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Non-erotic चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger'
#10
"किसी ने कहा तो नहीं बट जनरली हर इंसान शादी करते हैं, इसलिए मुझे लगा कि तुम भी शादी करोगी।"

          "यार, मेरी भी इच्छा थीं कि मैं शादी करूँगी, बट अब मैंने अपना डिसिजन बदल लिया हैं।"

           "क्यों ?"

        "मैं जिस लड़के से शादी करना चाहती थीं, मुझे अभी कुछ ही समय पहले पता चला कि मैं उसकी च्वाइस मैं नहीं कोई और हैं, इसलिए।"

         "क्या मैं जान सकता हूँ कि वो बेवकूफ लड़का कौन हैं ?"

         "श्योर, बट अभी नहीं, सही समय आने पर बता दूँगी एंड प्लीज तुम उसके बारे में बेवकूफ या इसी टाइप के ऐसे किसी वर्ड का यूज नहीं करोगे।"

         "ओके।"

         "थेंक्स। अब तुम मुझे ये बताओं कि तुम्हारी फेमिली और निहारिका मैम की फेमिली ने आज से एबाउट टेन ईयर पहले वो शहर एकसाथ क्यूँ छोड़ दिया ?"

          "मैं खुद इस कोश्चन का पिछले दस साल से आन्सर जानने की कोशिश कर रहा हूँ बट मुझे आन्सर के नाम पर अपने मम्मी-पापा और निहारिका बुआ से वहीं झुनझुना मिलता हैं जो अभी तुमने मुझे थमाया।"

           "यानी, तुमसे ये कहा जाता हैं कि अभी नहीं, सही समय आने पर तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब दे दिया जाएगा ?"

            "हाँ।"

            "तो तुम एक काम क्यूँ नहीं करते, .....?"

            "इस मैटर पर हम बाद में डिसकस करेंगे।"

            "अरे, एक मिनट ......।"

            "निक्की, नो मोर कोश्चन ऑर सजेशन नाऊ, क्योंकि पीरियड स्टार्ट होने का टाइम हो चुका हैं और अच्छे बच्चे अपना कोई पीरियड मिस नहीं करते। याद हैं न तुम्हें कि ये बात तुम हीं अक्सर मुझसे कहा करती थीं ?"

            "हाँ।"

            "तो उठो जल्दी से।" कहकर हर्षित खड़ा हो गया।
                              ...................

           "हर्षित, मानसी के मना करने के बावजूद कैंटिन वाले ने कल हमें काॅफी पिलाई तो उस बेचारे को आज हीं इसका खामियाजा भुगतना पड़ गया।" अगले दिन लंच ब्रेक में काॅलेज कैम्पस में मुलाकात होते हीं निक्की ने जानकारी दीं तो हर्षित के माथे पर बल पड़ गया।

         "क्यों, मानसी ने क्या किया उसके साथ ?" हर्षित ने पूछा।

          "मानसी ने उसकी प्रिंसिपल से कम्प्लेन्ट कर दी, जिसमें उसने ये एलीगेशन लगाया हैं कि कल शाम को उसके कैंटिन की काॅफी पीने की वजह से मानसी और उसके दोस्तों की तबियत खराब हो गई थी और मानसी की कम्प्लेन्ट पर प्रिंसिपल ने उस कैंटिन वाले को शाम तक अपना सामान समेटकर काॅलेज कैम्पस से निकल जाने का ऑर्डर दे दिया।"

        "यार, ये तो बहुत बुरा हुआ। बेचारा कल ही मुझसे कह रहा था कि उस पर अपने माँ-बाप, पत्नी और बच्चों को पालने की जिम्मेदारी नहीं होती तो वो मानसी का तुगलकी फरमान मानने से इनकार मुझे चाय-काॅफी पिलाना कन्टिन्यु रखता, पर उसका कैंटिन बंद हो जाने की वजह से उसकी फेमिली के मैन्टेनेंस की प्राॅब्लम खड़ी हो जाएगी, इसलिए मानसी का आॅर्डर मानना उसकी मजबूरी हैं। फिर भी उस बेचारे ने मेरी तुम्हारे सामने इन्सल्ट न हो, इस वजह कल हम दोनों को काॅफी पिलाने की रिस्क ले लीं। उसने मेरी इन्सल्ट की परवाह न करके मुझे कल से हीं अपने कैंटिन से कुछ भी देने से इनकार कर दिया होता तो बेचारे पर एम्प्लायमेन्ट छिन जाने का खतरा नहीं मंडराता।"

