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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#12
    "आंटी, ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। एक्चुअली आप भले हीं निक्की को गलत समझती हैं, बट मेरी नजरों में निक्की बेहद समझदार, काफी इन्ट्लीजेन्ट और हद से ज्यादा अच्छी लड़की हैं। उसका मेरे साथ रिश्ता जुड़ना उसका नहीं, बल्कि मेरा गुड लक हैं।"

        "इस बात के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा कि तुमने ऊपर से जिद्दी और गैरजिम्मेदार नजर आनेवाली मेरी बेटी के व्यक्तित्व की छुपी हुई खासियतों को समझा और उसकी कद्र की।"

        "थैंक्स आपको भी कि आपने मुझे निक्की के लायक समझा। ओके आंटी, अब मैं जा रहा हूँ। आप निक्की की ओर से बेफिक्र रहिए। मेरा आपसे प्राॅमिश हैं कि हम दोनों एक-दूसरे के लाइफ-पार्टनर बनते तक एक-दूसरे के साथ उसी तरह रहेंगे, जैसे आज तक रहते आ रहे थें।"

        "थैंक्स बेटा।" इतना सुनने के बाद हर्षित भी कमरे से बाहर निकल गया ।
                           .....................

          "यार, मुझे लगता हैं कि हमारे काॅलेज की उम्मीद की ये आखिरी ज्योति भी बुझ जाएगी।" लम्बे-चौड़े ग्राउंड में बैडमिंटन कोर्ट के करीब बैठे हर्षित से निक्की ने कहा तो हर्षित के चेहरे पर नजर आ रहे निराशा के बादल और घने हो गए।

         "मुझे भी ऐसा हीं लग रहा हैं।" हर्षित ने निक्की की बात पर अनमने स्वर में प्रतिक्रिया व्यक्त की।

         "तो कुछ करों न, इस तरह से हाथ पर हाथ रखकर क्यूँ बैठे हो ? आज मानसी भी ये मैच हार गई तो तुम्हारे सर पर सुपर फ्लाप कोच का ठप्पा लग जाएगा।"

        "अरे, मैं क्या कर सकता हूँ यार ? हमारे काॅलेज के स्पोर्ट्स टीचर के चेहरा देखकर प्लेयर्स का सलेक्शन करने की गंदी पाॅलिसी की वजह हर गेम्स का लेबल इतना नीचे गिर चुका हैं कि उसे ऊपर उठाने के लिए काफी लांग पीरियड तक काम करने की जरूरत हैं और मुझे सिर्फ पंद्रह दिनों का टाइम मिला था। इन पंद्रह दिनों में भी इस लड़की ने प्रैक्टिश की जगह मुझ पर तंज कसने पर ज्यादा फोकस किया और अभी भी मैडम अपने गेम पर कान्संस्ट्रेट करने की जगह हमें एग्रेशन दिखाने में लगी हुई हैं।"

       "तुम्हारी बात बिल्कुल सही हैं। ये इसी वजह से पहला सेट हार चुकी हैं और दूसरे सेट में भी काफी बड़े मार्जिन से पिछड़ रहीं हैं, अदरवाइज ये इतनी खराब प्लेयर नहीं हैं, जितना खराब खेल रहीं हैं। इसने इसी तरह से खेलना जारी रखा तो ये मैच तीसरेे सेट तक भी कैरी नहीं होगा। तुम कहो तो मैं कुछ करके इसे समझाने और कुछ टिप्स देने की कोशिश कर सकती हूँ।"

        "ऐसा कुछ कर सकती हो तो जरूर करों यार, क्योंकि इसके ये मैच हारने पर हमारे काॅलेज का इस टूर्नामेंट में कोई भी मैडल न पाने का खराब रिकॉर्ड बन जाएगा और हमारे साथ-साथ इस ग्राउंड में मौजूद हमारे काॅलेज के सैकड़ों स्टूडेंट्स और पूरे काॅलेज-स्टाफ का सिर शर्म से झुक जाएगा। पर सुनो, मानसी को टिप्स देने के चक्कर में तुम्हें कुछ उल्टा-सीधा सुनना पड़ जाए तो उसका गुस्सा मेरे ऊपर मत उतारना।"

         "ठीक हैं, मैं अपनी रिस्क पर उसे एडवाइज देने की कोशिश कर लेती हूँ लेकिन इस काम के बदले तुम्हें मुझे कुछ देना पड़ेगा।"

          "ओके, मैं इस काम की एवज में तुम मेरी बाइक पर मेरे गले में हाथ डालकर बैठने की डिमांड छोड़कर तुम जो चाहोगी, वो दूँगा। बोलो, तुम्हें क्या चाहिए ?"

         "कुछ नहीं।"

          "क्यों ?"

          "जो मैं माँगना चाह रही थीं, उसे तो तुमने पहले हीं ब्लैक लिस्ट में डाल दिया तो अब मैं किस चीज की डिमांड करूँ ?"

