17-08-2020, 07:42 PM
(This post was last modified: 05-09-2020, 01:05 PM by sanskari_shikha. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
10 मीं बाद वो मुझे ढूंढते हुए बाहर आई, मैने बाईक पंडाल के साइड मैं लगा रखी थी और मैं वहीं पर खड़ा था और वो उसी पंडाल से बाहर आई अपनी सीनियर के साथ और मुहे इधर उधर देखने लगी. मैने दोनो को देखा, मेरी आंशिका तो साली मस्त ही लग रही थी, पूरी पिंकिंश बनके आई हुई थी, उसको देखते ही दिल मैं ठंडक पड़ी, फिर मैने उसकी सीनियर को देखा तो मुँह से निकला – ओह भेन्चोद ! ये क्या चीज़ है. साली लंबी चौड़ी, एकद्ूम गोरी, चुचियाँ बड़ी बड़ी चूतड़ों ने तो अपनी धाक जमा रखी थी उसके शरीर पर, मेरा तो उसे देखते ही एकदम टन हो गया, मन करा आंशिका के साथ साथ इसे भी बजा दूं आज.
मैं होश मैं आया आंशिका को बुलाने लगा, पर एकद्ूम से रुक गया की क्या कह कर बुलाऊ उसकी सीनियर के सामने, उसने मुझे अपना कजन बताया हुआ है अपनी सीनियर को, पहले मैंसे सोचा की आंशिका दीदी कह कर पुकारूँ फिर मैने सोचा की नहीं दीदी नहीं बोलता नाम से ही बुलाता हूँ. मैने उसे आवाज़ लगाई – "आंशिका, अंशिका में यहाँ हूँ,.."
उसने और उसकी सीनियर ने पलट कर देखा एकदम से. साली दोनो एक दम माल लग रही थी, मुझे तो दोनो नंगी दिख रही थी एकदम , उसकी सीनियर के सामने मेरी फट रही थी पता नहीं क्यूँ, ऐसा ल्ग रहा था की वो आकर के मेरी गांड मार देगी.
उसकी सीनियर का जब मैने फेस देखा तो देखता ही रह गया, साली के एकद्ूम ब्राइट फीचर्स थे, लिप्स एक दम मस्त, चूसने लायक, गाल गोल मटोल , आँखें शराबी और उपर से ये मेकउप करके आई हुई थी, कातिल लग रही थी, दोनो ही आंशिका और उसकी सीनियर पसीने मैं डूबे हुए थे जिससे उनकी छाती लाइट्स मैं चमक रही ही. जैसे जैसे दोनो मेरे पास आ रही थी मेर्को डर भी लग रहा था और बेचैनी भी हो रही थी, सालियों की गांड का जवाब नहीं, सबको पीछे छोड़ दिया रेस मैं. मेरे पास आई आंशिका और हँसते हुए बोली
आंशिका: आ गये, तुम परेशानी तो नहीं हुई?
मैं नहीं.
सीनियर: अनु ये है तुम्हारा कजन ?
आंशिका: हाँ मेम, विशाल, विशाल ये हैं मेरी सीनियर मेम , बताया था न ...वोही है.
मैं हेलो मेम
सीनियर: ही, कितने छोटे हो तुम अनु से?
(मुझसे ये सवाल क्यूँ पूछने लगी साली?)
मैं 8 या 9 साल छोटा हूँ, क्यूँ?
सीनियर: इतनी बड़ी है अनु तुम से फिर भी नाम लेकर पुकारते हुए.
मैं (हंसते हुए) वो बचपन से ही आदत है
आंशिका: (बीच मैं बोली) माँ ये ऐसा ही है बदतमीज़, लाख बार समझा चुकी हूँ की थोड़ी इज़्ज़त दे लिया कर मुझे, बट सुनता ही नहीं.
हम साथ मैं हंस पड़े
( मैं इसकी इज़्ज़त लेने मैं लगा हूँ और ये देने की बात कर रही है)
सीनियर: अनु तूने इस बेचारे को ड्राइवर बना दिया, अपने साथ मॅरेज मैं ही ले आती.
आंशिका: मैं इसे बोल रही थी की चल साथ मेरे, बट कह रहा था मैं नहीं जाऊंगा . मैने तो बहुत समझाया
( झूठी साली)
सीनियर: कैसे जाओगे अब?
मैं मैं बाईक लाया हूँ.
सीनियर: ओक, गुड. ध्यान से जाना, रात का समय है.
मैं हाँ ज़रूर.
सीनियर: चल अनु मैं भी चलती हूँ, घर पर बच्चे याद कर रहे होंगे मुझे.
आंशिका: ओक मेम , देन चलते हैं, बाइ
सीनियर: बाइ अनु.
मैं गुड नाइट मेम
उसने मुझे स्माइल पास करी और बोली
सीनियर: बाइ, गुड नाइट. ध्यान से जाना दोनो, अगर कहो तो मैं कार में ड्रॉप कर दूं .
अँहसिका: नो थॅंक्स मेम , हम चले जाएँगे बाइ.
मैं अपनी बाईक पर आकर बैठ गया, उसकी सीनियर भी अपनी कार मैं जाकर बैठ गयी और कार स्टार्ट करके जाने लागी, मैं जान भुज कर आराम से खड़ा रहा उसके जाने का वेट करने लगा. उसने अपनी कार निकाली. जब वो चली गयी मैने अनु से कहा – चल बैठ अब.
वो बैठी मैने बाईक स्टार्ट करी और हम वहाँ से निकल पड़ी पर आगे मोड़ पर उसकी सीनियर की कार खड़ी मिली और उसने हूमें हाथ देकर रोका.
सीनियर: विशाल किस रास्ते से जा रहे हो तुम?
( मैने मन मैं कहा ये भेंन का लोडा क्या नया ड्रामा है अब,)
उसे 5 मीं बताया, उसे रास्ता क्लियर नहीं था वहाँ का उसे समझाया और वहाँ से भेजा. और फिर मैने बाईक स्टार्ट करी और दूसरे रास्ते पर निकल पड़ा अनु को लेकर. वो आज बिल्कुल सट कर बैठी थी मेरे साथ, जब वो साँस से ले रही थी मुझे उसके बूब्स पूरे महसूस हो रहे थे अपनी बेक पर, वो मुझसे एकद्ूम वाइफ की तरह चिपक कर बैठी थी, बहुत मज़ा आ रहा था. पर मैं इन सब बातों मैं ये भूल गया की इससे मज़े कहाँ लूँगा, ये तो मैं डिसाइड करना ही भूल गया.
