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Thriller कामुक अर्धांगनी
#85
शालिनी भाभी बुदबुदाती वापस आ कर मेरे सामने बैठ गई और बोली मिल गई तेरे कलेजे को ठंढक , कुल का नाम स्वाभिमान मिट्टी करके खुश है ना तू , शर्म नहीं आई तुझे, मान मर्यादा सब भूल गया ऐसी क्या मज़बूरी आन पड़ी थी कि तू इतना गिर गया , और कलमुँही कैसे नंगी सोई है बेशरम कहीं की कुलटा पापिन बेहाया और वो मेरी तरफ देखती बोली तुझे क्या साँप सूँघ गया या जबान कट गई बोल क्या मिला तुझे घर की आबरू लुटा के ।

मैं शर्म से नज़रें झुका के बस चुप चाप बैठा रहा और भाभी के ताने सुनकर रोने लगा और शालिनी भाभी मेरे बगल मे आ बैठी और कांधे पर हाथ फेरती बोली बहुत गलत हुआ ये ,एक गैर मजहबी को तूने कैसे ! आखिर क्यों !

वो मुझे पुचकारती बड़बड़ाती रही और उठ कर एक गिलास पानी देते बोली जो हुआ सो हुआ अब रोना बंद करो और फिर मधु के पास जा कर बैठ गईं ।

कुछ देर कोई आवाज़ न आई तोह चुपके चुपके कमरे के दरवाज़े पर चला गया और अंदर झांकने लगा और देखा शालिनि भाभी मधु के चेहरे को पुचकार रही है और एक हाथ से झाघो के बीच सहला रही है और मधु गहरी नींद मे देवर जी ईश देवर जी चोदिये न बड़बड़ाती जा रही है और भाभी सब सुन कर रोमांचित भाव से बस मधु के जिस्म पर उँगलियों को फेरे जा रही है और अचानक मधु की आँखे खुल जाती है और वो शर्मा कर सकपकाई आवाज़ मे बोलती है दीदी आप ।

क्यों रे मधु ऐसे तोह बढ़ा दीदी दीदी करती रहती है और मज़े खुद अकेली ले के नंगी मुँह काला करवा के आराम से सोयी है, और तेरा मरद घर रहते तू कैसे ?
भड़वा है ये दीदी एक नंबर का गांडू है ये , मधु रोती बोली क्या बताऊँ दीदी इसने मुझे कहि मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा , वो दर्ज़ी है ना दीदी उसको घर बुला कर मेरी इज़्ज़त लुटवा दी ।

शालिनी भाभी गुसा करते बोली क्या रे कुल्ठा साली पापिन क्यों इस बेचारे को बदनाम कर रही हैं , तू खुद मर्ज़ी से उस मुल्ले से चीख चीख चुदवाई और भड़वा मेरा देवर हो गया ।

मधु शर्म और डर से चुप चाप उठ बैठी और बोली दीदी ।

चुप कर जो हुआ सो हुआ अब ये बात मोहल्ले के हर कुल्ठा जान गई कि तू चरित्रहीन है और आज इस खुशी मे दावत होगी , उठ कर गरम पानी से नाहा ले अपनी ये चुत जा के सेक और चलने लायक बन जा फिर ठीक दो बजे सब मिल कर तय करेंगे आगे क्या करना है और हा ये जो वसंत है ना तेरी चुत का भोसड़ा बनाने से पहले मोहल्ले की तुझ जैसी कई प्यासी को रंडी बना चुका है ।


शालिनी भाभी मेरे पास आ कर बोली देवर जी थोड़ा ड्रामा बनता है , वैसे भी तेरे भाईसाहब शर्मा जी भी गांडू ही है बस मानते नहीं और हाँ दवात आपके यहाँ ही होगी और क्या आर्डर करना है मैसेज कर दूँगी मँगा लिजेएगा और वो मटकती हँसती दरवाज़ा खोल चल गई और मधु अहह सुनिए जी करहाती बोली बड़ा दर्द हो रहा है थोड़ा उठा कर गुसलखाने ले चलिए न ।

मधु बड़े मासूम सी बन कर बोली आपकी भाभी तोह मुझसे बड़ी छिनाल निकली और ये मादरचोद वसंत तोह और भी हरामी निकला अब समझी क्यों शर्मा जी रात पान खिलाने आए थे ज़रूर शालिनी भाभी जासूस बना कर भेजा होगा ये देखने की मैं रंडी बनी की नही ।


आप कुछ बोलियेगा या बस चूतिये की तरह सुन कर रहना है ,दावत हैं रंडियो कि घर पर खुश है ना अब ।

मधु क्या बोल रही हो तुम, ऐसी भाषा क्या तुम्हें सोभा देती है , ओह तोह भड़वे जब अपनी बीवी की चुदाई देख रहा था तभी शिष्टाचार क्या गाँड मे डाल लिया था अब बड़ी भाषा सिखा रहे हो ।

सुन मेरी बात ध्यान से शालिनी भाभी मुझे बताई थी बरसों पहले गैर मर्दो के बारे मे पर मैं समझी नहीं थी कि वो वसंत ही है और मैं आपकी अर्धांगनी थी उस दिन, अब रखेल बन गई हूं तोह एडजस्ट करो और चुप चाप तमाशा देखो की बाकी की रंडियो के मन मे क्या है ।


मधु पाखाने के पैन पर बैठी और मैं ज्यूँ मुड़ कर चलने लगा वो चिल्ला कर बोली ओह मेरी मांग के सिंदूर यही खड़े रहो , चलने लायक नहीं है तेरी बीवी , भूल गए भोसड़ा बना पड़ा है चुत का , देखो कैसे नोचा है उस मर्द ने , मधु बेहाया की तरह बातें करती मुझे वहीं हाथ पकड़ खड़ी रखी ।

नित्य क्रिया के पश्चात बोली टब मे पानी भर दो और बिठा दो मुझे लगता है बहुत समय लगेगा इस दर्द से उबरने मे और मैं कुत्ते की तरह आज्ञा का पालन करते हुए पत्नी की बातें पूरी कर वापस बाहर आ कर हॉल मे बैठा और शालिनी भाभी का लिस्ट मिला और अंत मे लिखा था तुम ही आज नौकर रहोगे क्योंकि मोहल्ले मैं बस तुम ही ऐसे हो जो जनता हैं कि उसकी बीवी रंडी है बाकी तुम समझदार हो और हाँ धयान रहे मधु अच्छी तरह त्यार हो लगनी चाहिए नई रांड आई मोहल्ले मैं ।


मेरी प्रतिष्ठा स्वाभिमान गरिमा सब एक गलती से धूल मे मिल चुकी थी और पूजनीय भाभी और प्यारी अर्धांगनी दोनो ऐसे लहजे से बोल रहे थे कि मानो मैं कोई दलाल हूँ । 

ग्यारह गजरे , गुलाब की पंखुड़िया , गुलकंद वाली पान , कोल्ड ड्रिंक्स , दो वोडका की बोतलें , मोर सिगरेट के चार पैकेट , ग्यारह लाल चूडियों का डब्बा , दो किलो ड्राई मटन , एक किलो चिकन लेग पीस , दो दर्जन बड़ी काँच की ग्लास , ग्यारह सेट सफेद बेडशीट , और सलाद ।

ये पढ़ समझ नहीं पाया आखिर क्या होने वाला है मेरे इस घर मे और क्या सच मे अब दलाल की ज़िंदगी जियूँगा मैं । खैर जो भी हो पर ये तय था कि कुछ गहरा राज है इस वसंत के पीछे और जाने अनजाने मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी थी ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 18-08-2020, 11:13 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



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