Thread Rating:
  • 9 Vote(s) - 2.22 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Thriller कामुक अर्धांगनी
#78
(16-08-2020, 10:44 PM)kaushik02493 Wrote: कमर की अंगड़ाई और मधु की बेदना वसंत को उतेजित करती हुई चरम पर पहुँच गई और वो अपने लड़ को मधु के चुत के मुहाने रख दिया और मधु स्वतः गाँड उठा कर अपनी चुत उसके लिंग पर दबाने लगी और अकड़ गयी , मधु के जिस्म ने एक बार फिर मधु को अदभुत संभोग के सुख का साक्षी बना दिया और बहती जल धारा के बीच वसंत का लिंग उसके चुत को चीरता गहरी चिपचिपी खाई मे प्रवेश करता मधु को चर्मसुख का अनुभव कराते हिचकौले खाने लगा, वसंत बड़े आराम से बिना मेहनत मधु के हिलते कमर से सुख भोगने लगा और थोड़ी देर मे ही मधु कमर उठा थरथराने लगी और अपनी अधूरी प्यास बुझा बैठी और वसंत अपने बदन को उठाकर झाघो को सहलाते टाँगे फैला लिंग को चुत की दीवारों पर घिसता रहा और मधु के वीर्य से लिंग को स्नान करवाता उसके दोनों झाघो को आपस मे मिला कर पैरों को मोड़ मधु के पेट पर दबा अपने बदन का भार देते कस कर जकड़ते धके मारने लगा और मधु के नस नस मे वासना हावी होती चली गई और वो वासिम्म्म्म्म वासिम्म्म्म्म देवर जी अहह उफ्फ्फ करती उसके लिंग के दमदार झटकों को सहती रही और वसंत भूखे भेड़िये की तरह बेसुद धक्कों से चुत को गहराईयों तक वार करता रहा ।


मधु की मुड़ी टाँगे काँपते जा रही थी , वो इस मुद्रा मे कभी संभोग का भोग नहीं कि थी और वसंत के चढ़ जाने से वो दर्द और बढ़ गया था, उसकी गाँड हल्की उठी हुई वसंत के गोटियों की मार महसूस किए जा रहीं थीं , वो चीख़ती कमुक सिसकियाँ भर्ती वासिम्म्म्म्म वासिम्म्म्म्म देवर जी दर्द हो रहा है बोलती हवस की वासना मे डूबी थी , वसंत बिना किसी परवाह के लिंग को झटके मारता बस चुदाई किये चला जा रहा था , मधु की चित्कारिया उसको और उतेजित करती जा रही थी और वो बेताहाशा चुदाई करते मधु से बोला देख इधर मेरी आँखों मे रांड , सहला अपनी चुचियों को और चिल्ला ,तेरी ये सिसकिया ही तुझे ख़ास बनाती है और  मधु एक रंडी की तरह अपनी हवस भरी आँखों से वसंत की आंखों मैं डूबती खुद के चुचियों को मसलती देवर जी अहह देवर जी उफ्फ्फ धिरे धिरे करो उफ्फ्फ टांग खोलने दो बोलती मचलती काँपने लगी और वसंत लिंग बाहर खिंच झटके से डाल बोला रंडिया होती ही है प्यास बुझाने के लिए और दर्द के बिना मुझे मज़ा नहीं आता और तू जितना दर्द सहेगी मैं उतना तेरी ये चुत चोदुगा , मधु सर को बिस्तर पर पटक पटक कर धक्कों की मार झेलती बोली नही देवर जी नही सह पा रहीं थोड़ी देर रुक जाओ वसंत और तेज़ झटकों से मधु के तड़प को बढ़ाते पूछा क्या तू चाहती है मैं चोदना छोड़ दु रुक जाओ घर चला जाऊं, उफ्फ नहीं देवर जी नही चोदो उफ्फ मत जाओ ,वसंत हँसते बोलता है फिर ऐसे ही चोदुगा और तू झड़ेंगी इस कदर की बिस्तर भीग जाएगी और मधु सपर्पित भाव से बस उसके सितम को सहती हवस की आग मे जले जा रहीं थी ।


