07-03-2019, 10:16 AM
(This post was last modified: 15-03-2024, 02:35 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शादी के बाद शालू दीदी कुछ ज़्यादा ही सुंदर, सुडौल और मादक दिखने लगी थी. उसकी ब्रा, पैंटी चुपके से लेकर में अब भी मूठ मारता था. उसकी ब्रा और पैंटी चेक करने के बाद मुझे पता चला के उनका नंबर बदल गया था. इसका मतलब ये था के शादी के बाद वो बदन से और भी भर गयी थी. अगर बहुत दिनो से शालू दीदी मायके नही आती तो में उससे मिलने नाशिक जाता था. में अगर उसके घर जाता तो दो चार दिन या तो एक हफ़्ता वहाँ रहता था. उसके पति दिनभर दुकानपर रहते थे. खाना खाने के लिए वो दोपहर को एक घंटे के लिए घर आते थे और फिर बाद में सीधा रात को दस बजे घर आते थे. दिनभर शालू दीदी घर में अकेले ही रहती थी.
जब में उसके घर जाता था तो सदा उसके आसपास रहता था. भले ही में उसके साथ बातें करता रहता था या उसके किसी काम में मदद करता रहता था लेकिन असल में मैं उसके गदराए अंगो के उठान और गहराइयों का, उसकी साड़ी और ब्लाउस के उपर से जायज़ा लेता था. और इधर से उधर आते जाते उसके बदन का अनजाने में हो रहे स्पर्श का मज़ा लेता था. उसके कभी ध्यान में ही नही आई मेरी काम वासना भरी नज़र या वासना भरे स्पर्श! उसने सपने में भी कभी कल्पना की नही होगी के उसके सगे छोट भाई के मन में उसके लिए काम लालसा है.</p><p>शादी के बाद एक साल में शालू दीदी गर्भवती हो गयी. सातवे महीने में डिलीवरी के लिए वो हमारे घर आई और नववे महीने में उसे लड़का हुआ. बाद में दो महीने के बाद वो बच्चे के साथ ससुराल चली गयी. बाद में तीन चार साल ऐसे ही गुजर गये और उस दौरान वो वापस गर्भवती नही रही. वो और उसका पति शायद अपने एक ही लडके से खुश थे इसलिए उन्होने दूसरे बच्चे के बारे में सोचा नही.</p><p>इस दौरान मैंने मेरी कॉलेज और कॉलेज की पढ़ाई ख़तम की और में एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करने लगा. कॉलेज के दिनो में कई लड़कियो से मेरी दोस्ती थी और दो तीन लड़कियो के साथ अलग अलग समय पर मेरे प्रेम सम्बन्ध भी थे. एक दो लड़कियो को तो मैंने चोदा भी था और उनके साथ सेक्स का मज़ा भी लूट लिया था. लेकिन फिर भी में अपनी बहन की याद में काम व्याकूल होता था और मूठ मारता था. शालू दीदी के बारे में काम भावना और काम लालसा मेरे मन में हमेशा से थी. मेरे मन के एक कोने के अंदर एक आशा हमेशा से रहती थी के एक दिन कुछ चमत्कार होगा और मुझे मेरी बहन को चोदने को मिलेगा.
में जैसे जैसे बड़ा और समझदार होते जा रहा था वैसे वैसे शालू दीदी मेरे से और भी दिल खोल के बातें करने लगी थी और मुझसे उसका व्यवहार और भी ज़्यादा दोस्ताना सा हो गया था. हम दोस्तो की तरह किसी भी विषयपर कुछ भी बातें करते थे या गपशप लगते थे. आम तौर पे भाई-बहन लैंगिक भावना या कामजीवन जैसे विषयपर बातें नही करते है लेकिन हम दोनो धीरे धीरे उस विषयपर भी बातें करने लगे. हालाँकी मैंने शालू दीदी को कभी नही बताया के मेरे मन में उसके लिए काम वासना है. यह तक के मेरे कॉलेज लाइफ के प्रेमसंबंध या सेक्स लाइफ के बारे में भी मैंने उसे कुछ नही बताया. उसकी यही कल्पना थी के सेक्स के बारे में मुझे सिर्फ़ कही सुनी बातें और किताबी बातें मालूम है.</p>
जब में उसके घर जाता था तो सदा उसके आसपास रहता था. भले ही में उसके साथ बातें करता रहता था या उसके किसी काम में मदद करता रहता था लेकिन असल में मैं उसके गदराए अंगो के उठान और गहराइयों का, उसकी साड़ी और ब्लाउस के उपर से जायज़ा लेता था. और इधर से उधर आते जाते उसके बदन का अनजाने में हो रहे स्पर्श का मज़ा लेता था. उसके कभी ध्यान में ही नही आई मेरी काम वासना भरी नज़र या वासना भरे स्पर्श! उसने सपने में भी कभी कल्पना की नही होगी के उसके सगे छोट भाई के मन में उसके लिए काम लालसा है.</p><p>शादी के बाद एक साल में शालू दीदी गर्भवती हो गयी. सातवे महीने में डिलीवरी के लिए वो हमारे घर आई और नववे महीने में उसे लड़का हुआ. बाद में दो महीने के बाद वो बच्चे के साथ ससुराल चली गयी. बाद में तीन चार साल ऐसे ही गुजर गये और उस दौरान वो वापस गर्भवती नही रही. वो और उसका पति शायद अपने एक ही लडके से खुश थे इसलिए उन्होने दूसरे बच्चे के बारे में सोचा नही.</p><p>इस दौरान मैंने मेरी कॉलेज और कॉलेज की पढ़ाई ख़तम की और में एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करने लगा. कॉलेज के दिनो में कई लड़कियो से मेरी दोस्ती थी और दो तीन लड़कियो के साथ अलग अलग समय पर मेरे प्रेम सम्बन्ध भी थे. एक दो लड़कियो को तो मैंने चोदा भी था और उनके साथ सेक्स का मज़ा भी लूट लिया था. लेकिन फिर भी में अपनी बहन की याद में काम व्याकूल होता था और मूठ मारता था. शालू दीदी के बारे में काम भावना और काम लालसा मेरे मन में हमेशा से थी. मेरे मन के एक कोने के अंदर एक आशा हमेशा से रहती थी के एक दिन कुछ चमत्कार होगा और मुझे मेरी बहन को चोदने को मिलेगा.
में जैसे जैसे बड़ा और समझदार होते जा रहा था वैसे वैसे शालू दीदी मेरे से और भी दिल खोल के बातें करने लगी थी और मुझसे उसका व्यवहार और भी ज़्यादा दोस्ताना सा हो गया था. हम दोस्तो की तरह किसी भी विषयपर कुछ भी बातें करते थे या गपशप लगते थे. आम तौर पे भाई-बहन लैंगिक भावना या कामजीवन जैसे विषयपर बातें नही करते है लेकिन हम दोनो धीरे धीरे उस विषयपर भी बातें करने लगे. हालाँकी मैंने शालू दीदी को कभी नही बताया के मेरे मन में उसके लिए काम वासना है. यह तक के मेरे कॉलेज लाइफ के प्रेमसंबंध या सेक्स लाइफ के बारे में भी मैंने उसे कुछ नही बताया. उसकी यही कल्पना थी के सेक्स के बारे में मुझे सिर्फ़ कही सुनी बातें और किताबी बातें मालूम है.</p>
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.