21-08-2020, 03:55 PM
कहकर मैंने सुमन की चूत रगड़ते हुए उसको चूमना शुरू कर दिया. वो मुझे पीछे धकेलने की कोशिश करती रही लेकिन मैं नहीं रुकी. मैं उसके भीगे हुए जिस्म को चूमती रही और कुछ देर के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया. अब वह आराम से मेरी हरकतों को बर्दाश्त करने लगी. धीरे-धीरे उसने मेरा साथ देना भी शुरू कर दिया. उसने मुझे अपनी बांहों में पकड़ना शुरू कर दिया.
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और मैं नंगी, जवान, अपनी सहेली को गर्म कर रही थी. चूंकि घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था इसलिए किसी के आने का डर भी नहीं था. जब सुमन गर्म होने लगी तो उसने मुझे अपनी बांहों में अच्छी तरह पकड़ लिया. मैं उसके गीले चूचों को चूस रही थी और वो भी मेरे चूचों को छेड़ने लगी थी. फिर मैंने अपने कपड़े भी उतारने शुरू कर दिये.
अगले दो मिनट में मैं भी पूरी तरह से नंगी हो गई थी. हम दोनों सहेलियां बाथरूम में नंगी होकर एक दूसरे के जिस्म को चूमने लगीं. उसके बाद मैंने सुमन के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे मोटे चूचे सुमन के जवान हो रहे चूचों के साथ टकरा रहे थे. सुमन का हाथ मेरी चूत पर आकर उसको सहलाने की कोशिश कर रहा था और मैं जैसे सुमन के जिस्म में घुस जाना चाहती थी.
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और मैं नंगी, जवान, अपनी सहेली को गर्म कर रही थी. चूंकि घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था इसलिए किसी के आने का डर भी नहीं था. जब सुमन गर्म होने लगी तो उसने मुझे अपनी बांहों में अच्छी तरह पकड़ लिया. मैं उसके गीले चूचों को चूस रही थी और वो भी मेरे चूचों को छेड़ने लगी थी. फिर मैंने अपने कपड़े भी उतारने शुरू कर दिये.
अगले दो मिनट में मैं भी पूरी तरह से नंगी हो गई थी. हम दोनों सहेलियां बाथरूम में नंगी होकर एक दूसरे के जिस्म को चूमने लगीं. उसके बाद मैंने सुमन के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मेरे मोटे चूचे सुमन के जवान हो रहे चूचों के साथ टकरा रहे थे. सुमन का हाथ मेरी चूत पर आकर उसको सहलाने की कोशिश कर रहा था और मैं जैसे सुमन के जिस्म में घुस जाना चाहती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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