06-03-2019, 07:02 PM
तुम्हारी खामोशी बता रहीं हैं कि तुम्हें ये बात मेरी समझ में आने की वजह भी जानने में कोई इन्ट्रेट नहीं हैं, फिर भी मैं तुम्हें बता देती हूँ। मैं तुम्हें खुश करने के लिए आज अपनी इच्छा से ठीक वैसी ड्रेस और ज्वैलरी पहनकर आयी हूँ जो हम दोनों के डेढ़ साल के अफेयर के दौरान तुम्हारे कई बार कहने पर भी कभी नहीं पहनी, लेकिन पिछले एक घंटे से मेरे साथ होने के बावजूद तुम्हारा मेरी ड्रेस और ज्वैलरी पर न अपने आप ध्यान गया और न अभी मेरे पूछने पर ध्यान गया, जबकि पहले तुम मिलते हीं मेरी ड्रेस पर ध्यान देते थे। गलती से भी मैं कभी जरा-सी भी शाॅर्ट ड्रेस पहन लेती थीं तो तुम बहुत बुरा मुँह बना लेते थे और तुम्हारे एकार्डिंग ड्रेस पहनकर आने पर तुम्हारे चेहरे प्यारी-सी मुस्कान खिल उठती थी। बट अब ......, जाने दो।
मैं लास्ट में इतना हीं कहूँगी कि तुम्हारी न्यू च्वाइस बहुत अच्छी हैं और मुझे इस बात को लेकर तुमसे कोई कम्प्लेन्ट भी नहीं हैं कि तुमने मुझे अपने दिल और लाइफ से निकालकर मेरी जगह निक्की को दे दीं। इस बात को लेकर यदि मुझे किसी से कोई कम्प्लेन्ट हैं तो सिर्फ अपने आप से हैं और कम्लेंट ये हैं कि मैं तुम्हारे रूप में मिले कुदरत के अनमोल उपहार को सम्भालकर नहीं रख सकी। तुम ये न समझना कि कुछ दिनों पहले मैंने अपनी रईसी या खूबसूरती के घमंड की वजह से तुम्हें खुद से दूर जाते देखकर भी तुम्हें रोकने की कोशिश नहीं की, क्योंकि तुम्हें न रोकने की वजह दूसरी हैं और वजह ये हैं कि मुझे अपने प्यार पर हद से ज्यादा यकीन था। मुझे पूरा विश्वास था कि यदि निक्की और तुम्हारे बीच वैसा कुछ नहीं होगा, जैसा मैं समझ रही थीं तो तुम चंद दिनों तक मुझसे दूर रहकर मेरे पास वापस आ जाओगे और शायद तुम वापस आ भी जाते थे, लेकिन निक्की ने तुम्हारे दिल में इन्ट्री मारकर मुझे हमेशा के लिए बाहर कर दिया। मैं उसे सिर्फ बैडमिंटन कोर्ट की मुझसे बेहतर प्लेयर समझती थीं, लेकिन वो प्यार के प्लेग्राउंड की भी मुझसे बेहतर प्लेयर निकल गईं। उसने बड़े प्यार से मेरी हेल्प करके मुझे बैडमिंटन की सिटी चैम्पियनशिप का झुनझुना दिला दिया और मुझसे मेरा प्रिसियस डायमंड छीन लिया, पर मुझे उससे भी कोई शिकायत नहीं है। अब तुम अपनी लाइफ को अपने एकार्डिंग जीने के लिए स्वतंत्र हो। बस तुमसे इतनी-सी रिक्वेस्ट हैं कि हमेशा खुश रहना, क्योंकि तुम खुश रहोगे तो मैं भी खुश रहूँगी और तुम दुखी रहोगे तो मैं भी दुखी रहूँगी। तुम मेरी ये लास्ट रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करोगे न ?
क्या हुआ, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ? प्लीज कुछ बोलो न। मैं लास्ट टाइम तुम्हारे मुँह से कुछ सुनना चाहती हूँ। क्या तुम मेरी ये लास्ट विश पूरी नहीं करोगे ?"
"मानसी, मैं इस समय कुछ भी बोल पाने की सिच्युएशन में नहीं हूँ। प्लीज, तुम मुझे अकेला छोड़ दो।"
"ठीक हैं, बाय .....साॅरी, गुडबाय। कहकर मानसी थके-थके कदमों से चलती हुई कैंटिन से बाहर निकल गई।
.............
"मुझे पहचाना तुमने ?" कल्पना ने कॉलेज-परिसर में अपनी स्कूटी स्टार्ट कर रही निक्की के करीब आकर सवाल किया तो निक्की ने कल्पना के चेहरे को कुछ पलों तक गौर से देखा और जवाब दिया- "अरे मैम, मैं आपको कैसे भूल सकती हूँ। मैं ही नहीं बल्कि आपने जिन-जिन स्टूडेंट्स पढ़ाया, उनमें से कोई भी आपको नहीं भूल सकता। आप यहाँ कैसे ? आई मीन, आप हम लोगों का ओल्ड सिटी छोड़कर इस शहर में कैसे आ गई ?"
"लाइफ की सेकेंड इनिंग स्टार्ट करने के लिए यहाँ आना पड़ा।"
"यानी, यहाँ आपका यहाँ ससुराल हैं ?"
"हाँ।
"व्हाट आर को-इन्सीडेंट! इस शहर में पापा का ट्रांसफर हुआ था, तब मैंने सोचा नहीं था कि इस शहर में आकर मेरे बचपन की यादें ताजा हो जाएगी। निहारिका मैम और हर्षित के बाद इस शहर में मिलनेवाली तीसरी पर्सन हैं। सुनाइए, आपकी लाइफ की सेकेंड इनिंग कैसी चल रहीं हैं ?"
"सेकेंड इनिंग भी फर्स्ट इनिंग की तरह हीं अच्छी चल रहीं। तुम सुनाओ, तुम्हारी लाइफ की जर्नी कैसी कट रहीं हैं ?"
