06-03-2019, 08:45 PM
जीजाजी
हम लोगों को पता ही नहीं चला पर जीजाजी पीछे वाले दरवाजे से आ गये थे। झट से मैं और भाभी नीचे आये। हमने प्लान किया था कि हम दोनों मिलकर जीजाजी को रगड़ेंगे, पर वह प्लान ही रह गया।
दीदी ने भाभी को पकड़ लिया और जीजा ने मुझे।
जीजा पहले ही अपने हाथों में गाढ़ा लाल रंग लगाकर आये थे और उन्होंने झट से
मेरे कुँवारे गालों को दबोच लिया और मेरे गुलाबी गालों की रगड़ाई मसलाई चालू हो गई।
मैंने अपने हाथों से उनका हाथ छुड़ाने की कोशिश की पर कोई असर नहीं हुआ। प
हली बार मेरे टीन गालों पर किसी मर्द का हाथ पड़ा और बस ऐसा लग रहा था कि… रंग ऊपर लग रहा था और गीली मैं नीचे हो रही थी। उनका हाथ गाल से नीचे सरका तो मैं समझी की…
पर असल निशाना तो कहीं और था। जब तक मैं समझ पाती, उनकी उगंलियां मेरे कुँवारे उभारों के ऊपरी भाग को, फ्राक के अन्दर घुसकर रंग रही थीं।
मैं कांप उठी।
जीजा ने जोर लगाकर और अन्दर हाथ डालकर मेरी कलियों को रंगना, मसलना, रगड़ना शुरू कर दिया।
शर्म भी लग रही थी, अच्छा भी लग रहा था। मैं ऊपर-ऊपर हाथ छुड़ाने कि कोशिश कर रही थी पर मन यही कह रहा था कि…
जीजाजी ने मेरा एक जोबन अब अच्छी तरह फ्राक के अदंर पकड़ लिया था और दूसरा वह फ्राक के ऊपर से ही दबा रहे थे। उन्होंने मेरी टीन ब्रा खोलने की कोशिश करते हुए कहा-
“कब तक इन कबूतरों को अन्दर बन्द करके रखोगी?”
उन्हें क्या पता कि इन्हें इत्ते दिनों से मैंने उन्हीं के लिये सम्हाल कर रखा था। ब्रा खोलकर उन्होंने खूब ढेर सारा सूखा रंग, ऊपर से ब्रा के अन्दर डाल दिया और अब मेरे दोनों जोबनों की रगड़ाई मसलाई करने लगे।
जब मेरी कोशिशों का कोई असर नहीं हुआ तो मदद के लिये मैंने भाभी कि ओर देखा,
पर वहां तो हालत और गड़बड़ थी।