         "हर्षित, उस बेचारे ने तुम्हें इन्सल्ट से बचाने के लिए ये रिस्क ली थीं, इसलिए उसका रोजगार छिनने से बचाना तुम्हारा कर्तव्य हैं। प्लीज तुम अभी के अभी प्रिंसिपल के पास जाओ और उनसे अपना ऑर्डर कैंसिल करने के लिए कहो। तुम इस काॅलेज के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसीडेंट हो, इसलिए प्रिंसिपल को तुम्हारी बात माननी पड़ेगी।"

          "निक्की, इस काॅलेज के रूल्स के एकार्डिंग स्टूडेंट यूनियन की बाॅडी जिस एजुकेशनल सेशन के लिए चुनी जाती हैं, उसके एंड होते हीं इनिफेक्चुअल हो जाती हैं। चूँकि वो एजुकेशनल सेशन एंड हो चुका हैं, जिसके लिए मुझे प्रेसीडेंट चुना गया था, इसलिए फिलहाल मैं स्टूडेंट यूनियन का प्रेसीडेंट नहीं हूँ और इस वजह से प्रिंसिपल मेरी बात पर गौर नहीं करेंगे।"

        "इसका मतलब ये हुआ कि उस बेचारे को अपना सामान उठाकर इस कैम्पस बाहर जाने से रोकने का तुम्हारे पास का तुम्हारे पास कोई साॅलुशन नहीं हैं ?"

        "एक साॅलुशन हैं। यदि मैं मानसी के आगे झुक जाऊँगा तो वो अपनी कम्प्लेन्ट वापस ले सकती क्योंकि वो अपना पाॅवर सिर्फ मुझे झुकाने के लिए यूज कर रही हैं।"

        "हाँ, लेकिन तुम मानसी के सामने नहीं झुकोगे।"

        "उसके सामने झुकना तो मैं भी नहीं चाहता, पर उस कैंटिन वाले को सड़क पर आने से बचाने के लिए इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं हैं।"

        "अरे, सुनो तो ...?"

        "नहीं निक्की, प्लीज मुझे मत रोकों।" कहकर हर्षित कालेज की बिल्डिंग की तरफ चला गया। निक्की कुछ देर तक उसे हैरान-परेशान उसे देखती रहने के बाद उसके पीछे-पीछे चली गई।
                              ...................

        "मानसी, तुम अपना गुस्सा उस गरीब कैंटिन वाले पर क्यों उतार रहीं हो ?" दस-बारह छात्र-छात्राओं के बीच खड़ी मानसी के करीब आकर हर्षित ने सवाल किया।

        "उसने मेरी वार्निंग को इग्नोर करने की गलती की हैं तो इसका खामियाजा तो उसे भुगतना हीं पड़ेगा।" मानसी ने रूखे स्वर में जवाब दिया।

        "उसने इन्टेन्शली तुम्हारी वार्निंग को इग्नोर नहीं किया, बल्कि मेरी पब्लिकली इन्सल्ट न हो, इस वजह से उसने कल मुझे काॅफी दी थीं, लेकिन उसके बाद उसने मुझसे कह दिया था कि तुम्हारी वार्निंग की वजह से वो इसके बाद मुझे उसके कैंटिन से कुछ नहीं देगा।"

        "ये जानने के बाद तुम्हें इस बात का अहसास तो हो गया होगा न कि मेरे साथ के बिना तुम्हारी इस काॅलेज में क्या हैसियत हैं ?"