मैं अपना दिमाग़ चला रहा था रास्ते मैं की कोई जगह याद आ जाए की कोई ना हो इस वक़्त वहाँ, वैसे भी रात के 11 बाज रहे थे. आगे रास्ते पर एक पंडाल के बाहर कुछ लोग क्रॅकर्स जला रहे थे, उसी के पास 2 – 3 पंडाल और भी थे, वहाँ रोड पर ही कार पार्क थी, उसके पीछे एक बहुत बड़ा पार्क था, मैने सोचा की यहाँ ट्राइ करके देखत हूँ क्या पता की कोई जगह मिल जाए, मेने बाईक मोड़ ली उस तरफ, आंशिका बोली….
आंशिका: ये किसकी शादी मैं जा रहे हो?
मे; किसी की भी नहीं, पीछे पार्किंग मैं जा रहा हूँ उसके पीछे पार्क है.
वो समझ गयी...थोडा दरी और बोली..
आंशिका: पार्क मैं? कोई हुआ तो?
मैं हुआ तो वापस आ जाएँगे, पहले जाने तो दे.
मैने उस पार्किंग मैं बाईक खड़ी करी और आंशिका को लेकर उस पंडाल के पीछे चला गया, पंडाल के ठीक पीछे सेंटर मैं केटरिंग वाले बैठे थे, पीछे एक बहुत लंबी दीवार थी जो पार्क की बौंड्री थी, कॉर्नर से वो दीवार टूटी हुई थी जिससे आसानी से पार्क मैं जाया जा सकता था. मैने आंशिका का हाथ पकड़ा और उसे उस दीवार के पीछे ले गया, पीछे जाके देखा तो गांड फट गयी. पूरा पार्क सुनसान पड़ा था और कोई ऐसी जगह नहीं थी की जहाँ छिप के आराम से हम कुछ कर सकें, मैने पार्क मैं नज़र दौड़ाई, तभी मुझे अपने एक्सट्रीम लेफ्ट पर एक बाथरूम दिखा, मैने आंशिका को लेकर उस तरफ जाने लगा, वो डरे जा रही थी और कह रही थी – वहाँ कोई हुआ तो? रात को पार्क मैं अफ़ीमची घूमते रहते हैं, प्लीज़ कहीं और चलो. पर मेरे कानों मैं तो लंड घुसा हुआ था, मैं उसी तरफ जाने लगा, वहाँ पहुंचकर मैने देखा की बाथरूम के पास काफ़ी गंदगी थी और वहाँ पर किसी के आने का डर भी था, पर उस बाथरूम के ठीक पीछे एक काफ़ी उँची दीवार थी जिसके पीछे घर थे और स्ट्रीट लाइट जली हुई थी. मैं उस बाथरूम के पीछे गया, वहाँ पीछे काफ़ी स्पेस था और सुनसान भी था अगर कोई उस तरफ आता भी तो वो बाथरूम करके वापस चला जाता उसके पीछे नहीं आता, और लकिली पीछे काफ़ी लाइट भी थी उस स्ट्रीट लाइट की वजह से. मैं और आंशिका बाथरूम के पीछे और उस उँची दीवार की बीच मैं थे. वो चुपचाप खड़ी थी, उसके होंठ काँप रहे थे शायद डर के मारे, मैने उसे उपर से नीचे देखा, साली मस्त लग रही थी, मेरा लंड टन के टाईट हो गया एकद्ूम. उसना अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया नाराज़गी से, मैने कहा क्या हुआ?
आंशिका: रहने दो तुम
मैं आओ न प्लीज़
आंशिका: जब से मिले हो तब से फूटे मुंह तारीफ़ भी नहीं करी गयी की कैसी लग रही हूँ.
मैं ओह सॉरी जान, यार मैं तब से सोच रहा हूँ की कौनसा वर्ड सही रहेगा तुम्हारे लिए, सेक्सी, ब’फूल वगेरह वगेरह तो काफ़ी छोटे हैं तुम्हारे सामने.
ये सुनते ही उसके फेस पर वोही कातिल स्माइल आ गयी, और वो मेरे से गले लग गये, मैने अपने हाथ उसकी मोटी कमर पर रखे और फिर नीचे ले गया उसकी गांड पर, क्या मस्त गांड थी, उसकी गांड पर मैं हाथ फिरने लगा, और धीरे धीरे दबाने लगा. वो मुझसे पीछे हटी, मेरी आँखों मैं आँखें डाली और उपर होकर मेरे होठों से अपने होंठ मिला दिए, मैने वहीं उसकी कमर पकड़ ली कस के और अपने लिप्स से उसके लिप्स पकड़ लिए और उसे ज़ोर से किस करने लगा, मैंने अपनी टंग बाहर निकाली और उसके लिप्स को चाटने लगा. मैने उसे धक्का देते हुए, बाथरूम की दीवार से लगा दिया और उसे चिपक कर फिर से उसको किस करने लगा, वो आहं, अह्ह्ह , आ,एम्म्म की आवाज़ें निकल रही थी. 5मीं तक मैने उसे किस करता रहा, हुमारे लिप्स पूरे गीले हो गये एक दूसरे के सलाइवा से. मैं अपने हाथ से उसके चीक्स को भींचा जिससे उसका मुँह खुल गया और उका मुँह अपने मुँह के नीचे कर के उसमें थूक दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर मैं उसके मुँह मैं जीभ डाल डाल कर चाटने लगा.
आंशिका: विशाल प्लीज़ आराम से, कपड़े खराब हो जाएँगे.
मैने उसके पूरे लिप्स को और उसके मुंह को अच्छी तरह सक और लीक कर चूका था, वो दीवार से चिपकी हुई और ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी, उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी, मैने आगे बढ़कर उसकी दोनो चुचियों पर हाथ रखा और उन्हे धीरे से दबाया. और अपने हाथों की पोज़िशन बदल बदल कर उसकी दोनो चुचियों को धीरे धीरे दबाने लगा, मैने उसकी सारी का पल्लू हटाया एक दम से
आंशिका: विशाल प्लीज़, आराम से, कपड़े मत खराब करो, रूको मैं खोलती हूँ
और वो अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी, तभी मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और उसके ब्लाउस के उपर ही दोनो चुचियों को पकड़ कर फिर से फील करने लगा धीरे धीरे, वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. मैने अपने हाथ उसकी चुचियों पर ही रहने दिए जिससे वो भी उनके साथ उपर नीचे होने लगे.
