07-03-2019, 10:17 AM
समय गुजर रहा था और में २२ साल का हो गया था. शालू दीदी भी २८ साल की हो गयी थी. शालू दीदी की उम्र बढ़ रही थी लेकिन उसके गदराए बदन में कुछ बदलाव नही आया था. मुझे तो समय के साथ वो ज़्यादा ही हसीन और जवान होती नज़र आ रही थी. कभी कभी मुझे उसके पति से ईर्षा होती थी के वो कितना नसीब वाला है जो उसे शालू दीदी जैसी हसीन और जवान बीवी मिली है. लेकिन असलीयत तो कुछ और ही थी.<br /> मुझे शालू दीदी के कहने से मालूम पड़ा के वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नही है. उसके वयस्क पति के साथ उसका कामजीवन भी आनंददायक नही है. शादी के बाद शुरू शुरू में उसके पति ने उसे बहुत प्यार दिया. उसी दौरान वो गर्भवती रही और उन्हे लड़का हुआ. लेकिन बाद में वो अपने बच्चे में व्यस्त होती गयी और उसके पति अपने धांडे में उलझते गये. इस वजह से उनके कामजीवन में एक दरार सी पड गयी थी जिसे मिटाने की कोशिश उसके पति नही कर रहे थे. एक दूसरे से समझौता, यही उनका जीवन बन रहा था और धीरे धीरे शालू दीदी को ऐसे जीवन की आदत होती जा रही थी. दिखने में तो उनका वैवाहिक जीवन आदर्श लग रहा था लेकिन अंदर की बात ये थी के शालू दीदी उससे खुश नही थी.</p><p>भले ही मेरे मन में शालू दीदी के बारे में काम भावना थी लेकिन आखीर में उसका सगा भाई था इसलिए मुझे उसकी हालत से दुख होता था और उसकी मानसिकता पर मुझे तरस आता था. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इसलिए में उसे हमेशा तसल्ली देता था और उसकी आशाएँ बढ़ाते रहता था. उसे अलग अलग जोक्स, चुटकुले और मजेदार बातें बताते रहता था. में हमेशा उसे हंसाने की कोशिश करता रहता था और उसका मूड हमेशा आनंददायक और प्रसन्न रहे इस कोशिश में रहता था.</p><p>जब वो हमारे घर आती थी या फिर में उसके घर जाता था, तब में उसे बाहर घुमाने ले जाया करता था. कभी शापींग के लिए तो कभी सिनेमा देखाने के लिए तो फिर कभी हम ऐसे ही घूमने जाया करते थे. इस कहानी का शीर्षक भाई बहन की आपस में चुदाई है | कई बार में उसे अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाने लेके जाया करता था. शालू दीदी के पसंदीदा और उसे खुश करने वाली हर वो बात में करता था, जो असल में उसके पति को करनी चाहिए थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.