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Incest भाई बहन की आपस में चुदाई
#3
उसके साथ जो मेरे दोस्ताना ताल्लूकात थे जिसकी वजह से जब वो मुझे बाँहों में भरती थी तब उसकी गदराई छाती का स्पर्श मुझे हमेशा होता था. हम कही खड़े होते थे तो वो मुझ से सट के खडी रहती थी, जिससे उसके भरे हुए चुत्तऱ और बाकी नज़ूक अंगो का स्पर्श मुझे होता था और उससे में उत्तेजीत होता था. इस तरह से शालू दीदी के बारे में मेरा लैंगिक आकर्षण बढत ही जा रहा था.

शालू दीदी के लिए में उसका नटखट छोट भाई था. वो मुझे हमेशा छोट बच्चा ही समझती थी और पहलेसे मेरे सामने ही कपड़े वग़ैरा बदलती थी. पहले मुझे उस बारे में कभी कुछ लगता नही था और में कभी उसकी तरफ ध्यान भी नही देता था. लेकिन जब से मेरे मन में उसके प्रति काम वासना जाग उठी तब से वो मेरी बड़ी बहन ना रहके मेरी कामदेवी बन गयी थी. अब जब वो मेरे सामने कपड़े बदलती थी तब में उसे चुपके से कामूक निगाह से देखता था और उसके अधनन्गे बदन को देखने के लिए छटपटाता था. जब वो मेरे सामने कपड़े बदलती थी तब में उसके साथ कुछ ना कुछ बोलता रहता था जिसकी वजह से बोलते समय में उसकी तरफ देख सकता था और उसकी ब्रा में कसी गदराई छाती को देखता था. कभी कभी वो मुझे उसकी पीठपर अपने ड्रेस की झीप लगाने के लिए कहती थी तो कभी अपने ब्लाउस के बटन लगाने के लिए बोलती थी. उसकी जिप या बटन लगाते समय उसकी खुली पीठपर मुझे उसकी ब्रा की पत्तियां दिखती थी. कभी सलवार या पेटीकोट पहनते समय मुझे शालू दीदी की पैंटी दिखती थी तो कभी कभी पैंटी में भरे हुए उसके चुत्तऱ दिखाई देते थे. उसके ध्यान में ये कभी नही आया के उसका छोट भाई उसकी तरफ गंदी निगाह से देख रहा है.
दीदी की ब्रा और पैंटी मुझे घर में कही नज़र आई तो उन्हे देखकर में काफ़ी उत्तेजीत हो जाता था. ये वही कपड़े है जिस में मेरी बहन की गदराई छाती और प्यारी चूत छुपी होती है इस ख़याल से में दीवाना हो जाता था. कभी कभी मुझे लगता था के में ब्रा या पैंटी होता तो चौबीस घंटे मेरी बहन की छाती या चूत से चिपक के रह सकता था. जब जब मुझे मौका मिलता था तब तब में शालू दीदी की ब्रा और पैंटी चुपके से लेकर उसके साथ मूठ मारता था. में उसकी पैंटी मेरे लंडपर घिसता था और उसकी ब्रा को अपने मुँहपर रखकर उसके कप चुसता था. जब में उसकी पहनी हुई पैंटी को मूँह में भरकर चुसता था तब में काम वासना से पागल हो जाता था. उस पैंटी पर जहाँ उसकी चूत लगती थी वहाँ पर उसकी चूत का रस लगा रहता था और उसका स्वाद कुछ अलग ही था. मेरे कड़े लंडपर उसकी पैंटी घिसते घिसते में कल्पना करता था के में अपनी बहन को चोद रहा हूँ और फिर उसकी पैंटी पर में अपने वीर्य का पानी छोडकर उसे गीला करता था.


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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भाई बहन की आपस में चुदाई - by neerathemall - 07-03-2019, 10:14 AM



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