने कभी दीदी पर बुरी नजर नहीं डाली.. पर था तो मैं लड़का ही। इसलिए मेरा सारा ध्यान दीदी के स्तनों पर ही था।
अब दीदी बाल बाँध चुकी थीं।
उन्होंने अपने हाथ नीचे किए।
अब उनके टॉप किसी कारण से उनके स्तनों के ऊपर कुछ फिट सा हो चुका था और उनके स्तनों का पूरा आकार दिखा रहा था । शायद उनका इस बात की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं था.. लेकिन ये दृश्य मुझमें एक नशा पैदा कर चुका था।वे इस बात से बेखबर अपने कामो में व्यस्त थीं .
अब मैं दीदी की गोरी-गोरी टांगों की तरफ देखने लगा, उनकी स्कर्ट घुटनों के ऊपर थी।
मैं उनको लेफ्ट साइड से देख रहा था और उनकी जाँघों और नितम्बों का साइज़ नापने लगा।
इतने में दीदी मेरे लिए दूध ले कर आईं।
मैंने एकदम से नजरों को हटाया और खुद को सम्भाला।
मैं अपने आपको कोसने लगा कि मैं ये सब दीदी के बारे में कैसे सोच सकता हूँ।
दीदी ने मुझे दूध दिया और मेरे सामने बैठ गईं।
मैं थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था इसलिए मेरी नजरें तो नीचे ही रहीं।
दीदी मेरे सामने वाले सोफे पर अपनी दोनों टाँगें क्रॉस करके बैठी हुई थीं। मेरा ध्यान तो बार-बार दीदी की टांगों की तरफ ही जा रहा था और जितना अन्दर हो सकता था.. मैंने उतने अन्दर तक देखने की कोशिश कर रहा था।किन्तु बादलों के कारण थोड़ा अँधेरा बढ़ गया था
इस लिए कुछ भी दिख नहीं रहा था .हा यह आभास हो रहा था की उन्होंने अन्दर नीले या काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी .
दीदी मुझसे यहाँ-वहाँ की बातें करने लगीं, पर मेरा दूध खत्म ही नहीं हो रहा था।
दीदी- बेटा आप इतने ही धीरे दूध पीते हो?
मैं- नहीं दीदी, वो दूध थोड़ा गर्म था इसलिए..
दीदी- तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया?
उन्होंने थोड़ा सा गुस्सा दिखाया, फिर उन्होंने मुझसे गिलास लेकर एक बड़े बर्तन में दूध डाल दिया और उसे ठंडा करने लगीं।
मेरा ध्यान फिर उनके हिलते हुए स्तन -युगल पर गया.. पर अब उनकेस्तन उनके टॉप की बदसलूकी की सज़ा से आज़ाद हो चुके थे।
अब जो सीन मैं पहले देख चुका था.. उससे तो अब मुझे पक्का विश्वास हो चूका था कि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी और पहनती भी क्यों? सारी फैमिली के लोग तो मैरिज में गए थे।और वे घर में अकेली थी .
दीदी अब वापिस कमरे में आ गईं- ये लो.. अब मैंने आपके लिए दूध ठंडा कर दिया है। अब अच्छे बच्चे की तरह जल्दी सारा दूध पी जाओ।
उनका कहना मैं कैसे टाल देता.. सो एक ही झटके में सारा दूध पी गया.. मेरी दूध पीने की स्पीड देख कर वो भी हँसने लगीं।
दीदी- लगता हैं आपको दूध बहुत पसंद हैं।
मैंने उनके स्तन -युग्म की तरफ देखते हुए कहा- हाँ जी दीदी।
दीदी ने मेरी आँखों को देखते हुए कहा- ठीक है.. अब जब तुम जब भी हमारे घर आओगे तो तुम्हें दूध ही पिलाऊँगी।
इतना कह कर दीदी मेरे साथ बैठ गईं।
उनकी एक टांग मेरी टांग की टच कर रही थी।
पता नहीं उन्होंने जन बूझ कर ऐसा किया था या यूं ही उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे .
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.