"अभी तक लाइफ की जर्नी काफी अच्छी कटी और आप जैसे मेरे सभी बड़ों का आशीर्वाद मेरे साथ यूँ हीं बना रहा तो आई होप कि आगे की जर्नी इससे भी अच्छी कटेगी।"
"तुम्हारे बाकी के बड़ों का तो मुझे नहीं पता, पर मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ पहले से भी ज्यादा अच्छी तरह बना रहेगा, क्योंकि अब मेरे साथ तुम्हारी डेली मुलाकात होती रहेगी तो मुझे तुम्हें डेली आशीर्वाद देने का चांस मिलेगा। आज मुझे अपनी स्टूडेंट को एज द टीचर मेरे हीं साथ पढ़ाते देखकर बहुत खुशी हुई।"
"थैंक्स मैम, बट मुझे लगता हैं कि आपको मिसअंडरस्टैंडिंग हो रही हैं। एक्चुअली, मैं यहाँ सिर्फ वन वीक लिए निहारिका मैम की जगह ड्यूटी करने आ रहीं हूँ।"
"शायद इसीलिए प्रिंसिपल ने तुम्हारा टीचर-स्टाॅफ और स्टूडेंट्स से इन्ट्रोडक्शन करवाया। वैसे निहारिका को हुआ क्या हैं ?"
"उन्हें मलेरिया हो गया हैं और डाॅक्टर ने उन्हें कम से कम वन वीक के लिए कम्प्लिट बेड रेस्ट करने के लिए कहा हैं।"
"अरे, उसे अचानक ऐसे कैसे मलेरिया हो गया ? परसो तो बिल्कुल फिट एंड फाइन थीं। दिनभर नार्मल तरीके से कॉलेज में पढ़ाया उसने।"
"उनकी कल सुबह करीब ग्यारह बजे उनकी अचानक तबियत खराब हो गई और उन्हें हास्पीटल ले जाया गया तो मेडिकल चेक-अप के बाद पता चला कि उन्हें मलेरिया हुआ हैं।"
"अरे, पर मुझे वो कल दोपहर बारह बजे के आसपास भी न्यू मार्केट एरिया के एक आइस्क्रीम शाॅप के सामने हर्षित के साथ बिल्कुल नार्मल खड़ी नजर आयी थीं। एक्चुअली, कल मेरे बेटे का बर्थडे था और उसके बर्थडे की शाॅपिंग के लिए कॉलेज से लिव लेकर न्यू मार्केट गई थीं, तभी वो मुझे नजर आयी थीं। मैं आॅटो में बैठी हुई थीं, इसलिए मैं रूककर उससे बात नहीं कर पायी। हो सकता हैं कि ट्रीटमेंट कराने के बाद वो आइस्क्रीम खाने के लिए गई होगी और आइस्क्रीम सामने देखकर फीवर की वजह से उसकी खोई हुई एनर्जी वापस आ गई होगी। वैसे भी उसका एनर्जी लेबल इतना हाई हैं कि फीवर होने पर भी वो हमसे ज्यादा फिट एंड फाइन नजर आती हैं और उसे आइस्क्रीम सामने नजर आ जाए तो फिर तो उसके अंदर छोटे बच्चों जैसी स्फूर्ति आ जाती हैं। अच्छा, अब मैं चलती हूँ, बाहर कॉलेज बस का ड्राइवर मेरा इंतजार कर रहा होगा, बाय।"
"बाय।" कहकर निक्की ने कल्पना के चेहरे से अपना ध्यान हटा लिया और बेवजह इधर-उधर नजरें दौड़ाती हुई गहरी सोच में डूब गई।
..................
"हर्षित, मैं निहारिका मैम के बारे में तो काॅन्फिडेंटली कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि मैं उनके टच में लम्बे समय तक नहीं रही, लेकिन तुम पर मुझे खुद से भी ज्यादा यकीन हैं, बट मेरी समझ में ये नहीं आ रहा हैं कि तुम्हारे सामने अचानक ऐसी कौन-सी प्राॅब्लम आ गई, जिसे तुमने मुझसे शेयर करने की जगह उसे निहारिका मैम के साथ शेयर किया और अपने साथ-साथ उन्हें भी मुझसे झूठ बोलने के लिए कहा ?" निक्की ने हैरान-परेशान स्वर में अपनी बात कही।
"निक्की, उस प्राॅब्लम के बारे में कल तुम्हें काॅलेज में बताऊँगा क्योंकि इस वक्त घर में हम दोनों के अलावा मेरी कजिन भी मौजूद हैं और मैं नहीं चाहता हूँ कि वो इस प्राॅब्लम को लेकर हम दोनों के बीच होनेवाली कन्वर्सेशन सुने।" निक्की की बात के जवाब में हर्षित ने कहा।
"यानि, कल मुझे निहारिका मैम की जगह ड्यूटी करने कॉलेज नहीं जाना हैं, बल्कि तुम्हारे साथ काॅलेज जाना हैं ?"
"हाँ।"
"अरे, पर उन्होंने तो मुझे एक वीक तक कॉलेज जाने के लिए कहा था।"
"ये उन्होंने मेरे कहने पर तुमसे कहा था और मैंने अपनी जिस प्राॅब्लम की वजह से उनसे ये कहने के लिए कहा था, उसे साॅल्व करने के लिए मुझे वन वीक तक तुम्हारे बिना काॅलेज जाने की जरूरत थी, लेकिन वो प्राॅब्लम आज हीं अपने आप साॅल्व हो गई। अब तुम इस सब्जेक्ट पर कोई बात नहीं करोगी। तुम्हें जो कुछ पूछना हैं कल पूछ लेना, ओके ?"
"ओके, बट इसके लिए तुम्हें मुझे एक कप स्पेशल काॅफी पिलानी पड़ेगी।"
"काॅफी पीनी हैं तो किचन में जाओ और बना लो।"
"नहीं यार, मैं इस हालत में नहीं हूँ कि किचन में जाकर काॅफी बना सकूँ क्योंकि मैं दिनभर बच्चों को पढ़ाकर बहुत बुरी तरह से थक चुकी हूँ।"
"यानि, आज मुझे हीं तुम्हारे लिए काॅफी तैयार करनी पड़ेगी।"
"तुम क्यों परेशान हो रहे हो यार ?"