आंशिका: विशाल प्लीज़ दबाओ ना इन्हे
मैं खोल ब्लाउस
अंशिका ने आराम से अपने ब्लोसे के बटन खोले और ब्लाउस को थोडा पीछे कर दिया, उसने नेट वाली ब्रा पहनी हुई जैसा मैने उसे कहा था. उसकी चुचियाँ देख कर मैं पागल हो गया, मुझे समझ मैं नहीं आया मैं क्या करूँ. मैने उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा ब्रा के उपर से ही, और ज़ोर से दबाने लगा. मैने उसके निप्पल को आगे से पकड़ा और अपनी तरफ खींचने लगा. मैं नीचे झुका और उसके निपल को ब्रा समेत मुँह मैं भर ज़ोर से काटने लगा
आंशिका: अया, पागल हो गये हो क्याअ???/// एयेए, अरे आराम से करो प्लीज़
आंशिका: विशाल प्लीज़, जानवर मत बनो, आआअहह, आउच, छोड़ूऊऊऊओ, प्लीज़ विशाल दर्द हो रहा है . अहह
मैं काटता रहा .... आहा, उसने पूरे ज़ोर से मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया और मैं भी हट गया...वो बोली... आराम से.
उसके निपल्स मैं दर्द हो रहा था बहुत,उसकी आँखों मैं आंसू आ गये थे, वो अपने निपल्स पर आराम से हाथ फिरते हुए बोली
आंशिका: पागल हो क्या? आराम से नहीं कर सकते, जान निकल दी. दर्द हो रहा है बहुत.
मैं अच्छा ब्रा खोल, अभी चूस के दर्द कम कर देता हूँ.
उसने अपना मुँह बातरूम की दीवार की तरफ कर लिया
आंशिका: लो खोलो, और ब्लाउस मत निकालना प्लीज़.
मैंने आगे बढ़ कर उसका ब्लाउस उपर करा और उसकी ब्रा के हुक्स ढूंड कर उन्हे खोल दिया. और मैने ब्रा उतारकर नीचे गिरा दी.. मैने पीछे से साइड से हाथ निकल कर उसकी दोनो चुचियाँ पकड़ ली.
अहाआ ............मज़ा आ गया, इतनी सॉफ्ट चीज़ आज तक हाथों मैं नहीं आई, मैने दोंनो चुचियों को कस कर पकड़ लिया और लंड उसकी गांड पर सेट करके उसे दीवार से भींच दिया और ऐसे ही धक्के मारने लगा उसकी गांड पर और उसकी चुचियों को दबाने लगा
आंशिका: आ आ एयेए एयेए, आहह आराम से.
मैने एक मिनट रुका और अपना लंड बाहर निकल लिया और उसे अपनी तरफ घुमाया उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
आंशिका: इसे क्यूँ बाहर निकाला?
मैं चूत के लिए मना करा था , लंड के लिए नहीं, इसे सहला अब चल
और वो मेरा लंड सहलाने लगी.
मैने उसकी दोनो चुचियों को हाथ मैं पकड़ लिया, दोनो इतनी बड़ी थी की हाथ मैं आ ही नहीं रही थी. मैं नीचे हुए और उसको ब्रेस्ट पर किस करा धीरे से दोनो पर, फिर मैने उसके निपल्स पर किस करा, और अपनी जीभ निकल कर उसकी पूरी ब्रेस्ट पर फेराई . और जीभ से उसके निपल चाटे , फिर मैने उसका निपल मुँह मैं भर लिया और उसे सक करने लगा. उसका निप्पल एक दम लंड की तरह टाईट हो गया था और ब्रेस्ट भी हार्ड हो गयी थी. मैं बारी बारी दोनो निपल सक करने लगा. वो मेरा लंड सहला रही थी धीरे धीरे, उसके नरम हाथ मेरे लंड पर, और उसके निपल मेरे मुँह मैं मेरे से रहा नहीं गया और मैं झड गया एक दम से. उसकी साडी पर मेरा सारा लेस गिरा,
आंशिका: ये क्या करा, दाग ना पद जाए कोई.
मेर्को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. मेरी नशे से आँखें बंद थी, मैने फिर से उसकी ब्रेस्ट सक करनी शुरू करी और मेरा लंड फिर टन गया. और वो फिर सहलाने लगी.. मैने अब उसकी ब्रेस्ट को सक करना बंद करा और उसको अपना लंड चूसने को कहा.
आंशिका: नहीं विशाल, प्लीज़, आज नहीं ये सब. फिर कभी.
मैं उसकी एक ना सुनते हुए, उसके कंधो पर ज़ोर लगा कर उसे नीचे की तरफ धक्का देता रहा. वो नीचे बैठ ही गयी और ठीक मेरे लंड के सामने उसका मुँह आ गया, उसकी गरम गरम साँसे मेरे लंड पर पढ़ रही थी, उसने मेरे लंड पर धीरे धीरे किस करना स्टार्ट कर, उसके नरम नरम होंठ मेरे टाइट लंड पर मुझे पागल बना रहे थे. उसने मेरी बॉल्स पर भी किस करा, मेरा प्री कम आ गया था, उसने उसे जीभ से छठा और साफ़ किया और मुझसे हंसते हुए बोली,
आंशिका: टेस्टी हो तुम बहुत.
ये बोलते ही उसने मेरा लंड अपने मुँह मैं ले लिया
मैं आहह, साली क्या कर रही है, मर जाऊंगा . अहह. चूस इसे अच्छी तरह.
आंशिका: एम्म्म म्*म्म्मम आहह, काफ़ी टाइट है और टेस्टी भी. मज़ा आ रहा है तुम्हे?
मैं पूछ मत बस, चुस्ती रह.