         "तो क्या तुम मानसी को फ्री आॅफ काॅस्ट एडवाइज दोगी ?"

         "ऐसा ख्वाब में भी मत सोचना, क्योंकि बिना किसी बेनिफिट के ऐसे फालतू काम करने के लिए मेरे पास टाइम नहीं हैं।"

         "तुम कितनी सेल्फिस हो यार ?"

         "सेल्फिस नहीं हूँ मैं, पर मुझे तुम्हारी तरह बेवजह महानता दिखाने का शौक भी नहीं हैं।"

          "जाओं, मैं तुम्हारी डिमांड पूरी करने के लिए तैयार हूँ पर तुम्हें ये सब करने की छूट सिर्फ एक दिन के लिए मिलेगी।"

         "ठीक हैं, मैं जा रही हूँ।"

         "वाटर बाटल और तौलिया लेकर जाओं, अदरवाइज अम्पायर्स तुम्हें उससे बात करने के लिए मैच ब्रेक नहीं करेंगे।"

         "ओके बाॅस।" कहकर निक्की ने हर्षित की चेयर के सामने बैग पर रखा तौलिया और बगल में रखी पानी की बाटल उठाई और बैडमिंटन कोर्ट के उस ब्लॉक के करीब जाकर खड़ी हो गई, जिस तरफ मानसी मौजूद थीं।

         "अरे, मैंने तो पानी माँगा हीं नहीं, फिर तुम क्यों पानी लेकर आ गई ?" मैच में एक पाईंट गँवाने के बाद मानसी ने अम्पायर से इशारो में शार्ट ब्रेक लेने की परमिशन लेकर निक्की के करीब आकर रूखे स्वर में कहा।

        "मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं।" जवाब में निक्की ने भावहीन स्वर में कहा।

        "पर मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी हैं।"

         "मानसी, मेरी बात को समझने की कोशिश करों। इस वक्त तुम यहाँ खुद को या अपनी फेमिली को रिप्रजेंट नहीं कर रही हो, बल्कि तुम हमारे काॅलेज को रिप्रजेंट करनेवाली एक प्लेयर के तौर पर इस मैच में पार्टिसिपेट कर रही हो। तुम्हारे ऊपर इस ग्राउंड पर मौजूद हमारे काॅलेज के सैकड़ों स्टूडेंट्स और पूरे काॅलेज-स्टाफ की आशाभरी निगाहें टिकी हुई हैं, इसलिए तुम्हें एक-दो लोगों को अपना एग्रेशन दिखाने के लिए इतना इर्रिस्पांसिबल तरीके से खेलने का राइट नहीं हैं। इस समय तुम्हें सारे पर्सनल डिसपुट्स को भूलकर एक सींसियर और प्रोफेशनल प्लेयर की तरह गेम को सीरियसली लेने की जरूरत हैं।"

         "मैं भी वही करने की कोशिश कर रही हूँ लेकिन सामने वाली प्लेयर मुझसे काफी ज्यादा अच्छा खेल रही हैं तो मैं क्या कर सकती हूँ ?"

         "सामने वाली प्लेयर तुमसे ज्यादा अच्छा नहीं खेल रही हैं, बल्कि तुम उससे खराब खेल रही हो। तुम जरूरत ज्यादा अटैक कर रही हो और इस वजह से जल्दी थककर उसे बैठें-बिठाए पाईंट्स हासिल करने के मौके दे रही हो।"

        "हाँ, मुझे भी ऐसा हीं लग रहा हैं, पर अब क्या हो सकता हैं ?"

          "बहुत कुछ हो सकता हैं, उसे अभी भी ये सेट जीतने के लिए तीन पाईंट्स चाहिए और किसी भी अच्छे प्लेयर के लिए सेट मे वापसी करने के लिए इतना चांस काफी हैं।"

          "मेरा खोया हुआ कान्फिडेस वापस दिलाने के लिए थैंक्स। क्या तुम मुझे इस सेट में वापसी करने के लिए कुछ टिप्स दे सकती हो ? तुम स्टेट लेबल की प्लेयर हो, इसलिए तुम्हारे टिप्स मेरे बहुत काम आ सकते हैं।"

         "मैं तुम्हें कुछ टिप्स देने के लिए हीं तुम्हारे पास आयी हूँ। ये लो, तुम अपने फेस का पसीना साफ करके पानी पीओ, फिर मैं बताती हूँ कि तुम्हें इस सेट में कैसे वापसी करनी हैं और अगला सेट किसे जीतना हैं।"

         "थैंक्स।"

