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Adultery पत्नी एक्सचेंज
#80
मैं सुमन … सपना की पड़ोसन और सहेली! आप सपना के बारे में तो जानते ही हो। सपना मेरी एक अच्छी सहेली है और हमारे बीच में कोई बात नहीं छिपी हुई है। आपने पढ़ा ही है कि लेस्बिय्ब सेक्स करते समय हम दोनों सखियाँ एक साथ एक दूसरी की चूत को चाटती हैं और एक दूजी को मज़ा देती हैं।

मैंने सपना से उसके और उसके जीजाजी के सैक्स के बारे में सब पूछा, सपना ने भी कुछ नहीं छुपाया मुझसे।

उन जीजा साली के सेक्स के बारे में जानकर मेरे मन में क्या आया, वो सब मैं आपको बताना चाहती हूं. यह मेरे मन की बात है, मेरी कल्पना से मैंने ये सब लिखा है. असलियत यही है कि मैंने अभी तक किसी लडके या मर्द के साथ सेक्स नहीं किया है पर मैं कल्पना कर रही हूं कि सपना के जीजाजी मेरे से पहली बार मिल रहे हैं और मेरा मन भी सेक्स करने का है.

आज मुझे सपना ने मेरे साथ लेस्बियन सेक्स करके बहुत ज्यादा गर्म कर दिया. और अब मैं चाहती हूं कि कोई मर्द मुझे निचोड़ दे!

मैं ये सब सोच कर बेचैन हो ही रही थी. सपना मुझे लेस्बियन सेक्स का मजा देकर अपने घर चली गयी थी कि अचानक सपना के घर उनके जीजाजी आ गए। पता नहीं उसे क्या सूझी कि वो अपने जीजा को मेरे घर ले आयी.

उस समय मैं बेड पर पड़ी हुई तड़प रही थी. मेरी हालत जल बिन मछली के जैसी हो गयी थी. अब मैं अपनी चूत को किसी भी प्रकार से शांत करना चाह रही थी.

फिर मैंने देखा कि मेरी सहेली के जीजा मेरे रूम में आ गये. उन्होंने मेरी हालत को देखा. मेरी चूत को छूकर देखा. मेरी चूत बहुत ही गर्म थी. उन्होंने मेरी चूत को सहलाया तो मैं सिहर गयी.
Jija Sali Sex
Jija Sali Sex

मेरी चूत से गर्म चिपचिपा कामरस टपक रहा था. जीजा ने मुझे नंगी किया और मेरी चूचियों को दबाया. मेरी चूचियों को दबाते हुए वो मेरा स्तनपान करने लगे.

पहली बार मैंने किसी मर्द के मजबूत हाथों का स्पर्श अपने जिस्म पर महसूस किया था. मेरी चूचियों को पीने के बाद मैंने जीजा के जिस्म को भी निर्वस्त्र कर दिया.

अभी तक मैंने किसी भी मर्द को अपनी आंखों के सामने इस तरह से बिना कपड़ों के नहीं देखा था. पहली बार जीजा के लंड को मैंने हाथ में लिया.

एक मर्द के लिंग को छूना और उसको हाथ में लेकर महसूस करना मुझे बहुत सुखद लग रहा था. मुझे मर्द और औरत के जिस्म की छुअन का फर्क भी मालूम चल रहा था. मर्द के जिस्म को छूने का अहसास बहुत ही अलग होता है. इतना मजा मुझे अपनी सहेली सपना के नंगे जिस्म को छूकर नहीं आया था.

जीजा का लंड मेरे हाथ में था. फिर मैंने उनके लंड को सहलाया. वो काफी उत्तेजित हो गये थे. मैंने जीजा के लंड को हाथ में लेकर भींच कर देखा. जीजा का लंड किसी रॉड की तरह सख्त था.

मैंने जीजा के लंड को मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी. थोड़ी देर तक लंड चूसने के बाद जीजा ने मेरे मुंह पर अपने लंड को दबा दिया और उन्होंने मेरे मुंह में ही वीर्य निकाल दिया.

