18-08-2020, 12:01 AM
सुबह के पांच बजे मेरी नींद खुली तोह देखा वसंत कपड़े पहन रहा था और मधु अभी भी बेसुद टाँगे खोली सोई हुई थी , वसंत हँसते हुए गुड मॉर्निंग भाईसाहब बोला , जबाब मे मैंने भी उसका अभिवादन करते गुड मॉर्निंग बोला । वो त्यार हो बेसिन मे मुँह धोकर बोला आता हूँ भाईसाहब और दरवाज़े की और बढ़ने लगा , मैं नंगा उसके पीछे पीछे दरवाज़े तक जा कर उसके निकलते ही दरवाज़े को बंद कर वापस बिस्तर पर लेट गया और मधु के जिस्म को देखने लगा ।
हवस के नंगे नाच से उसके बदन पर अनगिनत निसान उभरे हुए थे जो नीले पड़ चुके थे ,उसकी बड़ी बड़ी कमुक चुचिया बेहाल किसी जालिम मर्द से रौंदे जाने की गवाह थी , निप्पल्स सूजी हुई थी और उसके चारों और कि भूरी गोलाई पर वसंत के नाखूनों के निशान थे , बेदर्दी से मसलने जाने के करण जहाँ तहा नसों की खिंचाव की रेखाएं उभरी हुई थी और हाथों से बने गहरे नीले धब्बे साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे ।
मधु के नाज़ुक कमुक होंठो पर कई जगहें चमड़ी फटी हुई थी और वो हल्का फूल कर कामवासना से प्राप्त हुए मनमोहक खेल की कथा के साक्षी बन रहे थे ।
मधु के गालों पर सूखे आँशुओ की लड़ी साफ दिख रही थी और गहरी नींद मे उसके मुँह से लार बह कर गले तक जा पहुँची थी ।
मधु की कमर पर दाँतो से किये गए उतेजना वश प्यार की निशानी बिल्कुल ताज़ी जान पड़ रही थीं ।
उसके झाघो पर उँगलियों के निशानी खुल कर ये बता रहे थे कि मधु ने अतिउतेजीत सहवास का आनंद लिया हो और उसके चुत के इर्द गिर्द बस नीले धब्बें ही नज़र आ रहे थे , चुत का मुँह हल्का खुला हुआ था और गाँड की छेद पर वसंत के वीर्य की कुछ सुखी बूंदे चमक रहीं थी ।
मधु को ऐसा देख मेरी वासना जागने लगी और मैंने जैसे ही अपने लिंग को स्पर्श किया दर्द से तड़प उठा और रात मधु के हैवानियत की याद आ गईं और मैं बिस्तर से नीचे उतर बोरोलीन को अपने मूंगफली पर लगाने लगा और सूजे अण्डों को देख अपमानित महसूस करता आत्मग्लानि के बसीभूत हों गया ।
करीब आधे घंटे भूत सा खड़ा खड़ा मैं अपनी बीवी को निहारता रहा और फिर उसके टाँगों के बीच झुक कर उसके चुत को सूंघने लगा और तेज़ साँसे खिंचता चुदे चुत का नशा करने लगा और मेरी अन्तरआत्मा भावविभोर होने लगीं और मैंने हल्का थूक कर अपनी थूक चुत पर से चाटने लगा ,ऐसा करते मुझे अजीब सुकून मिल रहा था और मैं अपने लिंग पर तनाव महसूस करने लगा था ,यू कुत्ते की तरह खुद को खुद से ही बेइजती करा कर मेरे रोम रोम मे रोमांच कौंधने लगा ।
मैं मधु के नींद में खलल नही डालना चाहता था इश्लिये बेमन से कुछ पल की मस्ती लूट कर गुसलखाने मे जा कर नित्य क्रिया करने के पश्चात गुन गुने पानी से स्नान कर अपने लिंग को आडो के साथ मग्गे भर पानी मे डाल कर सेंक रहा था और काफी देर बाद हल्की राहत महसूस कर नंगा आईने के सामने खड़ा हो कर खुद को तोलिये से सुखाने लगा । मैंने हल्के हाथों से लिंग को पोछा और वापस बोरोलीन लगा अपने लुंगी को लपेट बनियान पहन कर फर्श पर पड़े मधु के अंगवस्त्र को समेट वो सूँघ कर वाशिंग मशीन मे डाल दिया और फिर बिना सोचे झाड़ू लगाने लगा ,न जाने क्यों मेरे अंदर से आवाज़ आई अब तू नौकर जान खुद को , मैंने पूरे घर को साफ कर खुद के लिए कड़क चाय बना हाल मे बैठ चुस्की लेते मधु के खयालों मे खो गया और एक तगड़े दस्तक से मेरी खयालों की दुनिया टूट गईं , घड़ी पर नज़र पड़ी तोह सुबह के आठ बज रहे थे और दरवाज़े पर जो कोई भी था बड़े बेसब्र तरीके से दरवाज़े को पिटे जा रहा था ।
