21-08-2020, 03:58 PM
स दिन के बाद से सुमन को चूत में उंगली करवाने का चस्का सा लग गया. मैं तो लंड का मजा भी ले चुकी थी इसलिए मुझे दोनों ही कामों में आनंद आता था. जब भी सुमन घर पर अकेली होती थी हम दोनों सहेलियां एक दूसरे की चूत में उंगली करके मजा देने लगीं.
सुमन मेरी चूत में उंगली करती थी और मैं सुमन की चूत में उंगली करती थी. सुमन अब मेरी चूत का पानी भी पीने लगी थी. उसको चूत-रस का स्वाद आने लगा था. हम दोनों सखियों ने एक-दूसरी को कई बार शांत किया. अब सुमन और मेरी दोस्ती पहले से भी और ज्यादा गहरी हो गई थी. अब तो हम दोनों आस-पड़ोस के लड़कों के बारे में भी बातें करने लगी थीं. दोनों ही एक दूसरे को बताती थीं कि कौन सा लड़का पसंद आया और कौन सा हमारे चूत-जाल में फंस सकता है.
मगर अभी तक सुमन की चूत को लंड नहीं मिल पाया था. उसकी प्यास हर बार बढ़ जाती थी. उसका यौवन और ज्यादा निखरने लगा था लेकिन जवानी का असली रंग तो लंड लेने के बाद ही चढ़ना शुरू होता है. लेकिन फिर भी मैं उसकी चूत को शांत रखने की पूरी कोशिश करती ती. जब कई बार उसकी चूत का पानी निकल चुका तो सुमन का मन भी अब लंड लेने को करने लगा. उसने मुझसे लंड का इंतजाम करने के लिए कहा.
सुमन मेरी चूत में उंगली करती थी और मैं सुमन की चूत में उंगली करती थी. सुमन अब मेरी चूत का पानी भी पीने लगी थी. उसको चूत-रस का स्वाद आने लगा था. हम दोनों सखियों ने एक-दूसरी को कई बार शांत किया. अब सुमन और मेरी दोस्ती पहले से भी और ज्यादा गहरी हो गई थी. अब तो हम दोनों आस-पड़ोस के लड़कों के बारे में भी बातें करने लगी थीं. दोनों ही एक दूसरे को बताती थीं कि कौन सा लड़का पसंद आया और कौन सा हमारे चूत-जाल में फंस सकता है.
मगर अभी तक सुमन की चूत को लंड नहीं मिल पाया था. उसकी प्यास हर बार बढ़ जाती थी. उसका यौवन और ज्यादा निखरने लगा था लेकिन जवानी का असली रंग तो लंड लेने के बाद ही चढ़ना शुरू होता है. लेकिन फिर भी मैं उसकी चूत को शांत रखने की पूरी कोशिश करती ती. जब कई बार उसकी चूत का पानी निकल चुका तो सुमन का मन भी अब लंड लेने को करने लगा. उसने मुझसे लंड का इंतजाम करने के लिए कहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.