पहली बार मैंने एक मर्द के वीर्य को अपने मुंह के अंदर लेकर उसका स्वाद चखा था. मर्द का वीर्य मुझे एक लड़की के कामरस से काफी अलग लग रहा था.

फिर जीजा ने मुझे बेड पर लिटा दिया. वो मेरी चूचियों के साथ खेलने लगे. उनका लंड वीर्य छोड़कर पुन: सुप्त अवस्था में पहुंच गया था.

जीजा मेरे बदन पर लेट कर मेरे जिस्म को चूमने लगे. मैं भी पूरी नंगी थी और जीजा का बदन भी एकदम से निर्वस्त्र था. वो अपने जिस्म को मेरे जिस्म पर रगड़ रहे थे.

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उनका लंड बार-बार मेरी चूत को छू रहा था. वो मेरे चूचियों के निप्पलों को मुंह में लेकर पी रहे थे. मेरी चूचियां एकदम से तन कर कड़क हो गयी थीं.

मेरी चूत बार-बार ऊपर उठ कर जीजा के लंड को छू रही थी. वो चाह रही थी कि अब उसको लंड का पहला अनुभव मिल जाये. अभी तक मैंने लेस्बियन सेक्स के द्वारा ही अपनी चूत का पानी निकाला था.

मैं चाह रही थी कि आज मेरी चूत से लंड के घर्षण से उत्पन्न मादकता में मेरी चूत का पानी छूट जाये. जीजा अभी भी मेरी चूचियों को दबा रहे थे.

जीजा को मैंने अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैं उनकी गर्दन पर चूमने लगी. वो भी मेरे जिस्म से लिपट गये. दोनों एक दूसरे के जिस्मों के अन्दर समा जाना चाहते थे.

उन्होंने अब मेरे होंठों को जोर से काटना और चूसना शुरू कर दिया. मैं भी उनके होंठों का रस पीने लगी. मैं जीजा के लंड में अब फिर से तनाव आता हुआ महूसस कर रही थी.

जीजा का लंड अब मेरी चूत पर आकर लग रहा था. मैं उनके लंड के स्पर्श को अपनी चूत के द्वार पर अनुभव कर रही थी. जीजा भी अब मेरे होंठों को छोड़कर मेरी गर्दन पर चूसने और काटने लगे थे.

धीरे-धीरे करके जीजा का लंड अब अपने पूरे तनाव में आ रहा था. जब जीजा का लंड खड़ा हो गया तो उन्होंने मेरी चूत को पर लंड को धकेलना शुरू कर दिया.

मगर अभी मैं उनके साथ और खेलना चाह रही थी. मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी. जीजा मेरी चूचियों को काटने लगे. मेरी चूत से कामरस निकल रहा था.

फिर मैंने जीजा को नीचे लिटा दिया. उसके बाद मैं उनके जिस्म को चूमने लगी. उनकी छाती के निप्पलों को मुंह में लेकर चूसने लगी.

अब तक मैंने सिर्फ अपनी सहेली के स्तनों के निप्पलों को मुंह में लिया था. मगर आज मेरे होंठ एक मर्द के निप्पलों का रस पीना चाहते थे. मैं उनके निप्पलों को चूस रही थी. उनको चूसते हुए उत्तेजना और बढ़ रही थी.

जीजा भी मादक सिसकारियां ले रहे थे. आह्ह … ओह्ह … स्स्स … करके वो मेरे होंठों के चुम्बन से मदहोश हो रहे थे. अब मैं नीचे की ओर बढ़ने लगी. मैं उनके पेट को चूमने लगी. दरअसल मैं एक मर्द के जिस्म के हर अंग को छूकर उसकी प्रतिक्रिया को देखना चाह रही थी कि एक पुरुष के किस अंग पर क्या प्रतिक्रिया होती है.