"तो किससे कहूँ, मम्मा तो मार्केट गईं हुई हैं और एक घंटे से पहले उनके वापस लौटने की सम्भावना नहीं हैं और एक घंटे तक तुम रूकोगी भी नहीं।"
"तुमने अभी-अभी कहा न कि घर में तुम्हारी कजिन हैं, तुम उससे क्यूँ नहीं कहते ?"
"उससे कहने का कोई फायदा नहीं होनेवाला हैं।"
"क्यूँ, काफी छोटी हैं क्या ?"
"काफी छोटी नहीं, काफी बड़ी हैं। वो मुझसे और तुमसे लगभग दो साल बड़ी हैं।"
"फिर भी एक कप काॅफी नहीं बना सकती ?"
"अरे यार, वो खुद के लिए एक गिलास पानी नहीं ले सकती और तुम पूछ रहीं हो कि दूसरे के लिए एक कप काॅफी नहीं बना सकती।"
"वो इस टाइप की क्यूँ हैं ?"
"उसके माँ-बाप नहीं हैं, इसलिए मम्मा ने उसे हद से ज्यादा सर पर चढ़ाकर रखा हैं। अब इस बात को छोड़ों और आराम से टीवी देखो, मैं पाँच मिनट में तुम्हारे लिए काॅफी बनाकर लाता हूँ।" कहकर हर्षित अंदर चला गया।
"निक्की, तुम यहाँ से निकलोगी तो इस काॅलोनी की गली और मेनरोड का तिराहे पर कपड़ों का जो सेल लगा हैं, तुम मुझे पाँच के लिए उसके सामने मिलना। मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऐसी इन्फार्मेशन हैं, जिसे जानना तुम्हारे लिए बहुत जरूरी हैं।
और सुनो, हर्षित को मत बताना कि मैंने तुम्हें मुझसे मिलने के लिए कहा, नहीं तो वो तुम्हें मुझसे मिलने भी नहीं देगा और मुझे इस घर से निकलवा देगा। अब मैं जा रहीं हूँ, तुम जल्दी से काॅफी पीकर उस सेल के सामने आ जाओं, जहाँ मैंने तुम्हें आने के लिए कहा।" हर्षित जिस गेट से अंदर गया था, उसके बगलवाले गेट से तेईस-चौबीस वर्ष की उम्र की एक युवती ने निकलकर धीमे स्वर में निक्की से ये सब कहा तो उसके चेहरे पर उलझन के भाव उभर आए और उसने अपनी उलझन दूर करने के लिए उस युवती से कुछ पूछने की कोशिश की, लेकिन वह युवती उसके मुँह खोलने से पहले ही वह युवती घर से बाहर निकल गई।
...............
"मानसी, हम सब लोग अपने-अपने फाॅर्म वापस ले रहे हैं।" काॅलेज-कम्पाउंड में नीम के पेड़ के आसपास बने गोल चबुतरे पर उदास बैठी मानसी के पास दस-बारह छात्र-छात्राओं को साथ लेकर एक छात्र ने कहा तो मानसी ने अपनी नजरें उठाकर उस छात्र की ओर देखा और बरसों से बीमार व्यक्ति की तरह दर्दभरी आवाज में कहा- "क्यों, क्या हुआ चेतन ?"
"अरे, न तुम कैम्पेनिंग में इन्ट्रेस्ट नहीं ले रही हो और न हमारा वो एक्स प्रेसीडेंट हर्षित कैम्पेनिंग में हमारी हेल्प कर रहा हैं तो हम इलेक्शन के मैदान में खड़े रहकर क्या करेंगे ? तुम दोनों में से कोई एक भी हमारे साथ होता तो हम लोग अपोजिट ग्रुप के साथ फाइट करने की कोशिश करते, पर हमें इसकी पाॅसिब्लिटी नजर नहीं आ रही हैं, इसलिए अपने संगठन के हम सब कैंडिडेट्स ने फैसला किया हैं कि हम इलेक्शन के मैदान से खुद ही हट जाए, ताकि हम पर शर्मनाक हार का दाग न लगे।"
"ऐसा हैं तो मैं भी अपना फाॅर्म वापस ले लेती हूँ।"
"ठीक हैं, तुम भी अपना फाॅर्म वापस ले लो। चलो गाईस, हम सब लोग इमिजेटली अपने-अपने फाॅर्म वापस ले लेते हैं, नहीं तो फाॅर्म वापस लेने का भी चांस हाथ निकल जाएगा और मजबूरन हमें मैदान में खड़े रहकर ऐतिहासिक हार झेलना पड़ेगा। सब लोग अपने-अपने फाॅर्म वापस लेने के लिए एग्री हैं न या कोई मैदान में खड़ा रहकर फाइट करना चाहता हैं ?"
"अरे यार, जब हम लोगों के सेनापति ने हथियार डाल दिए हैं तो लड़ने का कोई सेंस नहीं रहा।" चेतन की बात के जवाब में एक छात्रा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसके बाद सभी छात्र-छात्राओं ने चेतन की बात पर कुछ इसी तरह प्रतिक्रिया व्यक्त की और फिर वे लोग वापस जाने के मुड़ने लग गए।
"रूको।" लेकिन जैसे हीं मानसी का स्वर उनके कानों पड़ा, सब लोग एक-एक करके दुबारा मानसी की तरह मुड़ गए और आशाभरी निगाहों से मानसी के चेहरे की ओर देखने लगे।
"मैं तुम लोगों कैम्पेनिंग करने के लिए तैयार हूँ बट मेरे अकेली के तुम्हारे साथ कैम्पेनिंग करने से कुछ नहीं होगा। हमें अपने स्टार कैम्पेनर को हमारा साथ देने के लिए तैयार करना होगा।" मानसी का एक सेन्टेंस सुनकर छात्र-छात्राओं के ग्रुप में फैली उत्साह की लहर उसकी पूरी बात सुनते ही गायब हो गई।
"मानसी, उससे तो कोई भी उम्मीद रखना बेकार हैं।" चेतन ने मानसी की बात पर सबसे पहले प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसके बाद शेष छात्रों ने भी उसकी बात समर्थन किया।
"क्यों, उसे क्या हुआ ?"