वसंत के तगड़े लिंग का वार बेहद तेज़ था और वो बेताहाशा सवारी करते मधु को एक के बाद एक चर्मसुख की और ले जाने लगा , मधु की आँखे वसंत के आँखों को देखती अपनी चुचियों को ज़ोर से दबाती जा रहीं थी और वसंत मंद मुश्कान लिए बस मधु को कोठे की एक रांड समझ अपने पैसे वसूल रहा था । मधु के लिए ये पल अनोखा तोह था ही परंतु इतनी देर तक संभोग क्रिया के चलने से खुद को समर्पित करना कठिनाईयो से भरा हुआ था और वो हाँफते हुए बोली देवर जी अब सहा नहीं जाता थोड़ी देर रुक जाओ न ,वसंत जंगली जानवर बन चुका था, हो भी क्यों न ऐसी जवानी बड़ी मुश्किल हाथ आती हैं , वो मधु की फरियाद अनसुनी करते बस धकों की झड़ी लगाता रहा और मधु की सासे फूलने लगी और एक पल आया जब वो अकड़ गईं और उसी पल वसंत रुक गया और मधु की टाँगे खोल बस लिंग के सुपाड़े को चुत के दरवाज़े पर घिसने लगा , मधु पूरी थरथराती काँपती उठ बैठी और वसंत धक्का दे कर मधु को वापस बिस्तर पर लेटा दिया और उसके तड़पते जिस्म को निहारते बोला बस रांड निकाल दे पानी फिर तू पक्की रंडी बन जाएगी अपने देवर की , मधु सिशकिया भर्ती बोली ये क्या हो रहा है चोदो मुझे उफ्फ वासिम्म्म्म्म चोदते क्यों नहीं चोदो अपनी रंडी और वसंत हल्के से मधु की झाघो को दबा लिंग को तड़पती चुत की दीवार पर रगड़ता चोदने लगा और मधु की कमर हवा मे इठलाती रही और एक पिचकारी सी धार मारती ओह्ह माँ वासिम्म्म्म्म मेरे देवर चीख़ती रही और वसंत मधु पर सवार हो उसके होटो को चुसते अत्यधिक ज़ोर से चुदाई करने लगा और चंद पल मे ही एक हवस की बाढ़ आई और दोनों के जिस्मों से एक साथ विक्राल धार फूटी और दोनों की प्यास को बुझा कर रख दिया और तेज़ सासों की लहरों से दोनों निढ़ाल शांत हो गए और वसंत के वासना मे डूबी मेरी बीवी बिस्तर को भिगो चुकी थी और वसंत हल्के से मधु के बदन से उठ बगल मे लेट गया और मधु की टाँगे खुली उसके वीर्य को बिस्तर पर बहाने लगी और एक अद्भुत आनंद के भाव को चेहरे पर लिए नींद के आगोश मे गोते खाने लगी और मैं कुत्ते की तरह झूठन चाटने उठ बैठा तभी वसंत बोला पहले मेरे लड़ को चूस दो ,वसंत के लिंग को चूस चाट कर मैं मधु के फैली चुत पर मुख लगा चाटने लगा और वो इस बात से अनभिज्ञ गहरी निन्द्रा के सुख को भोगने लगी और वसंत भी निढ़ाल आंखे मूंदे सो गया ।


बिस्तर पर एक गीली गोलाइये बनी हुई थी जिससे बेहद मनमोहक सुंगन्द आ रही थी और मैं वही लेट जीभ से वीर्य खाता अर्धांगनी के खुले सुर्ख़ लाल छेद से वीर्य को बहता देख नाक लगा कर सूँघता अपने लिंग से वीर्य त्यागने लगा और रंडी बनि बीवी की टाँगों के बीच सो गया ।

uff...ye to gazab hi ho gaya....poora charamotakarsh pe pahucha diye....bhai wah
[+] 1 user Likes vat69addict's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by vat69addict - 17-08-2020, 08:57 AM
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM



Users browsing this thread: 11 Guest(s)