        "हाँ, और ये जानने के बाद मुझे तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट करने की बेवकूफी पर अफसोस भी हुआ।"

        "झूठ मत बोलो हर्षित, तुम्हें मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करने के लिए ये बात जानने के बाद अफसोस नहीं हुआ, बल्कि उसी दिन दिन से हो रहा हैं, जिस तुम्हारी बचपन की क्यूट फ्रेंड इस काॅलेज में आयी। तुम तो उसी दिन से मुझसे पीछा छुड़ाने का बहाना ढूँढ रहे थे जो तुम्हें कल मिला।"

        "ये झूठ हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हैं। निक्की सिर्फ मेरी फ्रेंड हैं और वो अभी यहाँ पर नई हैं, इसलिए मैं उसे कम्पनी दे रहा था।"

        "कल तक मैं भी यही समझ रही थीं, इसलिए मैंने तुम्हारे मुझे इग्नोर करके उसे साथ-साथ घुमाने पर कभी आॅब्जेक्शन नहीं लिया, पर कल तुमने बैडमिंटन कोर्ट में हर बार निक्की का फेवर लिया तो मेरी ये गलतफहमी दूर हो गई और मैं जान गई कि तुम मुझे अपने दिल से निकालकर मेरी जगह निक्की को दे चुके हो।"

        "मानसी, तुम्हारे दिल में मेरे प्रति जिस टाइप की गलतफहमी पैदा हुई हैं, वो मेरे कोई भी सफाई देने पर दूर नहीं हो सकती, इसलिए मैं इस मैटर पर कुछ न कहकर ये कहना चाहता हूँ कि यदि तुम्हें ऐसा लगता हैं कि मैंने तुम्हारे साथ चीटिंग की हैं तो तुम मुझे जो चाहे, वो सजा दे दो, लेकिन उस कैंटिन वाले को बख्श दो।"

       "ओके, मैं उसे माफ कर दूँगी लेकिन इसके लिए तुम्हें मुझसे ये प्राॅमिश करना होगा कि तुम इस साल भी स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसीडेंट की पोस्ट के लिए इलेक्शन के मैदान में उतरोगे।"

       "इससे तुम्हें क्या फायदा होगा ?"

       "मुझे तो कोई फायदा नहीं होगा, बट इससे ये डिसाइड हो जाएगा कि तुम पिछले दो इलेक्शन में अपनी रेपुटेशन की वजह से प्रेसीडेंट चुने गए थे या मेरे सपोर्ट की वजह से क्योंकि इस बार तुम्हे मेरा सपोर्ट नहीं मिलेगी।"

       "सीधे-सीधे कहो न कि तुम इस काॅलेज में सबको मेरी औकात दिखाना चाहती हो।"

        "हाँ, मैं कहना तो यही चाह रही थी लेकिन मुझे हम दोनों के पास्ट के स्वीट रिलेशन की याद आ गई, इसलिए मुझे अपनी बात को थोड़ा-सा घुमा दिया, ताकि मेरी बात भी तुम्हारी समझ में आ जाए और तुम्हारे दिल को ज्यादा चोट भी न पहुँचे।"

        "थैंक्स।"

         "थैंक्स बोलने से काम नहीं चलेगा, तुम्हें उस कैंटिन वाले को सड़क पर आने से बचाने के लिए मुझसे वो प्राॅमिश करना होगा, जो मैंने तुमसे करने के लिए कहा।"

        "ओके, मैं तुमसे प्राॅमिश करता हूँ कि मैं इस बार भी स्टूडेंट्स यूनियन के इलेक्शन में पार्टिसिपेट जरूर करूँगा।"

         "गुड, अब तुम जा सकते हो। मैं टाइमली प्रिंसिपल के पास जाकर उन्हें अपना ऑर्डर वापस लेने के लिए कह दूँगी।"

          "सुनो, तुम चाहो तो तुम सिटी इंटरकाॅलेज स्पोटर्स टूर्नामेंट में भी बैडमिंटन की गर्ल्स कैटिगिरी में इस काॅलेज को रिप्ररजेंट कर सकती हो। तुम कहो तो मैं निक्की को अपना नाम वापस लेने लगा दूँगा।"