मैं उठ कर दरवाज़े को खोला और मुझे धक्का मरती शालिनी भाभी अंदर आ कर सोफे पर बैठ गईं और बोली शर्म नहीं आईं तुझे , मैं अशमंजस मे दरवाज़ा बंद कर उनके सामने बैठ कर हाथों को जोड़ बोला क्या हुआ भाभी इतने गुस्से मे क्यों हो ।
ओह हो देखो इस बेशर्म को कैसे मासूम बना पड़ा है जैसे कुछ पता ही न हो , भाभी की आँखे धधक रही थी और वो गुस्से से काँपती बोली डूब मर जा के कहीं और ख़बरदार मुझे भाभी बोला तोह ।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्या हो गया कि सुबह सुबह भाभी मुझे जलील किए जा रहीं है, वैसे शालिनी भाभी शर्मा जी की अर्धांगनी है और उम्र मे बड़ी और मेरे लिए सदा से पूजनीय रही है ।
वो सदा भक्ति और घर के कामों में व्यस्त रहती और मेरी मधु को अपनी सग्गी बहन सा स्नेह और प्यार करती हैं ।
मैं उठ कर एक ग्लास पानी भाभी के लिए लाया और उनकी और हिमंत कर बढ़ाते बोला भाभी ऐसा क्या हो गया जो आप इतनी नाराज़ हो गईं है ,क्या मुझसे कोई भूल हो गईं ।
भाभी गटक कर पानी एक घुट पर पी कर बोली तेरी धर्मपत्नी कहा है ।
जी वो सो रहीं है ,
ओह महारानी दिन चढ़ने तक सोती है और तुम खुद चाय बना पीते हो, कब से चल रहा है ये ।
क्या भाभी क्या चल रहा है आखिर बात क्या है कुछ तोह बताओ ।
शालिनि भाभी गुस्सा करती बेड़रूम की और बढ़ने लगी और मैं बेसुद भूत बन डर से काँपते थरथरा गया और मेरी हलक सुख गई और हिंमत कर के भी कुछ बोल नहीं पाया और भाभी कमरे मे दाखिल होते ही चीख कर बोली हे राम इस पापिन ने के क्या कर डाला ।
हवस के नंगे नाच से उसके बदन पर अनगिनत निसान उभरे हुए थे जो नीले पड़ चुके थे ,उसकी बड़ी बड़ी कमुक चुचिया बेहाल किसी जालिम मर्द से रौंदे जाने की गवाह थी , निप्पल्स सूजी हुई थी और उसके चारों और कि भूरी गोलाई पर वसंत के नाखूनों के निशान थे , बेदर्दी से मसलने जाने के करण जहाँ तहा नसों की खिंचाव की रेखाएं उभरी हुई थी और हाथों से बने गहरे नीले धब्बे साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे ।
मधु के नाज़ुक कमुक होंठो पर कई जगहें चमड़ी फटी हुई थी और वो हल्का फूल कर कामवासना से प्राप्त हुए मनमोहक खेल की कथा के साक्षी बन रहे थे ।
मधु के गालों पर सूखे आँशुओ की लड़ी साफ दिख रही थी और गहरी नींद मे उसके मुँह से लार बह कर गले तक जा पहुँची थी ।
मधु की कमर पर दाँतो से किये गए उतेजना वश प्यार की निशानी बिल्कुल ताज़ी जान पड़ रही थीं ।
उसके झाघो पर उँगलियों के निशानी खुल कर ये बता रहे थे कि मधु ने अतिउतेजीत सहवास का आनंद लिया हो और उसके चुत के इर्द गिर्द बस नीले धब्बें ही नज़र आ रहे थे , चुत का मुँह हल्का खुला हुआ था और गाँड की छेद पर वसंत के वीर्य की कुछ सुखी बूंदे चमक रहीं थी ।
