21-08-2020, 03:51 PM
मगर उन्होंने लंड को बाहर नहीं निकाला और मेरे ऊपर लेट गये. वो मेरे होंठों को चूसने लगे. मुझे अभी भी दर्द हो रहा था. फिर मैंने भी उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
दो-चार मिनट तक जीजा मेरे होंठों को पीते रहे. अब मेरा दर्द हल्का सा कम हुआ, मगर तभी जीजा ने एक और धक्का मेरी चूत की तरफ दिया और मेरी चूत में उनका लंड आधा घुस गया.
अब मेरी चूत में जीजा का लंड आधा फंस गया था. मगर अबकी बार दर्द में कुछ कमी आई. उसके बाद जीजा ने धीरे-धीरे करके मेरी चूत में अपना लंड पूरा घुसा दिया.
जब चूत में लंड पूरा घुस गया तो मुझे ऐसे लगने लगा कि जीजा का जिस्म और मेरा जिस्म एक हो गये हैं. अब से पहले मैंने केवल चूत में उंगली का ही मजा लिया.
आज मुझे पता चला कि चूत में लंड जब जाता है तो उसका अहसास कितना अलग और सुखद होता है. हालांकि चूत में अभी भी काफी दर्द था मगर एक मर्द के लौड़े को चूत में लेने की फीलिंग भी बहुत ही मदहोश कर देने वाली थी.
मैं जीजा को अपनी बांहों में जकड़ने लगी. जीजा ने मेरी चूत में अब लंड को धकेलना शुरू कर दिया. वो धीरे-धीरे करके मेरी चूत में लंड को अंदर-बाहर करने लगे. पांच मिनट तक आहिस्ता आहिस्ता से वो मेरी चूत में लंड को अंदर-बाहर करते रहे.
उसके बाद मेरा दर्द अब काफी कम होने लगा था. अब मुझे मजा आने लगा था. जीजा का लंड चूत में लेकर अब मुझे चुदाई का मजा मिलने लगा था. जब उनका लंड मेरी चूत में अंदर जाकर टकराता था तो मुझे काफी आनंद मिल रहा था.
धीरे-धीरे जीजा के लंड की स्पीड अब मेरी चूत में बढ़ने लगी. अब मुझे और मजा आने लगा. जीजा का लंड काफी मोटा और सख्त था और मेरी चूत में फंसता हुआ उसको खोल कर चोद रहा था.
मुझे काफी मजा आने लगा. कुछ देर के बाद मैं खुद ही जीजा के लंड की तरफ अपनी चूत को धकेलने लगी. अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मेरी चूत में जीजा का लंड था और मैं उनके होंठों को चूस रही थी. मुझे एक पुरुष के पुरुषत्व का पहला सुख मिल रहा था. मैं अंदर तक आनंदित हो रही थी.
जीजा की स्पीड अब और तेज हो गयी थी. वो मेरी चूत को तेजी के साथ चोदने में लगे हुए थे. मैं भी अब दोगुनी तेजी के साथ अपनी चूत को उनके लंड की तरफ धकेल रही थी.
मेरे मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह जीजा जी … आई लव यू … फक मी जीजा जी … चोदो मुझे आह्ह … बहुत मजा आ रहा है. आह्ह मैं मर जाऊंगी… और जोर से चोदो.
एकाएक मेरी चूत में संकुचन सा होने लगा और मेरी चूत ने अंदर से अपना सारा कामरस जीजा के लंड पर फेंकना शुरू कर दिया. मैं झड़ने लगी.
पहली बार मैं चुदाई के दौरान झड़ी थी. स्खलन के दौरान मुझे असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी. जीजा का लंड अब भी मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था.
अब उनके लंड के धक्के मेरी चूत में और तेज हो गये थे. लंड जब चूत में जा रहा था तो मुझे पच-पच की आवाज भी सुनाई देने लगी थी. जीजा अब हांफने लगे थे.