          "इस टूर्नामेंट में तो अपने काॅलेज को रिप्रजेंट मैं ही करूँगी, पर इसके लिए मुझे तुमसे कहकर तुम्हारा और तुम्हारी फ्रेंड का अहसान लेने की जरूरत नहीं हैं। इस टूर्नामेंट में खेलना मेरा राइट हैं क्योंकि मैं इस काॅलेज की बैडमिंटन की गर्ल्स कैटिगिरी की पिछले साल की चैम्पियन हूँ और इस काॅलेज के रूल्स के एकार्डिंग काॅलेज में जब तक न्यू सेशन का स्पोटर्स टूर्नामेंट नहीं हो जाता, तब तक पिछले चैम्पियन्स को ही किसी भी इंटरकाॅलेज टूर्नामेंट में रिप्रजेंट करने के लिए फर्स्ट प्रायर्टी देना हैं, लेकिन काॅलेज के स्पोटर्स डिपार्टमेंट इस रूल्स को इग्नोर करके मेरे और निक्की के बीच मैच करवाया और निक्की के ये मैच जीतने पर मेरी जगह पर गलत तरीके से सलेक्शन कर दिया था, इसलिए प्रिंसिपल ने उस मैच को अनाॅफिसियल डिक्लियर करके निक्की के सलेक्शन को रिजेक्ट कर दिया, जिससे मेरे इस काॅलेज को रिप्रजेंट करने का रास्ता साफ हो गया।"

         "कांग्रेचुलेशंस।"

         "थैंक्स। वैसे कांग्रेचुलेशंस तो तुम्हें भी कहना चाहिए।"

         "किसलिए ?"

         "फिलहाल अभिजीत सर सस्पेंड चल रहें और काॅलेज के पास कोई अदर स्पोटर्स टीचर नहीं हैं, इसलिए प्रिंसिपल ने इस टूर्नामेंट में के लिए तुम्हें सभी गेम्स की तैयारियों के लिए काॅलेज का आॅफिसियल कोच अपाईंट किया हैं।"

        "और इस रिस्पांस्ब्लिटी के लिए मेरे नाम की सिफारिश तुमने हीं की होगी।"

         "नहीं, मैंने सिर्फ तुम्हारा नाम सजेस्ट किया था लेकिन प्रिंसिपल को तुम्हारा नाम सुनते ही परफेक्ट लगा, इसलिए उन्होंने इस रिस्पांस्ब्लिटी के लिए तुम्हारा नाम तुरंत फाइनल कर दिया और तुम्हारे लिए उन्होंने ये स्पेशल एडवायजरी भी जारी की हैं कि तुम्हें मुझ पर सबसे ज्यादा ध्यान देना हैं क्योंकि इस टूर्नामेंट में उन्हें सबसे ज्यादा उम्मीद मुझसे ही हैं। अब तुम ये बताओ कि हम लोग कबसे इस टूर्नामेंट की तैयारी शुरू करे ?"

         "तुम जबसे चाहो, तबसे अपनी तैयारी शुरू कर सकती हो, पर मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं करूँगा क्योंकि मेरे पास इस टेम्परेरी कोच की रिस्पांस्ब्लिटी उठाने के लिए टाइम नहीं हैं।"

         "तो ठीक हैं, तुम प्रिंसिपल से जाकर यही बात कह दो, ताकि उनकी तुम्हारे बारे में ये गलतफहमी दूर हो जाए कि तुम एक ऐसे आइडियल और आॅनेस्ट स्टूडेंट हो, जो इस काॅलेज का नाम रोशन करने के लिए कुछ भी कर सकते हो।"

         "हर्षित, तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे। तुम्हें प्रिंसिपल ने जो रिस्पांस्ब्लिटी दी हैं, यू विल डू ऑनेस्टली।" निक्की ने हर्षित के कंधे पर हाथ रखकर अपनी बात कही।

         "अरे, लेकिन ......?"

         "हर्षित, आर्गुमेंट क्लोज करों और चलो यहाँ से।" कहकर निक्की, हर्षित का हाथ खीचते हुए उसे मानसी और उसके ग्रुप से दूर ले गईं।
                             .................

       "निक्की, ये किस टाइप का बर्थडे पार्टी हैं यार ? मुझे यहाँ तुम्हारे अलावा कोई और नजर हीं नहीं आ रहा हैं।" हर्षित ने सरसरी निगाहों से उस कमरे का मुआयना करते हुए कहा, जो शायद निक्की के घर का ड्राइंगरूम था।

        "यहाँ मेरे अलावा कोई और इसलिए नजर नहीं आ रहा हैं क्योंकि बर्थडे पार्टी रात के साढ़े-आठ बजे शुरू होनेवाली हैं।" निक्की ने उसकी बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा।

       "तो तुमने मुझे तीन घंटे पहले हीं क्यों बुला लिया ?"