आंशिका: एम्म्म एम्म्म एम्म म म
वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूस रही थी, और बीच बीच मैं मेरा लंड अपने मुंह मैं रख कर उसे अंदर ही जीभ से चाट रही थी. उसकी ये हरकत मुझे पागल कर रही थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हो जाया रहा था, मेरी लेग्स बहुत वीक हो रही थी. पर लेटता भी तो कहाँ, वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूसे जा रही थी और मैं अपना मुँह दीवार पर हाथ के सहारे रख कर मज़े ले रहा. उसने बस 5 मिनट और ही चूसा होगा की मैं फिर झड़ गया उसके मुँह मैं और वो गटक गटक कर सारा लेस पी गयी, मैं तो कुछ होश मैं ही नहीं था की वो कब पी गयी , हम 5 मीं शांत रहे उसकी भी साँस फूल रही थी, वो खड़ी हुई और अपना मुंह सॉफ करने लगी, जिस पर थोडा सा लेस लगा था और थूक भी, मैने उसकी सारी के उपर से उसकी चूत पर हाथ रखा, उसने मेरा हाथ हटा दिया, मैने फिर रखा और अंदर की तरफ दबा दिया,
आंशिका: एयेए, विशाल नहीं, आज नहीं. प्लीज़
मैं बस 5 मीं, मुझे देखनी है और एक किस करूँगा बस, प्लीज़.
मैं उसकी सारी मैं हाथ डाल कर उसकी सारी उपर उठाने लगा, तभी उसका सेल बजा
आंशिका: हेलो, हाँ मम्मी
आंशिका: हाँ निकल चुके हैं, रास्ते मैं हूँ आ गयी बस 10 मीं.
(फोन कट)
आंशिका: विशाल चलो, अब बहुत देर हो गयी है, 12:15 हो गये हैं, मुझे कल कॉलेज भी जाना है, प्लीज़ चलो
मैने टाइम देखा, सच मैं बहुत लेट हो गये थे, मेरा मन तो नहीं था जाने का अभी, पर मजबूरी थी तो मैने मन मार कर कहा – चलो.
उसने कपड़े ठीक करे और मैने भी, मेरा लंड अभी साला खड़े होने की फिराक में था, पर मैने जैसे तैसे कंट्रोल करा और उसे खड़ा नहीं होने दिया, आंशिका ने अपने कपड़े ठीक कर लिए और मैने भी. वो मेर्को देखने लगी और सेक्सी स्माइल पास करने लगी, मुझसे रहा नहीं गया और मैने आगे बढ़ कर फिर से किस कर लिया उसे. वो भी मुझे ज़ोर ज़ोर से किस कर रही थी. फिर हम अलग हुए और चलने की तय्यरी करने लगी. जैसे ही हम बाथरूम की दीवार के पीछे से आए, हमने सामने 2 – 3 लड़कों को आता देखा, वो शायद किसी शादी मैं आए हुए थे यहीं कहीं, वो हमारी तरफ ही आ रहे थे, उन्हे देख कर आंशिका डर गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मुझे भी थोडा डर लग रहा था. वो धीरे धीरे हमारे करीब आ रहे थे, आंशिका सिर झुका कर और मेरे हाथ कस कर पकड़ कर चल रही थी, जैसे ही वो हुमारे करीब आए, उनमे से एक बंदा मुझसे बोला..
गाइ: बॉस, बाथरूम खुला है क्या?
मैं एक दम से डर गया था उसके बोलते ही
मैं हाँ, खुला है.
गाइ: थॅंक्स
मेरी जान मैं जान आई, हम सही वक़्त पर वहाँ से आ गये, अगर हम वहीं होते और उनमें से कोई पीछे आ जाता बाथरूम के तो फिर आंशिका का **** तो पक्का था, उनसे सबके हाथों या फिर कोई पंगा हो जाता, बात लकिली हम सही टाइम पर आ गये वहाँ से.
मैने बाईक स्टार्ट करी और हम वहाँ से चल पड़े, आंशिका मेरे से एकदम लवर्स की तरह चिपके हुई थी, मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था.
आंशिका: तुम बहुत टेस्टी हो
मैं थॅंक्स, तुम्हे अछा लगा टेस्ट?
आंशिका: बहुत.मैं यही सोच रही थी की तुम्हारा टेस्ट कैसा होगा.
मैं ओह तो पहले से ही मन था टेस्ट करने का तो वहाँ नाटक क्यूँ कर रही थी की मैं नहीं चुसुंगी .
आंशिका: ऐसे ही, डाइरेक्ट कभी हाँ नहीं कहनी चाहिए ना इसीलिए.
मैं मतलब हमेशा नखरे करेगी तू.
आंशिका: नहीं अब नहीं करूँगी, कसम से.
मैं पर मैने तो तेरेको टेस्ट नहीं करा अभी तक.
आंशिका: आई नो, नेक्स्ट टाइम मिलेंगे फ़ुर्सत से तब कर लेना, कुछ नहीं कहूँगी तब, पक्का.
मैं तू फिर भी नखरे करेगी, देख लिओ
आंशिका: आब्वियस्ली, वो तो करूँगी ही, शरम औरत का गहना होता है यार. हहेहेहहे
मैं सारे गहने चुरा लूँगा तेरे और बैच दूँगा.
आंशिका: अछा जी.
मैं हाँ
मैने बाईक उसके घर के पास वाले बस स्टॅंड पर रोकी, वो उतर गयी
आंशिका: थॅंक्स
मैं किसलिए?
आंशिका: ड्रॉप करने के लिए.
मैं कोई ज़रूरत नहीं थॅंक्स की.
आंशिका: मज़ा आया आज तुम्हे?
मैं बहुत, और तेर्को?
आंशिका: हाँ
मैं फिर करे क्या?
आंशिका: धात, ठरकी... मेरे बूब्स अच्छे लगे तेर्को?
मैं अच्छे ? साले गांड फाडू थे, इतनी सॉफ्ट चीज़ कभी नहीं पकड़ी मैने.
(वो इतरा कर बोली)
आंशिका: आई नो, और ना ही कभी पकड़ोगे , माईन आर बेस्ट यु नो.
मैं तेरी सीनियर के भी मस्त लग रहे थे यार, साली माल थी.
अंशिका : अभी सिर्फ़ मेरे बूब्स पर नज़र ओके , बाद मैं और कोई.
मैं तो मैने कौनसा उसके दबा दिए यार, बस बता ही रहा हूँ.अच्छा तेर्को मेरा लंड कैसा लगा?
(उससे बातें करते हुए मेरा लड फिर टाइट हो गया)आ
आंशिका: काफ़ी अच्छा है, स्मार्ट है तुम्हारी तरह और टेस्टी भी है. बट मेरे 1st बी एफ से थोडा सा छोटा है.
मैं छोटे बड़े से कुछ नहीं होता मेम , करना आना चाहिए ढंग से बस.
आंशिका: हहेहेः, बहुत ज्ञान है तुम्हे सेक्स के बारे मैं.