         "सुनो, सामने वाली लड़की तुमसे ज्यादा पाॅवरफुल लग रही हैं, पर चुस्ती-फुर्ती के मामलें में वो तुमसे काफी वीक नजर आ रही हैं, इसलिए तुम सर्विस के जस्ट बाद अटैक करने की जगह पहले डिफेंसिव खेलकर उसे थकाने की कोशिश करों और फिर अटैक करों। और सुनो, अंडर आर्म डिफेंसिव शाॅट खेलते समय शटल को ज्यादा ऊँची मत उठाया करों क्योंकि उसका जम्प स्मैश मेरे जैसा हीं बेहद पाॅवरफुल हैं और वो तुम्हारी इसी गलती का फायदा उठाकर जम्प स्मैश के थ्रू आसानी से पाईंट्स बटोर रही हैं। आई थिंक, इस मैच को जीतने के लिए इतनी टिप्स काफी हैं। अब तुम अपने मन में ये प्रूव करने का जुनून लेकर आगे के गेम पर कान्संस्ट्रेट करों कि तुम यहाँ अपनी एबिलिटी के दम पर खेल रहीं हो, न कि किसी की सिफारिश या फेवर की वजह से, बेस्ट आॅफ लक।" मानसी से अपनी बात कहने के बाद निक्की उससे तौलिया और पानी की बाॅटल लेकर हर्षित के पास वापस आ गई।

         दुबारा मैच शुरू हुआ तो मानसी अपनी प्रतिद्वंद्वी पर पूरी तरह से हावी हो गई और उसने लगातार दस पाईंट हासिल करके दूसरा सेट जीत लिया। इसके बाद उसने तीसरे सेट में तो एकतरफा जीत दर्ज करके मैच 2-1 से अपने नाम कर लिया।

         मैच खत्म होने के बाद मानसी ग्राउंड पर उभरने वाली 'मानसी-मानसी' की आवाज और उसे बधाई देने के लिए खड़े छात्र-छात्राओं को नजरअंदाज करके भागकर निक्की के पास पहुँचीं और उसके गले गईं।

        "थैंक यू सो मच निक्की, ये मैच मैं सिर्फ तुम्हारी टिप्स की वजह से जीती हूँ। यू आर सो अमेजिंग एंड सो ग्रेट मोटिवेटर।" निक्की से गले मिलकर अलग होने के बाद मानसी ने उससे कहा।

       "नहीं यार, ये मैच जीतने में तुमने बहुत एफड लगाया, इसलिए इस मैच जीतने का पूरा क्रेडिट तुम्हें हीं जाता हैं। कांग्रेचुलेशंस फाॅर योर सो नाइस विन।"

        "थैंक्स, बट अब मेरे अगले मैच की तैयारी तुम्हें ही करानी पड़ेगी।"

        "डोंट वरी, मैं तुम्हारी अगले हीं मैच कीं हीं नहीं, बल्कि उसके अगले मैच और उसके अगले टूर्नामेंट की भी तैयारी करा दूँगी।"

         "थैंक्स निक्की।" कहने के बाद हर्षित पर एक उपेक्षाभरी निगाह मारकर मानसी आने बढ़ गई।
                              ................

         "हर्षित, क्या मैं जान सकतीं हूँ कि तुम इस वक्त कहाँ हो ?" काॅलर ने सवाल किया।

         "घर से काॅलेज के लिए निकल रहा हूँ।" हर्षित ने अनमने ढंग से जवाब दिया।

          "ओके। एक्चुअली, मैंने तुम्हें ये इन्फार्म करने के लिए काॅल की कि आज स्टूडेंट यूनियन के इलेक्शन में पार्टिसिपेट करने के इच्छुक सभी कैंडिडेट्स के लिए अपने फाॅर्म जमा करने की लास्ट डेट हैं और इस बार भी हमारी पैनल ने इस इलेक्शन में प्रेसीडेंट के लिए तुम्हें हीं कैंडिडेट बनाने का डिसिजन लिया हैं, इसलिए तुम जल्दी से काॅलेज आकर मुझसे अपनी कैंडिडेटशीप का लेटर ले लों।"

        "थैंक्स मानसी, बट मुझे लगता हैं कि मुझे इस बार प्रेसीडेंट का कैंडिडेट बनाने का डिसिजन हमारी पैनल का नहीं हैं, बल्कि तुम्हारा अकेले का हैं जो तुमने पैनल पर जबरन थोपा हैं।"

        "यू आर एब्सॅल्यूटली राइट। इस बार पैनल के ज्यादातर मेम्बर्स तुम्हें कैंडिडेटशीप दिए जाने के लिए रखे गए मेरे प्रपोजल का अपोज कर रहे थे, बट मैंने अपने को-ऑर्डिनेटर होने के स्पेशल पाॅवर का यूज करके तुम्हारी कैंडिडेटशीप फाइनल कर दीं।"

         "और मुझ पर ये अहसान तुमने इसलिए किया कि मैं हम लोगों की पैनल से कुछ और समय तक जुड़ा रहूँ और तुम्हें मुझे हिकारतभरी निगाहों से घूरने और मुझ पर तंज कसने का मौका मिलते रहे, एम आई राइट ?"

