07-03-2019, 10:15 AM
(This post was last modified: 15-03-2024, 02:34 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शालू दीदी के नाज़ुक अंगो को छू लेने से में वासना से पागल हो जाता था और उसे छूने का कोई भी मौका में छोडता नही था. हमारा घर छोटा था इसलिए हम सब एक साथ हाल में सोते थे और में शालू दीदी के बाजू में सोता था. आधी रात के बाद जब सब लोग गहरी नींद में होते थे तब में शालू दीदी के नज़दीक सरकता था और हर तरह की होशीयारी बरतते में उससे धीरे से लिपट जाता था और उसके बदन की गरमी को महसूस करता था. उसके बड़े बड़े छाती के उभारो को हलके से छू लेता था. उसके चुत्तऱ को जी भर के हाथ लगाता था और उनके भारीपन का अंदाज़ा लेता था. उसकी जाँघो को में छूता था तो कभी कभी उसकी चूत को कपड़े के उपर से छूता था. मेरे मन में मेरी बहन के बारे में जो काम लालसा थी उस बारे में मेरे माता, पिता को कभी कुछ मालूम नही हुआ. उन्हे क्या? खुद शालू दीदी को भी मेरे असली ख़यालात का कभी पता ना चला के में उसके बारे में क्या सोचता हूँ. मेरे असली ख़यालात के बारे में किसी को पता ना चले इसकी में हमेशा खबरदारी लेता था.
मेरे मन में शालू दीदी के बारे में काम वासना थी और में हमेशा उसको चोदने के सपने देखता था लेकिन मुझे मालूम था के हक़ीकत में ये नासंभव है. मेरी बहन को चोदना या उसके साथ कोई नाजायज़ काम संबंध बनाना ये महज एक सपना ही है और वो हक़ीकत में कभी पूरा हो नही सकता ये मुझे अच्छी तरह से मालूम था. इसलिए उसे पता चले बिना जितना हो सके उतना में उसके नज़ूक अंगो को छूकर या चुपके से देखकर आनंद लेता था और उसे चोदने के सिर्फ़ सपने देखता था. जब शालू दीदी 26 साल की हो गयी तब उसकी शादी के लिए लडके देखना मेरे माता, पिता ने चालू किया. हमारे रिश्तेदारो में से एक 34 साल के लडके का रिश्ता उसके लिए आया.
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मेरे मन में शालू दीदी के बारे में काम वासना थी और में हमेशा उसको चोदने के सपने देखता था लेकिन मुझे मालूम था के हक़ीकत में ये नासंभव है. मेरी बहन को चोदना या उसके साथ कोई नाजायज़ काम संबंध बनाना ये महज एक सपना ही है और वो हक़ीकत में कभी पूरा हो नही सकता ये मुझे अच्छी तरह से मालूम था. इसलिए उसे पता चले बिना जितना हो सके उतना में उसके नज़ूक अंगो को छूकर या चुपके से देखकर आनंद लेता था और उसे चोदने के सिर्फ़ सपने देखता था. जब शालू दीदी 26 साल की हो गयी तब उसकी शादी के लिए लडके देखना मेरे माता, पिता ने चालू किया. हमारे रिश्तेदारो में से एक 34 साल के लडके का रिश्ता उसके लिए आया.
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.