मैं बन जाओ मेरी स्टूडेंट, सारा ज्ञान दे दूँगा.
आंशिका: डोंट वरी ले लुंगी एक दिन सारा ज्ञान तुमसे, अछा अब कोई देख लेगा, ऐसे अछा नहीं लगता मैं जा रही हूँ, बाइ
मैं अछा एक किस तो देती जा , गुड नाइट किस.
आंशिका: मुआआ (ओंन चीक्स) बाइ गुड नाइट
मैं ठरकी आंशिका
आंशिका: तू ठरकी .हहेहेहेः. बाइ गुड नाइट.
मैं होश मैं आया आंशिका को बुलाने लगा, पर एकद्ूम से रुक गया की क्या कह कर बुलाऊ उसकी सीनियर के सामने, उसने मुझे अपना कजन बताया हुआ है अपनी सीनियर को, पहले मैंसे सोचा की आंशिका दीदी कह कर पुकारूँ फिर मैने सोचा की नहीं दीदी नहीं बोलता नाम से ही बुलाता हूँ. मैने उसे आवाज़ लगाई – "आंशिका, अंशिका में यहाँ हूँ,.."
उसने और उसकी सीनियर ने पलट कर देखा एकदम से. साली दोनो एक दम माल लग रही थी, मुझे तो दोनो नंगी दिख रही थी एकदम , उसकी सीनियर के सामने मेरी फट रही थी पता नहीं क्यूँ, ऐसा ल्ग रहा था की वो आकर के मेरी गांड मार देगी.
उसकी सीनियर का जब मैने फेस देखा तो देखता ही रह गया, साली के एकद्ूम ब्राइट फीचर्स थे, लिप्स एक दम मस्त, चूसने लायक, गाल गोल मटोल , आँखें शराबी और उपर से ये मेकउप करके आई हुई थी, कातिल लग रही थी, दोनो ही आंशिका और उसकी सीनियर पसीने मैं डूबे हुए थे जिससे उनकी छाती लाइट्स मैं चमक रही ही. जैसे जैसे दोनो मेरे पास आ रही थी मेर्को डर भी लग रहा था और बेचैनी भी हो रही थी, सालियों की गांड का जवाब नहीं, सबको पीछे छोड़ दिया रेस मैं. मेरे पास आई आंशिका और हँसते हुए बोली
आंशिका: आ गये, तुम परेशानी तो नहीं हुई?
मैं नहीं.
सीनियर: अनु ये है तुम्हारा कजन ?
आंशिका: हाँ मेम, विशाल, विशाल ये हैं मेरी सीनियर मेम , बताया था न ...वोही है.
मैं हेलो मेम
सीनियर: ही, कितने छोटे हो तुम अनु से?
(मुझसे ये सवाल क्यूँ पूछने लगी साली?)
मैं 8 या 9 साल छोटा हूँ, क्यूँ?
सीनियर: इतनी बड़ी है अनु तुम से फिर भी नाम लेकर पुकारते हुए.
मैं (हंसते हुए) वो बचपन से ही आदत है
आंशिका: (बीच मैं बोली) माँ ये ऐसा ही है बदतमीज़, लाख बार समझा चुकी हूँ की थोड़ी इज़्ज़त दे लिया कर मुझे, बट सुनता ही नहीं.
हम साथ मैं हंस पड़े
( मैं इसकी इज़्ज़त लेने मैं लगा हूँ और ये देने की बात कर रही है)
सीनियर: अनु तूने इस बेचारे को ड्राइवर बना दिया, अपने साथ मॅरेज मैं ही ले आती.
आंशिका: मैं इसे बोल रही थी की चल साथ मेरे, बट कह रहा था मैं नहीं जाऊंगा . मैने तो बहुत समझाया
( झूठी साली)
सीनियर: कैसे जाओगे अब?
मैं मैं बाईक लाया हूँ.
सीनियर: ओक, गुड. ध्यान से जाना, रात का समय है.
मैं हाँ ज़रूर.
सीनियर: चल अनु मैं भी चलती हूँ, घर पर बच्चे याद कर रहे होंगे मुझे.
आंशिका: ओक मेम , देन चलते हैं, बाइ
सीनियर: बाइ अनु.
मैं गुड नाइट मेम
उसने मुझे स्माइल पास करी और बोली
सीनियर: बाइ, गुड नाइट. ध्यान से जाना दोनो, अगर कहो तो मैं कार में ड्रॉप कर दूं .
अँहसिका: नो थॅंक्स मेम , हम चले जाएँगे बाइ.
मैं अपनी बाईक पर आकर बैठ गया, उसकी सीनियर भी अपनी कार मैं जाकर बैठ गयी और कार स्टार्ट करके जाने लागी, मैं जान भुज कर आराम से खड़ा रहा उसके जाने का वेट करने लगा. उसने अपनी कार निकाली. जब वो चली गयी मैने अनु से कहा – चल बैठ अब.
वो बैठी मैने बाईक स्टार्ट करी और हम वहाँ से निकल पड़ी पर आगे मोड़ पर उसकी सीनियर की कार खड़ी मिली और उसने हूमें हाथ देकर रोका.
सीनियर: विशाल किस रास्ते से जा रहे हो तुम?
( मैने मन मैं कहा ये भेंन का लोडा क्या नया ड्रामा है अब,)
उसे 5 मीं बताया, उसे रास्ता क्लियर नहीं था वहाँ का उसे समझाया और वहाँ से भेजा. और फिर मैने बाईक स्टार्ट करी और दूसरे रास्ते पर निकल पड़ा अनु को लेकर. वो आज बिल्कुल सट कर बैठी थी मेरे साथ, जब वो साँस से ले रही थी मुझे उसके बूब्स पूरे महसूस हो रहे थे अपनी बेक पर, वो मुझसे एकद्ूम वाइफ की तरह चिपक कर बैठी थी, बहुत मज़ा आ रहा था. पर मैं इन सब बातों मैं ये भूल गया की इससे मज़े कहाँ लूँगा, ये तो मैं डिसाइड करना ही भूल गया.
मैं अपना दिमाग़ चला रहा था रास्ते मैं की कोई जगह याद आ जाए की कोई ना हो इस वक़्त वहाँ, वैसे भी रात के 11 बाज रहे थे. आगे रास्ते पर एक पंडाल के बाहर कुछ लोग क्रॅकर्स जला रहे थे, उसी के पास 2 – 3 पंडाल और भी थे, वहाँ रोड पर ही कार पार्क थी, उसके पीछे एक बहुत बड़ा पार्क था, मैने सोचा की यहाँ ट्राइ करके देखत हूँ क्या पता की कोई जगह मिल जाए, मेने बाईक मोड़ ली उस तरफ, आंशिका बोली….