वो अब पूरी ताकत के साथ मेरी चूत को चोदने लगे. मेरी चूत में दर्द होने लगा मगर फिर भी मैं उनका साथ देती रही. मेरी चूत चुदकर जैसे छलनी हो रही थी. मगर साथ ही आनंद भी मिल रहा था.
पांच मिनट के बाद मैं एक बार फिर से झड़ गयी. अब मेरी हालत खराब होने लगी. मैंने जीजा को कस कर अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया. उनके होंठों को जोर से काटने लगी.
जीजा के लंड ने मेरी चूत को खोल कर रख दिया था. फिर वो तेजी के साथ धक्के लगाते हुए आह्ह … आह्हह … करते हुए मेरी चूत में ही झड़ने लगे.
उन्होंने अपने लंड का सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया. मेरी चूत का छेद जीजा के लंड माल से भर गया. उसके बाद वो मेरे ऊपर ही गिर पड़े. उनकी सांसें तेजी के साथ चल रही थीं.
मैं जीजा की पीठ को सहलाने लगी. मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए उनको सामान्य करने की कोशिश की. उसके बाद हम दोनों ऐसे ही काफी देर तक एक दूसरे के साथ नंगे जिस्मों के साथ चिपके रहे.
जीजा मेरे ऊपर ही लेटकर सो गये. जब मैं सुबह उठी तो जीजा जा चुके थे. मैंने देखा कि बेड की चादर पर भी कोई निशान नहीं था. मैं सोच रही थी कि मेरी चूत की पहली चुदाई से निकलने वाले खून और कामरस के निशान चादर पर होंगे.
लेकिन बेड पूरा साफ था. मगर मैं अंदर से काफी संतुष्ट महसूस कर रही थी. मैंने बाथरूम में जाकर देखा तो मेरी चूत काफी सूजी हुई लग रही थी. शायद कल्पना में मैंने अपनी चूत को कुछ ज्यादा ही जोर से रगड़ दिया था.
कई दिनों तक मेरी चूत दुखती रही. उसके बाद मैंने फिर से सपना के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लिया. अब मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब मेरे चूत में किसी जवान मर्द का लंड जायेगा.
तो दोस्तो, ये थी मेरी सहेली की मेरे जीजा के साथ पहली चुदाई की कल्पना.
दो-चार मिनट तक जीजा मेरे होंठों को पीते रहे. अब मेरा दर्द हल्का सा कम हुआ, मगर तभी जीजा ने एक और धक्का मेरी चूत की तरफ दिया और मेरी चूत में उनका लंड आधा घुस गया.
अब मेरी चूत में जीजा का लंड आधा फंस गया था. मगर अबकी बार दर्द में कुछ कमी आई. उसके बाद जीजा ने धीरे-धीरे करके मेरी चूत में अपना लंड पूरा घुसा दिया.
जब चूत में लंड पूरा घुस गया तो मुझे ऐसे लगने लगा कि जीजा का जिस्म और मेरा जिस्म एक हो गये हैं. अब से पहले मैंने केवल चूत में उंगली का ही मजा लिया.
आज मुझे पता चला कि चूत में लंड जब जाता है तो उसका अहसास कितना अलग और सुखद होता है. हालांकि चूत में अभी भी काफी दर्द था मगर एक मर्द के लौड़े को चूत में लेने की फीलिंग भी बहुत ही मदहोश कर देने वाली थी.
मैं जीजा को अपनी बांहों में जकड़ने लगी. जीजा ने मेरी चूत में अब लंड को धकेलना शुरू कर दिया. वो धीरे-धीरे करके मेरी चूत में लंड को अंदर-बाहर करने लगे. पांच मिनट तक आहिस्ता आहिस्ता से वो मेरी चूत में लंड को अंदर-बाहर करते रहे.
उसके बाद मेरा दर्द अब काफी कम होने लगा था. अब मुझे मजा आने लगा था. जीजा का लंड चूत में लेकर अब मुझे चुदाई का मजा मिलने लगा था. जब उनका लंड मेरी चूत में अंदर जाकर टकराता था तो मुझे काफी आनंद मिल रहा था.