       "इसलिए, ताकि मैं अपना ट्वेंटी फर्स्ट बर्थडे को स्पेशल बर्थडे बनाने के लिए तुम्हारे साथ डिसकस कर सकूँ। क्या तुम मेरे इस ट्वेंटी फर्स्ट बर्थडे को स्पेशल बनाने के लिए मेरी हेल्प करोगे ?"

       "श्योर।"

       "थैंक्स, बैठो।"

       "निक्की, मैं तुम्हारे बर्थडे को स्पेशल बनाने में तुम्हारी हेल्प करने के लिए हाँ नहीं कहता तो तुम मुझे अपने घर से भगा देती क्या ?"

        "ये कैसी बात कर रहे हो हर्षित, मैं तो तुम्हें अपने घर से भगाने की बात तो मैं सोच भी नहीं सकती।"

         "इतना टेंशन मत लो यार, मैं मजाक कर रहा था।" 

        "ठीक हैं, पर प्लीज अब कुछ देर के लिए सीरियस हो जाओं।"

         "ओके, आई एम सीरियस नाऊ। बताओ कि तुम्हारे इस बर्थडे को स्पेशल बनाने के लिए मैं क्या हेल्प कर सकता हूँ ?"

         "मुझे तुम्हारी बस इतनी-सी हेल्प चाहिए कि तुम ऐसा कुछ करों कि आज मुझे मेरा ड्रीमब्वाय यानि मेरे सपनों का राजकुमार मेरे लिए अपने प्यार का इजहार कर दें।

         "यार, मैं तुम्हारे ड्रीमब्वाय को जानता तक नहीं तो मैं उसे तुम्हारे लिए अपने प्यार का इजहार करने के लिए कैसे कन्वेंस सकता हूँ ?"

         "गुड कोश्चन, बट तुम्हारे लिए मेरे उस ड्रीम ब्वाय को कन्वेंस करना अपने आपको कन्वेंस करने से ज्यादा मुश्किल नहीं हैं।"

        "निक्की, मैं समझा नहीं कि तुम क्या कहना चाह रही हो ?"

        "पर मुझे तो ऐसा लगता हैं कि तुम मेरी बात का मतलब समझकर भी नासमझ बन रहे हों। चलो कोई बात नहीं, मैं तुम्हें साफ शब्दों में हीं समझा देती हूँ ताकि तुम्हारे पास बात को दाएँ-बाएँ घुमाने का बहाना हीं न बचे। एक्चुअली, मैं तीन साल पहले तक तो अपने हर बर्थडे पर तुम्हें एज द बेस्ट फ्रेंड हीं मिस करती रहीं, बट अपने एट्टीन्थ बर्ड डे पर तुम्हें याद करके मेरी आँखों में आँसू आए और मेरी फ्रेंड्स ने मुझसे पूछा कि कौन हैं वो तो मेरे मुँह से तुम्हारा नाम निकल गया। इसके बाद उन लोगों ने मुझ पर बेसिर-पैर का ये ब्लैम लगा दिया कि मैं अपने बचपन के दोस्त हर्षित यानि तुमसे प्यार करती हूँ और सब लोगों की नजरों से बचकर उससे चुपके-चुपके मिलती रहती हूँ, बट कभी भी किसी लड़के के साथ इस टाइप से मेरा नाम जोड़ने पर भड़क जाने वाली मैं सिर्फ 'ऐसा कुछ नहीं हैं' बोलकर बेवजह शरमाने लग गई और उन्हें उनके इस बेसलेस ब्लैम के सच होने का यकीन हो गया।