आंशिका: ये किसकी शादी मैं जा रहे हो?
मे; किसी की भी नहीं, पीछे पार्किंग मैं जा रहा हूँ उसके पीछे पार्क है.
वो समझ गयी...थोडा दरी और बोली..
आंशिका: पार्क मैं? कोई हुआ तो?
मैं हुआ तो वापस आ जाएँगे, पहले जाने तो दे.
मैने उस पार्किंग मैं बाईक खड़ी करी और आंशिका को लेकर उस पंडाल के पीछे चला गया, पंडाल के ठीक पीछे सेंटर मैं केटरिंग वाले बैठे थे, पीछे एक बहुत लंबी दीवार थी जो पार्क की बौंड्री थी, कॉर्नर से वो दीवार टूटी हुई थी जिससे आसानी से पार्क मैं जाया जा सकता था. मैने आंशिका का हाथ पकड़ा और उसे उस दीवार के पीछे ले गया, पीछे जाके देखा तो गांड फट गयी. पूरा पार्क सुनसान पड़ा था और कोई ऐसी जगह नहीं थी की जहाँ छिप के आराम से हम कुछ कर सकें, मैने पार्क मैं नज़र दौड़ाई, तभी मुझे अपने एक्सट्रीम लेफ्ट पर एक बाथरूम दिखा, मैने आंशिका को लेकर उस तरफ जाने लगा, वो डरे जा रही थी और कह रही थी – वहाँ कोई हुआ तो? रात को पार्क मैं अफ़ीमची घूमते रहते हैं, प्लीज़ कहीं और चलो. पर मेरे कानों मैं तो लंड घुसा हुआ था, मैं उसी तरफ जाने लगा, वहाँ पहुंचकर मैने देखा की बाथरूम के पास काफ़ी गंदगी थी और वहाँ पर किसी के आने का डर भी था, पर उस बाथरूम के ठीक पीछे एक काफ़ी उँची दीवार थी जिसके पीछे घर थे और स्ट्रीट लाइट जली हुई थी. मैं उस बाथरूम के पीछे गया, वहाँ पीछे काफ़ी स्पेस था और सुनसान भी था अगर कोई उस तरफ आता भी तो वो बाथरूम करके वापस चला जाता उसके पीछे नहीं आता, और लकिली पीछे काफ़ी लाइट भी थी उस स्ट्रीट लाइट की वजह से. मैं और आंशिका बाथरूम के पीछे और उस उँची दीवार की बीच मैं थे. वो चुपचाप खड़ी थी, उसके होंठ काँप रहे थे शायद डर के मारे, मैने उसे उपर से नीचे देखा, साली मस्त लग रही थी, मेरा लंड टन के टाईट हो गया एकद्ूम. उसना अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया नाराज़गी से, मैने कहा क्या हुआ?
आंशिका: रहने दो तुम
मैं आओ न प्लीज़
आंशिका: जब से मिले हो तब से फूटे मुंह तारीफ़ भी नहीं करी गयी की कैसी लग रही हूँ.
मैं ओह सॉरी जान, यार मैं तब से सोच रहा हूँ की कौनसा वर्ड सही रहेगा तुम्हारे लिए, सेक्सी, ब’फूल वगेरह वगेरह तो काफ़ी छोटे हैं तुम्हारे सामने.
ये सुनते ही उसके फेस पर वोही कातिल स्माइल आ गयी, और वो मेरे से गले लग गये, मैने अपने हाथ उसकी मोटी कमर पर रखे और फिर नीचे ले गया उसकी गांड पर, क्या मस्त गांड थी, उसकी गांड पर मैं हाथ फिरने लगा, और धीरे धीरे दबाने लगा. वो मुझसे पीछे हटी, मेरी आँखों मैं आँखें डाली और उपर होकर मेरे होठों से अपने होंठ मिला दिए, मैने वहीं उसकी कमर पकड़ ली कस के और अपने लिप्स से उसके लिप्स पकड़ लिए और उसे ज़ोर से किस करने लगा, मैंने अपनी टंग बाहर निकाली और उसके लिप्स को चाटने लगा. मैने उसे धक्का देते हुए, बाथरूम की दीवार से लगा दिया और उसे चिपक कर फिर से उसको किस करने लगा, वो आहं, अह्ह्ह , आ,एम्म्म की आवाज़ें निकल रही थी. 5मीं तक मैने उसे किस करता रहा, हुमारे लिप्स पूरे गीले हो गये एक दूसरे के सलाइवा से. मैं अपने हाथ से उसके चीक्स को भींचा जिससे उसका मुँह खुल गया और उका मुँह अपने मुँह के नीचे कर के उसमें थूक दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर मैं उसके मुँह मैं जीभ डाल डाल कर चाटने लगा.
आंशिका: विशाल प्लीज़ आराम से, कपड़े खराब हो जाएँगे.
मैने उसके पूरे लिप्स को और उसके मुंह को अच्छी तरह सक और लीक कर चूका था, वो दीवार से चिपकी हुई और ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी, उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी, मैने आगे बढ़कर उसकी दोनो चुचियों पर हाथ रखा और उन्हे धीरे से दबाया. और अपने हाथों की पोज़िशन बदल बदल कर उसकी दोनो चुचियों को धीरे धीरे दबाने लगा, मैने उसकी सारी का पल्लू हटाया एक दम से
आंशिका: विशाल प्लीज़, आराम से, कपड़े मत खराब करो, रूको मैं खोलती हूँ
और वो अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी, तभी मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और उसके ब्लाउस के उपर ही दोनो चुचियों को पकड़ कर फिर से फील करने लगा धीरे धीरे, वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. मैने अपने हाथ उसकी चुचियों पर ही रहने दिए जिससे वो भी उनके साथ उपर नीचे होने लगे.