"ये तो तुम्हें पता होना चाहिए। तुम्हीं ने तो कल उसे पता नहीं कौन-सी कड़वी घुट्टी पिलाई कि वो तुम्हारे साथ बात करके कैंटिन से बाहर निकलते ही मुँह लटकाकर सीधा घर चला गया और आज भी काॅलेज आने के बाद से लाइब्रेरी में मुँह लटकाकर बैठा हुआ हैं। मानसी, क्या तुम उसके साथ अपने डिसपुट्स इलेक्शन के बाद नहीं सुलझा सकती थी ?"
"हाँ, लेकिन मैंने कल उससे कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं कहा, बल्कि मैंने तो उसे चक्की के दो पाट के बीच पिसने से बचाने के लिए अपने रिश्ते से पूरी तरह से आजाद कर दिया था, पर फिर भी पता नहीं क्यों वो खुश होने की जगह हद से ज्यादा उदास हो गया था। मैंने उससे इसकी वजह भी जानने के कोशिश की थीं, लेकिन वो मुझे कुछ बताने के लिए तैयार हीं नहीं हुआ। इस वजह से मुझे न चाहते हुए भी उसे उसके हाल पर छोड़ना पड़ा, बट तब मुझे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थीं कि उसकी सैडनेस इतनी लम्बी हो जाएगी क्योंकि वो जनरली काफी शाॅर्ट पीरियड में रिकवरी कर लेता हैं। चलो, हम सब लोग उसी के पास चलकर उसकी सैडनेस का रिजन पूछते हैं।"
"मानसी, आई थिंक हमें हर्षित के पास नहीं, बल्कि उसकी न्यू गर्लफ्रेंड निक्की के पास चलना चाहिए।" एक ने छात्रा ने कहा तो मानसी के पैरों पर ब्रेक लग गया।
"क्यों ?"
"क्योंकि हर्षित की आज की सैडनेस का रिजन उसी का पैदा किया हुआ हैं। उसने आधे घंटे पहले हर्षित पर किसी और लड़की के साथ अफेयर रखने का एलीगेशन लगाकर उसके साथ जमकर झगड़ा किया, जिसके बाद हर्षित बेहद उदास होकर लाइब्रेरी में जाकर बैठ गया और किसी के भी साथ बात नहीं कर रहा हैं।"
"निधि, तुम्हारी बात सुनकर मुझे लगता हैं कि निक्की को किसी ने ये बता दिया होगा कि कल डेढ़-दो घंटे तक हर्षित मेरे साथ था और ये बात जानकर निक्की को ये मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई होगी कि हर्षित का उसके साथ-साथ मेरे साथ भी अफेयर चल रहा हैं और उसने भड़ककर हर्षित को उल्टा-सीधा कह दिया होगा। चलो, हम लोग पहले निक्की की मिसअंडरस्टैंडिंग दूर करते हैं और फिर उसे लेकर हर्षित के पास चलते हैं। उन दोनों के बीच सबकुछ ठीक हो गया तो हमारा स्टार कैम्पेनर हमारे साथ खड़ा हो जाएगा और फिर हमें इलेक्शन जीतने से बबलू एंड कम्पनी तो क्या, उन लोगों की सात पुश्ते भी नहीं रोक पाएगी।" अपनी बात समाप्त करने के साथ हीं मानसी काॅलेज की बिल्डिंग की ओर कदम बढ़ाने लग गई। उसके साथियों ने भी उसका अनुसरण करने में देर नहीं लगाई।
..................
"निक्की, तुम हर्षित को गलत समझ रही हैं। वो कल डेढ़-दो घंटे तक मेरे साथ था जरूर, लेकिन हम दोनों के बीच ऐसी कोई बात नहीं हुई, जैसा तुम समझ रही हो। एक्चुअली, मुझे लग रहा था कि मैं उससे अपने मिसबिहेव के लिए माफी माँग लूँगी तो वो दुबारा हम दोनों के रिलेशन पहले जैसे हो जाएँगे, इसीलिए मैंने तीन दिन पहले हमारे संगठन की ओर से स्टूडेंट्स यूनियन का कैंडिडेट डिक्लियर कर दिया और उसे परसो सुबह काॅल करके इसके बारे में इन्फाॅर्म भी कर दिया। साथ ही मैंने उससे अपने डिसपुट्स खत्म करने की भी कोशिश की, लेकिन उसने मुझे ये कहकर एक जोरदार शाॅक दे दिया कि अब उसकी लाइफ में तुम आ चुकी हो। उस समय मुझे लगा कि वो मेरे मिसबिहेव की वजह से मुझे सताने के लिए ऐसा कह रहा हैं, इसलिए मैंने उसकी बात को इग्नोर कर दिया और उसे जल्दी काॅलेज आने के लिए कहकर बेफिक्र हो गई।
लेकिन करीब एक-डेढ़ घंटे तक वो काॅलेज नहीं आया और जब मैंने उसको दुबारा काॅल की तो उसने मुझसे कह दिया कि वो उसकी बुआ के ट्रीटमेंट में बिजी होने की वजह से फाॅर्म सबमिट करने काॅलेज नहीं आ सकता, इसलिए उसकी जगह मैं फाॅर्म भर दूँ और मैंने उसकी बात मानकर उसकी जगह पर अपना फाॅर्म भर दिया, पर कल डेढ़-दो घंटे का उसने मेरे साथ जैसा बिहेवियर किया, उससे मैं समझ गई कि परसो फोन पर उसने मुझसे जो कुछ कहा था, वो सच था और उसने उस दिन काॅलेज आकर अपना फाॅर्म सबमिट न करने आ पाने का रिजन बताया था, वो मुझसे दूरियाँ बनाएँ रखने के लिए बनाया गया झूठा रिजन था। ये बात मेरी समझ में आने के बाद मैंने उसे अपनी ओर से आजाद कर दिया, ताकि वो तुम्हारे साथ खुश रह सके। आई होप कि अब तुम्हारी सारी गलतफहमियाँ दूर हो गई होंगी।" मानसी ने अपनी बात खत्म करने के बाद प्रश्नवाचक नजरों से देखा।
