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Incest भाई बहन की आपस में चुदाई
#2
जब मेरी जवानी चढ़नी सुरु हुयी तो मेरे मन में भी किसी लड़की को छूने की इच्छा होती थी मै भी किसी लड़की की चुत देखना चाहता था | जब मै कोई लड़की अपने सामने देखता था तो मेरे मन में इच्छा जाग उठती थी चुदाई की जब कभी कही कोई लड़की दिख जाती थी तो मेरे लंड अपने आप पेंट में झटके मारने लगता था | और रात में मस्ताराम डॉट नेट मोबाइल में खोल कर कहानी पढ़ते हुए मुठ मार कर सो जाता था यही प्रकिया रोज रोज करता था पर कोई लड़की को छूने का मौका नहीं मिलता था | अब तो कोई भी भाई चाची या कोई भी दिख जाता मेरी इच्छा हो जाती सोचने लगता काश मेरे से एक बार करवा लेती तो मै धन्य हो जाता पर दोस्तों जब किस्मत में नहीं लिखा हो तो कुछ भी नहीं होता बस मुठ मार के काम चलाना पड़ता है वही हालत मेरी भी हो रही थी |

अब हर लड़की औरत में मुझे बस चुत ही दिखती थी की इसके पास भी एक चुत है जो मेरे लंड के काम आती अगर ये राजी हो जाती | एक बार मैंने अपनी सगी बड़ी बहन को कपड़े बदलते समय ब्रा और पैंटी में देखा. जो मैंने देखा उसने मेरे दिल में घर कर लिया और में काफ़ी उत्तेजित भी हुआ. पहले तो मुझे शरम आई के अपनी सगी बहन को भी में वासना भरी निगाहा से देखता हूँ. लेकिन उसे वैसे अधनन्गी अवस्था में देखकर मेरे बदन में जो काम लहरे उठी थी और में जितना उत्तेजीत हुआ था वैसा मुझे पहले कभी महसूस नही हुआ था. बाद में मै अपनी बहन को अलग ही निगाह से देखने लगा. मुझे एक बार चुदाई की कहानियो की एक हिन्दी की किताब मिली वो किताब और किसी की नहीं बल्कि मस्ताराम की लिखी हुयी थी | उस किताब में कुछ कहानियाँ ऐसी थी जिनमें नज़दीकी रिश्तेदारो के लैंगिक संबंधो के बारे में लिखा था.

जिनमें भाई-बहन के चुदाइ की कहनी भी थी जिसे पढ़ते समय बार बार मेरे दिल में मेरी बहन, शालू दीदी का ख़याल आ रहा था और में बहुत ही उत्तेजीत हुआ था. वो कहानियाँ पढके मुझे थोड़ी तसल्ली हुई कि इस तरह के नाजायज़ संबंध इस दुनिया में है और में ही अकेला ऐसा नही हूँ जिसके मन में अपनी बहन के बारे में कामवसना है. मेरी बहन, शालू दीदी, मेरे से ७ साल बड़ी थी. में जब १५ साल का था तब वो २३ साल की थी. उसका एकलौता भाई होने की वजह से वह मुझे बहुत प्यार करती थी. काफ़ी बार वो मुझे प्यार से अपनी बाँहों में भरती थी, मेरे गाल की पप्पी लेती थी. में तो उस की आँख का तारा था. हम एक साथ खेलते थे, हंसते थे, मज़ा करते थे. हम एक दूसरे के काफ़ी करीब थे. हम दोनो भाई-बहन थे लेकिन ज़्यादातर हम दोस्तों जैसे रहते थे.


हमारे बीच भाई-बहन के नाते से ज़्यादा दोस्ती का नाता था और हम एक दूसरे को वैसे बोलते भी थे. शालू दीदी साधारण मिडल-क्लास लड़कियो जैसी लेकिन आकर्षक चेहरे वाली थी. इस कहानी का शीर्षक भाई बहन की आपस में चुदाई है | उसकी फिगर सेक्सी वग़ैरा नही थी लेकिन सही थी. उसके बदन पर सही जगह उठान और गहराइया थी. उसका बदन ऐसा था जो मुझे बेहद पागल करता था और हर रोज मुझे मूठ मारने के लिए मजबूर करता था. घर में रहते समय उसे पता चले बिना उसे वासना भरी निगाहा से निहारने का मौका मुझे हमेशा मिलता था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भाई बहन की आपस में चुदाई - by neerathemall - 07-03-2019, 10:14 AM



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