आंशिका: विशाल प्लीज़ दबाओ ना इन्हे
मैं खोल ब्लाउस
अंशिका ने आराम से अपने ब्लोसे के बटन खोले और ब्लाउस को थोडा पीछे कर दिया, उसने नेट वाली ब्रा पहनी हुई जैसा मैने उसे कहा था. उसकी चुचियाँ देख कर मैं पागल हो गया, मुझे समझ मैं नहीं आया मैं क्या करूँ. मैने उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा ब्रा के उपर से ही, और ज़ोर से दबाने लगा. मैने उसके निप्पल को आगे से पकड़ा और अपनी तरफ खींचने लगा. मैं नीचे झुका और उसके निपल को ब्रा समेत मुँह मैं भर ज़ोर से काटने लगा
आंशिका: अया, पागल हो गये हो क्याअ???/// एयेए, अरे आराम से करो प्लीज़
आंशिका: विशाल प्लीज़, जानवर मत बनो, आआअहह, आउच, छोड़ूऊऊऊओ, प्लीज़ विशाल दर्द हो रहा है . अहह
मैं काटता रहा .... आहा, उसने पूरे ज़ोर से मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया और मैं भी हट गया...वो बोली... आराम से.
उसके निपल्स मैं दर्द हो रहा था बहुत,उसकी आँखों मैं आंसू आ गये थे, वो अपने निपल्स पर आराम से हाथ फिरते हुए बोली
आंशिका: पागल हो क्या? आराम से नहीं कर सकते, जान निकल दी. दर्द हो रहा है बहुत.
मैं अच्छा ब्रा खोल, अभी चूस के दर्द कम कर देता हूँ.
उसने अपना मुँह बातरूम की दीवार की तरफ कर लिया
आंशिका: लो खोलो, और ब्लाउस मत निकालना प्लीज़.
मैंने आगे बढ़ कर उसका ब्लाउस उपर करा और उसकी ब्रा के हुक्स ढूंड कर उन्हे खोल दिया. और मैने ब्रा उतारकर नीचे गिरा दी.. मैने पीछे से साइड से हाथ निकल कर उसकी दोनो चुचियाँ पकड़ ली.
अहाआ ............मज़ा आ गया, इतनी सॉफ्ट चीज़ आज तक हाथों मैं नहीं आई, मैने दोंनो चुचियों को कस कर पकड़ लिया और लंड उसकी गांड पर सेट करके उसे दीवार से भींच दिया और ऐसे ही धक्के मारने लगा उसकी गांड पर और उसकी चुचियों को दबाने लगा
आंशिका: आ आ एयेए एयेए, आहह आराम से.
मैने एक मिनट रुका और अपना लंड बाहर निकल लिया और उसे अपनी तरफ घुमाया उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
आंशिका: इसे क्यूँ बाहर निकाला?
मैं चूत के लिए मना करा था , लंड के लिए नहीं, इसे सहला अब चल
और वो मेरा लंड सहलाने लगी.
मैने उसकी दोनो चुचियों को हाथ मैं पकड़ लिया, दोनो इतनी बड़ी थी की हाथ मैं आ ही नहीं रही थी. मैं नीचे हुए और उसको ब्रेस्ट पर किस करा धीरे से दोनो पर, फिर मैने उसके निपल्स पर किस करा, और अपनी जीभ निकल कर उसकी पूरी ब्रेस्ट पर फेराई . और जीभ से उसके निपल चाटे , फिर मैने उसका निपल मुँह मैं भर लिया और उसे सक करने लगा. उसका निप्पल एक दम लंड की तरह टाईट हो गया था और ब्रेस्ट भी हार्ड हो गयी थी. मैं बारी बारी दोनो निपल सक करने लगा. वो मेरा लंड सहला रही थी धीरे धीरे, उसके नरम हाथ मेरे लंड पर, और उसके निपल मेरे मुँह मैं मेरे से रहा नहीं गया और मैं झड गया एक दम से. उसकी साडी पर मेरा सारा लेस गिरा,
आंशिका: ये क्या करा, दाग ना पद जाए कोई.
मेर्को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. मेरी नशे से आँखें बंद थी, मैने फिर से उसकी ब्रेस्ट सक करनी शुरू करी और मेरा लंड फिर टन गया. और वो फिर सहलाने लगी.. मैने अब उसकी ब्रेस्ट को सक करना बंद करा और उसको अपना लंड चूसने को कहा.
आंशिका: नहीं विशाल, प्लीज़, आज नहीं ये सब. फिर कभी.
मैं उसकी एक ना सुनते हुए, उसके कंधो पर ज़ोर लगा कर उसे नीचे की तरफ धक्का देता रहा. वो नीचे बैठ ही गयी और ठीक मेरे लंड के सामने उसका मुँह आ गया, उसकी गरम गरम साँसे मेरे लंड पर पढ़ रही थी, उसने मेरे लंड पर धीरे धीरे किस करना स्टार्ट कर, उसके नरम नरम होंठ मेरे टाइट लंड पर मुझे पागल बना रहे थे. उसने मेरी बॉल्स पर भी किस करा, मेरा प्री कम आ गया था, उसने उसे जीभ से छठा और साफ़ किया और मुझसे हंसते हुए बोली,
आंशिका: टेस्टी हो तुम बहुत.
ये बोलते ही उसने मेरा लंड अपने मुँह मैं ले लिया
मैं आहह, साली क्या कर रही है, मर जाऊंगा . अहह. चूस इसे अच्छी तरह.
आंशिका: एम्म्म म्*म्म्मम आहह, काफ़ी टाइट है और टेस्टी भी. मज़ा आ रहा है तुम्हे?
मैं पूछ मत बस, चुस्ती रह.
आंशिका: एम्म्म एम्म्म एम्म म म
वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूस रही थी, और बीच बीच मैं मेरा लंड अपने मुंह मैं रख कर उसे अंदर ही जीभ से चाट रही थी. उसकी ये हरकत मुझे पागल कर रही थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हो जाया रहा था, मेरी लेग्स बहुत वीक हो रही थी. पर लेटता भी तो कहाँ, वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूसे जा रही थी और मैं अपना मुँह दीवार पर हाथ के सहारे रख कर मज़े ले रहा. उसने बस 5 मिनट और ही चूसा होगा की मैं फिर झड़ गया उसके मुँह मैं और वो गटक गटक कर सारा लेस पी गयी, मैं तो कुछ होश मैं ही नहीं था की वो कब पी गयी , हम 5 मीं शांत रहे उसकी भी साँस फूल रही थी, वो खड़ी हुई और अपना मुंह सॉफ करने लगी, जिस पर थोडा सा लेस लगा था और थूक भी, मैने उसकी सारी के उपर से उसकी चूत पर हाथ रखा, उसने मेरा हाथ हटा दिया, मैने फिर रखा और अंदर की तरफ दबा दिया,
आंशिका: एयेए, विशाल नहीं, आज नहीं. प्लीज़
मैं बस 5 मीं, मुझे देखनी है और एक किस करूँगा बस, प्लीज़.
