07-03-2019, 12:38 AM
(This post was last modified: 14-03-2019, 09:29 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उधर मेखला शाम को काफी कुछ सोचते हुए व्यस्त थी .
"कोई बाहरी थोड़े ही है है तो मेरा सगा भाई ही |बहुत दिनों के बाद मेखला ने बाथरूम में काफी टाइम बिताया, उसने अपने पुरे शरीर की वैक्सिंग की, आइब्रो सेट करी, और जांघो के बीच नीचे पूरी तरह से क्लीन सेव किया | उसके बाद उसने अच्छे से मेकअप किया |
मेक अप करने के बाद मेखला टीवी ऑन करके सोफे पर पसर गयी | टीवी तो उसने चला दिया था, लेकिन उसके दिमाग से रोहित से हट ही नहीं रहा था | अक्सर वो खिडकियों सड़क पर आते जाते आकर्षक लडको को देखती रहती थी, लेकिन किसी लड़के का जवान होता लंड अपने मुहँ में फील करने का अनुभव बिलकुल अलग था | उसकी याद आते ही मेखला के पुरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया | आखिर अकेली जवान औरत अगर एक जवान होते लड़के को अपना शरीर स्पर्श करने देती है तो इसमे गलत क्या है और अगर गलत है भी तो क्या हुआ उसने कुछ गलत नहीं किया | वो मेरा भी है और उसे पूरा हक़ है मेरे शरीर को स्पर्श करने का | मेखला अभी भी भाई का काल्पनिक लंड अपने मुहँ में महसूस कर रही थी, उसके अन्दर वासना का ज्वार बढ़ने लगता, कैसे भाई की उंगली ने उसके नितम्बो पर से उसका नियंत्रण ख़त्म कर दिया था, उसको अपने ऊपर नीचे उठते गिरते कुल्हे याद आ रहे थे | इतनी संतुष्टि के बाद भी एक बात उसको हैरान कर रही थी की उसके अन्दर कामवासना की लहरे जोरो से हिलोरे मार रही थी शायद उसकी काम वासना को तृप्त करने की बजाय रोहित की कल्पना ने और बढ़ा दिया था , अब उसे और ज्यादा चाहिए था | उसे पता था कि वो ये नहीं कर सकती, आज नहीं तो कल अगर किसी को पता चल गया तो ये बहुत खतरनाक होगा | यही सब सोचते सोचते वह सोफे पर पसरी थी | तभी अचानक उसके घर के पिछले दरवाजे की डोर बेल बजी | इससे पहले वो कुछ गेस करती, उसके कानो में रोहित की आवाज पड़ी |
"कोई बाहरी थोड़े ही है है तो मेरा सगा भाई ही |बहुत दिनों के बाद मेखला ने बाथरूम में काफी टाइम बिताया, उसने अपने पुरे शरीर की वैक्सिंग की, आइब्रो सेट करी, और जांघो के बीच नीचे पूरी तरह से क्लीन सेव किया | उसके बाद उसने अच्छे से मेकअप किया |
मेक अप करने के बाद मेखला टीवी ऑन करके सोफे पर पसर गयी | टीवी तो उसने चला दिया था, लेकिन उसके दिमाग से रोहित से हट ही नहीं रहा था | अक्सर वो खिडकियों सड़क पर आते जाते आकर्षक लडको को देखती रहती थी, लेकिन किसी लड़के का जवान होता लंड अपने मुहँ में फील करने का अनुभव बिलकुल अलग था | उसकी याद आते ही मेखला के पुरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया | आखिर अकेली जवान औरत अगर एक जवान होते लड़के को अपना शरीर स्पर्श करने देती है तो इसमे गलत क्या है और अगर गलत है भी तो क्या हुआ उसने कुछ गलत नहीं किया | वो मेरा भी है और उसे पूरा हक़ है मेरे शरीर को स्पर्श करने का | मेखला अभी भी भाई का काल्पनिक लंड अपने मुहँ में महसूस कर रही थी, उसके अन्दर वासना का ज्वार बढ़ने लगता, कैसे भाई की उंगली ने उसके नितम्बो पर से उसका नियंत्रण ख़त्म कर दिया था, उसको अपने ऊपर नीचे उठते गिरते कुल्हे याद आ रहे थे | इतनी संतुष्टि के बाद भी एक बात उसको हैरान कर रही थी की उसके अन्दर कामवासना की लहरे जोरो से हिलोरे मार रही थी शायद उसकी काम वासना को तृप्त करने की बजाय रोहित की कल्पना ने और बढ़ा दिया था , अब उसे और ज्यादा चाहिए था | उसे पता था कि वो ये नहीं कर सकती, आज नहीं तो कल अगर किसी को पता चल गया तो ये बहुत खतरनाक होगा | यही सब सोचते सोचते वह सोफे पर पसरी थी | तभी अचानक उसके घर के पिछले दरवाजे की डोर बेल बजी | इससे पहले वो कुछ गेस करती, उसके कानो में रोहित की आवाज पड़ी |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.