मधु को ऐसा देख मेरी वासना जागने लगी और मैंने जैसे ही अपने लिंग को स्पर्श किया दर्द से तड़प उठा और रात मधु के हैवानियत की याद आ गईं और मैं बिस्तर से नीचे उतर बोरोलीन को अपने मूंगफली पर लगाने लगा और सूजे अण्डों को देख अपमानित महसूस करता आत्मग्लानि के बसीभूत हों गया ।
करीब आधे घंटे भूत सा खड़ा खड़ा मैं अपनी बीवी को निहारता रहा और फिर उसके टाँगों के बीच झुक कर उसके चुत को सूंघने लगा और तेज़ साँसे खिंचता चुदे चुत का नशा करने लगा और मेरी अन्तरआत्मा भावविभोर होने लगीं और मैंने हल्का थूक कर अपनी थूक चुत पर से चाटने लगा ,ऐसा करते मुझे अजीब सुकून मिल रहा था और मैं अपने लिंग पर तनाव महसूस करने लगा था ,यू कुत्ते की तरह खुद को खुद से ही बेइजती करा कर मेरे रोम रोम मे रोमांच कौंधने लगा ।
मैं मधु के नींद में खलल नही डालना चाहता था इश्लिये बेमन से कुछ पल की मस्ती लूट कर गुसलखाने मे जा कर नित्य क्रिया करने के पश्चात गुन गुने पानी से स्नान कर अपने लिंग को आडो के साथ मग्गे भर पानी मे डाल कर सेंक रहा था और काफी देर बाद हल्की राहत महसूस कर नंगा आईने के सामने खड़ा हो कर खुद को तोलिये से सुखाने लगा । मैंने हल्के हाथों से लिंग को पोछा और वापस बोरोलीन लगा अपने लुंगी को लपेट बनियान पहन कर फर्श पर पड़े मधु के अंगवस्त्र को समेट वो सूँघ कर वाशिंग मशीन मे डाल दिया और फिर बिना सोचे झाड़ू लगाने लगा ,न जाने क्यों मेरे अंदर से आवाज़ आई अब तू नौकर जान खुद को , मैंने पूरे घर को साफ कर खुद के लिए कड़क चाय बना हाल मे बैठ चुस्की लेते मधु के खयालों मे खो गया और एक तगड़े दस्तक से मेरी खयालों की दुनिया टूट गईं , घड़ी पर नज़र पड़ी तोह सुबह के आठ बज रहे थे और दरवाज़े पर जो कोई भी था बड़े बेसब्र तरीके से दरवाज़े को पिटे जा रहा था ।
मैं उठ कर दरवाज़े को खोला और मुझे धक्का मरती शालिनी भाभी अंदर आ कर सोफे पर बैठ गईं और बोली शर्म नहीं आईं तुझे , मैं अशमंजस मे दरवाज़ा बंद कर उनके सामने बैठ कर हाथों को जोड़ बोला क्या हुआ भाभी इतने गुस्से मे क्यों हो ।
ओह हो देखो इस बेशर्म को कैसे मासूम बना पड़ा है जैसे कुछ पता ही न हो , भाभी की आँखे धधक रही थी और वो गुस्से से काँपती बोली डूब मर जा के कहीं और ख़बरदार मुझे भाभी बोला तोह ।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्या हो गया कि सुबह सुबह भाभी मुझे जलील किए जा रहीं है, वैसे शालिनी भाभी शर्मा जी की अर्धांगनी है और उम्र मे बड़ी और मेरे लिए सदा से पूजनीय रही है ।
वो सदा भक्ति और घर के कामों में व्यस्त रहती और मेरी मधु को अपनी सग्गी बहन सा स्नेह और प्यार करती हैं ।
मैं उठ कर एक ग्लास पानी भाभी के लिए लाया और उनकी और हिमंत कर बढ़ाते बोला भाभी ऐसा क्या हो गया जो आप इतनी नाराज़ हो गईं है ,क्या मुझसे कोई भूल हो गईं ।
भाभी गटक कर पानी एक घुट पर पी कर बोली तेरी धर्मपत्नी कहा है ।
जी वो सो रहीं है ,
ओह महारानी दिन चढ़ने तक सोती है और तुम खुद चाय बना पीते हो, कब से चल रहा है ये ।
क्या भाभी क्या चल रहा है आखिर बात क्या है कुछ तोह बताओ ।
शालिनि भाभी गुस्सा करती बेड़रूम की और बढ़ने लगी और मैं बेसुद भूत बन डर से काँपते थरथरा गया और मेरी हलक सुख गई और हिंमत कर के भी कुछ बोल नहीं पाया और भाभी कमरे मे दाखिल होते ही चीख कर बोली हे राम इस पापिन ने के क्या कर डाला ।