         "नो, यू आर एब्सॅल्यूटली रांग दिस टाइम। एक्चुअली मैंने ये अहसान तुम पर इसलिए किया, ताकि इस इलेक्शन से भागने का तुम्हारे पास कोई बहाना न रहे। यदि मैं तुम्हें इस बार हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप नहीं दिलाती तो तुम्हें इस इलेक्शन से ये कहकर भागने का बहाना मिल जाता कि जिस पैनल से तुम तीन साल से जुड़े हो और जिसकी कैंडिडेटशीप मिलने की वजह से दो बार प्रेसीडेंट बन चुके हो, उससे बगावत करके इलेक्शन लड़ने के लिए तुम्हारा जमीर आपको इजाजत नहीं दे रहा हैं।"

         "मानसी, तुम्हारी आशंका बिलकुल बेबुनियाद हैं। ये बात सही हैं कि मेरा जमीर मुझे अपनी पैनल से बगावत करके इलेक्शन लड़ने की इजाजत नहीं दे रहा हैं पर मैंने तुमसे प्राॅमिश किया हैं कि इस बार मैं तुम्हारी सपोर्ट के बिना इलेक्शन लड़कर काॅलेज में अपनी हैसियत का टेस्ट दूँगा, इसलिए मैंने इस बार बिना किसी पैनल की सपोर्ट लिए इलेक्शन लड़ने का फैसला किया हैं।"

          "तो क्या आप हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप एक्सेप्ट नहीं करोगे ?"

           "नहीं, क्योंकि इसका मतलब इस बार भी तुम्हारी सपोर्ट लेना होगा और तुम्हारी सपोर्ट लेकर जीतने में न मुझे मजा आएगा और न मेरे हारने पर तुम्हें मजा आएगा, इसलिए इस बार मैं एज द इंडिपेंडेंट कैंडिडेट इलेक्शन फेस करूँगा, ताकि जीता तो तुम्हारी ये ओपिनियन फाल्स प्रूव हो जाए कि मैं पिछले दो साल से स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसीडेंट तुम्हारी सपोर्ट की वजह से रहा हूँ और हारा तो तुम्हें सेलिब्रेट करने का मौका मिल जाए।"

         "हर्षित, तुम्हारा इंडिपेंडेंटली इलेक्शन फेस करने का इरादा था तो तुम्हें मुझे इसके बारे में इलेक्शन प्रोसेस शुरू होते हीं इन्फार्म करना चाहिए था, लेकिन तुम लास्ट डेट तक साइलेंट रहे और एज द इन्डीपेंडेन्ट कैंडिडेट आॅर एज द अदर पैनल्स कैंडिडेट तुमने फाॅर्म भी सबमिट नहीं किया, इसलिए मैंने तुम्हारी इस खामोशी को हमारी पैनल की कैंडिडेटशीप के लिए इंतजार समझकर आपका नाम फाइनल कर दिया। अब तुम इस तरह लास्ट डेट पर  कैंडिडेटशीप ठुकरा दोगे तो इस बार हमें इस सबसे इम्पाॅर्टेंट सीट को वेकेंट छोड़नी पड़ेगी, क्योंकि आज के आज किसी दूसरे कैंडिडेट का सलेक्शन करना पाॅसिबल नहीं हैं, इसलिए प्लीज तुम मेरे साथ अपने पर्सनल डिसपुट्स भूलकर हमारी पैनल की भलाई के लिए अपनी कैंडिडेटशीप एक्सेप्ट कर लो। मैं तुमसे प्राॅमिश करती हूँ कि मैं तुम्हें किसी भी तरह से परेशान नहीं करूँगी और तुम्हें डायरेक्ट सपोर्ट भी नहीं करूँगी, ताकि तुम्हारी हार-जीत सिर्फ तुम्हारी और हमारी पैनल की हो।"

         "सुनो मानसी, मेरी बात समझने की कोशिश करों। मुझे कैंडिडेटशीप देने में पैनल की भलाई नहीं होगी, बल्कि संगठन का नुकसान हीं होगा, क्योंकि मेरा तुम्हारे साथ ब्रेक-अप होने के बाद से पैनल के ज्यादातर मेम्बर्स मेरे खिलाफ हो चुके हैं और वे लोग किसी भी सिच्युएशन में मेरी कैंडिडेटशीप को दिल से एक्सेप्ट नहीं करेंगे, जिससे हमारी पैनल गुटबाजी की शिकार हो जाएगी और इससे पैनल को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, इसलिए तुम मुझे कैंडिडेटशीप लेने के लिए कन्वेंस करने की जगह अपनी एनर्जी कोई दूसरा कैंडिडेट खोजने में लगाओ। वैसे मेरे ख्याल से तुम्हें कोई कैंडिडेट खोजने की जरूरत ही नहीं हैं क्योंकि तुम खुद हीं एक बेटर आॅप्सन हो। तुम प्रेसीडेंट की पोस्ट के लिए फाइट करोगी तो ये पोस्ट तो हमारे संगठन की झोली में आना तय हो जाएगा, क्योंकि तुम्हें अपनी पाॅपुलर्टी के साथ-साथ मेरे तुम्हारे साथ चीटिंग करने की वजह से तुम्हारी विक्टिम गर्ल की इमेज का भी बेनीफिट मिलेगा।"

         "यानि, तुम मानते हो कि तुमने मेरे साथ चीटिंग की हैं ?"

