07-03-2019, 10:24 AM
(This post was last modified: 15-03-2024, 02:40 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ओहा, कम आन, दीदी! हम अजनबी तो नही है. और हम भाई-बहन है तो क्या हुआ, हम दोस्त भी तो है. तुम्हे ज़रा भी अजीब नही लगेगा वहाँ. तुम सिर्फ़ देखो, तुम्हे बहुत मज़ा आएगा वहाँ.हां! हां! मुझे मालूम है वो. मेरे प्यारे भाई!!ऐसा कहके उसने मज़ाक में मेरा गाल पकड़कर खींच लिया और मुझे ऐसे उसका गाल खींचना अच्छा नही लगता.
ईई. दीदी!! तुम्हे मालूम है ना मुझे ऐसे करना पसंद नही. में क्या छोटा हूँ अभी? अब में काफ़ी बड़ा हो गया हूँ.
ओ.हो, हो, हो!! तुम बड़े हो गये हो? तुम सिर्फ़ बदन से बढ़ गये हो, राहुल! लेकिन अपनी इस दीदी के लिए तुम छोटे भाई ही रहोगे. ऐसा कहकर उसने मुझे बाँहों में ले लिया,
नन्हा सा. छोटा. भाई! एकदम मेरे बच्चे जैसा!ओहा, दीदी! तुम मुझे बहुत बहुत अच्छी लगती हो. तुम हमेशा खुश रहो ऐसा मुझे लगता है. और उसके लिए में कुछ भी करने को तैयार हूँ ऐसा कहकर मैंने भी उसे ज़ोर से आलिंगन दिया.
मुझे मालूम है वो, राहुल! मुझे मालूम है! मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो. तुम मेरे भाई हो इस बात का मुझे हमेशा फक्र होता है.उस समय अगर मुझे किस चीज़ का अहसास हो रहा था तो वो चीज़ थी मेरे सीने पर दबी हुई, मेरी बड़ी बहन की भरी हुई छाती!!जैसा हमने तय किया था वैसे तीसरे दिन सुबह हम कल्याण जाने के लिए तैयार हो गये. हमे ठीक तरह से जाने के लिए कह के और यात्रा की शुभकामनाएँ दे के शालू दीदी के पति हमेशा की तरह अपनी दुकान चले गये. सब काम निपटने के बाद शालू दीदी ने मुझे कहा बाहर जाकर अगले नुक्कड से रिक्शा ले के आओ तब तक वो साड़ी वग़ैरा पहन के तैयार होती है. में गया और रिक्शा लेकर आया. रिक्शा वाले को बाहर रुका के में अंदर आया और शालू दीदी को जल्दी चलने के लिए पुकारने लगा. वो तैयार होकर बाहर आई और उसे देखकर में हैरान रह गया.
ईई. दीदी!! तुम्हे मालूम है ना मुझे ऐसे करना पसंद नही. में क्या छोटा हूँ अभी? अब में काफ़ी बड़ा हो गया हूँ.
ओ.हो, हो, हो!! तुम बड़े हो गये हो? तुम सिर्फ़ बदन से बढ़ गये हो, राहुल! लेकिन अपनी इस दीदी के लिए तुम छोटे भाई ही रहोगे. ऐसा कहकर उसने मुझे बाँहों में ले लिया,
नन्हा सा. छोटा. भाई! एकदम मेरे बच्चे जैसा!ओहा, दीदी! तुम मुझे बहुत बहुत अच्छी लगती हो. तुम हमेशा खुश रहो ऐसा मुझे लगता है. और उसके लिए में कुछ भी करने को तैयार हूँ ऐसा कहकर मैंने भी उसे ज़ोर से आलिंगन दिया.
मुझे मालूम है वो, राहुल! मुझे मालूम है! मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो. तुम मेरे भाई हो इस बात का मुझे हमेशा फक्र होता है.उस समय अगर मुझे किस चीज़ का अहसास हो रहा था तो वो चीज़ थी मेरे सीने पर दबी हुई, मेरी बड़ी बहन की भरी हुई छाती!!जैसा हमने तय किया था वैसे तीसरे दिन सुबह हम कल्याण जाने के लिए तैयार हो गये. हमे ठीक तरह से जाने के लिए कह के और यात्रा की शुभकामनाएँ दे के शालू दीदी के पति हमेशा की तरह अपनी दुकान चले गये. सब काम निपटने के बाद शालू दीदी ने मुझे कहा बाहर जाकर अगले नुक्कड से रिक्शा ले के आओ तब तक वो साड़ी वग़ैरा पहन के तैयार होती है. में गया और रिक्शा लेकर आया. रिक्शा वाले को बाहर रुका के में अंदर आया और शालू दीदी को जल्दी चलने के लिए पुकारने लगा. वो तैयार होकर बाहर आई और उसे देखकर में हैरान रह गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.