21-08-2020, 03:55 PM
मगर मैं अच्छी तरह जानती थी कि जीजा जी के लंड के बारे में सुनकर उसका मन भी सेक्स के लिए करने लगा होगा. वरना कोई लड़की बार-बार इस तरह किसी मर्द के बारे में बेवजह क्यों पूछेगी. इस तरह जीजा जी की बात होने पर हम दोनों के बीच में सेक्स की बात भी शुरू हो जाती थी.
एक दिन की बात है जब मैं सुमन के घर गई. सुमन घर पर अकेली थी. मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसकी दीदी की डिलीवरी के चलते घर वाले हॉस्पिटल में गये हुए हैं. अस्पताल गांव से 20 किलोमीटर दूर है. फिर हम दोनों में यहाँ-वहाँ की बात होने लगी और होते-होते बात सेक्स तक पहुंच गई.
मैंने सुमन से कहा- जब तेरी शादी हो जायेगी तो तुझे भी एक न एक दिन हॉस्पिटल जाना पड़ेगा. ठीक वैसे ही जैसे आज तेरी दीदी को लेकर गये हैं तेरे घरवाले.
वो बोली- मैं कहीं नहीं जाने वाली.
मैंने कहा- जाना तो पड़ेगा. शादी के बाद जब तेरा पति रोज तेरी चुदाई करेगा तो तेरा पेट फूल जायेगा. तब तुझे भी हॉस्पिटल जाना ही पड़ेगा.
इस तरह हम दोनों सेक्स की बातें करने लगीं.
सुमन बोली- अब ये सब बातें बंद कर. मैं अभी तक नहाई भी नहीं हूं. तू जरा बैठ, मैं अभी नहा कर आती हूं.
इतना कह कर सुमन नहाने के लिए बाथरूम में चली गई. मगर मैं वहाँ पर बैठी-बैठी बोर हो रही थी. मैंने सोचा कि सुमन के पास ही चली जाती हूं. मैं जाकर बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो गयी. सुमन के चूचे नंगे थे और वो उन पर पानी डाल रही थी. उसके नंगे चूचों को देख कर मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैं अंदर घुस गई और मैंने सुमन के चूचों को अपने हाथों में लेकर दबा दिया.
सुमन एकदम से उठ कर कहने लगी- क्या कर रही है?
मगर मैंने फिर से सुमन के भीगे हुए चूचों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उनको दबाने लगी. पता नहीं मुझे क्या हो गया था. सुमन के चूचे देख कर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. उसके चूचे एकदम मस्त और गोल थे. उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. भीगे हुए चूचों को बार-बार दबाने का मन कर रहा था मेरा. इसलिए मैं सुमन की बात पर ध्यान ही नहीं दे रही थी.
फिर सुमन मुझे पीछे धकेलते हुए मना करने लगी. मगर मैंने फिर से उसे पकड़ लिया और उसको धकेलते हुए दीवार से सटा दिया. मैं उसकी नंगी और भीगी हुई गीली चूत पर हाथ चलाने लगी.
मैंने कहा- आज मैं तुझे सेक्स का पाठ पढ़ाना चाहती हूं.
एक दिन की बात है जब मैं सुमन के घर गई. सुमन घर पर अकेली थी. मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसकी दीदी की डिलीवरी के चलते घर वाले हॉस्पिटल में गये हुए हैं. अस्पताल गांव से 20 किलोमीटर दूर है. फिर हम दोनों में यहाँ-वहाँ की बात होने लगी और होते-होते बात सेक्स तक पहुंच गई.
मैंने सुमन से कहा- जब तेरी शादी हो जायेगी तो तुझे भी एक न एक दिन हॉस्पिटल जाना पड़ेगा. ठीक वैसे ही जैसे आज तेरी दीदी को लेकर गये हैं तेरे घरवाले.
वो बोली- मैं कहीं नहीं जाने वाली.
मैंने कहा- जाना तो पड़ेगा. शादी के बाद जब तेरा पति रोज तेरी चुदाई करेगा तो तेरा पेट फूल जायेगा. तब तुझे भी हॉस्पिटल जाना ही पड़ेगा.
इस तरह हम दोनों सेक्स की बातें करने लगीं.
सुमन बोली- अब ये सब बातें बंद कर. मैं अभी तक नहाई भी नहीं हूं. तू जरा बैठ, मैं अभी नहा कर आती हूं.
इतना कह कर सुमन नहाने के लिए बाथरूम में चली गई. मगर मैं वहाँ पर बैठी-बैठी बोर हो रही थी. मैंने सोचा कि सुमन के पास ही चली जाती हूं. मैं जाकर बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो गयी. सुमन के चूचे नंगे थे और वो उन पर पानी डाल रही थी. उसके नंगे चूचों को देख कर मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैं अंदर घुस गई और मैंने सुमन के चूचों को अपने हाथों में लेकर दबा दिया.
सुमन एकदम से उठ कर कहने लगी- क्या कर रही है?
मगर मैंने फिर से सुमन के भीगे हुए चूचों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उनको दबाने लगी. पता नहीं मुझे क्या हो गया था. सुमन के चूचे देख कर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. उसके चूचे एकदम मस्त और गोल थे. उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे. भीगे हुए चूचों को बार-बार दबाने का मन कर रहा था मेरा. इसलिए मैं सुमन की बात पर ध्यान ही नहीं दे रही थी.
फिर सुमन मुझे पीछे धकेलते हुए मना करने लगी. मगर मैंने फिर से उसे पकड़ लिया और उसको धकेलते हुए दीवार से सटा दिया. मैं उसकी नंगी और भीगी हुई गीली चूत पर हाथ चलाने लगी.
मैंने कहा- आज मैं तुझे सेक्स का पाठ पढ़ाना चाहती हूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.