"मानसी, मेरी सारी गलतफहमियाँ तो पहले हीं दूर हो चुकी हैं, पर मुझे लगता हैं कि तुम्हें हर्षित के कैरेक्टर को लेकर जो गलतफहमी हैं, वो आसानी से दूर नहीं होनेवाली हैं।" निक्की ने व्यंग्यात्मक लहजे में मानसी की बात का जवाब दिया तो मानसी के साथ-साथ ग्रुप के दर्जनभर छात्र-छात्राओं के चेहरे पर हैरानी के भाव उभर आए।
मैं लास्ट में इतना हीं कहूँगी कि तुम्हारी न्यू च्वाइस बहुत अच्छी हैं और मुझे इस बात को लेकर तुमसे कोई कम्प्लेन्ट भी नहीं हैं कि तुमने मुझे अपने दिल और लाइफ से निकालकर मेरी जगह निक्की को दे दीं। इस बात को लेकर यदि मुझे किसी से कोई कम्प्लेन्ट हैं तो सिर्फ अपने आप से हैं और कम्लेंट ये हैं कि मैं तुम्हारे रूप में मिले कुदरत के अनमोल उपहार को सम्भालकर नहीं रख सकी। तुम ये न समझना कि कुछ दिनों पहले मैंने अपनी रईसी या खूबसूरती के घमंड की वजह से तुम्हें खुद से दूर जाते देखकर भी तुम्हें रोकने की कोशिश नहीं की, क्योंकि तुम्हें न रोकने की वजह दूसरी हैं और वजह ये हैं कि मुझे अपने प्यार पर हद से ज्यादा यकीन था। मुझे पूरा विश्वास था कि यदि निक्की और तुम्हारे बीच वैसा कुछ नहीं होगा, जैसा मैं समझ रही थीं तो तुम चंद दिनों तक मुझसे दूर रहकर मेरे पास वापस आ जाओगे और शायद तुम वापस आ भी जाते थे, लेकिन निक्की ने तुम्हारे दिल में इन्ट्री मारकर मुझे हमेशा के लिए बाहर कर दिया। मैं उसे सिर्फ बैडमिंटन कोर्ट की मुझसे बेहतर प्लेयर समझती थीं, लेकिन वो प्यार के प्लेग्राउंड की भी मुझसे बेहतर प्लेयर निकल गईं। उसने बड़े प्यार से मेरी हेल्प करके मुझे बैडमिंटन की सिटी चैम्पियनशिप का झुनझुना दिला दिया और मुझसे मेरा प्रिसियस डायमंड छीन लिया, पर मुझे उससे भी कोई शिकायत नहीं है। अब तुम अपनी लाइफ को अपने एकार्डिंग जीने के लिए स्वतंत्र हो। बस तुमसे इतनी-सी रिक्वेस्ट हैं कि हमेशा खुश रहना, क्योंकि तुम खुश रहोगे तो मैं भी खुश रहूँगी और तुम दुखी रहोगे तो मैं भी दुखी रहूँगी। तुम मेरी ये लास्ट रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करोगे न ?
क्या हुआ, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ? प्लीज कुछ बोलो न। मैं लास्ट टाइम तुम्हारे मुँह से कुछ सुनना चाहती हूँ। क्या तुम मेरी ये लास्ट विश पूरी नहीं करोगे ?"
"मानसी, मैं इस समय कुछ भी बोल पाने की सिच्युएशन में नहीं हूँ। प्लीज, तुम मुझे अकेला छोड़ दो।"
"ठीक हैं, बाय .....साॅरी, गुडबाय। कहकर मानसी थके-थके कदमों से चलती हुई कैंटिन से बाहर निकल गई।
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"मुझे पहचाना तुमने ?" कल्पना ने कॉलेज-परिसर में अपनी स्कूटी स्टार्ट कर रही निक्की के करीब आकर सवाल किया तो निक्की ने कल्पना के चेहरे को कुछ पलों तक गौर से देखा और जवाब दिया- "अरे मैम, मैं आपको कैसे भूल सकती हूँ। मैं ही नहीं बल्कि आपने जिन-जिन स्टूडेंट्स पढ़ाया, उनमें से कोई भी आपको नहीं भूल सकता। आप यहाँ कैसे ? आई मीन, आप हम लोगों का ओल्ड सिटी छोड़कर इस शहर में कैसे आ गई ?"
"लाइफ की सेकेंड इनिंग स्टार्ट करने के लिए यहाँ आना पड़ा।"
"यानी, यहाँ आपका यहाँ ससुराल हैं ?"
"हाँ।
"व्हाट आर को-इन्सीडेंट! इस शहर में पापा का ट्रांसफर हुआ था, तब मैंने सोचा नहीं था कि इस शहर में आकर मेरे बचपन की यादें ताजा हो जाएगी। निहारिका मैम और हर्षित के बाद इस शहर में मिलनेवाली तीसरी पर्सन हैं। सुनाइए, आपकी लाइफ की सेकेंड इनिंग कैसी चल रहीं हैं ?"
"सेकेंड इनिंग भी फर्स्ट इनिंग की तरह हीं अच्छी चल रहीं। तुम सुनाओ, तुम्हारी लाइफ की जर्नी कैसी कट रहीं हैं ?"
"अभी तक लाइफ की जर्नी काफी अच्छी कटी और आप जैसे मेरे सभी बड़ों का आशीर्वाद मेरे साथ यूँ हीं बना रहा तो आई होप कि आगे की जर्नी इससे भी अच्छी कटेगी।"
"तुम्हारे बाकी के बड़ों का तो मुझे नहीं पता, पर मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ पहले से भी ज्यादा अच्छी तरह बना रहेगा, क्योंकि अब मेरे साथ तुम्हारी डेली मुलाकात होती रहेगी तो मुझे तुम्हें डेली आशीर्वाद देने का चांस मिलेगा। आज मुझे अपनी स्टूडेंट को एज द टीचर मेरे हीं साथ पढ़ाते देखकर बहुत खुशी हुई।"
"थैंक्स मैम, बट मुझे लगता हैं कि आपको मिसअंडरस्टैंडिंग हो रही हैं। एक्चुअली, मैं यहाँ सिर्फ वन वीक लिए निहारिका मैम की जगह ड्यूटी करने आ रहीं हूँ।"
"शायद इसीलिए प्रिंसिपल ने तुम्हारा टीचर-स्टाॅफ और स्टूडेंट्स से इन्ट्रोडक्शन करवाया। वैसे निहारिका को हुआ क्या हैं ?"