          "हाँ।"

         "यानि, मेरा ये शक सही था कि तुम निक्की के हमारे काॅलेज में आने के बाद से मेरे साथ ब्रेक-अप करने का बहाना ढूँढ रहे थे ?"

          "नहीं, तुम्हारा शक पूरी तरह बेबुनियाद हैं।"

          "तो फिर तुमने अभी-अभी किस चीटिंग की बात एडमिट कीं ?"

           "मुझे तुम्हारे और निक्की के बीच हुए मैच में अभिजीत सर के तुम्हारे फेवर में दिए गए रांग डिसिजन का अपोज नहीं करना चाहिए था।"

            "क्यों ?"

            "क्योंकि तुम्हारा और मेरा रिश्ता, निक्की और मेरी फ्रेंडशीप एंड मेरी ड्यूटी से ज्यादा बड़ा था, पर मैं तुम्हारे और मेरे रिश्ते का लिहाज करते हुए खामोश रहने की जगह अपनी आॅनेस्टी दिखाने की आदत से लाचार होकर उस डिसिजन का अपोज कर बैठा।"

          "तुम मेरी सोच पर तंज कस रहे हो ?"

          "नहीं यार, मैं आज के युग की सच्चाई बता रहा हूँ। आज के युग में अपने करीबी लोगों का स्वार्थ और हमारे कर्तव्य के बीच टकराव होने पर कर्तव्य को चुनना बहुत बड़ा गुनाह हैं, पर मैं भी क्या करूँ, मुझे बार-बार ये गुनाह करके इसकी सजा भुगतने की आदत पड़ चुकी हैं।"

         "क्या तुमने वाकई सिर्फ वो डिसिजन गलत होने की वजह से हीं उसका अपोज किया था ?"

         "हाँ।"

         "तो तुमने अब तक मेरी ये गलतफहमी दूर करने की कोशिश क्यों नहीं की कि तुमने वो डिसिजन अपनी बचपन की दोस्त के खिलाफ होने की वजह से उसका अपोज किया था ?"

        "क्योंकि मुझे उस डिसिजन पर मेरे ऑब्जेक्शन लेने और प्रिंसिपल के उस डिसिजन को बदल देने के बाद तुम्हारा मेरे लिए दिखाया गया रवैया बहुत हीं खराब लगा था क्योंकि मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थीं कि तुम अपने फेवर के एक गलत डिसिजन का अपोज करने की वजह से अपने बीच के इतने प्यारे रिश्ते को भूलकर इतनी नफरत करने लग जाओगी, इसलिए मैंने तुमसे डिस्टेंस बना लेना हीं सही समझा।"

          "मैं तुम्हारे उस गलत डिसिजन का अपोज करने की वजह से तुमसे नफरत नहीं कर रही थी, बल्कि इस गलतफहमी की वजह से तुमसे नफरत कर रही थीं कि तुम अपनी बचपन की दोस्त के काॅलेज में आते हीं मेरा साथ छोड़कर उसके साथ नजदीकियाँ बढ़ानी शुरू कर दीं, लेकिन तुमने मेरी इस गलतफहमी को दूर करने की जगह निक्की को साये की तरह अपने साथ रखकर इसे और ज्यादा बढ़ा दीं थीं। बाइ द वे, क्या वाकई तुम्हारा उसके साथ ऐसा रिलेशन नहीं हैं, जैसा मैं समझ रही थीं ?"

          "जिस समय तुम ये एलिगेशन मुझ पर लगाया था, उस समय तो वो सिर्फ मेरी फ्रेंड थीं, बट .....।"

           "बट ?"

          "अब हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं।"

          "हर्षित, मुझे सताने के लिए मजाक कर रहे हो न ?"