         इसके बाद मेरी फ्रेंड्स मुझे तुमसे मिलाने के लिए परेशान करने लगी। मैं चाहकर भी पता नहीं क्यूँ उन्हें ये नहीं बता सकीं कि मुझे खुद को हीं तुमसे मिले सालों बीत चुके हैं और मुझे ये तक नहीं पता हैं कि मैं तुमसे कभी मिल भी पाऊँगी या नहीं। उल्टे मैंने तो उनसे ये कह दिया कि तुम बेहद शर्मिले होने की वजह से किसी से नहीं मिलना चाहते हो। इसके बाद उन लोगों ने मिलने की जिद तो छोड़ दी, पर तुम्हारे बारे पूछती रहती थीं और मैं जो मन में आता था, उन्हें बताती रहती थीं। मैंने अपनी इमेजिनेशन के बेस पर तुम्हारी उनके सामने जो इमेज क्रिएट की थीं, उसके एकार्डिंग तुम अपने काॅलेज के ऑइडियल एंड पापुलर स्टूडेंट थे, बट मुझे जरा सा भी यकीन नहीं था कि तुम इस टाइप के बन चुके होंगे। मुझे लगता था कि तुम बचपन में जैसे थे, वैसे हीं होंगे। बाइ द वे, मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं थीं कि तुम्हारी पर्सनाल्टी किस टाइप की हैं, क्योंकि अपनी फ्रेंड्स के साथ तुम्हारे बारे में बचपन की कुछ रियलिस्टिक बातों को छोड़कर बाकी सारी काल्पनिक बातें करते-करते तुम्हारे लिए मेरा प्यार दीवानगी उस की हद पार कर चुका था, जहाँ पहुँचने के बाद किसी भी इंसान को उस पर्सन की पर्सनाल्टी नहीं बल्कि सिर्फ उसका साथ मायने रखता हैं, जिसे वो प्यार करता हैं। मेरी प्राॅब्लम तो ये थीं कि तुम्हें खोजू कैसे ? मैंने कई सोशल मीडिया पर भी तुम्हें खोज-खोजकर थक गई, बट तुम किसी प्लेटफार्म पर नहीं मिले और तुम्हें खोजने का कोई दूसरा माध्यम भी नहीं था, सो मैं ये मान बैठी थीं कि इतनी बड़ी दुनिया में मैं तुम्हें कभी नहीं खोज पाऊँगी।
        
          बट जब मेरे पापा का इत्तफाक से इस बार उसी शहर में ट्रांसफर हुआ और हम लोग इत्तफाक से उसी काॅलोनी में रहने आए, जहाँ तुम रहते थे तो मुझे यकीन हो गया कि हम लोग एक-दूसरे के लिए हीं बने हैं। पर जब मुझे अहसास हुआ कि तुम और मानसी एक-दूसरे से प्यार करते हो तो मेरा दिल टूट गया और मुझे लगा कि मैं सिर्फ तुम्हारी दोस्त हीं बनकर हीं रह जाऊँगी, बट मानसी ने एक छोटी-सी बात के लिए तुम्हारी इन्सल्ट करके तुमसे अपना रिश्ता तोड़ लिया तो मुझे दुबारा ऐसा लगने लगा कि तुम्हारा साथ मेरे ही में नसीब में लिखा हैं, इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं अपने इस बर्थडे पर तुमसे एज द बर्थडे गिफ्ट लाइफ टाइम के लिए तुम्हारा साथ माँग लूँगी। क्या तुम मेरे बर्थडे पर अपनी बेस्ट फ्रेंड को उसकी च्वाइस की गिफ्ट दोगे ?"

        "इसका आन्सर मैं तुम्हें बाद में दूँगा, अभी तुम जल्दी से गेट खोल दो क्योंकि तुम्हारी हिटलर मम्मी मुझे इस ट्रांसपरेंट विंडो में से गेट के बाहर खड़ी नजर आ रहीं हैं।"

       "ओह नो यार, ये भूतनी इतनी जल्दी मार्केट से वापस क्यूँ आ गई ? कहते हैं कि माँ बिना कहे बेटी के दिल की बात समझ जाती हैं पर लगता हैं कि ये कहावत इन जैसी माँ के लिए नहीं बनी हैं।" कहते हुए बुरा-सा मुँह बनाकर निक्की गेट खोलने चली गई।
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RE: चक्रव्यहू by Jayprakash Pawar 'The Stranger' - by pastispresent - 06-03-2019, 07:00 PM



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