"उन्हें मलेरिया हो गया हैं और डाॅक्टर ने उन्हें कम से कम वन वीक के लिए कम्प्लिट बेड रेस्ट करने के लिए कहा हैं।"
"अरे, उसे अचानक ऐसे कैसे मलेरिया हो गया ? परसो तो बिल्कुल फिट एंड फाइन थीं। दिनभर नार्मल तरीके से कॉलेज में पढ़ाया उसने।"
"उनकी कल सुबह करीब ग्यारह बजे उनकी अचानक तबियत खराब हो गई और उन्हें हास्पीटल ले जाया गया तो मेडिकल चेक-अप के बाद पता चला कि उन्हें मलेरिया हुआ हैं।"
"अरे, पर मुझे वो कल दोपहर बारह बजे के आसपास भी न्यू मार्केट एरिया के एक आइस्क्रीम शाॅप के सामने हर्षित के साथ बिल्कुल नार्मल खड़ी नजर आयी थीं। एक्चुअली, कल मेरे बेटे का बर्थडे था और उसके बर्थडे की शाॅपिंग के लिए कॉलेज से लिव लेकर न्यू मार्केट गई थीं, तभी वो मुझे नजर आयी थीं। मैं आॅटो में बैठी हुई थीं, इसलिए मैं रूककर उससे बात नहीं कर पायी। हो सकता हैं कि ट्रीटमेंट कराने के बाद वो आइस्क्रीम खाने के लिए गई होगी और आइस्क्रीम सामने देखकर फीवर की वजह से उसकी खोई हुई एनर्जी वापस आ गई होगी। वैसे भी उसका एनर्जी लेबल इतना हाई हैं कि फीवर होने पर भी वो हमसे ज्यादा फिट एंड फाइन नजर आती हैं और उसे आइस्क्रीम सामने नजर आ जाए तो फिर तो उसके अंदर छोटे बच्चों जैसी स्फूर्ति आ जाती हैं। अच्छा, अब मैं चलती हूँ, बाहर कॉलेज बस का ड्राइवर मेरा इंतजार कर रहा होगा, बाय।"
"बाय।" कहकर निक्की ने कल्पना के चेहरे से अपना ध्यान हटा लिया और बेवजह इधर-उधर नजरें दौड़ाती हुई गहरी सोच में डूब गई।
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"हर्षित, मैं निहारिका मैम के बारे में तो काॅन्फिडेंटली कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि मैं उनके टच में लम्बे समय तक नहीं रही, लेकिन तुम पर मुझे खुद से भी ज्यादा यकीन हैं, बट मेरी समझ में ये नहीं आ रहा हैं कि तुम्हारे सामने अचानक ऐसी कौन-सी प्राॅब्लम आ गई, जिसे तुमने मुझसे शेयर करने की जगह उसे निहारिका मैम के साथ शेयर किया और अपने साथ-साथ उन्हें भी मुझसे झूठ बोलने के लिए कहा ?" निक्की ने हैरान-परेशान स्वर में अपनी बात कही।
"निक्की, उस प्राॅब्लम के बारे में कल तुम्हें काॅलेज में बताऊँगा क्योंकि इस वक्त घर में हम दोनों के अलावा मेरी कजिन भी मौजूद हैं और मैं नहीं चाहता हूँ कि वो इस प्राॅब्लम को लेकर हम दोनों के बीच होनेवाली कन्वर्सेशन सुने।" निक्की की बात के जवाब में हर्षित ने कहा।
"यानि, कल मुझे निहारिका मैम की जगह ड्यूटी करने कॉलेज नहीं जाना हैं, बल्कि तुम्हारे साथ काॅलेज जाना हैं ?"
"हाँ।"
"अरे, पर उन्होंने तो मुझे एक वीक तक कॉलेज जाने के लिए कहा था।"
"ये उन्होंने मेरे कहने पर तुमसे कहा था और मैंने अपनी जिस प्राॅब्लम की वजह से उनसे ये कहने के लिए कहा था, उसे साॅल्व करने के लिए मुझे वन वीक तक तुम्हारे बिना काॅलेज जाने की जरूरत थी, लेकिन वो प्राॅब्लम आज हीं अपने आप साॅल्व हो गई। अब तुम इस सब्जेक्ट पर कोई बात नहीं करोगी। तुम्हें जो कुछ पूछना हैं कल पूछ लेना, ओके ?"
"ओके, बट इसके लिए तुम्हें मुझे एक कप स्पेशल काॅफी पिलानी पड़ेगी।"
"काॅफी पीनी हैं तो किचन में जाओ और बना लो।"
"नहीं यार, मैं इस हालत में नहीं हूँ कि किचन में जाकर काॅफी बना सकूँ क्योंकि मैं दिनभर बच्चों को पढ़ाकर बहुत बुरी तरह से थक चुकी हूँ।"
"यानि, आज मुझे हीं तुम्हारे लिए काॅफी तैयार करनी पड़ेगी।"
"तुम क्यों परेशान हो रहे हो यार ?"
"तो किससे कहूँ, मम्मा तो मार्केट गईं हुई हैं और एक घंटे से पहले उनके वापस लौटने की सम्भावना नहीं हैं और एक घंटे तक तुम रूकोगी भी नहीं।"
"तुमने अभी-अभी कहा न कि घर में तुम्हारी कजिन हैं, तुम उससे क्यूँ नहीं कहते ?"
"उससे कहने का कोई फायदा नहीं होनेवाला हैं।"
"क्यूँ, काफी छोटी हैं क्या ?"