          "नहीं, ये सच हैं।"

          "अरे यार, तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ? तुम तो कहा करते थे कि मैं तुमसे नफरत भी करने लग जाऊँगी, तब भी तुम मुझसे लाइफ टाइम तक प्यार करते रहोगे, लेकिन तुमने तो मेरी एक-डेढ़ माह की दिखावटी नफरत की वजह से ही मुझे भूलाकर किसी और को गले लगा लिया।"

           "मानसी, ज्यादातर इंसान भावनाओं में बहकर कही गई बातों को ज्यादा दिनों तक नही निभा पाते हैं और हजारों में से कोई इक्का-दुक्का इंसान निभाना भी चाहें तो उसके सामने अक्सर ऐसी सिच्युएशन बन जाती हैं कि उसे उन बातों को भूलने के लिए मजबूर होना पड़ता हैं और मेरे सामने भी इस टाइप की सिच्युएशन बन गईं थीं कि मुझे तुमसे कही गई बातों को भूलना पड़ा।"

         "हर्षित, आई कान्ट बिलिव इट कि तुम मेरे प्यार को भूल चुके हो। मुझे लगता हैं कि तुम अपने साथ किए मेरे गंदे बिहेवियर के लिए मेरी लम्बी क्लास ले रहे हो। ऐसा हैं तो मुझे कोई प्राॅब्लम नहीं हैं। तुम जितनी चाहे, उतनी लम्बी क्लास ले लो और चाहो तो मुझे पनिसमेंट भी दे दो क्योंकि मैं ये सब डिजर्व करती हूँ। मुझे तुम्हें क्लिरिफिकेशन का चांस दिए बिना तुम्हारे साथ इतना गंदा बिहेवियर नहीं करना चाहिए था। मैं समझ सकतीं हूँ कि तुम्हें सबके सामने कई बार नीचा दिखाने की कोशिश की तो तुम कितने हर्ट हुए होंगे, बट बिलिव मी कि मैंने ये सब तुम्हें हर्ट करने के लिए नहीं किया, बल्कि इसलिए किया कि तुम इन सब चीजों से परेशान होकर मुझे क्लियरिफिकेशन दो और कहो कि तुम सिर्फ मुझसे प्यार करते हो। मैं जानती हूँ कि मेरा तुमसे क्लिरिफिकेशन माँगने का ये तरीका बहुत खराब था, पर मेरा यकीन करों कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए नफरत कभी पैदा हुई हीं नहीं।

         मेरे दिल में तुम्हारे लिए इतना ज्यादा प्यार भरा हुआ हैं कि उसमें तुम्हारे लिए नफरत पैदा होने की गुंजाइश हीं नहीं हैं। मेरे प्यार की इंतहा का तुम इस बात से अनुमान लगा सकते हो कि मेरे दिल में तुम्हारी लाॅयल्टी को लेकर डाउट पैदा होने के बावजूद भी मैं तुम्हें अपने साथ रखना चाहती थीं। मुझे तुम्हारे साथ रहने का मौका मिल सके, इसलिए हीं मैंने प्रिंसिपल से कहकर पिछले टूर्नामेंट के लिए तुम्हें कोच अपाईंट करवाया था और हमारी पैनल के करीब एट्टी परसेन्ट मेम्बर्स के अपोज करने के बावजूद मैंने तुम्हारी कैंडिडेटशीप भी इसीलिए हीं फाइनल की हैं। 

        अरे यार, मैं तुम्हें अपने दिल की बातें बताने के चक्कर में ये तो भूल हीं गईं कि तुम्हें काॅलेज आकर अपना फाॅर्म भी सबमिट करना हैं। अब मैं काॅल डिस्कनेक्ट कर रही हूँ ताकि तुम जल्दी से काॅलेज आ सको। सुनो, निक्की को भी साथ लेकर आना। मुझे उसके साथ तुम्हारे फ्रेंडशीप रखने से कोई प्राॅब्लम नहीं हैं, बट उसे समझा देना कि वो तुम्हारे साथ सिर्फ फ्रेंड की तरह ही बिहेव करें। वो मुझे जलाने के लिए कुछ दिनों से तुम्हारे साथ ऐसा बिहेव कर रही हैं, जैसे कोई गर्लफ्रेंड अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ करती हैं। उसके तुम्हारे साथ ऐसे बिहेव करने की वजह से मुझे बहुत तकलीफ होती हैं। मेरी ये बात सुनकर तुम यकीनन ये सोच रहे होंगे कि मैंने तुम्हें मुझे जो तकलीफ हुई, उसके बारे में तो बता दिया, पर तुम्हें मेरे मिसबिहेव की वजह से जो तकलीफ हुई, उसके बारे में कुछ कहा हीं नहीं, इसलिए इसके बारे में भी बोल देती हूँ।

         हर्षित, मेरे मिसबिहेव की वजह से तुम्हें जो तकलीफ हुई, उसके लिए मैं तुम्हें 'साॅरी' नहीं बोलूँगी क्योंकि सिर्फ 'साॅरी' बोलने से हिसाब बराबर नहीं होगा। मैं तुम्हें मेरी वजह से पहुँचीं तकलीफ का हिसाब तुम्हारी वो सब ख्वाहिशे पूरी करके करूँगी, जो मैं अनकम्फर्टेबल फील होने की वजह से अभी तक पूरी नहीं कर पायी। मैं तुम्हारी खुशी के लिए कल से हीं बिल्कुल ट्रेडिशनल इंडियन गर्ल्स की तरह रहना शुरू कर दूँगी और ये भी प्राॅमिश करती हूँ कि अब कभी तुम्हारे साथ कभी मिसबिहेव नहीं करूँगी। तुम कभी मेरा ट्रस्ट ब्रीच कर दोगे, तब भी नहीं, क्योंकि तुम मेरे लिए दुनिया में सबसे ज्यादा मायने रखते हो और ये बात मुझे तुम्हें खो देने का अहसास होने पर पता चली। इससे पहले मैं खुद भी नहीं जानती थीं कि तुम मेरे लिए इतने ज्यादा इम्पाॅर्टेन्ट हो चुके हो। मैंने एक-डेढ़ माह तुमसे दूर रहकर ये भी जान लिया कि मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊँगी।

