06-03-2019, 07:19 PM
और फिर मे मेखला दीदी की ब्रा को अपने हाथ मे मसल के सूंघ ने लगा. वाह क्या फ्लॉरल खुश्बू आ रही थी मेखला दीदी के पर्फ्यूम और बॉडी की. मैं एकदम मस्त होके अपनी आखे बाँध कर के मेखला दीदी को इमॅजिन करते हुए उनके ख़यालो मे खो गया और एक हाथ से अपना लंड मसल रहा था.तभी मेरे गाल पर एक ज़ोर का चाटा पड़ा. जी हा! वो मेरी मेखला दीदी ने ही लगाया. हवस के ख़यालो मे इतना गहरा चला गया था की कब मेखला दीदी रूम के अंदर आई मुझे कुछ पता ही नही चला था. और मैने डोर सिर्फ़ क्लोज़ ही किया था लॉक करना भी मैं भूल गया था...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.