"काफी छोटी नहीं, काफी बड़ी हैं। वो मुझसे और तुमसे लगभग दो साल बड़ी हैं।"
"फिर भी एक कप काॅफी नहीं बना सकती ?"
"अरे यार, वो खुद के लिए एक गिलास पानी नहीं ले सकती और तुम पूछ रहीं हो कि दूसरे के लिए एक कप काॅफी नहीं बना सकती।"
"वो इस टाइप की क्यूँ हैं ?"
"उसके माँ-बाप नहीं हैं, इसलिए मम्मा ने उसे हद से ज्यादा सर पर चढ़ाकर रखा हैं। अब इस बात को छोड़ों और आराम से टीवी देखो, मैं पाँच मिनट में तुम्हारे लिए काॅफी बनाकर लाता हूँ।" कहकर हर्षित अंदर चला गया।
"निक्की, तुम यहाँ से निकलोगी तो इस काॅलोनी की गली और मेनरोड का तिराहे पर कपड़ों का जो सेल लगा हैं, तुम मुझे पाँच के लिए उसके सामने मिलना। मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऐसी इन्फार्मेशन हैं, जिसे जानना तुम्हारे लिए बहुत जरूरी हैं।
और सुनो, हर्षित को मत बताना कि मैंने तुम्हें मुझसे मिलने के लिए कहा, नहीं तो वो तुम्हें मुझसे मिलने भी नहीं देगा और मुझे इस घर से निकलवा देगा। अब मैं जा रहीं हूँ, तुम जल्दी से काॅफी पीकर उस सेल के सामने आ जाओं, जहाँ मैंने तुम्हें आने के लिए कहा।" हर्षित जिस गेट से अंदर गया था, उसके बगलवाले गेट से तेईस-चौबीस वर्ष की उम्र की एक युवती ने निकलकर धीमे स्वर में निक्की से ये सब कहा तो उसके चेहरे पर उलझन के भाव उभर आए और उसने अपनी उलझन दूर करने के लिए उस युवती से कुछ पूछने की कोशिश की, लेकिन वह युवती उसके मुँह खोलने से पहले ही वह युवती घर से बाहर निकल गई।
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"मानसी, हम सब लोग अपने-अपने फाॅर्म वापस ले रहे हैं।" काॅलेज-कम्पाउंड में नीम के पेड़ के आसपास बने गोल चबुतरे पर उदास बैठी मानसी के पास दस-बारह छात्र-छात्राओं को साथ लेकर एक छात्र ने कहा तो मानसी ने अपनी नजरें उठाकर उस छात्र की ओर देखा और बरसों से बीमार व्यक्ति की तरह दर्दभरी आवाज में कहा- "क्यों, क्या हुआ चेतन ?"
"अरे, न तुम कैम्पेनिंग में इन्ट्रेस्ट नहीं ले रही हो और न हमारा वो एक्स प्रेसीडेंट हर्षित कैम्पेनिंग में हमारी हेल्प कर रहा हैं तो हम इलेक्शन के मैदान में खड़े रहकर क्या करेंगे ? तुम दोनों में से कोई एक भी हमारे साथ होता तो हम लोग अपोजिट ग्रुप के साथ फाइट करने की कोशिश करते, पर हमें इसकी पाॅसिब्लिटी नजर नहीं आ रही हैं, इसलिए अपने संगठन के हम सब कैंडिडेट्स ने फैसला किया हैं कि हम इलेक्शन के मैदान से खुद ही हट जाए, ताकि हम पर शर्मनाक हार का दाग न लगे।"
"ऐसा हैं तो मैं भी अपना फाॅर्म वापस ले लेती हूँ।"
"ठीक हैं, तुम भी अपना फाॅर्म वापस ले लो। चलो गाईस, हम सब लोग इमिजेटली अपने-अपने फाॅर्म वापस ले लेते हैं, नहीं तो फाॅर्म वापस लेने का भी चांस हाथ निकल जाएगा और मजबूरन हमें मैदान में खड़े रहकर ऐतिहासिक हार झेलना पड़ेगा। सब लोग अपने-अपने फाॅर्म वापस लेने के लिए एग्री हैं न या कोई मैदान में खड़ा रहकर फाइट करना चाहता हैं ?"
"अरे यार, जब हम लोगों के सेनापति ने हथियार डाल दिए हैं तो लड़ने का कोई सेंस नहीं रहा।" चेतन की बात के जवाब में एक छात्रा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसके बाद सभी छात्र-छात्राओं ने चेतन की बात पर कुछ इसी तरह प्रतिक्रिया व्यक्त की और फिर वे लोग वापस जाने के मुड़ने लग गए।
"रूको।" लेकिन जैसे हीं मानसी का स्वर उनके कानों पड़ा, सब लोग एक-एक करके दुबारा मानसी की तरह मुड़ गए और आशाभरी निगाहों से मानसी के चेहरे की ओर देखने लगे।
"मैं तुम लोगों कैम्पेनिंग करने के लिए तैयार हूँ बट मेरे अकेली के तुम्हारे साथ कैम्पेनिंग करने से कुछ नहीं होगा। हमें अपने स्टार कैम्पेनर को हमारा साथ देने के लिए तैयार करना होगा।" मानसी का एक सेन्टेंस सुनकर छात्र-छात्राओं के ग्रुप में फैली उत्साह की लहर उसकी पूरी बात सुनते ही गायब हो गई।
"मानसी, उससे तो कोई भी उम्मीद रखना बेकार हैं।" चेतन ने मानसी की बात पर सबसे पहले प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसके बाद शेष छात्रों ने भी उसकी बात समर्थन किया।
"क्यों, उसे क्या हुआ ?"
"ये तो तुम्हें पता होना चाहिए। तुम्हीं ने तो कल उसे पता नहीं कौन-सी कड़वी घुट्टी पिलाई कि वो तुम्हारे साथ बात करके कैंटिन से बाहर निकलते ही मुँह लटकाकर सीधा घर चला गया और आज भी काॅलेज आने के बाद से लाइब्रेरी में मुँह लटकाकर बैठा हुआ हैं। मानसी, क्या तुम उसके साथ अपने डिसपुट्स इलेक्शन के बाद नहीं सुलझा सकती थी ?"