         मेरी एक आखिरी बात सुन लो, उसके बाद मैं फाइनली कन्वर्सेशन ब्रेक कर रही हूँ। मैं ये कह रही हूँ कि अब हम लोग अपने प्यार को किसी से छुपाकर नहीं रखेंगे क्योंकि इसका अब कोई सेंस नहीं रह गया हैं। हम दोनों का ब्रेक-अप होने के बाद हमारे टच के सारे लोग जान गए हैं कि हम दोनों के बीच दोस्ती नहीं बल्कि प्यार था। और हाँ, तुम मेरे डैड की चिंता मत करना, क्योंकि मैं इस बार उनसे भी आर-पार करने का मन बना चुकी हूँ। ओके, अब मैं काॅल डिस्कनेक्ट करती हूँ। तुम जल्दी से काॅलेज आ जाओं, मैं तुम्हारा वेट कर रही हूँ।" 

          दूसरी ओर से काॅल डिस्कनेक्ट होते तक हर्षित के चेहरे पर ढेर सारे तनाव के चिन्ह उभर चुके थे। उसने अपना मोबाइल जेब के हवाले किया और थोड़ी देर तक कुछ सोचने के बाद वह अपनी बाइक टर्न करके उसी दिशा में वापस लौट गया, जिस दिशा से वह आया था।
                              ...................

         "बुआ, आप अभी के अभी मेरे साथ चलिए।" हर्षित ने हड़बड़ाकर घर में दाखिल होते हुए कहा।

        "क्यूँ, क्या हुआ ?" हर्षित की बात सुनकर आराम से टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही निहारिका के माथे पर अचानक बल पड़ गया।

        "घबराने लायक कोई मेटर नहीं हैं, पर आपका इस वक्त मेरे साथ चलना बहुत जरूरी हैं।"

        "अरे, लेकिन ये तो बता दो कि तुम मुझे किस काम के लिए साथ लेकर जा रहे हो ?"

        "वो मैं आपको बाद में बताऊँगा।"

        "बड़ा अजीब लड़का हैं। चलो, तुम काम बाद में बता देना, लेकिन ये तो बता दो कि मेरे कॉलेज टाइम तक तुम मुझे वापस छोड़ दोगे या नहीं, क्योंकि कॉलेज टाइम तक वापस आना पाॅसिबल नहीं होगा तो मुझे अपने कॉलेज में फोन करके इन्फार्म करना पड़ेगा और रिंकी के लिए घर की चाबी भाभी के पास छोड़नी पड़ेगी।"

        "आपके कॉलेज टाइम तक वापस आना नहीं होगा और मम्मा भी घर में नहीं हैं, इसलिए घर की चाबी किसी और के पास छोड़ दीजिए और एक काम और कीजिए, रिंकी के लिए आपने जो खाना रखा होगा, उसे किसी ऐसी जगह छुपा दीजिए कि आपके अलावा कोई खोज न पाए।"

          "अरे, पर मैं खाना छुपा दूँगी तो रिंकी खाएगी क्या ?"

          "यार बुआ, कभी कोई बात बिना सवाल किए भी मान लिया करों। मैं क्या रिंकी का दुश्मन हूँ जो उसे भूखी रखने के लिए आपको खाना छुपाने के लिए कहूँगा।"

           "मुझे लगता हैं कि तुम आज रिंकी के लिए मार्केट से कोई स्पेशल फूड लाने वाले हो, इसलिए तुम नहीं चाहते हो कि वो आज घर का खाना खाएँ, एम आई राइट ?" 

          "फिलहाल तो आप यही समझ लीजिए। अब सोच-विचार करने में टाइम वेस्ट मत कीजिए, जल्दी से खाना छुपाकर आइए।"

          "ओके डियर।"

           निहारिका के किचन में जाने के बाद हर्षित ने मोबाइल निकालकर निक्की के नाम से सेव नम्बर पर काॅल की और काॅल रिसीव होते हीं सवाल किया- "कहाँ हो ?"

          "काॅलेज जाने के लिए घर से निकल रही हूँ। तुम कहाँ हो ?"

