07-03-2019, 10:20 AM
वो सब बातें मुझे याद आई और शालू दीदी को लाने के लिए में एक पैर पर जाने के लिए तैयार हो गया. मुझे टाइम नही होता तो भी में टाइम निकालता था. दूसरे दिन ऑफीस जा के मैंने इमर्जेंसी लीव डाल दी और तीसरे दिन सुबह में नाशिक जानेवाली बस में बैठ गया. दोपहर तक में शालू दीदी के घर पहुँच गया. मैंने जान बुझकर शालू दीदी को खबर नही दी थी के में उसे लेने आ रहा हूँ क्योंकी मुझे उसे सरप्राइज करना था. उसने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही अश्चर्य से वो चींख पडी और खुशी के मारे उसने मुझे बाँहों में भर लिया. इसका पूरा फ़ायदा ले के मैंने भी उसे ज़ोर से बाँहों में भर लिया जिससे उसकी छाती के भरे हुए उभार मेरी छाती पर दब गये. बाद में उसने मुझे घर के अंदर लिया और दीवानपर बिठा दिया.
</p><p>रात को शालू दीदी के पति आए और मुझे देखकर उन्हे भी आनंद हुआ. हमने यहाँ वहाँ की बातें की और उन्होने मेरे बारे में और मेरे माता, पिता के बारे में पुछा. उन्होने मुझे दो दिन रहने को कहा और फिर बाद में शालू दीदी को आठ दिन के लिए हमारे घर ले जाने के लिए कहा. मैंने उन्हे ठीक है कहा.</p><p>दूसरे दिन दोपहर को शालू दीदी और में उसकी ननद के घर जाने के लिए तैयार हो रहे थे. शालू दीदी ने हमेशा की तरह बिना संकोच मेरे सामने कपड़े बदल लिए और मैंने भी मेरी आदत की तरह उसके अध नंगे बदन का चुपके से दर्शन लिया. बहुत दिनो के बाद मैंने मेरी बहन को ब्रा में देखा. उफ़!! कितनी बड़ी बड़ी लग रही थी उसकी चुचीया! | देखते ही मेरा लंड उठने लगा और मेरे मन में जंगली ख़याल आने लगे कि तरार से उसकी ब्रा फाड़ दूं और उसकी भरी हुई चुचीया कस के दबा दूं. लेकिन मेरी गान्ड में उतना दम नही था
</p><p>रात को शालू दीदी के पति आए और मुझे देखकर उन्हे भी आनंद हुआ. हमने यहाँ वहाँ की बातें की और उन्होने मेरे बारे में और मेरे माता, पिता के बारे में पुछा. उन्होने मुझे दो दिन रहने को कहा और फिर बाद में शालू दीदी को आठ दिन के लिए हमारे घर ले जाने के लिए कहा. मैंने उन्हे ठीक है कहा.</p><p>दूसरे दिन दोपहर को शालू दीदी और में उसकी ननद के घर जाने के लिए तैयार हो रहे थे. शालू दीदी ने हमेशा की तरह बिना संकोच मेरे सामने कपड़े बदल लिए और मैंने भी मेरी आदत की तरह उसके अध नंगे बदन का चुपके से दर्शन लिया. बहुत दिनो के बाद मैंने मेरी बहन को ब्रा में देखा. उफ़!! कितनी बड़ी बड़ी लग रही थी उसकी चुचीया! | देखते ही मेरा लंड उठने लगा और मेरे मन में जंगली ख़याल आने लगे कि तरार से उसकी ब्रा फाड़ दूं और उसकी भरी हुई चुचीया कस के दबा दूं. लेकिन मेरी गान्ड में उतना दम नही था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.