मैं उसकी सारी मैं हाथ डाल कर उसकी सारी उपर उठाने लगा, तभी उसका सेल बजा
आंशिका: हेलो, हाँ मम्मी
आंशिका: हाँ निकल चुके हैं, रास्ते मैं हूँ आ गयी बस 10 मीं.
(फोन कट)
आंशिका: विशाल चलो, अब बहुत देर हो गयी है, 12:15 हो गये हैं, मुझे कल कॉलेज भी जाना है, प्लीज़ चलो
मैने टाइम देखा, सच मैं बहुत लेट हो गये थे, मेरा मन तो नहीं था जाने का अभी, पर मजबूरी थी तो मैने मन मार कर कहा – चलो.
उसने कपड़े ठीक करे और मैने भी, मेरा लंड अभी साला खड़े होने की फिराक में था, पर मैने जैसे तैसे कंट्रोल करा और उसे खड़ा नहीं होने दिया, आंशिका ने अपने कपड़े ठीक कर लिए और मैने भी. वो मेर्को देखने लगी और सेक्सी स्माइल पास करने लगी, मुझसे रहा नहीं गया और मैने आगे बढ़ कर फिर से किस कर लिया उसे. वो भी मुझे ज़ोर ज़ोर से किस कर रही थी. फिर हम अलग हुए और चलने की तय्यरी करने लगी. जैसे ही हम बाथरूम की दीवार के पीछे से आए, हमने सामने 2 – 3 लड़कों को आता देखा, वो शायद किसी शादी मैं आए हुए थे यहीं कहीं, वो हमारी तरफ ही आ रहे थे, उन्हे देख कर आंशिका डर गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मुझे भी थोडा डर लग रहा था. वो धीरे धीरे हमारे करीब आ रहे थे, आंशिका सिर झुका कर और मेरे हाथ कस कर पकड़ कर चल रही थी, जैसे ही वो हुमारे करीब आए, उनमे से एक बंदा मुझसे बोला..
गाइ: बॉस, बाथरूम खुला है क्या?
मैं एक दम से डर गया था उसके बोलते ही
मैं हाँ, खुला है.
गाइ: थॅंक्स
मेरी जान मैं जान आई, हम सही वक़्त पर वहाँ से आ गये, अगर हम वहीं होते और उनमें से कोई पीछे आ जाता बाथरूम के तो फिर आंशिका का **** तो पक्का था, उनसे सबके हाथों या फिर कोई पंगा हो जाता, बात लकिली हम सही टाइम पर आ गये वहाँ से.
मैने बाईक स्टार्ट करी और हम वहाँ से चल पड़े, आंशिका मेरे से एकदम लवर्स की तरह चिपके हुई थी, मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था.
आंशिका: तुम बहुत टेस्टी हो
मैं थॅंक्स, तुम्हे अछा लगा टेस्ट?
आंशिका: बहुत.मैं यही सोच रही थी की तुम्हारा टेस्ट कैसा होगा.
मैं ओह तो पहले से ही मन था टेस्ट करने का तो वहाँ नाटक क्यूँ कर रही थी की मैं नहीं चुसुंगी .
आंशिका: ऐसे ही, डाइरेक्ट कभी हाँ नहीं कहनी चाहिए ना इसीलिए.
मैं मतलब हमेशा नखरे करेगी तू.
आंशिका: नहीं अब नहीं करूँगी, कसम से.
मैं पर मैने तो तेरेको टेस्ट नहीं करा अभी तक.
आंशिका: आई नो, नेक्स्ट टाइम मिलेंगे फ़ुर्सत से तब कर लेना, कुछ नहीं कहूँगी तब, पक्का.
मैं तू फिर भी नखरे करेगी, देख लिओ
आंशिका: आब्वियस्ली, वो तो करूँगी ही, शरम औरत का गहना होता है यार. हहेहेहहे
मैं सारे गहने चुरा लूँगा तेरे और बैच दूँगा.
आंशिका: अछा जी.
मैं हाँ
मैने बाईक उसके घर के पास वाले बस स्टॅंड पर रोकी, वो उतर गयी
आंशिका: थॅंक्स
मैं किसलिए?
आंशिका: ड्रॉप करने के लिए.
मैं कोई ज़रूरत नहीं थॅंक्स की.
आंशिका: मज़ा आया आज तुम्हे?
मैं बहुत, और तेर्को?
आंशिका: हाँ
मैं फिर करे क्या?
आंशिका: धात, ठरकी... मेरे बूब्स अच्छे लगे तेर्को?
मैं अच्छे ? साले गांड फाडू थे, इतनी सॉफ्ट चीज़ कभी नहीं पकड़ी मैने.
(वो इतरा कर बोली)
आंशिका: आई नो, और ना ही कभी पकड़ोगे , माईन आर बेस्ट यु नो.
मैं तेरी सीनियर के भी मस्त लग रहे थे यार, साली माल थी.
अंशिका : अभी सिर्फ़ मेरे बूब्स पर नज़र ओके , बाद मैं और कोई.
मैं तो मैने कौनसा उसके दबा दिए यार, बस बता ही रहा हूँ.अच्छा तेर्को मेरा लंड कैसा लगा?
(उससे बातें करते हुए मेरा लड फिर टाइट हो गया)आ
आंशिका: काफ़ी अच्छा है, स्मार्ट है तुम्हारी तरह और टेस्टी भी है. बट मेरे 1st बी एफ से थोडा सा छोटा है.
मैं छोटे बड़े से कुछ नहीं होता मेम , करना आना चाहिए ढंग से बस.
आंशिका: हहेहेः, बहुत ज्ञान है तुम्हे सेक्स के बारे मैं.
मैं बन जाओ मेरी स्टूडेंट, सारा ज्ञान दे दूँगा.
आंशिका: डोंट वरी ले लुंगी एक दिन सारा ज्ञान तुमसे, अछा अब कोई देख लेगा, ऐसे अछा नहीं लगता मैं जा रही हूँ, बाइ
मैं अछा एक किस तो देती जा , गुड नाइट किस.
आंशिका: मुआआ (ओंन चीक्स) बाइ गुड नाइट
मैं ठरकी आंशिका
आंशिका: तू ठरकी .हहेहेहेः. बाइ गुड नाइट.