           "मैं बुआ के घर पर हूँ। उनकी अचानक तबियत खराब हो गई, इसलिए मुझे अभी उन्हें हास्पीटल लेकर जाना पड़ेगा और तुम्हें उनकी बेटी के लिए खाना लेकर आना पड़ेगा। बुआ की तबियत खराब होने की वजह से वे आज खाना भी नहीं बना पायी, इसलिए आज मेरे साथ-साथ तुम्हें भी काॅलेज जाना कैंसिल करना पड़ेगा। तुम आज काॅलेज नहीं जाओगी तो तुम्हें कोई प्राॅब्लम तो नहीं होगी न ?"

          "मुझे तो कोई प्राॅब्लम नहीं होगी, पर तुम काॅलेज नहीं जाओगे तो मानसी से किए प्राॅमिश को पूरा करने के लिए फाॅर्म कैसे भरोगे ? एक काम करों, तुम काॅलेज चले जाओं। मैं दस-पंद्रह मिनट में मैम के घर आकर उनकी बेटी के लिए खाना भी छोड़ दूँगी और उसके बाद उन्हें हास्पीटल भी ले जाऊँगी।"

           "अरे यार, मैंने तुमसे एडवाइज लेने के लिए तुम्हें काॅल नहीं की हैं। मैंने तुम्हें जितनी हेल्प करने के लिए कहा, उतनी कर दो। उनकी हालत काफी सीरियस हैं, इसलिए मैं उन्हें तुम्हारे यहाँ पहुँचते तक और सीरियस होने के लिए छोड़कर नहीं जा सकता। प्लीज, अब तुम मुझसे कोई सवाल मत करों, तुम सिर्फ ये बताओ कि तुम आ रही हो या नहीं ?"

          "अरे, कैसी बात कर रहे हो तुम ? ऐसी सिच्युएशन में मैं इतनी-सी हेल्प करने से मना कैसे कर सकती हूँ। तुम उन्हें लेकर हास्पीटल जाओ, मैं दस-पन्द्रह मिनट में खाना लेकर उनके घर पहुँच जाऊँगी।"

           "थैंक्स निक्की।"

           "चक्कर क्या हैं ? अपनी अच्छी-खासी स्वस्थ बुआ को क्यूँ बीमार बता रहे हो ?" निक्की से पीछा छुड़ाने के तुरंत बाद हर्षित को निहारिका के सवालों का सामना करना पड़ गया।

          "आपको बीमार बताकर साथ इसलिए ले रहा हूँ ताकि आपकी जान लेने के बाद लोगों ये बता सकूँ कि बीमारी की वजह से हास्पीटल पहुँचने के पहले हीं आपने दम तोड़ दिया। अब आप केवल 'हाँ' या 'ना' में बताइए कि आप मेरे साथ चल रही हैं या नहीं ?"

           "अरे भड़क क्यूँ रहे हो यार ? मैं बिना कुछ पूछे तुम्हारे साथ चल रही हूँ।"

            "थैंक्स, बट बीमार की तरह डगमगाकर धीमी चाल से चलते हुए बाहर निकलिए और ......।"

             "बाइक पर भी बीमार लोगों की तरह बैठना हैं, यही न ?"

              "हाँ।"

              "ये सब करने के बदले में मुझे क्या मिलेगा ?"

              "आइसक्रीम को छोड़कर आप जो चाहेगी, मैं आपको खिला दूँगा।"

              "ऐसा हैं तो फिर मैं तुम्हारे साथ नहीं आ रही हूँ।"

              "अरे बुआ, ड्रामा मत करों यार। मैं आपकी मनपसंद आइसक्रीम खिला दूँगा। दस साल की बच्ची की माँ और एक रिस्पेक्टेट कॉलेज की टीचर होने के बाद भी हरकते बच्चों जैसी हीं करती हैं।"

              "हर्षित, तुमने मुझसे कुछ कहा ?"

              "इतना लाऊडली तो कहा कि आइसक्रीम खिला दूँगा, फिर भी आपने नहीं सुना क्या ?"

               "ये तो मैंने सुना, लेकिन उसके बाद तुमने जो कहा, मैं वो नहीं सुन पायी।"

               "ज्ञान की देवी माँ सरस्वती, वो मैं आपको बाद में बता दूँगा, अभी आप इस सेवक की विनती स्वीकार करके यहाँ से बाहर निकलने की कृपा कीजिए। आप इसी तरह यहीं खड़ी रहकर मेरे साथ वार्तालाप में समय व्यर्थ गवाएगी तो आपकी शिष्या चंडिका देवी आकर मुझ पर चढ़ाई कर देंगी।" 

            "ठीक हैं बालक, मैं तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार करके यहाँ से प्रस्थान कर रही हूँ। तुम भी अविलंब इस कुटिया के द्वार बंद करके मेरे पीछे-पीछे आ जाओ।" कहकर निहारिका धीमे-धीमे कदमों से बीमार व्यक्ति की तरह डगमगाकर चलती हुई बाहर निकल गई।
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 06-03-2019, 07:01 PM



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