धीरे-धीरे जीजा के लंड की स्पीड अब मेरी चूत में बढ़ने लगी. अब मुझे और मजा आने लगा. जीजा का लंड काफी मोटा और सख्त था और मेरी चूत में फंसता हुआ उसको खोल कर चोद रहा था.
मुझे काफी मजा आने लगा. कुछ देर के बाद मैं खुद ही जीजा के लंड की तरफ अपनी चूत को धकेलने लगी. अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मेरी चूत में जीजा का लंड था और मैं उनके होंठों को चूस रही थी. मुझे एक पुरुष के पुरुषत्व का पहला सुख मिल रहा था. मैं अंदर तक आनंदित हो रही थी.
जीजा की स्पीड अब और तेज हो गयी थी. वो मेरी चूत को तेजी के साथ चोदने में लगे हुए थे. मैं भी अब दोगुनी तेजी के साथ अपनी चूत को उनके लंड की तरफ धकेल रही थी.
मेरे मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह जीजा जी … आई लव यू … फक मी जीजा जी … चोदो मुझे आह्ह … बहुत मजा आ रहा है. आह्ह मैं मर जाऊंगी… और जोर से चोदो.
एकाएक मेरी चूत में संकुचन सा होने लगा और मेरी चूत ने अंदर से अपना सारा कामरस जीजा के लंड पर फेंकना शुरू कर दिया. मैं झड़ने लगी.
पहली बार मैं चुदाई के दौरान झड़ी थी. स्खलन के दौरान मुझे असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी. जीजा का लंड अब भी मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था.
अब उनके लंड के धक्के मेरी चूत में और तेज हो गये थे. लंड जब चूत में जा रहा था तो मुझे पच-पच की आवाज भी सुनाई देने लगी थी. जीजा अब हांफने लगे थे.
वो अब पूरी ताकत के साथ मेरी चूत को चोदने लगे. मेरी चूत में दर्द होने लगा मगर फिर भी मैं उनका साथ देती रही. मेरी चूत चुदकर जैसे छलनी हो रही थी. मगर साथ ही आनंद भी मिल रहा था.
पांच मिनट के बाद मैं एक बार फिर से झड़ गयी. अब मेरी हालत खराब होने लगी. मैंने जीजा को कस कर अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया. उनके होंठों को जोर से काटने लगी.
जीजा के लंड ने मेरी चूत को खोल कर रख दिया था. फिर वो तेजी के साथ धक्के लगाते हुए आह्ह … आह्हह … करते हुए मेरी चूत में ही झड़ने लगे.
उन्होंने अपने लंड का सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया. मेरी चूत का छेद जीजा के लंड माल से भर गया. उसके बाद वो मेरे ऊपर ही गिर पड़े. उनकी सांसें तेजी के साथ चल रही थीं.
मैं जीजा की पीठ को सहलाने लगी. मैंने उनकी पीठ को सहलाते हुए उनको सामान्य करने की कोशिश की. उसके बाद हम दोनों ऐसे ही काफी देर तक एक दूसरे के साथ नंगे जिस्मों के साथ चिपके रहे.
जीजा मेरे ऊपर ही लेटकर सो गये. जब मैं सुबह उठी तो जीजा जा चुके थे. मैंने देखा कि बेड की चादर पर भी कोई निशान नहीं था. मैं सोच रही थी कि मेरी चूत की पहली चुदाई से निकलने वाले खून और कामरस के निशान चादर पर होंगे.
लेकिन बेड पूरा साफ था. मगर मैं अंदर से काफी संतुष्ट महसूस कर रही थी. मैंने बाथरूम में जाकर देखा तो मेरी चूत काफी सूजी हुई लग रही थी. शायद कल्पना में मैंने अपनी चूत को कुछ ज्यादा ही जोर से रगड़ दिया था.
कई दिनों तक मेरी चूत दुखती रही. उसके बाद मैंने फिर से सपना के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लिया. अब मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब मेरे चूत में किसी जवान मर्द का लंड जायेगा.
तो दोस्तो, ये थी मेरी सहेली की मेरे जीजा के साथ पहली चुदाई की कल्पना.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