"हाँ, लेकिन मैंने कल उससे कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं कहा, बल्कि मैंने तो उसे चक्की के दो पाट के बीच पिसने से बचाने के लिए अपने रिश्ते से पूरी तरह से आजाद कर दिया था, पर फिर भी पता नहीं क्यों वो खुश होने की जगह हद से ज्यादा उदास हो गया था। मैंने उससे इसकी वजह भी जानने के कोशिश की थीं, लेकिन वो मुझे कुछ बताने के लिए तैयार हीं नहीं हुआ। इस वजह से मुझे न चाहते हुए भी उसे उसके हाल पर छोड़ना पड़ा, बट तब मुझे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थीं कि उसकी सैडनेस इतनी लम्बी हो जाएगी क्योंकि वो जनरली काफी शाॅर्ट पीरियड में रिकवरी कर लेता हैं। चलो, हम सब लोग उसी के पास चलकर उसकी सैडनेस का रिजन पूछते हैं।"
"मानसी, आई थिंक हमें हर्षित के पास नहीं, बल्कि उसकी न्यू गर्लफ्रेंड निक्की के पास चलना चाहिए।" एक ने छात्रा ने कहा तो मानसी के पैरों पर ब्रेक लग गया।
"क्यों ?"
"क्योंकि हर्षित की आज की सैडनेस का रिजन उसी का पैदा किया हुआ हैं। उसने आधे घंटे पहले हर्षित पर किसी और लड़की के साथ अफेयर रखने का एलीगेशन लगाकर उसके साथ जमकर झगड़ा किया, जिसके बाद हर्षित बेहद उदास होकर लाइब्रेरी में जाकर बैठ गया और किसी के भी साथ बात नहीं कर रहा हैं।"
"निधि, तुम्हारी बात सुनकर मुझे लगता हैं कि निक्की को किसी ने ये बता दिया होगा कि कल डेढ़-दो घंटे तक हर्षित मेरे साथ था और ये बात जानकर निक्की को ये मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई होगी कि हर्षित का उसके साथ-साथ मेरे साथ भी अफेयर चल रहा हैं और उसने भड़ककर हर्षित को उल्टा-सीधा कह दिया होगा। चलो, हम लोग पहले निक्की की मिसअंडरस्टैंडिंग दूर करते हैं और फिर उसे लेकर हर्षित के पास चलते हैं। उन दोनों के बीच सबकुछ ठीक हो गया तो हमारा स्टार कैम्पेनर हमारे साथ खड़ा हो जाएगा और फिर हमें इलेक्शन जीतने से बबलू एंड कम्पनी तो क्या, उन लोगों की सात पुश्ते भी नहीं रोक पाएगी।" अपनी बात समाप्त करने के साथ हीं मानसी काॅलेज की बिल्डिंग की ओर कदम बढ़ाने लग गई। उसके साथियों ने भी उसका अनुसरण करने में देर नहीं लगाई।
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"निक्की, तुम हर्षित को गलत समझ रही हैं। वो कल डेढ़-दो घंटे तक मेरे साथ था जरूर, लेकिन हम दोनों के बीच ऐसी कोई बात नहीं हुई, जैसा तुम समझ रही हो। एक्चुअली, मुझे लग रहा था कि मैं उससे अपने मिसबिहेव के लिए माफी माँग लूँगी तो वो दुबारा हम दोनों के रिलेशन पहले जैसे हो जाएँगे, इसीलिए मैंने तीन दिन पहले हमारे संगठन की ओर से स्टूडेंट्स यूनियन का कैंडिडेट डिक्लियर कर दिया और उसे परसो सुबह काॅल करके इसके बारे में इन्फाॅर्म भी कर दिया। साथ ही मैंने उससे अपने डिसपुट्स खत्म करने की भी कोशिश की, लेकिन उसने मुझे ये कहकर एक जोरदार शाॅक दे दिया कि अब उसकी लाइफ में तुम आ चुकी हो। उस समय मुझे लगा कि वो मेरे मिसबिहेव की वजह से मुझे सताने के लिए ऐसा कह रहा हैं, इसलिए मैंने उसकी बात को इग्नोर कर दिया और उसे जल्दी काॅलेज आने के लिए कहकर बेफिक्र हो गई।
लेकिन करीब एक-डेढ़ घंटे तक वो काॅलेज नहीं आया और जब मैंने उसको दुबारा काॅल की तो उसने मुझसे कह दिया कि वो उसकी बुआ के ट्रीटमेंट में बिजी होने की वजह से फाॅर्म सबमिट करने काॅलेज नहीं आ सकता, इसलिए उसकी जगह मैं फाॅर्म भर दूँ और मैंने उसकी बात मानकर उसकी जगह पर अपना फाॅर्म भर दिया, पर कल डेढ़-दो घंटे का उसने मेरे साथ जैसा बिहेवियर किया, उससे मैं समझ गई कि परसो फोन पर उसने मुझसे जो कुछ कहा था, वो सच था और उसने उस दिन काॅलेज आकर अपना फाॅर्म सबमिट न करने आ पाने का रिजन बताया था, वो मुझसे दूरियाँ बनाएँ रखने के लिए बनाया गया झूठा रिजन था। ये बात मेरी समझ में आने के बाद मैंने उसे अपनी ओर से आजाद कर दिया, ताकि वो तुम्हारे साथ खुश रह सके। आई होप कि अब तुम्हारी सारी गलतफहमियाँ दूर हो गई होंगी।" मानसी ने अपनी बात खत्म करने के बाद प्रश्नवाचक नजरों से देखा।
"मानसी, मेरी सारी गलतफहमियाँ तो पहले हीं दूर हो चुकी हैं, पर मुझे लगता हैं कि तुम्हें हर्षित के कैरेक्टर को लेकर जो गलतफहमी हैं, वो आसानी से दूर नहीं होनेवाली हैं।" निक्की ने व्यंग्यात्मक लहजे में मानसी की बात का जवाब दिया तो मानसी के साथ-साथ ग्रुप के दर्जनभर छात्र-छात्राओं के चेहरे पर हैरानी के भाव उभर आए।
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