धीरे-धीरे मैं जीजा के लंड तक पहुंच गयी. मैंने जीजा के लंड को मुंह में ले लिया. मैं उनके लंड को चूसने लगी. उनका लंड फिर से पूरे तनाव में आ चुका था.

मैं जीजा के तने हुए लंड को चूस रही थी. जीजा के मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं. फिर मैंने जीजा के लंड के नीचे स्थित उनके अण्डकोष को चूम लिया. जीजा सिसक उठे.

ये देखकर मैंने जीजा के अण्डकोष को अपने मुंह में भर लिया. उनको चूसने लगी. जीजा जैसे पागल से होने लगे. अब वो भी तड़पने लगे थे. मुझे पता चला कि पुरुष के अण्डकोष भी बहुत ही संवेदनशील होते हैं.

पांच मिनट तक उनकी गोलियों को मैं ऐसे ही चूसती रही. मैंने फिर से उनके लंड को मुंह में ले लिया और तेजी से अपने होंठों को उस पर चलाने लगी. इस तरह से लंड को चूसने के बाद जीजा से रहा न गया.

उन्होंने मेरे मुंह को अपने लंड पर से हटाते हुए मुझे एक तरफ किया और उठ गये. फिर उन्होंने मुझे एक तरफ पटका और मेरी टांगों को खोल कर मेरी चूत पर अपने होंठों को रख दिया.

वो मेरी चूत में अपनी जीभ घुसाकर मेरी चूत को चोदने लगे. मैं पहले से ही उत्तेजना में थी. इस क्रिया से मेरे पूरे बदन में एक सरसराहट सी दौड़ गयी.

मेरी चूत में उनकी जीभ तेजी के साथ अंदर बाहर हो रही थी. मेरी चूत में एक अलग ही आनंद के साथ तड़प भी पैदा हो रही थी. मैं जीजा के मुंह की तरफ अपनी चूत को धकेल रही थी.

जीजा ने मेरी चूत चुसाई करते हुए मुझे पागल कर दिया. मैं बेड की चादर को नोंच रही थी. मेरी चूत में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था. मेरी सांसें बहुत भारी हो गयी थीं.

वो लगातार मेरी चूत में जीभ को घुसाये जा रहे थे.
फिर मैं बोली- बस … जीजा जी, अब कर दो … नहीं तो मर जाऊंगी. अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा है. अपना लंड मेरी चूत में दे दो.

जीजा बोले- हां मेरी रानी, आज तो मैं तुम्हारी चूत का उद्घाटन करके ही रहूंगा. सपना के साथ तो मैं बहुत बार चुदाई कर चुका हूं. आज मैं तुम्हारी चूत को भी फाड़ कर रख दूंगा अपने लौड़े से.
ऐसा बोलकर जीजा ने मेरी टांगों को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया. उन्होंने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया. अब मेरी चूत थोड़ी सी ऊपर उठ गयी.

उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा तो मैं तड़प उठी. उसके बाद जीजा ने मेरी चूत में लंड के सुपारे को अंदर घुसाने का प्रयास किया. उनका लंड आगे से बहुत मोटा था. सुपाड़ा भी अंदर नहीं जा रहा था.

फिर उन्होंने अपने लंड पर थूक और लार से उसको चिकना किया. दोबारा से लंड को मेरी चूत पर रखा. उसके बाद उन्होंने सही निशाना लगा कर मेरी चूत में एकदम से लंड को घुसा दिया.

जैसे ही उनका लंड मेरी चूत में घुसा मेरे मुंह से चीख निकल गयी. मेरी आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया. मैं दर्द के मारे छटपटाने लगी. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊईई … मर गयी अम्मा … आह्हह!
मैं जीजा से लंड को बाहर निकालने के लिए कहने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
REमेरी सहेली - by neerathemall - 21-08-2020, 02:25 PM
RE: पत्नी एक्सचेंज - by neerathemall - 21-08-2020, 03:51 PM



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