21-08-2020, 01:52 PM
वाइफ एक्सचेंज - एक घिनौनी प्रथा
हमारी आधुनिक संस्कृति में सम्पन्न समझे जाने वाले तबकों में 'वाइफ एक्सचेंज' की प्रथा बहुत ही तेजी से पनपती जा रही है। यह प्रथा धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय लोगों में भी पनपने लगी है। भारतीय समाज के लिए यह पनपती प्रथा जहां चिंताजनक बात है, वहीं दूसरी ओर इससे स्वस्थ समाज बड़ी तेजी से अस्वस्थता के गड्ढ़े में भी गिरता जा रहा है।
काम अर्थात् सेक्स प्राणी मात्र के लिये एक प्राकृतिक उपहार है। इसके बिना नवीन सृजन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। पति-पत्नी के मध्य प्रचलित काम भाव को ही शास्त्रों में स्वच्छ भाव बताया गया है परन्तु जब यही भाव पति-पत्नी की लक्ष्मण रेखा को पार करके पुरूष-स्त्री तक बढ़ जाया करता है तो उसे 'अवैध संबंध' की संज्ञा दी जाती है।
काम अर्थात् सेक्स प्राणी मात्र के लिये एक प्राकृतिक उपहार है। इसके बिना नवीन सृजन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। पति-पत्नी के मध्य प्रचलित काम भाव को ही शास्त्रों में स्वच्छ भाव बताया गया है परन्तु जब यही भाव पति-पत्नी की लक्ष्मण रेखा को पार करके पुरूष-स्त्री तक बढ़ जाया करता है तो उसे 'अवैध संबंध' की संज्ञा दी जाती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.